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चार लोगों के चक्रव्यूह में फंस कर हजारों लोग काम करते हैं।
जब विजय कपूर शहर के नामी बिजनेसमैन अपने पुत्र अजय को समझाता है। वह चाहता है, कि उसका पुत्र एक बड़ा बिजनेसमैन केवल अपने पिता के बदौलत ना बन जाए बल्कि जमीन से लगातार अपने प्रयासों से एक सफल व्यक्ति बनकर पिता की कुर्सी हासिल करे। अजय अपने ही पिता की कंपनी में मजदूरों के काम से आरंभ करता है। मजदूरों का एक यूनियन लीडर जो काम तो करता नहीं अपने दो-तीन करीबियों के साथ बैठकर जुआ खेलता अन्य मजदूरों को अपनी सेवा पर रखता। यह बात अजय को जमी नहीं। वह उससे भिड़ गया, यह कहते कि वह विजय कपूर का बेटा है, और तुम उसकी मिल में काम की बजाय जुआ खेलते हो।
यूनियन लीडर उसे अपने अंडर एक मजदूर कहकर पुकारता है और उसकी बात नहीं सुनता। अजय उस पर हाथ उठाता है, यूनियन लीडर मजदूरों की हड़ताल करवा देता है। विजय कपूर को यह बात मालूम हुई तो वह अजय को यूनियन लीडर से सबके सामने माफी मांगने को कहता है। अजय बेहद संवेदनशील, स्वाभिमानी और सैद्धांतिक व्यक्ति झुकना कभी नहीं चाहेगा क्योंकि वह सही था।
अपने पिता की आज्ञा पर यूनियन लीडर से माफी मांग लेता है उसकी आत्मा में ग्लानी का एक भाव यूं भर जाता है, कि रह-रहकर उमड़ता है। उसके पिता ने इस मामले का कारण अजय के अनुभव की कमी बताया। उसे बताया कि मिल मजदूरों, मैनेजमेंट और मालिक के आपसी तालमेल से चल रही है। रही बात मजदूरों की यदि तुम्हें मालूम है कैसे भेड़ों के बड़े समूह को नियंत्रण में रखने के लिए चार कुत्तों को रखा जाता है।
“यहां चार लोगों के चक्रव्यू में हजारों मजदूर काम करते हैं”
नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏
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