आम आदमी पार्टी की हार हो जाने से राहुल गांधी जी का गठबंधन में स्तर पुनर्स्थापित हुआ है। कारण यही है कि अब तक अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली में सरकार बनाकर एक ऐसे नेता बने हुए थे, जो मोदी जी के सामने अपराजिता हैं। जिन्हें हराया नहीं गया है, विशेष कर मोदी जी के सामने।
वह एक विजेता नेता की छवि के तौर पर गठबंधन के उन तमाम नेताओं में शीर्ष पर थे। अब विषय यह था, कि राहुल गांधी जी की एक हारमान नेता की छवि के तौर पर जो स्थिति गठबंधन में थी, वह केजरीवाल जी के होने से गठबंधन के अन्य नेताओं में शीर्ष होने की स्वीकार्यता हासिल नहीं कर पा रही थी। राहुल गांधी जी को गठबंधन के शीर्ष नेता के तौर पर जो स्वीकार्यता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रही थी। क्योंकि केजरीवाल जी एक ऐसे विकल्प के तौर पर थे, जो मोदी जी के सामने हारे ही नहीं है, हर बार अपनी पार्टी को जीत दिलाते हैं। लेकिन यहां जब केजरीवाल जी की हार हुई और यह छवि टूट गई अब राहुल गांधी जी ने अपने स्तर को पुनःस्थापित कर लिया है। अब बात बराबरी की है, गठबंधन में अब यह मामला बराबरी का है, और यहां पर अन्य देश की तमाम गठबंधन की पार्टियों के लिए भी एक संदेश हो जाता है।
देश भर में गठबंधन की वह पार्टियों और नेता चाहे वे अखिलेश यादव हों, ममता बनर्जी हों तेजस्वी यादव हों या महाराष्ट्र के शरद पवार हों कांग्रेस से अपनी बात मनवा कर गठबंधन की शर्तों में और गठबंधन की एकता के लिए कांग्रेस के मूल्यों को कम कर चुनाव लड़ने जैसी बात कांग्रेस के लिए एक चुनौती का विषय था। लेकिन यहां से कांग्रेस ने एक सीधा संदेश दिया है, कि अगर गठबंधन का साथ नहीं दोगे तो हम दिल्ली में केजरीवाल जी के खिलाफ जिस प्रकार दमदार अंदाज में लड़े ठीक उसी प्रकार आपके राज्य में भी आपके समीकरण बिगाड़ सकते हैं। यहां निश्चित रूप से अन्य पार्टियों को जो गठबंधन में है कांग्रेस को लेकर शीर्ष नेता को लेकर राहुल गांधी जी के प्रति स्वीकार्यता दर्शानी होगी और कांग्रेस को अहमियत देनी होगी।।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
Please comment your review.