bindusar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
bindusar लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

बिंदुसार | चंद्रगुप्त के पश्चात

  चंद्रगुप्त मौर्य ने 298 ईसा पूर्व अपने पुत्र बिंदुसार के हाथों में मगध के विशाल साम्राज्य को सौंप कर स्वयं संयास ले लिया। बिंदुसार अपने पिता की भांति साम्राज्यवादी नीति के अनुरूप चलकर मगध के साम्राज्य को और अधिक विस्तारित तो नहीं कर सका, किंतु उसने अपने साम्राज्य में शासन का सफलता से संचालन किया।

   बिंदुसार के काल में तक्षशिला में एक विद्रोह हुआ था, अध्ययन में आता है, उस विद्रोह को बिंदुसार के बड़े पुत्र अशोक ने शांत किया था। विदेशियों के साथ बिंदुसार के संबंध बेहद अच्छे थे। यूनानीयों के साथ उसके अच्छे संपर्क थे। इसलिए व्यापार में अच्छी वृद्धि हुई। अतः यह कहना उचित है, कि बिंदुसार एक कुशल प्रशासक था।

273 ईसा पूर्व में बिंदुसार परलोक सिधार गया, और यहीं आरंभ होता है, अशोक।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏