समसामयिकी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
समसामयिकी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 29 अक्टूबर 2023

India vs England भारत की जीत | विशेष लेख

ये इंग्लिश क्या सोचते होंगे। भारत ने आज क्रिकेट के मैदान पर इंग्लैंड को काफी बड़े अंतर से हराया। यह कोई छोटा क्रिकेट मुकाबला नहीं है, यह विश्व कप है। वे लोग जो इंग्लैंड की ओर से अपनी टीम का समर्थन करने आए होंगे भले वे कम संख्या में थे, बेहद कम लेकिन अत्यधिक निराश हुए होंगे।

  दरअसल यह जैंटलमैनों का खेल था, और एक जमाने में इंग्लैंड के लोगों के अलावा और किसे जेंटलमैन कहा जा सकता था। यह उन्हीं का खेल उन्हीं को आज मैदान पर मात देता है। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं, खेल है और इसके दो पहलू हार और जीत हैं। अब हार हुई या जीत उसे स्वीकार करना भी खिलाड़ी का एक गुण है।

   लेकिन यह मन है और यह सोचता जरूर होगा। बड़ी बात यह है, कि सामने भारत था, और उससे यह बड़ी हार कई पहलुओं को खुला कर देती है।

 भारत ब्रिटिशों का गुलाम रहा मुल्क। ब्रिटिश क्रिकेटरों और उन जैंटलमैनों के शौक क्रिकेट खेल में भारतीय व्यक्ति फील्डिंग करता हुआ, केवल फील्डिंग।

 वह लगान फिल्म भी याद आती है। हालांकि वहां क्रिकेट से कोई मतलब नहीं था, बस उस खेल को जीतकर ब्रिटिशों से कर की माफी स्वीकार करानी थी। हालांकि तब वह भावना अतुलनीय रही होगी। 

  लेकिन शायद ब्रिटिशों का राष्ट्र प्रेम ऐसा नहीं है। हम भारतीय यदि क्रिकेट का शौक रखते हैं, तो आपको क्रिकेट के मैदान पर पूरा भारत दिखेगा। हमारे लिए यह खेल बेहद अहमियत रखता है। इस बात का अंदाजा आप मैदान में भारतीय दर्शकों की भीड़ से लगा सकते हैं। और यह खेल बहुत से लोगों के लिए देशभक्ति को प्रस्तुत करने का एक मौका भी है। यही भावना इस खेल से देश के हर व्यक्ति को जोड़ती है।

वहीं क्रिकेट एक खेल है, एक खेल केवल। 

इंग्लैंड इस भावना में आ चुका है, यह उनके लिए देश के गौरव से जुड़ा बड़ा सवाल नहीं बन जाता है। वे इससे उभर चुके हैं, या वे इसमें नहीं फंसना चाहते हैं। बस यह की क्रिकेट एक खेल है, उनकी एक टीम है, जो देश के नाम पर खेलती हैं। जीते तो गौरव का विषय है, हारे तो खेल का एक पहलू ही है हार, और वे उसे स्वीकार करते हैं।।

गुरुवार, 19 जनवरी 2023

जोशीमठ ऐतिहासिक,धार्मिक महत्व & आज आपदा

ज्योतिर्मठ

जोशीमठ यह स्थल कुछ अप्रिय घटनाओं के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। जोशीमठ में बड़ी मात्रा में भूधंसाव हो रहा है। यह इतना गंभीर मामला है, क्योंकि उस शहर के अस्तित्व पर ही खतरे की तरह दिख रहा है। जोशीमठ जो ऐतिहासिक धार्मिक और सामरिक महत्व के बारे स्थान है। ऐतिहासिक इस प्रकार से जोशीमठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की। यह वही आदि शंकराचार्य हैं, जिन्होंने संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। श्रृंगेरी मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ और ज्योर्तिमठ। ज्योर्तिमठ नाम इसलिए है, क्योंकि यहां आदि शंकराचार्य ने ज्ञान प्राप्त किया, यहां उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। क्योंकि उन्हें ज्ञान रूपी ज्योति यहां प्राप्त की इसलिए यह ज्योर्तिमठ है। हर मठ के अंतर्गत एक वेद रखा गया है। ऋग्वेद की बात करें, तो यह गोवर्धन मठ के अंतर्गत रखा गया है। वही ज्योर्तिमठ के अंतर्गत जो वेद रखा गया है, वह अर्थवेद है। हर मठ में दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद संप्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिस आधार पर वे उसी संप्रदाय के सन्यासी कहे जाते हैं। हर मठ का एक महावाक्य होता है। “अहं ब्रह्मास्मि” जो हम सब जानते हैं, श्रृंगेरी मठ का महावाक्य है। ज्योर्तिमठ का महावाक्य है-  “अयमात्मा ब्रह्मा”

यह स्थान धार्मिक महत्व का है। यह स्थान जहां आदि शंकराचार्य ने भारतीय दर्शन की महत्वपूर्ण रचना शंकर भाष्य लिखी। यह स्थान प्राचीन समय से ही वैदिक शिक्षा का केंद्र बना रहा। आज तक यह बद्रिकाश्रम धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल है। यहीं पूजा होती है।
सामरिक दृष्टि से भी जोशीमठ महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन के साथ अपनी सीमा को साझा करने वाला चमोली जिला वहां अर्धसैनिक बलों के लिए जोशीमठ एक अहम पड़ाव है, यहां से सैनिकों को सीमा तक संचालित किया जाता है। इसलिए  यह स्थान अपना सामरिक महत्व रखता है।
जोशीमठ में लगातार भूधंसाव हो रहा है। ऐसा नहीं है, कि यह अभी प्रकाश में आया हो, यह पूर्व में भी प्रकाश में आया है। इस वक्त यह बेहद विकराल रूप में सामने आया है। इस वक्त पर जिन कारणों को सामान्य दृष्टि से देखा जा रहा है-
1. क्षेत्र में चल रही हाइड्रो परियोजना कार्य जिसमें तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना का कार्य है।
2. चार धाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत बदरीनाथ हाईवे पर हो रहे कार्य।
3. जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होना।
हालांकि ये निर्माण कार्य वहां सरकार द्वारा या वहां जिला प्रशासन द्वारा रोक दिये गए हैं। किन्तु यह कुछ कारणों को ही अहम माना जा रहा है। इसके अलावा अन्य भी कुछ जैसे वहां कई बड़े-बड़े होटलों का निर्माण को अनियमित मानकर दोसपूर्ण बताया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि यह सब इतने विकराल स्वरूप में एकदम से चमत्कारिक ढंग से सामने आया हो। बल्कि यह लंबे समय से धीरे-धीरे सामने आ रहा था। जो पूर्व में भी प्रकाश में आया था। तत्कालीन सरकार ने कार्यवाही भी की। 1970 से ही जोशीमठ में भूधंसाव की घटनाएं सामने आ रही है। 1976 में तत्कालीन सरकार ने इस संबंध में एक कमेटी गठित की। तत्कालीन गढ़वाल मंडल आयुक्त महेश चंद्र मिश्रा उनका नाम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने क्षेत्र का गहराई से अध्ययन किया। कारणों की जांच की और रिपोर्ट सरकार को सौंपी, कमेटी ने सुझाव दिए-
1. जोशीमठ में वर्षा और घर से निकालने वाले जल की निकासी का उचित प्रबंधन किया जाए।
2. अलकनंदा नदी के द्वारा होने वाले कटाव का रोकथाम किया जाए।
उस समय कुछ कार्य भी किए गए, कुछ नहरें इत्यादि बना दी गई। किंतु इस पर आवश्यकता अनुरूप अमल नहीं किया गया। विषय को गंभीरता से नहीं देखा गया। परिणाम आज भीषण समस्या बनकर सामने है। इसी में यह बात निकलकर भी सामने आई थी, जोशीमठ शहर पूर्व में कुंवारी पास के नजदीक हुए भूस्खलन में आए मलबे के ऊपर बसा है। वही नीचे से अलकनंदा नदी जो सामान्य नदी का गुण वो कटान कर रही हैं। अब नीचे कटान होगा तो ऊपर भूस्खलन होगा ही। हिमालय क्षेत्र में गांव मलबे पर ही बसे हैं। हां यह बात है कि वह चट्टान का रूप ले चुका है। उधर हिमालय की निर्माण प्रक्रिया अभी जारी है, ऐसे में भूगर्भिक हलचल का होना स्वाभाविक बात है। वहां जो टीम कारणों का पता लगाने पहुंची है। क्योंकि वहां मटमैला जल मिला है, तो भूगर्भीक हलचल होने की बात कही जा रही है। बस मानव के लिए यह विषय देखने का है, कि हम किस प्रकार विज्ञान का अपनी आधुनिकता का प्रयोग कर इन चुनौतियों का सामना करते हैं, और बच कर निकल जाते हैं। तब हम उसे विकास कह सकते हैं।
हमें यह समझना है, कि मैदानी क्षेत्रों में निर्माण कार्य और पहाड़ी क्षेत्र में निर्माण कार्य दो अलग बातें हैं। जिस गति से मैदानों में भारी कंस्ट्रक्शन हो सकता है, पहाड़ों में यह उतना संभव नहीं है, जो पहाड़ों को मैदान बनाने की प्रक्रिया चल रही है। यदि प्रकृति स्वयं कर रही है, तो ठीक है। किन्तु यदि यह मानव करेगा तो प्रकृति रिप्लाई करेगी। आपने निर्माण कार्य के लिए जो इस भूमी में परिवर्तन किया है, और उस परिवर्तन से जो इस भूमि में विरूपण हुआ है, उस विरूपण को संतुलित करने के लिए यह भूमी रिप्लाई करेगी। वह रिप्लाई भूगर्भीय हलचल होगी। और उसका परिणाम भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ आदि अनेक आपदाएं होंगी।

शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

संवैधानिक, गैर संवैधानिक, असंवैधानिक, संविधिक और कार्यकारी निकाय

संस्थाएं

हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी को 22 वें विधि आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। हर क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता होती है, इसीलिए विधि के क्षेत्र में विधि आयोग है। जिसका मुख्य कार्य कानूनी सुधार के लिए काम करना है, और इसके लिए परामर्श देना है।
लेकिन विधि आयोग ना तो संवैधानिक निकाय है, और ना ही वैधानिक निकाय है, यह एक कार्यकारी निकाय है।
यह कार्यकारी निकाय क्या है?
संस्थाओं को कितने प्रकार में बांटा जा सकता है? जहां हम संविधान के बात करते हैं।

संस्थाएं (institution) तीन प्रकार की हो सकती हैं।
संवैधानिक (constitutional)
असंवैधानिक (unconstitutional) तथा
गैर संवैधानिक (extra constitutional)

सामान्य रूप से समझा जा सकता है, कि संवैधानिक वह निकाय है, जो संविधान में किस अनुच्छेद में वर्णित है। जैसे वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) इत्यादि।
इसके विपरीत असंवैधानिक निकाय वह हैं। जो संविधान में वर्णित तो नहीं हैं। किंतु साथ ही यह संविधान का उल्लंघन करते हैं। जैसे आतंकवादी संगठन, नक्सलवादी संगठन आदि।
इसके अलावा निकायों की एक अन्य श्रेणी गैर संवैधानिक निकाय है। यह भी संविधान में वर्णित नहीं हैं। यह संविधान को लागू करने में सहायक होते हैं। और संविधान के संगत हैं। एक उदाहरण से आप समझें जिस विधि आयोग कि हम पूर्व में बात कर रहे हैं, वह भी इसी के अंतर्गत आता है। किंतु उसे कार्यकारिणी निकाय कहा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गैर संवैधानिक निकाय को दो भागों में बांटा जा सकता है-
कार्यकारिणी संस्था (executive body) और
संविधिक संस्था (statutory body) अथवा कानूनी संस्था (legal body)
कार्यकारिणी संस्था वह है, जो राष्ट्रपति के द्वारा मंत्रिमंडल की सलाह पर बनाई जाती है। जैसे नीति आयोग और विधि आयोग आदि।
यह कार्यकारिणी संस्थाएं हैं इन्हें कार्यपालिका निर्मित करती है। और यह इसके ही प्रति जवाबदेही होती हैं।

वहीं यदि संविधिक संस्था अथवा कानूनी संस्था को देखा जाए तो जो संस्था संसद द्वारा या राज्य सरकार में विधानमंडलों द्वारा कानून पारित कर बनते हैं। उदाहरण के लिए संसद ने कानून पारित किया “राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम” 1992 तब इसी आधार पर 1993 में “राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग” का गठन किया गया। ठीक ऐसे ही “सूचना का अधिकार अधिनियम” है जिसके लिए “सूचना आयोग” का गठन किया गया।
अतः यह दोनों आयोग संविधिक निकाय हैं या कानूनी निकाय हैं।।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

जलियांवाला बाग 13 अप्रैल 1919 | लेख

उस बाग के मध्य में एक कुआं था। जाने कितने ही लोग उसमें कूद गए। वो दिन था 13 अप्रैल 1919 और अमृतसर का जलियांवाला बाग।

जनरल रेगनॉल्ट डायर को इस हत्याकांड का सबसे बड़ा आरोपी माना गया, और यह ब्रिटिशों ने भी स्वीकार किया। किन्तु बदले में उसे सिर्फ भारत में अपने पद से रिजाइन करना था, और ब्रिटेन लौटने का आदेश दिया गया। उसका कहना था, कि वह अपनी ड्यूटी निभा रहा था। यदि वह गोलियां नहीं चलाने का आदेश नहीं देता तो संभवत वह भीड़ उसके सैनिक टुकड़ी पर हमला कर देती।

जब दस-पन्द्रह हजार के उस विशाल भीड़ पर गोलियां चलनी आरंभ हुई, तो खुद साथ खड़े अंग्रेजी अफसर के चेहरे के भाव बिखर गए। किंतु वह बताते हैं, कि डायर खुद दौड़कर उस जगह गोलीबारी का संकेत करते जहां भीड़ अधिक थी। लोग बाग की ऊंची दीवारों को लांघने की कोशिश करते।  बाग की भीड़ जैसे जमींदोज हो गई। वहां कहीं कहीं तो गोली का निशान बने घायलों और शवों के ढेर लगने लगे। कुछ लोग तो भीड़ के भगदड़ में वही दबकर अपने प्राण खो दिए।

   वहां 4 वर्ष का एक बच्चा जो अपने दादा जी के साथ गया था, आज बताते हैं, कि गोलियों के आदेश के बाद उनके दादाजी उन्हें सैनिकों से दूर दीवार की ओर लेकर  गए और दीवार से फेंक कर दूसरी तरफ पहुंचा दिया। उनका कंधा वहां टूट गया, और वह दृश्य वह कभी ना भूल सके। 

  वहां मरने वाले लोगों की संख्या का अनुमान लगाते हैं, तो हजारों की संख्या बताई जाती हैं। हालांकि भारतीय ब्रिटिश सरकार ने उसमें सवा तीन सौ लोगों की मृत्यु को दर्शाया।

बताते हैं, कि कई घायल लोग तो अपने घर लौट कर मृत्यु को प्राप्त हुए। तब ऐसा माहौल तैयार हो गया, कि जलियांवाला बाग में उस दिन गए तमाम लोग सरकार के सीधे निशाने पर हैं। इससे लोग यह नहीं बताते कि उनके संबंधी उनके परिवार के कोई वहां जिलियांवाला बाग में उपस्थित थे, या मारे गए हैं।

वह घटना भारत को सीधे तौर से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कर गई। महान क्रांतिकारियों ने इस घटना के बाद जन्म लिया। किंतु उन निर्दोषों को जो बर्बरता का शिकार हुए उनकी महान शहादत के लिए भारत का आज, आज भी उन्हें याद करता है। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।।

सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

28 फरवरी | राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, 28 फरवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह दिवस भारत के महान वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन की महान खोज रमन प्रभाव की उपलब्धि से मनाया जाता है। जहां सर चंद्रशेखर वेंकटरमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की खोज की थी, वे अपनी इसी खोज के लिए 1930 की नोबेल पुरस्कार प्राप्तकर्ता बने। वे एशिया के पहले, और एक नॉन वाइट थे, जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उन्हें 1954 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।

   भारत में युवा दिवस राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वाधान में प्रतिवर्ष 28 फरवरी को मनाया जाना सुनिश्चित है। 1986 में नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने भारत सरकार से अपील की कि 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया जाए तब 1987 के वर्ष और उसके पश्चात प्रतिवर्ष आज तक यह दिवस देश भर के विद्यालयों, कॉलेजों और अन्य सभी एकेडमिक्स संस्थाओं ने मनाया जाता है।

चंद्रशेखर वेंकटरमन जिन्हें सीवी रमन के नाम से भी जानते हैं, वे एक भौतिक विज्ञानी रहे। उन्होंने 19 वर्ष की आयु में भौतिक विज्ञान में m.a. किया, और वित्त संबंधी परीक्षा में सफलता पाकर वे कलकत्ता में असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल अधिकारी बन गए। यहां से वे दिनभर अपने कार्य में होने के बाद क्योंकि विज्ञान अनुसंधान में गहरी रुचि ने उन्हें विज्ञान अनुसंधान संस्था “इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन आफ साइंस” से जोड़ दिया। वह यहां अपने दिन भर के कार्यों के पश्चात देर रात तक का समय यही बिताते। जब 1917 में उन्हें भौतिक विज्ञान का प्रोफेसर बनने का अवसर मिला, जो कोलकाता विश्वविद्यालय से था। तो उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, और मात्र अपनी पहले की नौकरी की तनख्वाह के आधे पर ही यह प्रोफेसर की नौकरी स्वीकार कर ली।

1921 में सी० वी० रमन को एक अध्ययन यात्रा में विदेश का दौरा करना हुआ। और इसी को वे रमन प्रभाव की खोज का आधार बताते हैं। जब रमन पानी के जहाज से विदेश के लिए यात्रा कर रहे थे, तो सागर के नीले जल ने उन्हें शोध के लिए एक नया कारण दिया। लॉर्ड रैले के आकाश के नीले रंग की व्याख्या जो वायुकणों से प्रकाश प्रकीर्णन के कारण होता है, जो एक सफल व्याख्या थी। किंतु सागर के जल का नीला होने का कारण उन्होंने, आकाश का जल में प्रतिबिंब बताया था, जो व्याख्या रमन के लिए स्वीकार्य नहीं थी। वह इसे अपना शोध का विषय बना लेते हैं। अपने अथक प्रयास लगभग 7 वर्षों तक अनेकों द्रवों पर प्रकाश के प्रकीर्णन का अध्ययन करते रहे, और 28 फरवरी को 1928 में उन्होंने रमन प्रभाव की खोज की महान घोषणा की।

उसी 28 फरवरी की उपलब्धि को भारत में 1987 से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

रविवार, 31 अक्टूबर 2021

Metaverse explain in hindi आसान भाषा में समझे | facebook metaverse explanation

 Metaverse-

   फेसबुक ने नाम बदल लिया है। यह Meta हो गया है। फेसबुक ने अपना और उसकी अन्य सभी कंपनियों को मिलाकर एक पेरेंट ब्रेंड को जन्म दिया है। इस से तात्पर्य है कि, अब फेसबुक, व्हाट्सएप और इनस्टाग्राम आदि  सभी कंपनियां Meta के अंतर्गत आती हैं। कुछ ऐसे जैसे ब्रिटिश क्रॉउन कई औपनिवेशिक राष्ट्रों पर नियंत्रण रखता था।

   किंतु सबसे अहम चर्चा का विषय है, कि नया नाम क्यों। नाम Meta हो गया है, इस नाम बदलने में और नाम Meta हो जाने मे Metaverse चर्चा में आ गया है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकवर्ग का कहना है, कि इंटरनेट का भविष्य Metaverse है, आज या कल यह सत्य होने वाला है।

  अब यह जानना आवश्यक है, कि Metaverse क्या है, Metaverse में क्या कुछ ला पाना संभव है, इस पर साफ-साफ कह पाना तो फिलहाल संभव नहीं, किंतु यह वास्तविक दुनिया के समानांतर चलने वाली दुनिया होगी। यूं कहें कि आपके सामने साक्षात वह माहौल तैयार हो जाना, जहां आप होना चाहते हैं।
    यूं तो यह शब्द Metaverse सर्वप्रथम एक नोबल Snow crash में छपा है, 1992 में नील स्टीफेनसन नाम के लेखक ने इस पुस्तक को प्रकाशित करवाया था। यह नोबल एक कल्पना के संसार की व्याख्या है, जहां सरकार सब कुछ प्राइवेट कंपनियों के हाथ में दे देती है, सरकार अपनी शक्तियां भी प्राइवेट कंपनियों को सौंप देती है, और परिणाम वहां मॉडर्न वर्ल्ड जैसे वर्चुअल रियलिटी और डिजिटल करेंसी की दुनिया हो जाती है।
 यह कुछ ऐसी ही है, जो फेसबुक करने की बात कर रहा है। फेसबुक का कहना है, “कि आप समर्थ हो सकेंगे, अपने दोस्तों, काम, खेल, पढ़ाई, खरीददारी इत्यादि से जुड़ सकने में। हम आप के समय जो ऑनलाइन बीतता है, उसे और अधिक उपयोगी बनाना चाहते हैं”
  अब आप इसे कुछ इस प्रकार समझे एक दुनिया जिसमें आप दिल्ली जा रहे हैं, जो वास्तविक है। और इसी दिल्ली जाने की यात्रा को आप अपने इंटरनेट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर देते हैं। यह आपने पोस्ट किया तो आप उन सभी लोगों तक पहुंच गए, जिन्हें आप बताना चाहते हैं, या सारी दुनिया के सामने आपने यह पोस्ट रख दी है।
अब सोचिए यदि यह लाइव और निरंतर हो जाए, अर्थात आप, आप की स्थिति, समय, स्थान सब कुछ जहां आप हैं, वह सब कुछ किसी अन्य व्यक्ति जो वहां नहीं है, के सामने भी इस प्रकार से आ गया है, जैसे वह वहीं हो आपके साथ।
   कुल मिलाकर आप जहां पहुंचना चाहते हैं, आप वहां पहुंच पा रहे हैं, वहां जाए बिना। और इस प्रकार से जैसे आप वही हैं, ऐसा माहौल आपके सामने तैयार हो रहा है।
अब यह होगा कैसे, Metaverse प्रोग्राम लंबे समय में तैयार हो सकेगा। 10 -15 वर्षों में।
अगले 5 वर्षों में वे यूरोप यूनियन देशों में दस हजार नए लोगों को काम पर लेने वाले हैं। जिससे यह प्रोजेक्ट पूर्ण हो सके।

रविवार, 26 सितंबर 2021

world pharmacist day in hindi | फार्मेसी क्या है फार्मेसी के जनक

वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे | फार्मेसी क्या है | 25 septenber-

वर्ल्ड फार्मेसी डे

 विश्व फार्मासिस्ट डे प्रत्येक वर्ष 25 सितंबर को मनाया जाना सुनिश्चित है। यह फार्मासिस्टों द्वारा अनेकों लोगों को उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए किए प्रयत्नों को उजागर करने और उनके योगदान को बढ़ावा देने का दिवस है।

मनाने की शुरुआत-

2009 में तुर्की ( इंस्ताबुल ) से एक अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (IFP) परिषद ने सर्वप्रथम इस दिन को यह महत्व देने की शुरुआत की थी। वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की शुरुआत करने वाला तुर्की से अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (IFP) का स्थापना वर्ष 1912 दिवस 25 सितंबर है। क्योंकि 25 सितंबर ही IFP का स्थापना दिनांक है, इसलिए भी तुर्की के IFP सदस्यों ने इस दिवस को ही आने वाले वर्षों में वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे के तौर पर मनाए जाने की मांग की।

इस वर्ष की थीम-

वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे मेहता उन फर्म स्टॉकिंग तमाम योगदान को देखते हुए हर साल एक नई थीम को इस दिवस पर निर्धारित किया जाता है 2020 में इस दिवस पर वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की थीम “Transforming global health” रखी गई थी। इस वर्ष 2021 में इस दिवस पर वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की थीम “Pharmacy: always trusted for your health” रखी गई है।

फार्मेसी क्या है-

फार्मेसी को मेडिकल की शिक्षा से संबंधित है। यदि आप इंटरमीडिएट की परीक्षा विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान से करते हैं, तो यह आपके उच्च शिक्षा का एक ऑप्शन हो सकता है। भारत में फार्मेसी एक्ट 1948 के अधीन PCI को 4 मार्च 1948 को गठित किया गया था। क्योंकि फार्मेसी एक प्रोफेशनल कोर्स है। PCI ( फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ) भारत में फार्मेसी प्रोफेशन को सुचारू रखता है।
एक फार्मेसिस्ट जिसे आप केमिस्ट भी कह सकते हैं। जो दवाइयों को तैयार करने और साथ ही उन्हें वितरित करने की योग्यता रखता है। फार्मेसी मेडिकल में ज्ञान की यही शाखा है, जो फार्मेसिस्ट को तैयार करती है।
एक फार्मासिस्ट किसी औषधालय में तथा क्लीनिक में लोगों को सेवा देते हैं। एक अध्ययन की मानें तो 78% फार्मेसी टेक्निशियन फीमेल है। और फार्मेसिस्ट लोगों के स्वास्थ्य देखभाल में सर्वाधिक योग्य, कारगर और सुलभ हैं। आंकड़ा कहता है कि दुनिया में 4 मिलियन फार्मेसिस्ट लोगों को सेवा दे रहे हैं।

भारत में फार्मेसी का जनक-

महादेव लाल श्राफ को भारत में फार्मेसी के जनक का श्रेय प्राप्त है। उनका फार्मेसी के क्षेत्र में भारत में योगदान विशेष  है। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ बनारस से हासिल की थी।

शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

23 september अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस | वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ

अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस

अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस-

23 सितंबर को संपूर्ण विश्व में अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह दिवस विश्व में भाषा के उस प्रकार के महत्व को प्रकाश में लाता है, जो हम आज भी भाषा के इतने विकास हो जाने के पश्चात प्रयोग कर ही देते हैं।
उदाहरण के लिए हम संकेत कर अपने दोस्त को दर्शाते हैं, कि गाड़ी उस और गई है,  तुम्हारी पेन उस डेस्क में है, तुम्हारी सीट वह है आदि।

भाषा हमारे आचार विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है, और सांकेतिक भाषा संकेतों की भाषा है, जहां हम अपने भावों विचारों को संकेतों के माध्यम से व्यक्त करते हैं।
यह दिवस विश्व भर में सांकेतिक भाषा के उत्थान की ओर कदम है।
इस वर्ष 2021 सांकेतिक दिवस की थीम “वी साइन फॉर ह्यूमन राइट्स” रखा गया है।

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ( world federation of the deaf ) –

अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस की अवधारणा सर्वप्रथम वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ( WFD ) द्वारा की गई। WFD स्थापना वर्ष 1957 दिवस 23 सितंबर है, जो कि विश्व भर में 135 राष्ट्रों के बधिर लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी गणना है, कि दुनिया भर में लगभग 70 मिलियन लोग बधिर हैं। जिनके लिए आवश्यक है, कि संकेतिक भाषा विकसित हो और प्रचलित भी  हालांकि संकेतिक भाषा का भी व्याकरण है। आपने कई टीवी समाचारों में सांकेतिक भाषा के जानकार को एक ओर से संकेतों में समाचार व्यक्त करते हुए देखा होगा। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ बधिर लोगों की मानव अधिकार को इस भाषा के उत्थान से संरक्षण होने की वकालत करते हैं।
क्योंकि वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ 23 सितंबर के दिन स्थापित हुई थी। अतः इस दिवस की ऐतिहासिक महत्व ही यूएन द्वारा 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के तौर पर घोषित करने का कारण है।

संकेतिक भाषा का ऐतिहासिक प्रमाण-

संकेतिक भाषा का प्रथम ऐतिहासिक प्रमाण प्लेटो की क्रेटिलस से मिलता है। जिसमें सुकरात कहते हैं, यदि हमारे पास आवाज या जुबान नहीं होती, तो हम अपने विचारों की अभिव्यक्ति में अपने हाथ, सिर और शरीर के अन्य अंगों का प्रयोग करते, और उनसे संकेत करने का प्रयत्न करते।

सोमवार, 30 अगस्त 2021

आज के समाचार | today news 30 Aug 2021

आज के हाल समाचार-

अंतराष्ट्रीय-

   अमेरिका का बड़ा दावा काबुल एयरपोर्ट पर हुए  आईएस खुरासान के हमले में अपने 13 सैनिकों को खोने के बाद अमेरिका का दावा है, कि उसके किए ड्रोन हमले से इस घटना के मुख्य साजिशकर्ता को खत्म कर दिया है। वाइडन का कहना है, कि वह इस घटना को भूलेंगे नहीं। बता दें काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोगों की मौत की खबर है। इस अमेरिकी कार्यवाही को ओवर द होरिजिन ऑपरेशन कहा गया है।
साथ ही अमेरिकी दूतावास ने पुनः काबुल हवाई अड्डे के समीप स्थानों पर आतंकी हमला हो सकने के आसार जताए हैं। इस पर एडवाइजरी जारी की है। उन स्थानों को लोग छोड़ दें, वहां भीड़ इकट्ठा ना करें।

कोरोना समाचार 24 घंटे में संक्रमण 46459 देशभर में और 509 लोगों की मौत हुई है। यह 2 माह के बाद आया सबसे बड़ा संक्रमण आंकड़ा है। कोरोनावायरस गाइडलाइन पालन को इसी भय और आशंका में 30 अगस्त तक बढ़ाया गया है।

   वहीं अमेरिका में बच्चों के संक्रमण की दर बहुत तीव्र हो गई हैं बड़ी संख्या में बच्चों को कोरोनावायरस पाया गया है। यह आने वाले समय में उपचार की सुविधा में मुश्किल पैदा करेगा यह अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है।

भारत आज-

भारतीय तटरक्षक (आईसीजीएस) बल में विग्रह शामिल। यह अपतटीय गश्ती पोतों में पोत शामिल हुआ है।

राजनीति-

राहुल का ट्वीट आम जनता की आय में कितनी बढ़ोतरी हुई है, जहां भाजपा की आय में तो 50% बढ़ोतरी हुई है।

   कृषि कानून को लेकर विरोधी स्वर को ऊंचा कर  प्रियंका का ट्वीट अपने अरबपति मित्रों के इजाफे के लिए लाई है भाजपा सरकार कृषि कानून।

भाजपा की बैठक में विरोध को आए किसानों पर करनाल में पुलिस कार्यवाही के चलते लाठियां बरसाई गई। खबर है कि प्रदर्शनकारियों में कई गंभीर रूप से घायल हैं।

वहीं पंजाब की राजनीति में बयानबाजी सर्व सम्मत नेतृत्व को स्पष्ट नहीं कर पा रही। नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के मध्य नेतृत्व अधर में प्रतीत होता है।

फिल्मपुरी-

हनी सिंह पर घरेलू हिंसा का केस उनकी पत्नी ने बीते दिनों दर्ज करवाया था। हनी सिंह को मामले में उपस्थित ना होने पर फटकार मिली।

   टीवी अभिनेता गौरव दीक्षित अब एनसीबी के सवालों में होंगे 30 अगस्त तक रहेंगे हिरासत में बता दें ड्रग्स डीलिंग के मामले में गिरफ्तार हैं गौरव दिक्षित।

शनिवार, 28 अगस्त 2021

अफगान घटनाचक्र अपडेट | daily news | afganistan update

अफगान घटनाचक्र-

 अमेरिका का अफगानिस्तान से पलायन तालिबानियों की हौसला अफजाई रही। राह इतनी सरल रही कि देखते ही देखते अफगान तालिबान शासित हो गया। वह भूमि अफगानो की है। यह स्वर भी सुनने में आए कि तालिबानी अफगानी नहीं है।

   अमेरिका का इतने वर्षों में अफगान को छोड़ने का यह तो ठीक समय ना था। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा नहीं किया। उसे वैश्विक हितों के संरक्षण की दृष्टि से देखेंगे। अमेरिका विश्व महाशक्ति का यूं एक स्वयं के  हितों के एवज में अवयस्क अफगान को संकटों में छोड़ना उचित तो नहीं। जिस तरह से अमेरिका ने अफगान से निकला ऐसा प्रतीत होता है, कि अमेरिका ने अफगान को अफगान सरकार के हाथ में नहीं बल्कि तालिबानियों के हाथ में सौंप दिया हो। किंतु अफकान के इन हालातों पर जवाबदेही किसकी होगी।

  अब इन स्थितियों में पक्ष-विपक्ष समर्थन असमर्थन में बयानबाजी का दौर आरंभ होता है। रूस भी कुछ स्पष्ट मालूम नहीं होता है। बयान बाजी के बाद जिस बिंदु पर विचारक पहुंचे तो चीन और पाकिस्तान को लेकर तालिबानियों के खेमे में होने को मान लिया है। तालिबानियों का समर्थक वही है, जो उस नीति का समर्थक है, जिसमें किस प्रकार तालिबानी अफगान को अपने कब्जे में कर लेते हैं।

   दूसरी और अमेरिका यूं ही तो एशिया में बैरागी नहीं हो सकता। स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति जॉ बाइडन का यह कदम उन्हें भी परेशान करता होगा। वह स्वयं यह मानते हैं, कि यह एशिया में उन शक्तियों को बढ़ावा दे सकता है, जो अवांछित हैं। इन्हीं कारणों से भी अमेरिका इतने वर्षों से अफगान में स्वयं को रखे था।

    हालांकि कुछ राष्ट्रों ने तालिबान का विरोध भी किया है जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी भयानक व नाटकीय है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी विरोधी स्वरों में दिखे।

    हालांकि तालिबान किस तरह से स्थितियों को संभाल रहा है। इसका एक दृश्य कि तालिबान के कट्टर विरोधी रहे गुल आगा शेरजई को और सद्र इब्राहिम को तालिबान अंतरिम सरकार में क्रमशः वित्त मंत्री और गृह मंत्री बनाए जाने की खबर है।

    इन खबरों से स्थायित्व की ओर बढ़ती अफगान घटनाक्रम का अंदेशा है, किंतु यह कितनी दूर तक को है। 

    यह जानना शेष रहेगा कि तालिबान की लड़ाई अमेरिका से थी, या अमेरिका और अफगान सरकार दोनों से। यह तालिबान की नीतियों और कार्यों से मालूम होगा।

 खैर इन सब में अफगान की आम जनमानस का हित सर्वोपरि रहे यही आशाएं हैं।


रविवार, 15 अगस्त 2021

New vehicle scrappage policy in india | गाड़ी परिमार्जन नीति | in hindi

  New vehicle scrappage policy-


   यह स्पष्ट तौर से पुरानी गाड़ियों के परिमार्जन की पॉलिसी है।बीते 13 अगस्त 2021 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने यह पॉलिसी घोषित की। मोदी जी का कहना है, कि यह पॉलिसी भारत में 10000 करोड़ से अधिक रुपए का नया निवेश लाने जा रही है, और रोजगार का हजारों में सृजन करने वाली है।

   इस पॉलिसी में पुरानी हो चुकी गाड़ी के लिए नई परिमार्जन नीति निर्देशित है।  प्राइवेट व्हीकल को 15 साल बाद और कमर्शियल व्हीकल को 20 साल बाद टेस्ट सेंटर में फिटनेस जांच को जाना अनिवार्य होगा।

   यदि गाड़ी टेस्ट पास नहीं कर पाएगी तो तय है। कि उसे परिमार्जन के लिए जाना ही होगा। इस पर गाड़ी के मालिक गाड़ी परिमार्जन से संबंधित सर्टिफिकेट प्राप्त करेंगे। वह सर्टिफिकेट निम्न बिंदुओं पर उपयोगी होगा।

1. नई गाड़ी पर डिस्काउंट प्राप्त होगा।

2. नई गाड़ी खरीद पर रजिस्ट्रेशन पर कोई रुपया नहीं देना   होगा।

3. रोड टैक्स पर छूट होगी।

शनिवार, 14 अगस्त 2021

15 august 2021 | इंडिपेंडेंस डे ऑफ इंडिया इन हिंदी | भारतीय स्वतंत्रता दिवस

    15 अगस्त शुभकामनाओं, भारतीय यश की गाथाओं के स्मरण के साथ पुनः आया है इन गाथाओं का दीप सदैव उदीयमान रहे। भारतीय पताका विजय हवाओं में लहराता रहे, और उसके तल में उत्साह और मानव उत्थान की सूज में भारतवासी राष्ट्रगान का स्वर ऊंचा कर प्रतिवर्ष 15 अगस्त को मिसाल बनाते रहें। 

यह हमारी एकता का परिणाम होगा। दुनिया को पैगाम होगा

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏