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गुरुवार, 2 नवंबर 2023

होमी जहांगीर भाभा और भारत का परमाणु परीक्षण

1966 में वियना जा रहे एक वायुयान के क्रेश हो जाने की घटना ने भारत के न्यूक्लियर रिसर्च की ओर बढ़ती आशाओं को धीमा कर दिया। इस विमान में होमी जहांगीर भाभा भी थे। वह इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी की एक कांफ्रेंस के लिए वियना जा रहे थे। भारत को पहले एटॉमिक बम बनाने का वादा करने वाले होमी जहांगीर भाभा, भारतीय एटॉमिक रिसर्च के फादर कहे जाते हैं। 

यह उनकी मेहनत का ही फल था, कि उनकी मृत्यु के 8 वर्षों पश्चात भारत ने पहले एटॉमिक प्रशिक्षण में सफलता हासिल की।

अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे इंजीनियरिंग के लिए कैंब्रिज गये। उनके पिता भी यही चाहते थे, कि वह इंजीनियरिंग करें और इसी में अपना भविष्य देखें। किंतु कैंब्रिज में कुछ लोगों से उनकी मुलाकात के कारण उनका झुकाव धीरे-धीरे मैथ्स और थियोरेटिकल फिजिक्स की ओर चला गया। उन्होंने कैंब्रिज में अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। लेकिन इसी दरमियान उन्होंने अपने पिताजी को इस संदर्भ में खबर दी की वह अपने भविष्य में इंजीनियरिंग को लेकर इतने रुचिकर नहीं हैं। उन्होंने कैंब्रिज में ही न्यूक्लियर फिजिक्स में अपनी पीएचडी भी पूरी की। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जो की 1939 में शुरू हो गया था वे वापस इंग्लैंड ना जा सके। इस दरमियान वे भारत अपनी छुट्टियों के लिए आए हुए थे। इसके बाद उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस बेंगलुरु से जुड़ने का फैसला किया। इस संस्थान का संचालन उस समय पर डॉक्टर सी० वी० रमन कर रहे थे। यहीं होमी जहांगीर भाभा की विक्रम साराभाई से भी मुलाकात होती है। 

विक्रम साराभाई जो इस समय पर कैंब्रिज में विद्यार्थी थे, और वही कारण की द्वितीय विश्व युद्ध के कारण वे भी अब भारत लौट आए थे। भाभा जो की कॉस्मिक रेज के माध्यम से परमाणु के कणों का अध्ययन करना चाहते थे। वहीं विक्रम साराभाई इन्हीं कॉस्मिक रेस की सहायता से बाह्य अंतरिक्ष के अध्ययन में रुचिकर थे। 

एक बार सी०वी० रमन ने होमी जहांगीर भाभा को लिओनार्दो दा विंची के समक्ष बताया था। लगभग पांच सालों तक इस संस्थान में कार्य करने के बाद 1943 में होमी जहांगीर भाभा ने जे०आर०डी० टाटा को फंडामेंटल फिजिक्स के लिए भारत में एक रिसर्च इंस्टीट्यूट खोलने को कहा, और 1945 में इसे स्थापित किया गया।

भारत की आजादी के बाद जब पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बने 1948 में ही होमी जहांगीर भाभा ने पं० नेहरू को एक पत्र लिखकर भारत में न्यूक्लियर एनर्जी पर शोध की जरूरत को जाहिर किया और उन्होंने नेहरू जी से इस बात को भी कहा की एक एटॉमिक एनर्जी कमिशन बनाया जाएगा, जो न्यूक्लियर एनर्जी से संबंधित शोध की रिपोर्ट को सीधे प्राइम मिनिस्टर से साझा करेगा। इसके बाद ही पंडित नेहरू ने 1948 में एटॉमिक रिसर्च कमिशन को स्थापित किया।

इसके पहले अध्यक्ष होमी जहांगीर भाभा बने। एस०एस० भटनागर और के०एस० कृष्णन इस कमीशन के अन्य सदस्य थे। पं० नेहरू से होमी जहांगीर भाभा की गहरी मित्रता थी। कहते हैं, कि पं० नेहरू को केवल दो लोग भाई कह सकते थे, एक जयप्रकाश नारायण और दूसरे होमी जहांगीर भाभा।

अब जब 1954 में मुंबई में एटॉमिक रिसर्च सेंटर बनाने की शुरुआत हुई। इसी के साथ भारत में एटॉमिक रिसर्च प्रोग्राम को भी तीव्र गति प्राप्त हुई। इसी समय इंडियन गवर्नमेंट ने भी एटॉमिक रिसर्च को लेकर बजट में वृद्धि की। अब तक होमी जहांगीर भाभा एटॉमिक एनर्जी को लेकर दुनिया भर में पहचान प्राप्त कर रहे थे। 1950 तक भाभा इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी में भारत का नेतृत्व करने लगे थे। और इसी के चलते यूनाइटेड नेशन में 1955 में उन्हें एक कांफ्रेंस का प्रेसिडेंट बनाया गया, जो एटॉमिक एनर्जी के शांतिप्रिय प्रयोग को बढ़ावा देती थी। यह कॉन्फ्रेंस जेनेवा स्विट्जरलैंड में आयोजित की गई थी।

इसके बाद इन्हीं कुछ प्रयासों के चलते और दुनिया भर में एटॉमिक रिसर्च को लेकर प्रसिद्धि पा रहे होमी जे भाभा के कारण भारत को इससे लाभ हुआ। 1955 में शांतिप्रिय एटॉमिक एनर्जी के प्रयोग के वादे के चलते कनाडा ने भारत को एटॉमिक रिएक्टर दिए। अमेरिका ने भी भारत को भारी जल उपलब्ध कराने का वादा किया।

इसके बाद तो भारत ने भी 1956 में अपना पहला न्यूक्लियर रिएक्टर विकसित किया। जिसे अप्सरा कहा गया, और यह एशिया के सबसे पुरानी रिसर्च रिएक्टर के तौर पर जाना जाता है। इन्हीं सब उपलब्धियां के बाद अब भाभा के लिए एटॉमिक बम बनाने के द्वारा खुल गए थे। लेकिन अब तक भारतीय नेता इस स्थिति में नहीं थे। वह इस विचार के पक्ष में भी नहीं थे। दूसरी ओर भारत आजादी के बाद से अब तक गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी से जकड़ा हुआ था। इन सब के बीच केवल होमी जहांगीर भाभा ही थे, जो भारत के लिए न्यूक्लियर रिसर्च की दिशा में एक दूर दृष्टि को लिए हुए थे।

1962 में भारत और चीन के युद्ध और इस समय पर भारत को हुए नुकसान में एटॉमिक एनर्जी की दिशा में भारत को बढ़ने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि 1964 तक चीन ने अपने एटॉमिक बम का सफल परीक्षण कर दिया था, और यह भारत के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती के रूप में सामने थी। इसी समय पर होमी जहांगीर भाभा ने यह बात कही थी, कि वह इस स्थिति में हैं, कि 18 महीने के भीतर में भारत को उसका अपना न्यूक्लियर बम दे सकते हैं।

लेकिन तमाम कारणों दुनिया भर के दबाव के चलते यह कार्यवाही आगे ना बढ़ सकी। उधर नए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अब पदासीन हो चुके थे। इसके बाद 1965 में जब एक बार फिर भारत और पाकिस्तान युद्ध हुआ तो एक बार फिर स्थिति पैदा हुई कि न्यूक्लियर एनर्जी की दिशा में प्रयास किए जाएं। लेकिन उससे पहले की भाभा इस पर काम करते 1966 में उनकी मृत्यु हो गई, और इसी के साथ अब एटॉमिक रिसर्च सेंटर को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर नाम दिया गया। नए अध्यक्ष के तौर पर विक्रम साराभाई को चुना गया। विक्रम साराभाई जो इस समय पर इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन को विकसित करने में लगे हुए थे।

1967 तक नई प्रधानमंत्री के तौर पर श्रीमती इंदिरा गांधी पदासीन हो चुकी थी। क्योंकि साराभाई पूर्व से ही एटॉमिक बम बनाने की दिशा में सहमत नहीं थे। लेकिन इंदिरा गांधी के बार-बार कहने के कारण उन्होंने इस कार्य के लिए सहमति दी।

1971 की लड़ाई के बाद जब इंदिरा गांधी की प्रसिद्ध में वृद्धि हुई, तो उन्होंने 1972 में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से न्यूक्लियर बम के परीक्षण को लेकर बात कही। इसे स्माइलिंग बुद्धा नाम दिया गया। 18 मई 1974 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन राजस्थान के पोखरण में यह सफल परीक्षण किया गया। इसी के साथ होमी जहांगीर भाभा का स्वप्न भी पूरा हो गया।।

मुख्य रूप से होमी सेठना और राजा रमना दो महत्वपूर्ण नाम, इस कार्य के लिए पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई। 75 से कम लोगों ने इस प्रोजेक्ट में काम किया, बात यही थी कि दुनिया भर को इस संदर्भ में कोई खबर नहीं होनी चाहिए। विक्रम साराभाई इस पूरे प्रोजेक्ट को संचालित कर रहे थे। यह इतना गोपनीय था कि भारत के रक्षा मंत्री को भारतीय सेना को इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं थी।

रविवार, 29 अक्टूबर 2023

India vs England भारत की जीत | विशेष लेख

ये इंग्लिश क्या सोचते होंगे। भारत ने आज क्रिकेट के मैदान पर इंग्लैंड को काफी बड़े अंतर से हराया। यह कोई छोटा क्रिकेट मुकाबला नहीं है, यह विश्व कप है। वे लोग जो इंग्लैंड की ओर से अपनी टीम का समर्थन करने आए होंगे भले वे कम संख्या में थे, बेहद कम लेकिन अत्यधिक निराश हुए होंगे।

  दरअसल यह जैंटलमैनों का खेल था, और एक जमाने में इंग्लैंड के लोगों के अलावा और किसे जेंटलमैन कहा जा सकता था। यह उन्हीं का खेल उन्हीं को आज मैदान पर मात देता है। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं, खेल है और इसके दो पहलू हार और जीत हैं। अब हार हुई या जीत उसे स्वीकार करना भी खिलाड़ी का एक गुण है।

   लेकिन यह मन है और यह सोचता जरूर होगा। बड़ी बात यह है, कि सामने भारत था, और उससे यह बड़ी हार कई पहलुओं को खुला कर देती है।

 भारत ब्रिटिशों का गुलाम रहा मुल्क। ब्रिटिश क्रिकेटरों और उन जैंटलमैनों के शौक क्रिकेट खेल में भारतीय व्यक्ति फील्डिंग करता हुआ, केवल फील्डिंग।

 वह लगान फिल्म भी याद आती है। हालांकि वहां क्रिकेट से कोई मतलब नहीं था, बस उस खेल को जीतकर ब्रिटिशों से कर की माफी स्वीकार करानी थी। हालांकि तब वह भावना अतुलनीय रही होगी। 

  लेकिन शायद ब्रिटिशों का राष्ट्र प्रेम ऐसा नहीं है। हम भारतीय यदि क्रिकेट का शौक रखते हैं, तो आपको क्रिकेट के मैदान पर पूरा भारत दिखेगा। हमारे लिए यह खेल बेहद अहमियत रखता है। इस बात का अंदाजा आप मैदान में भारतीय दर्शकों की भीड़ से लगा सकते हैं। और यह खेल बहुत से लोगों के लिए देशभक्ति को प्रस्तुत करने का एक मौका भी है। यही भावना इस खेल से देश के हर व्यक्ति को जोड़ती है।

वहीं क्रिकेट एक खेल है, एक खेल केवल। 

इंग्लैंड इस भावना में आ चुका है, यह उनके लिए देश के गौरव से जुड़ा बड़ा सवाल नहीं बन जाता है। वे इससे उभर चुके हैं, या वे इसमें नहीं फंसना चाहते हैं। बस यह की क्रिकेट एक खेल है, उनकी एक टीम है, जो देश के नाम पर खेलती हैं। जीते तो गौरव का विषय है, हारे तो खेल का एक पहलू ही है हार, और वे उसे स्वीकार करते हैं।।

रविवार, 26 फ़रवरी 2023

रूस-यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष पूर्ण | विशेष लेख

             रूस-यूक्रेन युद्ध

एक वर्ष हो चुका है। रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध जारी है। यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। कोरोना से उभरने के बाद कुछ गति जो विकास कार्यों की ओर अपेक्षित थी रूस-यूक्रेन युद्ध ने उस गाड़ी का टायर पंचर कर दिया।
बात साफ है, वैश्वीकरण के युग में आप दुनिया के किसी राष्ट्र में हो रही हलचल से बिना प्रभावित हुए बचकर नहीं निकल सकते। हमारे देश में जो मांगे पैदा होती हैं, उनकी आपूर्ति के लिए विदेशों से आयात होता है, और विदेशों की आवश्यकता की आपूर्ति के लिए भारत उन्हें वस्तुएं निर्यात करता है। अतः हम संपूर्ण विश्व से परस्पर जुड़े हैं।
इस वर्ष भारत को जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता के संदर्भ में प्रधानमंत्री जी ने इसीलिए ही कहा, कि कोई तीसरी दुनिया नहीं है हम सब एक नाव पर सवार है।
यह कहने का तात्पर्य ही था कि हम सब की संपूर्ण दुनिया में तमाम राष्ट्रों की समस्याएं एक समान ही हैं। इसका प्रमाण दिया है, कोरोना महामारी ने और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के समय दुनिया का हर राष्ट्र आज महंगाई, खाद्य संकट, ऊर्जा संकट आदि समस्याओं का सामना करने को मजबूर है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के एक वर्ष होने के साथ अब तक शांति के कोई प्रयास साकार होते नहीं दिखते।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत, चीन, पाकिस्तान के साथ लगभग 30 से अधिक देशों ने वोट नहीं दिए, और अपनी स्थिति को बरकरार रखा। इसका यही कारण रहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ में जो प्रस्ताव रखा गया, उसमें रूस के पक्ष में कोई बात नहीं थी, अर्थात रूस जिन कारणों से युद्ध में है, उन विषयों को प्रस्ताव में कोई स्थान नहीं दिया गया। ऐसे में यह प्रस्ताव रूस की सैनिक अभियान को निरर्थक साबित करता है। क्योंकि प्रस्ताव में रूस जिन कारणों से युद्ध में है, अथवा रूस की महत्वकांक्षी का स्थान नहीं है, इस कारण से इस प्रस्ताव को रूस और उसके समर्थक राष्ट्र स्वीकृति क्यों देंगे। वहीं भारत, चीन, पाकिस्तान आदि राष्ट्र इस पर वोटिंग ना करना ही ठीक समझते रहेंगें। इस प्रकार यह प्रस्ताव केवल एक प्रयास ही रह जाएगा।
भारत का पक्ष शांति स्थापित हो इसी और है। इसका प्रमाण है, जब मोदी जी ने रूसी राष्ट्रपति से कहा था, कि यह युद्ध का समय नहीं है। किंतु साथ ही भारत का अपने पारंपरिक मित्र से दोस्ती बनाए रखने का भी प्रश्न है। किंतु भारत की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निष्पक्षता और स्पष्टवादिता ने यूक्रेन को निराश नहीं किया है। भारत ने इसीलिए वोटिंग में प्रतिभाग नहीं किया। इससे यह तो साफ होता है, कि भारत रूस के सैनिक अभियान कि साथ नहीं है। किंतु वहीं भारत ने यूक्रेन के पक्ष में भी मत नहीं दिया है।
चीनी भी रूस के सैनिक अभियान पर कुछ नहीं कहा है। हां अमेरिका और यूरोपियन राष्ट्रों द्वारा यूक्रेन को हथियार उपलब्ध कराए जाने की निंदा की और इसी को यूक्रेन में युद्ध जारी रहने का कारण बताया।

अमेरिका ने हाल ही में यूक्रेन को 2 अरब डॉलर के हथियार उपलब्ध करवाने की घोषणा की है। इस प्रकार के निरंतर समर्थन के चलते यूक्रेन युद्ध के मोर्चे से पीछे नहीं हटने वाला है, और सामने रूस अपने दृढ़ हठ पर अड़ा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के एक वर्ष हो जाने पर दुनिया के अनेक देशों ने रूस के सैनिक अभियान के विरोध में प्रदर्शन किए। जर्मनी में एक खूनी रंग का केक बनाकर उस पर मानव खोपड़ी रखकर प्रदर्शन किया गया। रूसी दूतावास के सामने एक जर्जर टैंक को रखा गया, और रूस की दुनिया में कमजोर स्थिति को दर्शाया गया।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने भी यूक्रेन में हुए हमलों से गई जानों के लिए 2 मिनट का मौन धारण किया। ब्रिटेन के सम्राट जेम्स तृतीय ने भी अपनी संवेदना प्रकट की। अन्य कई और स्थानों पर भी प्रदर्शन की खबरें रही।।

गुरुवार, 12 मई 2022

राष्ट्रीय समाचार दैनिक | 11 may 2022

मुख्य समाचार-

◆ गुवाहाटी असम में एक रैली में पहुंचे अमित शाह जी ने जनसभा को संबोधित किया। जहां उन्होंने असम में हेमंत सोरेन विश्वा जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के पहली वर्षगांठ पर शिरकत की। जिसमें उन्होंने असम के सरकार की प्रशंसा की। घुसपैठ के संबंध में खुलकर कहते हुए उन्होने कहा की असम की सरकार द्वारा उन्हें पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है। किंतु पश्चिम बंगाल की सरकार द्वारा घुसपैठ नियंत्रण में उन्हें सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है। जहां उन्होंने कहा कि असम के सरकार इस मुद्दे पर केंद्र के साथ मिलकर लड़ रही है। और इस वजह से असम में घुसपैठ में उल्लेखनीय कमी आई है। वही बंगाल की सरकार से केंद्र को घुसपैठ से सख्ती से निपटने के लिए भरपूर सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को सफेद झूठ कह कर नकार दिया है। {राष्ट्रीय समाचार दैनिक | 11 may 2022}

◆ “पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन से हमारे सांस्कृतिक जगत को क्षति हुई है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर संतूर को प्रसिद्ध बनाया। उनका संगीत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनके साथ हुई बातचीत मुझे याद है। उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना। ओम शांति”

   यह शब्द माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के महान संगीतकार पंडित शिवकुमार शर्मा जी के निधन पर व्यक्त किए गए। जिनका हार्ट अटैक की वजह से 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। 13 जनवरी 1938 को जन्मे पंडित शिवकुमार शर्मा जी भारत के जाने-माने शास्त्रीय संगीतकारों में और साथ ही संतूर को विश्व भर में प्रसिद्ध दिलाने वाले महान व्यक्तित्व रहे। उनका जन्म जम्मू में हुआ था। उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। ऐसा कहा जाता है, कि पंडित शिवकुमार शर्मा जी ही वे पहले व्यक्ति थे। जिन्होंने संतूर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत का जादू बिखेरा। {राष्ट्रीय समाचार दैनिक | 11 may 2022}

◆ देशभर में बीते 24 घंटों में नए कोरोना मामलों की संख्या 2288 रही। वही उपचाराधीन मरीजों की संख्या घटकर 19637 रह गई है। दिल्ली में सर्वाधिक मामले 1128 बीते 24 घंटों में प्राप्त हुआ है। साथ ही बीते 24 घंटे में दिल्ली में कोरोना से एक मौत दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है, कि बीते 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 766 की कमी आई है। वही देश में मरीजों के ठीक होने की दर 98.74 है। {राष्ट्रीय समाचार दैनिक | 11 may 2022}

◆ वही खबर उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के दौरान अब तक 23 लोगों की मृत्यु हो गई। हालांकि इनमें ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज इत्यादि बीमारियों से ग्रसित थे। किंतु प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसे गंभीरता से लिया है। और राज्य से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है। स्वास्थ्य महकमा मृत्यु के कारणों की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गया है। वही जल्दी-जल्दी में बैठक कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई। साथ ही एडवाइजरी भी जारी की गई। {राष्ट्रीय समाचार दैनिक | 11 may 2022}

शनिवार, 7 मई 2022

दैनिक राष्ट्रीय समाचार | 7 मई 2022

मुख्य समाचार

◆ अपने यूरोप की दौरे के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी जी फ्रांस पहुंचे। जहां उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की इस मुलाकात में अफगानिस्तान के विषय पर उन्होंने अपनी बात रखी। जिसमें दोनों देशों ने स्पष्ट किया अफगानिस्तान की भूमि का आतंकवाद के प्रसार के लिए प्रयोग किया जाना हरगिश बर्दाश्त नहीं है। इस विषय में उन्होंने अपने रुख को कड़ा और साफ किया साथ ही दोनों देशों के प्रमुखों ने अफगानिस्तान में मानव अधिकार हनन के मामलों, महिलाओं की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की। साथ ही काबुल में एक समावेशी सरकार की जरूरत पर जोर दिया। इन दोनों देशों ने क्षेत्रीय अखंडता, एकता, व संप्रभुता का सम्मान करने और आंतरिक मामलों पर हस्तक्षेप न करने पर बल दिया। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार 7 मई 2022}

◆ शुक्रवार तक दिनांक 6 मई का डाटा जाने दो कोरोना कि देश भर में 3275 मामले नए केस का विवरण प्राप्त है। जहां उपचार आधीन मामले अब बढ़कर 19719 पर पहुंच चुके हैं। जिसमें 55 लोगों की मृत्यु की रिपोर्ट दर्ज की गई है। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार 7 मई 2022}

◆ जम्मू कश्मीर के संबंध में 3 सदस्य गठित परिसीमन आयोग जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई हैं।  परिसीमन आयोग के पदेन सदस्य के रूप में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त हैं। बृहस्पतिवार को अपने अंतिम आदेश पर हस्ताक्षर कर न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई जी ने एक राजपत्रित अधिसूचना जारी की। जिसमें कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 45 तथा जम्मू कश्मीर में 43 रखने की अनुशंसा की गई है। इस आधार पर अंतिम आदेश में जम्मू में छह जबकि कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा गया है। सीटों के पुनर्निधारण के बाद अब कुल सीटों की संख्या जम्मू कश्मीर विधानसभा में 90 हो जाएगी। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार 7 मई 2022}

◆ चार आतंकवादी हरियाणा के करनाल में गिरफ्तार किए गए हैं। जो कि यहां से तेलंगाना जा रहे थे। इनका संबंध पाकिस्तान से है। जिस वाहन के साथ इन्हें गिरफ्तार किया गया है। उसमें विस्फोटक, हथियार व आईडी बड़ी मात्रा में प्राप्त किए गए हैं।। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार 7 मई 2022}

मंगलवार, 3 मई 2022

दैनिक राष्ट्रीय समाचार | 2 may 2022

मुख्य समाचार-

देश के नए थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भारत के तेरह लाख सैनिकों और अधिकारियों का नेतृत्व करने वाले पहले इंजीनियरिंग कोर के अधिकारी बन गए हैं। रविवार 1 मई 2022 को उन्हें द गार्ड ऑफ ऑनर का खिताब दिया गया, और उसके पश्चात उन्होंने चीन के साथ भारत के सीमा विवाद को लेकर कहा। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, और मेरा मानना है, कि यही आगे बढ़ने का रास्ता है। हमारा मत है, कि इस बातचीत से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर हल ढूंढ लिया जाएगा। फिलहाल की स्थिति पर उन्होंने कहा कि एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर दोनों देशों में स्थिति सामान्य है। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार | 2 may 2022}

◆ जहां शिक्षा का ऑनलाइन सुविधा बढ़ती जा रही है। वही शिक्षण क्षेत्र में साइबर क्राइम की घटनाओं का भी इजाफा हुआ है। एक रिपोर्ट की मानें तो 2021 के मुकाबले 2022 में 20 फ़ीसदी अधिक साइबर क्राइम की घटनाएं सामने आई हैं। यह भी बताया गया है, कि दुनिया भर के शिक्षण संस्थानों में भारत पर सर्वाधिक 58 फीसदी हमले लक्ष्य बनाकर किए गए हैं। कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था ने खासा उन्नति की। जिसके बाद ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था साइबर हमलावरों के सीधे निशाने पर हैं। भारत के बाद शिक्षण संस्थानों पर साइबर क्राइम सर्वाधिक 19 फीसदी  घटनाएं अमेरिका पर रही है। यह रिपोर्ट “वैश्विक शिक्षा क्षेत्र पर साइबर हमले का खतरा” शीर्षक के साथ जारी किया गया है। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार | 2 may 2022}

◆ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपनी इस वर्ष की पहली विदेश यात्रा जहां वे डेनमार्क, फ्रान्स, जर्मनी का दौरा कर रहे हैं। इस संबंध में कहा कि यूरोपीय देशों के साथ भारत की साझेदारी सर्वाधिक अहम है। इस दौरे पर वह मुख्य रूप से यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का प्रयास करेंगे। साथ ही जर्मनी प्रधानमंत्री मैंक्रो के साथ वैश्विक और क्षेत्रीय तमाम मुद्दों पर विचार साझा करेंगे। यूरोप में भारतीय मूल के लगभग दस लाख लोग निवास करते हैं। मोदी जी उन लोगों से मिलने को भी समय देंगे। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार | 2 may 2022}

◆ प्रचंड गर्मी के दिनों में बारिश की खबर राहत देने वाली है। शिमला के कुछ क्षेत्रों में बारिश की खबर है। साथ ही मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार दिल्ली और उत्तर पश्चिम कुछ क्षेत्रों में वर्षा के आसार हैं। मौसम विभाग ने बताया कि पश्चिम विक्षोभ दिल्ली की ओर बढ़ रहा है इससे राजस्थान हरियाणा पंजाब पश्चिम उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में वर्षा को लेकर सूचना जारी कर दी गई है। {दैनिक राष्ट्रीय समाचार | 2 may 2022}

सोमवार, 2 मई 2022

दैनिक समाचार world news | 1 मई 2022

मुख्य समाचार-

◆ गर्मी का कहर इस वर्ष सालों के रिकॉर्ड तोड़ रहा है। मौसम विभाग ने बताया कि 122 वर्षों में चौथी बार सबसे अधिक तापमान इस वर्ष नोट किया गया है। जिसमें अप्रैल के दौरान ही औसत तापमान देशभर में 35.05 डिग्री सेल्सियस का दर्ज किया गया है। साथ ही इस वर्ष मई में बारिश के भी सामान्य से अधिक रहने की आशंका है। मौसम विभाग ने साथ ही बताया कि दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत को छोड़ देश के अधिकतर हिस्सों में जिसमें मुख्यता राजस्थान पंजाब गुजरात हरियाणा में मई के दौरान भी सामान्य से अधिक गर्मी की संभावना है। {दैनिक समाचार  1 मई 2022}

◆ मोदी जी ने 6 साल के अंतराल में हुई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुछ विषयों पर जोर दिया। जिनमें जहां मोदी जी ने अदालतों में स्थानीय भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने की मांग की, जो कि आम लोगों को न्याय प्रक्रिया में विश्वास व अधिक जुड़ाव महसूस कराएगी। जिस पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने कहा कि अदालतों में स्थानीय भाषा के उपयोग के लिए एक कानूनी व्यवस्था की आवश्यकता है। इसके साथ ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि 50% लंबित मामलों की सबसे बड़ी जिम्मेदार यदि कोई है, तो वह सरकारें हैं। विधायिका और कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं के अपनी पूरी क्षमता को नहीं जानना और उस क्षमता से कार्य न करना बड़ी संख्या में मामलों को लंबित रखे हैं। कार्यपालिका की विभिन्न शाखाओं की निष्क्रियता ही लोगों को अदालतों के द्वार पर लाती हैं। उनका कहना है, कि अदालतों में मामलों का आरंभ के दो कारण हैं। पहला तो कार्यपालिका की अनेक शाखाओं का कार्य न करना, और दूसरा विधायक काका अपनी पूर्ण क्षमता से अनभिज्ञ होना। {दैनिक समाचार  1 मई 2022}

◆ एनएमसी (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) ने भारतीय छात्रों को पाकिस्तान में मेडिकल कॉलेजों में दाखिला ना लेने की सलाह दी है। पिछले 29 अप्रैल को पहले ही सूचना जारी कर दी गई थी, कि भारत का कोई भी नागरिक हो या प्रवासी यदि पाकिस्तान के किसी भी मेडिकल कॉलेज में किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेना चाहता है, तो वह भारत में रोजगार पाने का पात्र नहीं है। हां 2018 से पहले और बाद में गृह मंत्रालय से सुरक्षा की मंजूरी के साथ पाकिस्तान के डिग्री कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों के संबंध में यह छूट है।। {दैनिक समाचार  1 मई 2022}

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

कराची बम धमाका और ट्विटर | daily news

देश-विदेश-

पाकिस्तान कराची में कराची यूनिवर्सिटी क्षेत्र में एक आत्मघाती हमला हुआ है। एक महिला जो एक वैन के करीब आते ही एक बड़ा एक्सप्लोजन होता है, जो वीडियो में दिखाया जा रहा है। जो नजदीकी सीसीटीवी फुटेज से सामने आई है। इससे यह देखा  गया है, कि महिला ने खुद को इस हमले में ब्लास्ट किया है। इस हमले में बताया गया है कि तीन चाइनीस सिटीजन समेत कुल 4 लोगों की मौत की खबर है। ब्लास्ट करने वाली महिला को बलूचिस्तानी बताया गया है। क्योंकि इस हमले में चीन के तीन सिटीजन की मृत्यु हो गई है। इस पर धमाके के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ चीनी दूतावास पहुंचे और उन्होंने शोक व्यक्त किया। {कराची बम धमाका और ट्विटर}

ट्विटर-

स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क ने सोशल मीडिया की चिड़िया अथवा ट्विटर को खरीद लिया है। लगभग 3368 करोड रुपए  मस्क ने इसे खरीद कर अपने सबसे बुरे आलोचकों को भी ट्विटर पर बने रहने की आशा की है। ट्विटर में मस्क की हिस्सेदारी अधिक थी। जो कुछ समय पहले ही मस्क ने खरीदी थी। अब मस्क ने बोर्ड के सामने कंपनी को ही खरीदने का ऑफर दिया। हालांकि पहले इस पर अटकलें थी। किंतु अंत में सभी शेयरधारकों के बोर्ड ने इसे सहमति दे कंपनी को मस्क के नाम कर दिया। {कराची बम धमाका और ट्विटर}

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

अफगानिस्तान में हालात | afganistan update

अफगानिस्तान में तालिबान के लगभग 9 महीने का शासन हो चुका है। इसमें तालिबान के नियमों और फसलों की खबरें चर्चा में रहीं। अफगानिस्तान में अब क्या हालात हैं। जहां विश्व बैंक ने चेताया है, कि वहां एक तिहाई लोगों के पास भरपेट भोजन को भी पैसे नहीं है। वहां तालिबान के महिलाओं और लड़कियों के प्रति फैसलों में अधिक जटिलता लाई गई है। {अफगानिस्तान में  हालात | 26 apr 2022 afganistan update}

तालिबान के हालात ऐसे हैं कि गरीब लोगों के पास यहां तक कि विश्व बैंक ने चेताया है कि वहां एक तिहाई लोगों के पास भरपेट भोजन को भी पैसे नहीं है इसमें जो दानकर्ताओं की ओर से दान की घोषणा हुई है, वास्तव में कहें तो वह कुल जरूरत का आधा भी नहीं। किंतु क्या यह मदद हासिल हो भी पाएगी या नहीं। इस पर भी संशय है। क्योंकि आफगान के लड़कियों के प्रति फैंसलो ने उसे दुनिया के सामने अलग तरह से पेश किया है। जहां आफगानिस्तान इस वक्त पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी मान्यता के लिए प्रयासरत हैं। वही उसके फैसलों से यह होना अप्रासंगिक लगता है। तमाम अंतरराष्ट्रीय फंडिंग जो उसे प्राप्त होती रही थी, अब नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में सामान्य दैनिक जरूरतें यहां तक की आम लोगों को भोजन जुटा पाने में भी बड़ी कठिनाई हो रही है। इस पर अफगान तालिबान सरकार का जवाब है। कि वह फैसले उसके अपने देश में शरिया कानून और अफगान परंपराओं के अनुसरण के अधीन लिए गए हैं। {अफगानिस्तान में  हालात | 26 apr 2022 afganistan update}

फंडिंग के संबंध में संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा-

  संयुक्त राष्ट्र इस संबंध में आम जनमानस के लिए अतिरिक्त फंडिंग के विषय में संसय में है, उनका कहना है कि लड़कियों के संबंध में अफगान का ऐसा फैसला जहां सेकेंडरी स्कूलों में उनको प्रतिबंधित कर दिया गया है, दुनिया में तमाम देशों को गलत संदेश देता है। और हो सकता है, कि उसके सहयोगी उससे मुंह फेर ले। अफगानिस्तान का विश्व में ऐसा देश बनने की आशंका जताई गई है। उनका कहना है, कि हम अतिरिक्त फंडिंग नहीं कर सकते हैं। क्योंकि आफगान में हालात काम करने लायक नहीं है। {अफगानिस्तान में  हालात | 26 apr 2022 afganistan update}

अफगानिस्तान में नए नियम चर्चा में-

◆ अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को लेकर जहां पहले उनके स्कूल जाने को लेकर तालिबान सरकार ने स्पष्ट किया था, कि वह स्कूल जा सकती हैं अब अफगान में लड़कियों के हाई स्कूल जाने पर रोक लगा दी गई है।

◆ अनेक इंटरनेशनल ब्रॉडकास्ट जो अब तक वहां सुने देखे जाते थे। उन्हें तालिबान सरकार ने बंद करने का आदेश दिया है। टिक टॉक पब्जी जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का अफगानिस्तान सरकार ने अपने देश में बैन कर दिया है।

◆ इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों वह अन्य को दाढ़ी बढ़ाने और पारंपरिक वस्त्रों के उपयोग की सलाह दी गई हैं।

◆ काबुल में अब पार्कों में महिला और पुरुषों को एक साथ उपस्थित होना प्रतिबंधित कर दिया गया है। महिलाओं के लिए हफ्ते के कुछ दिन पार्कों में जाने के लिए नियत होंगे। वहीं पुरुषों को अन्य दिन पार्को में जाने की अनुमति होगी। {अफगानिस्तान में  हालात | 26 apr 2022 afganistan update}

मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

खबरों में 25 apr 2022 | daily news

खास खबरें-

   कोरोना पुनः अपनी विस्तार गति को प्राप्त कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है। कहा जा रहा है, कि नया वेरिएंट अमीक्रोन के मुकाबले दोगुना तीव्र फैलने की क्षमता रखता है। देश में स्थितियां फिलहाल तो सामान्य ही प्रतीत हो रही है। किंतु कोरोना मामलों में कुछ समय से इजाफा नोट किया गया है। जहां देश भर में आज 2593 लोग संक्रमित पाए गए हैं। जिनमें 44 लोगों ने संक्रमण से मृत्यु हो गई। जिनमें केरल में सर्वाधिक 38 लोगों की कोरोना संक्रमण से जान गई है। साथ ही दिल्ली में कोरोना के देशभर के मामलों में 61% मामले पाए गए हैं। 24 मार्च से 18 अप्रैल के मध्य निरंतर 700 से 1600 मामलों को पाया गया है। {खबरों में 25 apr 2022}

देश-दुनिया-

■  वहीं चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों ने स्थिति को  गंभीर बनाया हुआ है। शंघाई शहर ओमिक्रोन स्वरूप का केंद्र बना हुआ है। वहीं कोरोना के कारण छात्र जो चीन में पढ़ रहे थे, भारत लौट आए थे। अब तक उन्हें लौटने की अनुमति नहीं दी गई है। जबकि श्रीलंकाई छात्रों को अनुमति दे दी गई है। इस पर भारत ने चीनी नागरिकों के जारी किए गए वीजा को निलंबित कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय छात्रों की वापसी के मामले में भारत ने बीजिंग से आग्रह किया था। किंतु उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

■  फ्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पुनः पदभार संभालेंगे। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी मरीन ली पेन को शिकस्त दी, और जीत पर विभिन्न राष्ट्र प्रमुखों को बधाइयां दी हैं। 2017 में भी इमैनुएल मैक्रों ने सुश्री मरीन ली पेन को हराया था। जो 53 वर्षीय हैं, और दक्षिणपंथी नेता है। राष्ट्रवाद के विचार की कट्टर समर्थक हैं। {खबरों में 25 apr 2022}

खेल जगत-

   आईपीएल के इस सीजन वापसी करती सी०एस०के०  की सेना को आज एक बार एक और हार का सामना करना पड़ा है। जहां उनका सामना पंजाब किंग्स से था, पंजाब ने 187 रन 4 विकेट खोकर बनाएं। बदले में सीएसके 176 रनों पर छह विकेट के नुकसान तक ही 20 ओवरों में बना पाई। {खबरों में 25 apr 2022}

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

खबरों में 25 apr 2022 | राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय

खबरों में खास-

सीबीएसई ने इतिहास और राजनीतिक विज्ञान के अपने पाठ्यक्रम से कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं के छात्रों के लिए कुछ बदलाव किए हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शीत युद्ध पर अध्याय, मुगल दरबारों के इतिहास व औद्योगिक क्रांति से संबंधित अध्याय हटाए गए हैं। इसी तरह कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में भी कुछ बदलाव किया गया है। इसका तर्क दिया गया कि परिवर्तन पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाए जाने का हिस्सा है। और एनसीईआरटी के द्वारा दिए सिफारिशों के अधीन है, दसवीं के पाठ्यक्रम से खाद्य सुरक्षा से संबंधित अध्याय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव से हटाया गया है। इसके अतिरिक्त भी कुछ बदलावों को लाया गया है।

देश विदेश-

● भारत और अमेरिका के संबंधों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने कहा, कि यूक्रेन युद्ध के बाद वे दोनों देशों के संबंधों में अवसरों के और खिड़कियां खुलते हुए देख रही हैं। सीतारमण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन गई थी।
● वहीं सीनियर एशियाई कुश्ती प्रतियोगिता में भारतीय पहलवान और ओलंपिक पदक विजेता रवी दहिया ने स्वर्ण पदक हासिल किया है। जबकि पहलवान बजरंग और गौरव बलियान को रजत पदक प्राप्त हुआ है।

● जहां रूस ने यूक्रेन पर अपने ध्येय की प्राप्ति के लिए शक्ति का लगातार प्रदर्शन जारी रखा है। उस पर विश्व के राजनीतिक मंच लगभग इस विषय पर सीधा सामना करने को तैयार नहीं, ऐसा प्रतीत होता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यह कहना कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत करने का मतलब मगरमच्छ से बात करना है। एक तरफ उनका यह तर्क और वही अगली और वे भारत से युद्ध के रुके जाने की किसी भी किस्म की पहल को स्वागतमय बताते हैं। किंतु वह पहल कौन करे और कैसे? यह सवाल बना हुआ है। उधर यूक्रेन कि स्थितियों में खबर है की कीव में 1084 शब मिले हैं। जिनमें अधिकतर मशीन गन से मारे गए हैं।

● इन्हीं स्थितियों में एक बार फिर इजराइल से खबर जहां पिछले सप्ताह जुम्मे के दिन हुई घटना को वर्ष 2021 में पवित्र रमजान के महीने इजराइली सैनिकों द्वारा अल अक्सा मस्जिद में व आसपास के इलाकों में हुई कार्यवाही जैसा ही देखा जा सकता है। अल अक्सा मस्जिद को मक्का और मदीना के बाद मुस्लिम समुदाय तीसरा पवित्र स्थान मानता है। इन हमलों पर ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रैसी ने इजरायल को गंभीर परिणाम भुगतने की हिदायत दी है। वही उग्र पंथी संगठन हमास ने भी नाकेबंदी मजबूत कर इजराइल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। यह अशांति की स्थितियां पैदा कर सकता है।।

रविवार, 31 अक्टूबर 2021

Metaverse explain in hindi आसान भाषा में समझे | facebook metaverse explanation

 Metaverse-

   फेसबुक ने नाम बदल लिया है। यह Meta हो गया है। फेसबुक ने अपना और उसकी अन्य सभी कंपनियों को मिलाकर एक पेरेंट ब्रेंड को जन्म दिया है। इस से तात्पर्य है कि, अब फेसबुक, व्हाट्सएप और इनस्टाग्राम आदि  सभी कंपनियां Meta के अंतर्गत आती हैं। कुछ ऐसे जैसे ब्रिटिश क्रॉउन कई औपनिवेशिक राष्ट्रों पर नियंत्रण रखता था।

   किंतु सबसे अहम चर्चा का विषय है, कि नया नाम क्यों। नाम Meta हो गया है, इस नाम बदलने में और नाम Meta हो जाने मे Metaverse चर्चा में आ गया है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकवर्ग का कहना है, कि इंटरनेट का भविष्य Metaverse है, आज या कल यह सत्य होने वाला है।

  अब यह जानना आवश्यक है, कि Metaverse क्या है, Metaverse में क्या कुछ ला पाना संभव है, इस पर साफ-साफ कह पाना तो फिलहाल संभव नहीं, किंतु यह वास्तविक दुनिया के समानांतर चलने वाली दुनिया होगी। यूं कहें कि आपके सामने साक्षात वह माहौल तैयार हो जाना, जहां आप होना चाहते हैं।
    यूं तो यह शब्द Metaverse सर्वप्रथम एक नोबल Snow crash में छपा है, 1992 में नील स्टीफेनसन नाम के लेखक ने इस पुस्तक को प्रकाशित करवाया था। यह नोबल एक कल्पना के संसार की व्याख्या है, जहां सरकार सब कुछ प्राइवेट कंपनियों के हाथ में दे देती है, सरकार अपनी शक्तियां भी प्राइवेट कंपनियों को सौंप देती है, और परिणाम वहां मॉडर्न वर्ल्ड जैसे वर्चुअल रियलिटी और डिजिटल करेंसी की दुनिया हो जाती है।
 यह कुछ ऐसी ही है, जो फेसबुक करने की बात कर रहा है। फेसबुक का कहना है, “कि आप समर्थ हो सकेंगे, अपने दोस्तों, काम, खेल, पढ़ाई, खरीददारी इत्यादि से जुड़ सकने में। हम आप के समय जो ऑनलाइन बीतता है, उसे और अधिक उपयोगी बनाना चाहते हैं”
  अब आप इसे कुछ इस प्रकार समझे एक दुनिया जिसमें आप दिल्ली जा रहे हैं, जो वास्तविक है। और इसी दिल्ली जाने की यात्रा को आप अपने इंटरनेट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर देते हैं। यह आपने पोस्ट किया तो आप उन सभी लोगों तक पहुंच गए, जिन्हें आप बताना चाहते हैं, या सारी दुनिया के सामने आपने यह पोस्ट रख दी है।
अब सोचिए यदि यह लाइव और निरंतर हो जाए, अर्थात आप, आप की स्थिति, समय, स्थान सब कुछ जहां आप हैं, वह सब कुछ किसी अन्य व्यक्ति जो वहां नहीं है, के सामने भी इस प्रकार से आ गया है, जैसे वह वहीं हो आपके साथ।
   कुल मिलाकर आप जहां पहुंचना चाहते हैं, आप वहां पहुंच पा रहे हैं, वहां जाए बिना। और इस प्रकार से जैसे आप वही हैं, ऐसा माहौल आपके सामने तैयार हो रहा है।
अब यह होगा कैसे, Metaverse प्रोग्राम लंबे समय में तैयार हो सकेगा। 10 -15 वर्षों में।
अगले 5 वर्षों में वे यूरोप यूनियन देशों में दस हजार नए लोगों को काम पर लेने वाले हैं। जिससे यह प्रोजेक्ट पूर्ण हो सके।

गुरुवार, 30 सितंबर 2021

अफगान घटनाक्रम 30 सितंबर 2021 तक | Afganistan news

अफगानिस्तान घटनाक्रम / तालिबान के फरमान /  पाकिस्तान के बयान-

अफगान घटनाक्रम

अफगानिस्तान में महिलाएं-

तालिबान विश्व स्तर पर अपना अस्तित्व तलाश रहा है। वह मान्यता के लिए और दुनिया में अफगान को प्रस्तुत करने के लिए बेचैन है। किंतु अफगान समाचारों में मानव अधिकार के हनन की खबरें जारी हैं। महिलाओं पर दमन चक्र और अत्याचार पर आवाजें उठ रही हैं। महिलाओं के शिक्षा पर प्रतिबंध का इंतजाम किया जा रहा है। महिलाओं की राजनीति में प्रवेश वर्जित है। इन सब ने दुनिया भर से अफगानी हितों में आवाज उठ रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स तथा वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन अगेंस्ट टॉर्चर ने अफगानिस्तान में तालिबानियों के द्वारा मानव अधिकार के लिए काम करने वाले या स्वर ऊंचा करने वालों को घर-घर जाकर दमन करने पर चिंता जाहिर की है।
वहीं अफगान में तालिबान सरकार की महिलाओं पर अत्याचार के विरोध में विभिन्न राष्ट्रों की महिलाओं ने न्यूयॉर्क यूएन मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में महिलाओं ने इस विरोध में उपस्थिति दर्ज की।

पाकिस्तान के बयान-

आजकल अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान खबरों में बना हुआ है। तालिबान की मान्यता पर पाकिस्तान लगातार अपना बयान दे रहा है। वह वैश्विक स्तर पर अफगान की पैरवी करता है। पाकिस्तान विदेश मंत्री महमूद कुरैशी का बयान है, कि तालिबान अफगान में हकीकत है। हमें उसे स्वीकारना होगा। वही अफगान का हित है। तालिबान के नेताओं से आमने-सामने बैठकर वार्ता की जानी चाहिए। आफगान में तालिबान के अलावा अब कोई भी विकल्प नहीं है। उन्होंने साथ यह भी कहा यदि अफगान दुनिया की जरूरतों को पूरा करेगा, तो निश्चित ही उसे स्वीकार्यता प्राप्त होगी। कुरैशी ने कहा अफगान में तालिबानी सरकार के चलते वह जमीन आतंकी घटनाओं का केंद्र न बन सकें, इसके लिए पाकिस्तान दुनिया के साथ है। किंतु वैश्विक राष्ट्रों को अफगान में तालिबान सरकार की मान्यता पर ठीक कदम उठाना होगा।
पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ विश्व के साथ होने के इन सभी तर्कों के बीच हाल ही में एक आतंकी को भारत ने सीमा से घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर हिरासत में लिया है। घुसपैठी स्वयं को पाकिस्तानी बता रहा है। सेना के कैंप में उसकी ट्रेनिंग हुई है। उसने स्पष्ट शब्दों में भारतीय सेना को बतायाहै। पाकिस्तान के बयानों में और कृतियों में कितना अंतर है, यह स्पष्ट हो जाता है।
पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी के मुताबिक पाकिस्तान सदस्य धर्मनिरपेक्ष लोगों को देशद्रोह और विश्वासघाती के तौर पर देखता रहा है।
अतः पाकिस्तान की नीति में धर्मनिरपेक्षता का कोई स्थान नहीं है, धार्मिक कट्टरता का प्रयोग उसकी नीति है।

अफगान आर्थिक दशा-

अफगान आर्थिक संकट के चरम दौर से गुजर रहा है। बेरोजगारी अकाल और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध अफगान में आर्थिक दशा को लेकर तालिबानी सरकार की सबसे बड़ी चिंता बना हुआ है। दरअसल अफगान में तालिबानी डर से केंद्रीय बैंकों के प्रमुख और अन्य अधिकारी तो पहले ही देश छोड़ चुके हैं। अब अहम फैसले कैसे और कौन लेगा एक और समस्या है। तालिबान सरकार के प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी ने केंद्रीय बैंकों के अधिकारियों से बैठक में कहा कि बैंकिंग की व्यवस्था को उसकी समस्या को एक संबंधित कानून से हल किया जाना सुनिश्चित है।
विश्व बैंक की माने तो अफगान में आर्थिक पिछड़ापन को एंडेमिक बताया है। जिसका तात्पर्य कभी न खत्म होने वाला है। अफगान में विश्व बैंक के मुताबिक 90 फ़ीसदी आवाम $2 प्रतिदिन में गुजारा करने को मजबूर है। आपको बताएं कि 4.2 अरब डालर की मदद विश्वभर से अफगानिस्तान को 2019 में प्राप्त हुई थी। किंतु इस समय हालात कुछ इस प्रकार के हैं, कि यह मदद मिल पाना मुश्किल प्रतीत होता है।

अफगान से कुछ अन्य खबरें-

अफगान ने हाल ही में यूएन में उच्च स्तरीय आम चर्चा में भाग लेने के लिए एक नाम गुलाम एम इसकजाई को लेकर एक पत्र यूएन को दिया था। कि वे उनका प्रतिनिधित्व करेंगे, किंतु यूएन के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बात पर जानकारी दी, कि अफगान और साथ ही म्यामार इस समय यूएन के इस सत्र की उच्च स्तरीय आम चर्चा की सूची में नहीं है।
वही अफगान में तालिबान सरकार का शरिया कानून से संबंधित फरमान पर जोर है। सैलून में धार्मिक गीत नहीं बजेंगे, या अन्य प्रकार के संगीत न बजें यह तय किया गया है। खबर हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह की है। जहां हज्जामों के प्रतिनिधियों से बैठक में यह फरमान जारी है, कि स्टाइलिश हेयरकट और दाढ़ी न बनाने के प्रतिबंध को माने और यह न करें।
शरिया कानून की कई फरमान जारी के साथ अब तालिबान अपने रंग में दिखे लगा है। महिलाओं का दमन, हाथ पैर काटने की सजा और अब दाढ़ी ना कटे का प्रतिबंध गौरतलब है।
इसी दरमियान अबू धाबी से खबर प्रेषित होती है, कि अफगान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी का फेसबुक खाते को हैक कर दिया गया है। उनका कहना है, कि उनके फेसबुक अकाउंट से तालिबान को मान्यता दी जाए, को लेकर एक पोस्ट किया गया है। जो उनका नहीं है।
साथ ही आपको यह भी जानना चाहिए, कि ट्विटर ने भी अफगान के मंत्रालयों के खातों से वेरीफाइड बैज ब्लूटिक को हटा दिया है। विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय राष्ट्रपति आवास के अकाउंट से ब्लू ब्याज हटा दिया गया है।

रविवार, 26 सितंबर 2021

world pharmacist day in hindi | फार्मेसी क्या है फार्मेसी के जनक

वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे | फार्मेसी क्या है | 25 septenber-

वर्ल्ड फार्मेसी डे

 विश्व फार्मासिस्ट डे प्रत्येक वर्ष 25 सितंबर को मनाया जाना सुनिश्चित है। यह फार्मासिस्टों द्वारा अनेकों लोगों को उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए किए प्रयत्नों को उजागर करने और उनके योगदान को बढ़ावा देने का दिवस है।

मनाने की शुरुआत-

2009 में तुर्की ( इंस्ताबुल ) से एक अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (IFP) परिषद ने सर्वप्रथम इस दिन को यह महत्व देने की शुरुआत की थी। वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की शुरुआत करने वाला तुर्की से अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (IFP) का स्थापना वर्ष 1912 दिवस 25 सितंबर है। क्योंकि 25 सितंबर ही IFP का स्थापना दिनांक है, इसलिए भी तुर्की के IFP सदस्यों ने इस दिवस को ही आने वाले वर्षों में वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे के तौर पर मनाए जाने की मांग की।

इस वर्ष की थीम-

वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे मेहता उन फर्म स्टॉकिंग तमाम योगदान को देखते हुए हर साल एक नई थीम को इस दिवस पर निर्धारित किया जाता है 2020 में इस दिवस पर वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की थीम “Transforming global health” रखी गई थी। इस वर्ष 2021 में इस दिवस पर वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की थीम “Pharmacy: always trusted for your health” रखी गई है।

फार्मेसी क्या है-

फार्मेसी को मेडिकल की शिक्षा से संबंधित है। यदि आप इंटरमीडिएट की परीक्षा विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान से करते हैं, तो यह आपके उच्च शिक्षा का एक ऑप्शन हो सकता है। भारत में फार्मेसी एक्ट 1948 के अधीन PCI को 4 मार्च 1948 को गठित किया गया था। क्योंकि फार्मेसी एक प्रोफेशनल कोर्स है। PCI ( फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ) भारत में फार्मेसी प्रोफेशन को सुचारू रखता है।
एक फार्मेसिस्ट जिसे आप केमिस्ट भी कह सकते हैं। जो दवाइयों को तैयार करने और साथ ही उन्हें वितरित करने की योग्यता रखता है। फार्मेसी मेडिकल में ज्ञान की यही शाखा है, जो फार्मेसिस्ट को तैयार करती है।
एक फार्मासिस्ट किसी औषधालय में तथा क्लीनिक में लोगों को सेवा देते हैं। एक अध्ययन की मानें तो 78% फार्मेसी टेक्निशियन फीमेल है। और फार्मेसिस्ट लोगों के स्वास्थ्य देखभाल में सर्वाधिक योग्य, कारगर और सुलभ हैं। आंकड़ा कहता है कि दुनिया में 4 मिलियन फार्मेसिस्ट लोगों को सेवा दे रहे हैं।

भारत में फार्मेसी का जनक-

महादेव लाल श्राफ को भारत में फार्मेसी के जनक का श्रेय प्राप्त है। उनका फार्मेसी के क्षेत्र में भारत में योगदान विशेष  है। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ बनारस से हासिल की थी।

शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

अफगान समाचार | अफगान के सार्क संगठन में सम्मिलित होने के लिए कोशिश | Afganistan news

अफगान समाचार

सार्क संगठन में सदस्यता के लिए कोशिश-

सार्क दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन में तालिबान के प्रवेश होकर सदस्य बनने के लिए पाकिस्तान की पुरजोर कोशिश नाकाम हो गई है। पाकिस्तान सार्क की बैठक में उपस्थित सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों के समूह से इस विषय को लिए अगुवाई कर रहा था, कि तालिबान सार्क संगठन का सदस्य होना चाहिए। न्यूयॉर्क में हुई इस बैठक में सार्क संगठन के सदस्यों ने पाकिस्तान की कोशिश जो कि तालिबान की अगुवाई करते हुए सार्क में शामिल करने की थी, नकार दी और इस मसले पर आम सहमति न बन पाने से उस दिवस की बैठक ही रद्द कर दी गई।

संगठन के सात राष्ट्र सदस्यों में से पाकिस्तान के अलावा तालिबान को मान्यता देने वाला कोई राष्ट्र नहीं है।

यूएन में तालिबान की भाषण के लिए कोशिश-

अफगान कि तालिबान सरकार को अब तक मान्यता यूएन से प्राप्त न होने के चलते भी तालिबान अपने प्रतिनिधि का नाम संयुक्त राष्ट्र को प्रेषित कर चुका है। जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तालिबान का प्रतिनिधित्व के लिए सुहैल साहीन का नाम संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस को भेज, 76वें सत्र में अपनी बात रखने के लिए इजाजत की मांग की है। तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने लिखा कि गनी की सरकार के काल में स्थाई राजदूत गुलाम इसाकजाई देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। अतः तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण को अपने नए राजदूत सुहेल शाहीन के लिए अनुमति की मांग की है।

पाकिस्तान और तालिबान सरकार नोकझोंक-

जहां पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की मान्यता के लिए विश्व भर में बोल रहा है। यूं कहें कि तालिबान के चलते अफगानिस्तान में हुए बदलावों के बाद तालिबानी सरकार के साथ खड़ा होकर अफगान को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश भी करता है। ऐसी प्रवृत्ति के चलते कुछ किस्से भी खबरों में शामिल हुए हैं-

1. पाकिस्तान झंडे को हटाने पर तालिबान नाराजगी व्यक्त करता है और सीमा के रक्षक जवानों में चार को गिरफ्तार करता है तालिबानी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि तोरखम सीमा पर 17 ट्रक पाकिस्तान से मदद सामग्री लिए तालिबान में प्रवेश करने पर सीमा रक्षक दल में से कुछ ने पाकिस्तान के झंडे को जबरन हटा दिया। जिसका वीडियो फुटेज उपलब्ध हुआ है। तालिबान इस व्यवहार की निंदा करता है। इस पर कार्यवाही करते हुए तालिबानी सीमा के 4 जवानों को गिरफ्तार किया गया।

2. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान ने तालिबान को नसीहत दी है, कि “तालिबान सरकार में सभी गुटों को ले नहीं तो गृह युद्ध झेलना पड़ेगा” अब इस नसीहत पर तालिबान जो विश्व में अफगान में अपनी सरकार के हो जाने के पश्चात एकल समृद्ध राष्ट्र की छवि को टटोल रहा है। वह अपनी एक मजबूती को प्रस्तुत करने के लिए, पाकिस्तान को फटकार लगाने से भी ना थमा।

तालिबान प्रवक्ता और अफगान सूचना मंत्री जबीउल्लाह मुजादीन  ने डेली टाइम्स में कहा कि “पाकिस्तान या कोई अन्य देश यह न बताएं कि आसमान में सरकार कैसी हो”।

कतर ने की अपील-

अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कतर की ओर से प्रतिनिधित्व कर संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक नेताओं से अफगान कि तालिबान सरकार के प्रति बहिष्कार ना हो की अपील की है। वे कहते हैं, कि बहिष्कार से मात्र ध्रुवीकरण होता है।

उनका कहना है, कि तालिबान के कैबिनेट महिलाओं के बिना सदस्य वाली हैं। किंतु वह भविष्य में एक समावेशी कैबिनेट की ओर जरूर कदम रखेंगे। उनका कहना है, कि दुनिया में इस वक्त अफगान की स्थिति के चलते मानवीय मदद की पहल जारी रखनी चाहिए। राजनीतिक मतभेदों को अलग ही रहने देना चाहिए।

वही उज्बेकिस्तान ने अफगान को तेल और बिजली की आपूर्ति अपनी ओर से प्रारंभ कर दी है।

23 september अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस | वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ

अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस

अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस-

23 सितंबर को संपूर्ण विश्व में अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह दिवस विश्व में भाषा के उस प्रकार के महत्व को प्रकाश में लाता है, जो हम आज भी भाषा के इतने विकास हो जाने के पश्चात प्रयोग कर ही देते हैं।
उदाहरण के लिए हम संकेत कर अपने दोस्त को दर्शाते हैं, कि गाड़ी उस और गई है,  तुम्हारी पेन उस डेस्क में है, तुम्हारी सीट वह है आदि।

भाषा हमारे आचार विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है, और सांकेतिक भाषा संकेतों की भाषा है, जहां हम अपने भावों विचारों को संकेतों के माध्यम से व्यक्त करते हैं।
यह दिवस विश्व भर में सांकेतिक भाषा के उत्थान की ओर कदम है।
इस वर्ष 2021 सांकेतिक दिवस की थीम “वी साइन फॉर ह्यूमन राइट्स” रखा गया है।

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ( world federation of the deaf ) –

अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस की अवधारणा सर्वप्रथम वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ( WFD ) द्वारा की गई। WFD स्थापना वर्ष 1957 दिवस 23 सितंबर है, जो कि विश्व भर में 135 राष्ट्रों के बधिर लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी गणना है, कि दुनिया भर में लगभग 70 मिलियन लोग बधिर हैं। जिनके लिए आवश्यक है, कि संकेतिक भाषा विकसित हो और प्रचलित भी  हालांकि संकेतिक भाषा का भी व्याकरण है। आपने कई टीवी समाचारों में सांकेतिक भाषा के जानकार को एक ओर से संकेतों में समाचार व्यक्त करते हुए देखा होगा। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ बधिर लोगों की मानव अधिकार को इस भाषा के उत्थान से संरक्षण होने की वकालत करते हैं।
क्योंकि वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ 23 सितंबर के दिन स्थापित हुई थी। अतः इस दिवस की ऐतिहासिक महत्व ही यूएन द्वारा 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के तौर पर घोषित करने का कारण है।

संकेतिक भाषा का ऐतिहासिक प्रमाण-

संकेतिक भाषा का प्रथम ऐतिहासिक प्रमाण प्लेटो की क्रेटिलस से मिलता है। जिसमें सुकरात कहते हैं, यदि हमारे पास आवाज या जुबान नहीं होती, तो हम अपने विचारों की अभिव्यक्ति में अपने हाथ, सिर और शरीर के अन्य अंगों का प्रयोग करते, और उनसे संकेत करने का प्रयत्न करते।

सोमवार, 20 सितंबर 2021

अफगान घटनाक्रम | अफगान में महिलाएं | तालिबान को लेकर दुनिया

अफगान घटनाक्रम-

 तालिबान में महिलाएं-

तालिबानी महिलाओं को लेकर कैसी मनः स्थिति में है, और समय के साथ कितना परिवर्तन स्वयं में ला पाने में वह सफल हो सका है, यह सब तालिबान से आने वाली खबरों में साफ हो रहा है, महिलाओं का सड़कों पर प्रदर्शन अपनी आजादी और खुली सांस की लड़ाई।

तालिबान मानसिकता में जीवन के समस्त अधिकारों को वे खो नहीं देना चाहती। वे उन जंजीरों में बंध कर खुद को कैदी महसूस कर रही हैं। वह दुनिया में खुद को उन महिलाओं में गिनना चाहती हैं, जो हर विषय पर कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति की राह में सेवा दे सकती हैं।

ऐसे में तालिबानी बुर्खा, हिजाब उन्हें तो जरूर ढक लेगा, किंतु उनके आक्रोश की ज्वाला, हक को लड़ने की मानसिकता को नहीं ढक सकता है, तालिबान से महिलाओं को लेकर सर्वाधिक पिछड़े फैसलों की अपडेट मिल रही हैं, किंतु अफगानी महिलाओं ने अपने अपने स्तर से इस मानसिकता के खिलाफ जंग को जारी रखने की मुहिम छोड़ी नहीं है। सोशल मीडिया पर रंग बिरंगे वस्त्रों में अपनी तस्वीरों को वह पोस्ट कर रही हैं। वे लिखती हैं, कि वह रंग बिरंगी पोशाक हमारी संस्कृति हैं, तालिबान हमारी पहचान तय नहीं करेगा। इस प्रकार से विरोध लगातार जारी है।

वही अफगान से 32 महिला फुटबॉल खिलाड़ी अपने परिवार को लिए लाहौर पहुंच गए हैं। यह सब तालिबान की नजरों से बचकर हुआ है। तालिबानी लोग इन्हें धमका रहे थे। क्योंकि ये महिला होते हुए खेल से जुड़ी हैं। तालिबान को यह मंजूर नहीं। यह महिला खिलाड़ी 2022 में कतर में होने वाले विश्व कप में शामिल होंगे। इन महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा को देखते हुए इन्हें पाकिस्तान ले जाने का कदम ब्रिटेन के एक एनजीओ ने उठाया।

इन सब घटनाओं से स्पष्ट हो रहा है, कि तालिबान महिला प्रतिभा और उनकी अहमियत को कितना आंकता है, इसलिए उन्हें बांध कर रखने का प्रयत्न करता है।

तालिबान को लेकर दुनिया में-

तालिबान के कारनामों पर समर्थन देने वाले और आशंकित और विरोधी रुख लिए राष्ट्रों के नाम धीरे-धीरे साफ हो रहे हैं। खाड़ी देशों के एक वरिष्ठ अफसर की माने तो अफगान के विषय पर जहां चीन और पाक एक तरफ हैं, तो भारत, रूस और ईरान एक ओर होंगे। उनका कहना यह भी है, कि ईरान की नज़दीकियां भारत और रूस से अधिक है, वे अपनी ओर से अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान की मिलीभगत पर कहते रहेंगे।

दुनिया में पाकिस्तान अपने तालिबानी समर्थन स्टैंड के चलते घेरे में तो आया है, और यदि ऐसा नहीं है तो क्यों खबरों में है, की काबुल की सड़कों पर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। इस पर सोचने का विषय है कि काबुल की सड़कों पर विरोधी क्यों तालिबान के बजाय पाकिस्तान के खिलाफ स्वर ऊंचा करते हैं।

अफगानिस्तान बिगड़ते हालात-

पिछले दिनों की खबरों से यह मालूम हुआ, कि लोग अफगान में इस स्थिति में आ गए हैं, कि खाने को कुछ नहीं काम के जरिए समाप्त हो गए हैं। बैंकों से रुपए मिल पाना बेहद मुश्किल हो रहा है, वहां लंबी कतारें हैं। लोग यहां तक कि अपने घरों का सामान बेचने को सड़कों पर बैठे हैं। यूएन ने फिर अफगान के बिगड़ते हालातों पर चिंता व्यक्त की है। अफगान में मानवीय स्थिति बत्तर हालातों में आ चुकी है। वहां लोगों के पास भोजन, दवा, घर जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं है। 

वहीं अफगान के मानव अधिकार आयोग ने कहा कि तालिबान उनके दफ्तर को अपने अधिकार में ले चुका है। तालिबान मानव अधिकार आयोग के कामकाज में दखलंदाजी करता है। उनके कंप्यूटर, कार सभी तालिबान अपने इस्तेमाल के लिए प्रयोग में ला रहा है। उन्हें अपनी स्वतंत्र कार्यकारिणी को लेकर चिंता है।

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

अफगानी फैसले | तालिबान afganistan latest

छात्राओं के लिए शिक्षा की शर्तें-

विश्वविद्यालय में लड़कियों के पढने पर कई शर्तें तय कर दी गई हैं, जैसे अब कक्षा में लड़का लड़की एक साथ उपस्थित नहीं होंगे, सभी छात्रों वाली एक साथ चलने वाली कक्षाओं का चलन खत्म होगा। लड़कियों के लिए अलग क्लासरूम तय होगी। इसके अतिरिक्त उन्हें इस्लामी वस्त्र में आना अनिवार्य होगा। यह तालिबान शिक्षा मंत्री अब्दुल बाकी हक्कानी का एक टीवी इंटरव्यू में कहना है।
1996 की तालिबान से कुछ बदलाव इस बार तो रहा है तब तो महिलाओं को शिक्षा और अन्य किसी भी सामाजिक सरोकार से शामिल होने पर पूर्ण पाबंदी थी। वहां उस पर कुछ परिवर्तन कर उसे ऐसा कर दिया गया है। हालांकि तालिबानी सरकार में तो महिलाओं को इस बार भी नहीं लिया है। हाल ही के एक तालिबानी नेता के बयान में यह था, की तालिबान कैबिनेट को महिलाओं की कोई आवश्यकता नहीं है। आतः महिलाओं के प्रति अपनी दृष्टि को तालिबानी स्पष्ट कर चुका है। संगीत और अन्य कला पर सख्त रोक की खबरें हैं। यह भी तय किया जाएगा कि लड़कियों को पढ़ाने का काम शिक्षिकाएं ही करें।
सरिया कानून के लिए शपथ दिलाई गई-
 
खबरों में यह भी है, कि तालिबानी झंडे को लिए 300 युवतियों को सरिया कानून की शपथ कराई गई वह बुर्के में उपस्थित हुई। यह काबुल यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान हुआ। जिसमें नेताओं ने शरिया कानून पर व्याख्यान दी
वहीं छात्रों ने अपने भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की है। जहां सरकार ने सभी छात्रों की एक साथ चल रही शिक्षा को गलत ठहरा दिया है। इसमें छात्र आने वाली शिक्षा पद्धति और शिक्षा संदेश पर भी चिंतित होंगे। आखिर वह शिक्षा में क्या ग्रहण करेंगे। शिक्षा मंत्री का कहना है, कि वह 20 वर्ष तो पीछे नहीं जाएंगे मगर जो है, उसमें देश को हम ठीक सुधार में लाएंगे।
इन सब में तालिबान ने छात्रों को यह कहकर भी आकर्षण में लाने का प्रयत्न किया कि वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने का कार्यक्रम भी प्रारंभ कर रहे हैं। किंतु तालिबान विचारधारा में अपने छात्रों को विदेश भेजने में यह ढूंढ रहे होंगे, कि शिक्षा किन देशों में सरिया पर आधारित है। किन देशों की शिक्षा शरिया कानून का उल्लंघन करना नहीं सिखाती, वहीं वे छात्रों को अध्ययन के लिए अनुमति देंगे ऐसा संभव है।
तालिबान आम नागरिकों का संघर्ष जारी-
 
तालिबान के अफगान को अधिकार मिले रहने के पश्चात से ही महिलाओं ने मोर्चा छोड़ा नहीं है, यह भी दृश्य में है, कि कई शहरों में महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ मोर्चे को जारी रखा है। यह भी खबरों में है, कि उन पर उत्पीड़न कर बर्बरता से उनके प्रदर्शन को दमन करने में तालिबान पुरजोर कोशिश से लगा है।
दूसरी और अफगान भूख से भी तड़प रहा है। कहीं घर का सामान तक सड़कों पर उतार कर बेचने का सिलसिला दृश्य में आया है। लोग परिवार का पेट पालने के लिए घर का सामान बेच रहे हैं। उनका कहना है कि बैंकों में जमा पूंजी प्राप्त नहीं हो पा रही है। एटीएम में पैसों की सुविधा नहीं रही है, ऐसे में वह क्या खाएं, और सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्था इतनी चरमरा गई गई है, कि संघर्ष के दौर में काम धंधा और कमाई की राह का पतन हो चुका है। वह लोग सड़कों पर अपना घर का एक-एक सामान बेचने को बैठे हैं।
यूएन तालिबान पर-
यूएन ने तालिबान पर टिप्पणी की, कि वह मानव अधिकार की रक्षा नहीं करता है। वह छात्राओं को घरों में रखा जाए ऐसी व्यवस्था की पूर्ण रूप से तैयारी कर रहा है। ऐसा गठजोड़ कर रहा है, कि युवतियों को कैद कर दिया जाए। वहीं यह भी कहा गया, कि तालिबान पुराने अफगान सैनिकों को ढूंढ कर हत्या कर रहा है, इस पर तालिबान को संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकार के नियमों के बाहर कदम रखने वाला दर्शाया और उपरोक्त टिप्पणी दी।
वही यूएन ने कहा कि इस वर्ष अफगान की इस आपात स्थिति में उन्हें $600000000 की आवश्यकता होगी दुनिया भर के दानदाताओं से इस पर अपील भी की है, किंतु यह बेहद जटिल समस्या है, लोकतंत्र सरकार को समाप्त करने वाले तालिबान को कई राष्ट्र सहयोग देने को तैयार नहीं है। किंतु विषय अफगान कि भूखे जनमानस का है, यही यूएन की चिंता है। सभी राष्ट्र विश्व के बड़े दानदाता तालिबान को मौका नहीं देना चाहते हैं, हां वे अफगान के आम जनमानस की भूख को जरूर मिटाना चाहते हैं।

शनिवार, 11 सितंबर 2021

अफगान घटनाचक्र latest | afganistan crisis | 11 sep 2021

 अफगान घटनाक्रम आज तक

हाल ही की खबर है, कि पाकिस्तान एक वर्चुअल मीटिंग में अफगानिस्तान की हाली स्थितियों पर बैठक करेगा। जिसने अफगान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्री उपस्थित होंगे। जिन देशों के विदेश मंत्रियों ने इस बैठक में उपस्थित होना है, चीन, ईरान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान हैं। इस बैठक में अफगान की ताजा स्थिति और आने वाले समय में चुनौतियों और उससे उबरने के लिए समाधान पर चर्चा होगी।


वही 15 अगस्त को काबुल को कब्जा लेने के बाद तालिबानियों ने अंतरिम सरकार घोषित की, 33 सदस्यों की कैबिनेट बनाई गई। वहीं पंजशीर के संघर्ष के दौरान अफगान पूर्व उपराष्ट्रपति अम्रुल्लाह सालेह के भाई को पकड़ लिया गया था। खबर है कि उनकी हत्या कर दी गई। यह खबर भी अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर रही। वहीं यह भी खबर है, कि अफगान पूर्व उपराष्ट्रपति अम्रुल्लाह साले ने प्लायन कर लिया है, और वह तजाकिस्तान पहुंच चुके हैं। किंतु इस खबर को झूठलाया भी जा रहा है। कि उन्होंने देश छोड़ दिया है।


वहीं दूसरी ओर अफगान से प्लायन करने वालों में अधिकतर संख्या महिलाओं की देखी जा रही है। जो सफल हो सके हैं, वह अफगान कि हालिया स्थिति पर अपने निर्णय को ठीक ही कहेंगे। एक महिला ने कहा कि तालिबान राज में वह 20 वर्ष पीछे हो गई है, उनकी पहचान अब बुर्के में छिप जाएगी। इस तथ्य को सत्य साबित कर रहा तालिबान के प्रवक्ता सैयद जैखराउल्लाहा हाशिम ने कहा कि महिलाएं मंत्री पद नहीं संभाल सकती हैं। काबुल में जो महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं उनकी आवाज सारे अफगान की महिलाओं की आवाज नहीं है। कैबिनेट को महिलाओं की जरूरत नहीं है।

अफगान पर भारत-

यूएन में भारतीय राजदूत पीएस तिरुमूर्ति ने बयान दिया कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना है, कि उसकी जमीन को आतंकवाद के प्रसार के लिए प्रयोग न किया जाए। पाक में पल रहे आतंकी संगठन लश्कर और जैश अफगान की जमीन को आतंक के प्रसार के लिए प्रयोग में ना ले सकें। ठीक यही बयान भारत में एनएसए चीफ अजीत डोभाल जी ने भी दिया की अफगान की  जमीन का प्रयोग आतंक प्रसार के लिए हो सकता है।

वहीं तालिबान का पुनः उजागर होना सत्ता में होना पहले से ही भारत के लिए चिंता का विषय है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने ऑस्ट्रेलिया शिक्षा मंत्री से हाल ही में की वार्ता में कहा कि तालिबान का उदय भारत के लिए शिक्षा में चिंता का सबसे बड़ा विषय है।

यूएनडीपी

इन सभी बयानो से इतर यदि संयुक्त राष्ट्र विकास एजेंडे (यूएनडीपी) की माने तो अफगानिस्तान संकट में है। और वह गरीबी की तीव्र चोटी पर खड़ा है। यदि अर्थव्यवस्था को सुधारने  में ध्यान ना दिया जाए, तो तय है कि अफगान अगले साल के मध्य तक गरीबी दर में 98 फीसद हासिल कर लेगा। तालिबान के कब्जे से पहले तक 20 वर्षों में जो भी अर्थव्यवस्था का ढांचा तैयार हो सका था। वह बेहतर स्थिति में नहीं है। वह डगमगा गया है, और आगे के लिए यह अफगानिस्तान में सबसे बड़ी भीतरी चुनौती है।

शनिवार, 28 अगस्त 2021

अफगान घटनाचक्र अपडेट | daily news | afganistan update

अफगान घटनाचक्र-

 अमेरिका का अफगानिस्तान से पलायन तालिबानियों की हौसला अफजाई रही। राह इतनी सरल रही कि देखते ही देखते अफगान तालिबान शासित हो गया। वह भूमि अफगानो की है। यह स्वर भी सुनने में आए कि तालिबानी अफगानी नहीं है।

   अमेरिका का इतने वर्षों में अफगान को छोड़ने का यह तो ठीक समय ना था। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा नहीं किया। उसे वैश्विक हितों के संरक्षण की दृष्टि से देखेंगे। अमेरिका विश्व महाशक्ति का यूं एक स्वयं के  हितों के एवज में अवयस्क अफगान को संकटों में छोड़ना उचित तो नहीं। जिस तरह से अमेरिका ने अफगान से निकला ऐसा प्रतीत होता है, कि अमेरिका ने अफगान को अफगान सरकार के हाथ में नहीं बल्कि तालिबानियों के हाथ में सौंप दिया हो। किंतु अफकान के इन हालातों पर जवाबदेही किसकी होगी।

  अब इन स्थितियों में पक्ष-विपक्ष समर्थन असमर्थन में बयानबाजी का दौर आरंभ होता है। रूस भी कुछ स्पष्ट मालूम नहीं होता है। बयान बाजी के बाद जिस बिंदु पर विचारक पहुंचे तो चीन और पाकिस्तान को लेकर तालिबानियों के खेमे में होने को मान लिया है। तालिबानियों का समर्थक वही है, जो उस नीति का समर्थक है, जिसमें किस प्रकार तालिबानी अफगान को अपने कब्जे में कर लेते हैं।

   दूसरी और अमेरिका यूं ही तो एशिया में बैरागी नहीं हो सकता। स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति जॉ बाइडन का यह कदम उन्हें भी परेशान करता होगा। वह स्वयं यह मानते हैं, कि यह एशिया में उन शक्तियों को बढ़ावा दे सकता है, जो अवांछित हैं। इन्हीं कारणों से भी अमेरिका इतने वर्षों से अफगान में स्वयं को रखे था।

    हालांकि कुछ राष्ट्रों ने तालिबान का विरोध भी किया है जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी भयानक व नाटकीय है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी विरोधी स्वरों में दिखे।

    हालांकि तालिबान किस तरह से स्थितियों को संभाल रहा है। इसका एक दृश्य कि तालिबान के कट्टर विरोधी रहे गुल आगा शेरजई को और सद्र इब्राहिम को तालिबान अंतरिम सरकार में क्रमशः वित्त मंत्री और गृह मंत्री बनाए जाने की खबर है।

    इन खबरों से स्थायित्व की ओर बढ़ती अफगान घटनाक्रम का अंदेशा है, किंतु यह कितनी दूर तक को है। 

    यह जानना शेष रहेगा कि तालिबान की लड़ाई अमेरिका से थी, या अमेरिका और अफगान सरकार दोनों से। यह तालिबान की नीतियों और कार्यों से मालूम होगा।

 खैर इन सब में अफगान की आम जनमानस का हित सर्वोपरि रहे यही आशाएं हैं।


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नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏