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मंगलवार, 18 मार्च 2025

प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा और अब सवाल महेंद्र भट्ट से



श्री प्रेमचंद अग्रवाल को एक अदूरदृष्ट नेता के तौर पर याद किया जाएगा। जिन्होंने अपनी कही बात पर इस्तीफा दिया मंत्री पद को त्याग और इससे यह साबित होता है, कि आपने गलती की है। अन्यथा आप अपनी बात से, अपनी सत्यता से जनमानस को विश्वास में लेते, पार्टी को विश्वास में लेते और चुनाव लड़ते। आपके इस्तीफे ने आपकी गलती को साबित कर दिया।

उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान अपनी भूमिका को स्पष्ट किया, अपना योगदान बताया और आखिरी तौर से वे भावनाओं से भरे हुए थे, उनके आंसू भी देखे गए। इसी पर उन्होंने अपने इस्तीफा की बात रख दी वह प्रेस वार्ता हम सबके सामने हैं। 


यहां से बहुत कुछ बातें समझने को मिलती है, राजनीति में बैक फुट नहीं होता है, राजनीति में सिर्फ फॉरवर्ड होता है। यह बात उस समय सोचने की आवश्यकता थी, जब इस तरह का बयान दिया गया था, जिसने इतना बड़ा विवाद पैदा किया। यह नेताओं की दूर दृष्टि का सवाल है, उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि उनके द्वारा कही बात का प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है। राजनीति में आपके द्वारा कही बात पर आप आगे माफी लेकर वापसी कर पाएंगे ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि उसका प्रभाव कभी-कभी इतना व्यापक होता है, की स्थितियां संभाले नहीं संभालती।

इस प्रेस वार्ता में उनके आंसू भी देखे गए। लेकिन राजनीति को जानने समझने वाले लोग इससे प्रभावित नहीं होते। राजनीति में नेताओं का हर कदम और सांस लेना भी जनमानस को लुभाने के लिए है। वह सब जो आपको मालूम चलता है, वह जनमानस पर अपने प्रभाव को मजबूती से रखने के लिए कोई नेता करता है। सारा खेल सत्ता में बने रहने का है, यह सत्ता हासिल करने का। राजनीति कोई कमजोर लोगों का खेल नहीं यह मजबूत लोगों का खेल है। 


राजनीति में पहले जमीन पर मेहनत होती है, एक कार्यकर्ता के तौर पर जमीन पर पैर मारे जाते हैं। वही बात जो वे कह रहे थे कि मैं उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय भूमिका में था, और मेरा योगदान रहा है। राजनीति में जमीनी मेहनत के बाद शक्ति और सत्ता आती है, उसके पश्चात घमंड आता है, और फिर इंसान का राजनीतिक पतन होता है। राजनीति की उस शीर्षस्ता को हर कोई पाचन नहीं कर पाता इसलिए अक्सर इस तरह का पतन देखने को मिलता है।


दरअसल बीजेपी के नेता पहले से यह तो जरूर है, कि मान रहे थे, की गलती तो हुई है कुछ, लेकिन मंत्री जी का संरक्षण भी कर रहे थे। अब सवाल महेंद्र भट्ट जी पर पैदा होता है। प्रेमचंद अग्रवाल जी ने तो इस्तीफा सौंप दिया है। अब महेंद्र भट्ट जी जवाब देंगे कि आपने इस्तीफा स्वीकार क्यों किया यदि उनकी बात को तोड़ मरोड़ कर सामने रखा गया था तो आप अपनी बात पर अडिग रहते और जनमानस का विश्वास जीतते और इसी पर चुनाव लड़ते।

सवाल बड़े हैं, जिसका जवाब बीजेपी के कुछ नेताओं को देना अभी बाकी है।।

गुरुवार, 13 मार्च 2025

राठ क्षेत्र से मुख्यमंत्री आवास तक का सफर | कलाकारों का संरक्षण राज्य का कर्तव्य

 


एक होली की टीम ने पहल की वे देहरादून जाएंगे अपने लोगों के पास और इस बार एक नई शुरुआत करेंगे। कुछ नए गीत उनके गीतों में खुद का भाव वही लय और पूरे खुदेड़ गीत बन गए। खूब मेहनत भी की और इस पहल को करने का साहस भी किया। देहरादून घाटी पहुंचे और पर्वतीय अंचलों में थाली बजाकर जो हम होली मनाया करते थे, उसे विशुद्ध कलाकारी का स्वरूप दिया। हालांकि आज से पहले बहुत से शानदार टोलियों ने होली बहुत सुंदर मनाई है।।


बदलते समय के साथ संस्कृति के तमाम इन अंशो का बदला स्वरूप सामने आना जरूरी है, उसे बेहतर होते जाना भी जरूरी है। और यह तभी हो सकता है, जब वह प्रतिस्पर्धी स्वरूप में आए अर्थात एक दूसरे को देखकर अच्छा करने की इच्छा।

इस सब में सबसे महत्वपूर्ण है, संस्कृति के इन छोटे-छोटे कार्यक्रमों का अर्थव्यवस्था से जुड़ना अर्थात इन कार्यक्रमों से आर्थिक लाभ होना, यदि यह हो पा रहा है, तो सब कुछ उन्नत होता चला जाएगा संस्कृति भी।

पहाड़ों में खेत इसलिए छूट गए क्योंकि शहरों में नौकरी सरल हो गई और किफायती भी।।


गायकी के क्षेत्र में उत्तराखंड के कलाकार अच्छा कर रहे हैं। वह उसमें लगातार अच्छा करते जा रहे हैं। यह इसलिए है क्योंकि उस क्षेत्र ने उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न भी बनाया है। उत्तराखंड में पर्यटन फलता फूलता है, यह इसलिए है क्योंकि वहां लोगों को रोजगार मिलता है ठीक ऐसे ही संस्कृति के इन छोटे कार्यक्रमों के कलाकारों को संवर्धन मिले लोगों का राज्य का तो निश्चित रूप से संस्कृति का संरक्षण होता है। अन्यथा संस्कृति के वे तमाम परंपराएं, रीति और कार्यक्रम आउटडेटेड हो जाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हम सबके लिए "बाड़ी" एक पहाड़ी खाद्य व्यंजन अउटडेटेड भोजन हो चुका है।


इसलिए संस्कृति के इन छोटे कार्यक्रमों का इस आर्थिक जगत में मुख्य धारा से जुड़ना जरूरी है, तभी उनका संवर्धन संभव है।।

शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने किसके खिलाफ मोर्चा खोला है?

श्रीनगर किताब कौथिक आयोजित ना होना या जो खबर है, कि उसे होने से रोका गया। इस घटना ने बहुत से सवालों को पैदा किया है, बात यह है कि श्रीनगर में किताब कौथिक आयोजित होना था। इस कौथिक को करवाने वाली उस टीम में सदस्य कहें, हेम पंत जी ने अपनी बात को रखा। वह कहते हैं, कि इस आयोजन को पॉलिटिकल दृष्टि से देखा जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ है नहीं। हम पहाड़ों के दूरस्थ गांव में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं, उसे स्थापित करना चाहते हैं। हमारे राज्य के ऐतिहासिक, पौराणिक क्षेत्र का ज्ञान लोगों को करवाना चाहते हैं। यही हमारा उद्देश्य है 12 सफल आयोजन करवाने के बाद 13 वें आयोजन में इस प्रकार की रुकावट को वे खेदपूर्ण बताते हैं।


दूसरी तरफ छात्र संघ है। छात्र संघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि हमें इस बात की सूचना जब मिली की कॉलेज परिसर में किताब कौशिक का आयोजन होगा और इसमें कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाएंगे। हमने लाइब्रेरी में जो तमाम छात्र पढ़ने आते हैं उनसे बात की तो उनकी सहमति पर क्योंकि उनकी परीक्षाएं चल रही हैं, जिसके चलते छात्र हित में हमने इस किताब कौथिक के कार्यक्रम को इस वक्त स्थगित करने या पोस्टपोंड करने की बात रखी।

इस विषय पर जब नरेंद्र सिंह नेगी जी ने बात को उठाया तो मुद्दा व्यापक हो गया। अब एक तरफ तो हेम पंत जी और उनका वह साथी वर्ग जो किताब कौथिक का आयोजन करवाता है, अपने विशुद्ध उद्देश्य के साथ हैं। लेकिन बात अब पॉलिटिकल हाथों में जा चुकी है। यहां से आरोप लगने शुरू होते हैं। 


इस घटना ने कुछ सवाल जरूर पैदा किए हैं हेम पंत जी बताते हैं कि उन्होंने रामलीला मैदान में भी किताब कौथिक करवाने के लिए तैयारी की लेकिन वहां पर भी कुछ इसी प्रकार का विवाद पैदा हुआ। जिस वजह से अब उन्हें इसे पूरी तरह से स्थगित करना पड़ रहा है, ऐसे में सवाल बड़ा है। सरकार तक तो मालूम नहीं लेकिन क्षेत्र के विधायक जी इस विषय पर बात रखें तो बेहतर होगा। हालांकि बाद में यह मुद्दा पॉलिटिकल हाथों में गया, लेकिन मूल रूप से यह शिक्षा प्रेमियों, पुस्तक प्रेमियों और बुद्धिजीवियों का मुद्दा है।।

सोमवार, 2 सितंबर 2024

2 Oct 1994 | रामपुर तिराहा कांड

फोटो स्त्रोत- https://images.app.goo.gl/LozKsV6fNdyRVqai8

सन 2003 में लेखक निर्माता अनुज जोशी जी के निर्देशन में एक फिल्म “तेरी सौ” बनाई गई जो कि उत्तरांचल अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन पर आधारित है। फिल्म में सक्षम जुयाल और पूजा रावत मुख्य पात्र नाम क्रम से मानव और मानसी हैं। जो डीएवी कॉलेज देहरादून के छात्र होते हैं। मानव उत्तराखंड आंदोलन में सेलाकुई के शहीद 15 वर्षीय सत्येंद्र चौहान के चचेरे बड़े भाई की भूमिका में होते हैं। 

डीएवी कॉलेज देहरादून तब छात्र एकता में उत्तराखंड आंदोलनकारियों का गढ़ हुआ करता था। डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र दबंग माने जाते थे। हालांकि मानव और उसके साथियों का गांधीवादी विचार और शांतिपूर्ण ढंग से राज्य आंदोलन को आगे बढ़ाने वाला दिखाया गया है। मदन डुकलान जी के लिखे गीतों ने फिल्म को अधिक खूबसूरत बना दिया। फिल्म के गीत “मेरी जन्मभूमि मेरो पहाड़”,  “ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरी गांव के”,  “गढ़वाली अंताक्षरी”,  “तेरी सौं”, धार मा सी जून मुखड़ी च तेरी”,  “सौं उठोला कठ्ठा होला चला दिल्ली जोंला गढ कुमों द्वी हाथ बोटी हक अपड़ो ल्योला”,  “हक का बाना ह्वे गीं शहीद हमरा लाल देखी ल्या”,  “आंदी जांदी सांस छै तू  मेरा ज्यूणा की आश छै तू”।

जुयाल इस फिल्म में डीएवी छात्र के रूप में काफी रोचक पात्र है। उसका हर लब्ज गढ़वाली बोली और टोन में है। उसकी एक प्रेमिका भी है। मानव को जो लड़की पसंद होगी, वह पहले तो गढ़वाली बोल सकने वाली हो, गांव में रह सके, कॉलेज की पढ़ी लिखी, और घास भी काट सके।

मानव गांधीवादी विचारों को अनुसरण करने वाला छात्र हैं, वह आतंकवाद पर कहता है, कि हथियार उठाने वाला कैसा बुद्धिजीवी वह तो देशद्रोही है।

1 और 2 सितंबर 1994 के वे दिन जब खटीमा और मसूरी में आंदोलनकारियों के प्रदर्शन को गोलियों से शांत करने की कोशिश की गई, शहीदों के रक्त ने ऐसा मानो कि पूरे उत्तराखंड को बलिदान हो सकने का बल दे दिया हो। सारे उत्तराखंड में हड़ताल प्रदर्शन स्कूलों से कॉलेजों तक संस्थान बंद कर सड़कों पर भीड़ जमा होने का दौर था। अब आंदोलनकारी राज्य की आवाज दिल्ली तक प्रखर करने को स्वयं वहां पहुंचकर प्रदर्शन की योजना में थे। दिन तय किया गया। छात्रों ने भीड़ जुटाने का जिम्मा अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग गुटों में सौंप दिया। सर्वाधिक महत्वपूर्ण कि आंदोलन हर बूढ़े, बच्चे, जवान, पुरुष हो या महिला की मजबूत भागीदारी लिए था।

30 सितंबर 1994 को मेरठ मंडल के कमिश्नर साहब ने हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और मेरठ के जिलाधिकारियों को दिल्ली जाने वाली बसों की चेकिंग के निर्देश दिए। 2 अक्टूबर को पर्वतीय शक्ति ने दिल्ली में प्रदर्शन की दिनांक तय की थी। कमिश्नर का निर्देश था, कि जितना हो सके बसों से आंदोलनकारियों को मना कर वापस रवाना किया जाए। जो अधिक जिद पर अड़े रहे तो उन्हें जाने दिया

जाए। किंतु इन सब में सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्देश जो रिकॉर्ड दर्ज है, मेरठ रेंज के डीआईजी बुआ सिंह जिन्होंने हरिद्वार मुजफ्फरनगर सहारनपुर पुलिस अधीक्षकों को किसी भी कीमत पर आंदोलनकारियों को रोकने गिरफ्तार करने के आदेश जारी किए। 

वह आदेश यूं कहें कि उस दिवस को उत्तराखंड के संपूर्ण इतिहास में काला कर देते हैं। पुलिस को उस समय पर गढवाल से आने वाले बसों और उनमें सवार आंदोलनकारियों पर विशेष ध्यान था। विशेषकर देहरादून से निकले आंदोलनकारियों पर रोक पुलिस की पहली कोशिश थी। क्योंकि देहरादून आंदोलनकारियों का केंद्र हो चुका था।

गढ़वाल से दिल्ली जाने के लिए मार्ग हरिद्वार से सहारनपुर होकर था, और वही कुमाऊं से जाने वाला मार्ग बिजनौर और बरेली से होकर था। पुलिस और प्रशासन का मुख्य ध्यान गढवाल वालों को काबू करना था। उस दिन परेड ग्राउंड में बसों की बड़ी संख्या और उनमें लोगों की हजारों की संख्या में ऐसे जमावड़ा लग गया था, कि जैसे सारे उत्तराखंड का मानव जीवन वहीं आकर रुक गया हो।

चमोली और उत्तरकाशी से बस ठीक समय पर निकल गई थी। किंतु देहरादून से दिल्ली उतना दूर नहीं यह सोचकर देहरादून से बसें शाम को रवाना होती हैं। जब तक कि चमोली और उत्तरकाशी की बसें हरिद्वार पार कर मुजफ्फरनगर की ओर निकल चुकी थी।

बहादराबाद और मोहन पुलिस चौकी पर आंदोलनकारियों को रोक की अड़चन झेलनी पड़ी। ऋषिकेश-हरिद्वार दिल्ली मार्ग पर बहादराबाद पुलिस चौकी के रोक ने डेढ-दो किलोमीटर की लाइन में बसों को जमा कर दिया। एक भारी पुलिस बल के बावजूद आंदोलनकारियों का विशाल जत्था रोक पाना नामुमकिन था। रास्ता खोल दिया गया, और आंदोलनकारी अपनी राह पर पर चल पड़े।

देहरादून-दिल्ली मार्ग पर मोहन पुलिस चौकी पर से कुछ बसों का वापस भेजा जा चुका था, किंतु वह भी पीछे से आ रहे जत्थे के साथ हो लिए। पचास से अधिक बसें और उनमें सवार तीन हजार से अधिक आंदोलनकारी जिसमें डीएवी के छात्रों का बड़ा समूह, अन्य आंदोलनकारियों का समूह दिल्ली को रवाना हुआ था। बैरियर तोड़ दिए गए और पुलिस की मौजूदगी को नाकाम कर दिया गया।


पुलिस ने मोहन और हरिद्वार से निकल चुके आंदोलनकारियों को नारसन में रोकने का पुख्ता इंतजाम कर लिया। किंतु नारसन में हरिद्वार और देहरादून दोनों मार्गों से पहुंचे आंदोलनकारियों का विशाल जत्था जमा हो गया, लगभग डेढ़ सौ से अधिक बसों मैं हजारों आंदोलनकारी और जमा कर दिया, पुलिस ने आगे की बसों के शीशे तोड़ दिए, आंदोलनकारी छात्रों से अभद्रता पर पुलिस पर पथराव प्रारंभ हो गया, वहीं कुछ अज्ञातों ने खड़ी बसों और ट्रकों को आग लगा दी, वह यूपी पुलिस के ही जवान थे। छात्रों और अन्य आंदोलनकारियों ने लगभग 200 पुलिस सिपाहियों पर पथराव किया, और उन्हें वहां से दौड़ा कर भागने को मजबूर कर दिया। पुलिस को काफिला रोक पाना संभव नहीं था।

काफिला आगे बढ़ता रहा, किंतु अगले ही नाके पर फिर पुलिस की कोशिश जो आंदोलनकारियों को कैसे भी कम से कम संख्या में प्रदर्शन तक पहुंचाने की थी, को लेकर इंतजाम किया गया। जिसमें रोक लगाई गई, और कहा गया कि इतनी बसें एक साथ नहीं जा सकती।  चार चार कर बसें आगे निकलेंगी। चमोली की बसें पहले मुजफ्फर के पहले के तिराहे पर जा पहुंची। यह तिराहा उत्तराखंड को अहिंसा दिवस पर राजनीति और प्रशासन का सबसे घृणित चेहरा दिखाने वाला था।

तिराहे पर पहले पहुंची बसों में पुलिस ने घुसकर भीतर बैठे पुरुषों जिन में भूतपूर्व सैनिक और अन्य आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसानी प्रारंभ कर दी। बड़े पुलिस बल के चलते आंदोलनकारियों ने जाकर गन्ने के खेतों में शरण ली। बसों में शेष बची महिलाओं और युवतीयों जिन्हें सुनसान जगह पर ले जाकर अभद्रता की गई, उनके कपड़े फाड़ दिए गए। यह रात के अंधेरे में कितना निरंकुश और बर्बर है, जहां पुलिस की पोशाक में मानव तो नहीं है।


पीछे की बसों को अब रोक पाना मुश्किल हो रहा था, जब वह रामपुर तिराहे पर आ पहुंचे तो तीन सौ बसों का विशाल जमावड़ा वहां जनसैलाब ले आया। रात्रि का चौथा पहर था। अंधेरा बहुत था।

तेरी सौं फिल्म दिखाती है, कि जब मानव और उसके साथियों की बस रुक जाती है, तो मानव बस की छत में चढ़कर आगे जाम का कारण देखने की कोशिश करता है, तो मालूम चलता है कि आगे बहुत सारे छात्र आंदोलनकारी पथराव कर रहे हैं। मानव अपने साथियों के साथ उन लोगों तक पहुंचता है, और एक को चिल्लाकर कहता है,  “तुम पथराव क्यों कर रहे हो तुम पागल हो गए हो क्या”  तब वह छात्र जवाब देता है,  “हां मैं पागल हो गया हूं क्योंकि पुलिस हमारी पर्वतीय महिलाओं को उठाकर ले गई है”। मानव को इस बात पर विश्वास नहीं होता है।

क्योंकि रात के अंधेरे में आंदोलनकारियों को सारी घटना के विषय में कुछ समझ नहीं आता है। कुछ को घटना मालूम ही नहीं हो पाती है। किंतु सुबह हुई और घायल हुए आंदोलनकारी अब मिलने लगे रात को हुई घटना अब आग की तरह सभी आंदोलनकारियों में फैलने लगी। महिलाओं और युवतियों को जिनके साथ अभद्रता हुई जिनके कपड़े फाड़ दिए गए स्थानीय लोगों ने उन्हें वस्त्र दिए जो सुबह सब कुछ जान कर मदद करते हैं।

यह सब जानकर छात्रों का बड़ा जत्था अब पुलिस पर टूट पड़ा। साढे छः बजे का समय और छात्रों पर आंसू गैस के गोले दागे जाने लगे। आंदोलनकारी धैर्य खो चुके थे। लगभग छः बजकर पचास मिनट पर वहां बिना चेतावनी गोलियां चलनी आरंभ हो गई। पहाड़ी लोगों के लिए लोकतंत्र का यही न्याय था, जिसके चलते उनके साथ दागी गई बंदूक की गोलियों से पेश आया गया। उस फायरिंग ने राजेश लखेरा, रविंद्र रावत, गिरीश भत्री, बलवंत सिंह, सूर्य प्रकाश तपड़ियाल  की जान ले ली, घायल अशोक कौशिक जिन्हें चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती कराया गया, उनका वहीं देहांत हो गया। बंदूक से निकलती बेजान गोलियां और लाठियां पीड़ा का एहसास कर रही हैं, किंतु उन्हें थामे मानव के सेवकों के हाथ नहीं कांपे। वहीं विकास नगर की बस में 15 साल के सेलाकुई के सत्येंद्र चौहान भी थे, जब पुलिस और आंदोलनकारियों के टकराव में झुककर पत्थर उठा रहे थे, तभी पुलिस की गोली विकास नगर के ही विजय पाल सिंह रावत के पैर को भेदती हुए सीधे जाकर सतेंद्र के सिर पर लगी। वे शहीद हो गए। यह कितना भावुक कर देने वाला है।

यह दहशत की काली रात के बाद की सुबह थी। अहिंसा का दिन। जिन औरतों की आबरू पर हाथ डाला गया और जिन हाथों का यह घिनौना कृत्य था, उनके विरोध में उठे स्वरों को हमेशा के लिए दबा दिया गया। फिल्म में दिखाया गया है, कि जब मानव सुबह अपने साथियों से अपने भाई के विषय में पूछता है। वह उसे बताते हैं, कि मैंने उसे देखा है, और वह अपने गांव के लोगों के साथ ही है। किंतु मानसी का कोई पता नहीं।

इस घटना के दौरान आंदोलनकारी अपने घायल साथियों को रुड़की के अस्पताल के लिए रवाना कर रहे थे। हजारों लोग जख्मी हो गए। जब रुड़की में घायलों की बड़ी संख्या पहुंचने लगी। और यह देख कर रुड़की के स्थानीय पर्वतीय लोगों ने पुलिस थाने पर धावा बोल दिया। पुलिस थाना छोड़कर भागने लगी। चश्मदीद कहते हैं, कि घायलों की बड़ी संख्या वहां अस्पताल में दर्द से कराह रही थी, स्थानीय पर्वतीय गढ़वाली कुमाऊनी महिलाएं उनके घावों को सहला रहीं थी।

जब रुड़की के अस्पतालों में बड़ी भीड़ जमा होने लगी, तो एसडीएम श्रीवास्तव ने यह आदेश दिया कि लोगों को हटाया जाए, और एक और निरंकुश हुकुम जो कि उन पर लाठीचार्ज तक कर देने का था, कितनी अमानवीय को प्रस्तुत करता है। वहां खड़े एक गढ़वाल राइफल के जवान जो छुट्टी पर घर थे, ने यह सुना उन्होंने अपनी बेल्ट उतारकर एसडीएम श्रीवास्तव की वहीं जमकर पिटाई कर दी, और कहते रहे कि तुम लोगों ने हमारी जान मसूरी, खटीमा और रामपुर तिराहे पर ली है, अब अस्पताल में भी हमारी जान लोगे। एसडीएम श्रीवास्तव मदद के लिए चिल्लाता रहा। किंतु पुलिस के किसी एक सिपाही की इतनी हिम्मत ना हो सकी, की वह कदम आगे बढ़ाए।


राजनेता और प्रशासन एक ओर था, आंदोलनकारी पहाड़ियों को मानव भी नहीं समझा गया। थानाध्यक्ष चपार राजवीर सिंह और थानाध्यक्ष पुरकाजी दाताराम ने डॉक्टर प्रीतम सिंह से मिलकर ऑपरेशन के दौरान घायल सिपाहियों में छर्रे भीतर लगावा दिए। ताकि आंदोलनकारियों पर आरोप लगाया जा सके, कि उन्होंने गोलियां दागी है। राजनेताओं का एक कर्तव्य जवाबदेही उनसे क्या नहीं करवाती यहां स्पष्ट है।

इस घटना ने आंदोलनकारियों को वही जमा कर दिया, तिराहे पर हजारों आंदोलनकारी धरने पर बैठ गए। बीस हजार से अधिक गढ़वाली लोग वहां उपस्थित थे। वह सुबह से भूखे प्यासे किंतु आसपास के लोगों ने मदद की घायल लोगों और आंदोलनकारियों के लिए कई ट्रैक्टर भरकर भोजन उपलब्ध करवाया। देहरादून तक जैसे खबर पहुंची, पुलिस थानों को आग के हवाले कर दिया गया। पूरे उत्तराखंड में आग लगाकर और पुलिस का विरोध प्रारंभ हो गया। 3 अक्टूबर 1994 का दिन देहरादून, ऋषिकेश, कोटद्वार, श्रीनगर, उखीमठ, गोपेश्वर, देवप्रयाग, रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, में कर्फ्यू का ऐलान था। किंतु यह मात्र ऐलान तक सीमित था, सड़कों पर आंदोलनकारियों कि कोई रोक नहीं थी। पुलिस नदारद थी। जब पुलिस चौकियों को आग के हवाले कर देने का सारे उत्तराखंड में जैसे मुहिम चल पड़ी, तो पुलिस ने कई जगहों पर गोलियां चलाई। फायरिंग में शहादत रामपुर तिराहे तक सिमट नहीं गई थी। बल्कि देहरादून में फायरिंग से राजेश रावत और दीपक वालिया शहीद हो गए। कोटद्वार में पृथ्वी सिंह बिष्ट और राकेश देवरानी शहादत को प्राप्त हुए नैनीताल में प्रताप सिंह बिष्ट शहीद हो गए। यह शहादत केवल उत्तराखंडयों के भविष्य के लिए थी, क्योंकि लोकतंत्र और प्रशासन तो दुश्मन होकर गोलियां दाग रहा था।


मुलायम सिंह प्रशासन का तो यह तक बयान था, कि रात सुनसान जगह महिला बाहर होगी, तो रेप होगा। 2006 में बुआ सिंह को उत्तर प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनाया गया, और उत्तराखंड जैसे सब कुछ भूल गया। ऐसा प्रतीत होता है, कि उत्तराखंड हमें भेंट में मिला हो, हमें यह तय करना था, कि उत्तराखंड शहादत का फल है, और उस शहादत के कारक कैसे जीवन में उपलब्धियां हासिल किए, कैसे सामान्य जीवन जिये। उस शहादत का अंजाम सब कुछ भूलना तो नहीं।

तत्कालीन मुख्यमंत्री के इस बयान का भी तेरी सो फिल्म में जिक्र है, कि मैं उनकी चिंता क्यों करूं, उन्होंने मुझे दिया ही क्या है, सिर्फ एक विधायक।

मानव अपने भाई की शहादत के बाद अपने मूल विचार से डगमगा जाता है। जब उसका साथी पत्रकार बडोला उससे पूछता है, कि मानव यह हथियार तुम्हें किसने दिए, वह कौन था, क्या तुम उसे जानते हो। मानव जवाब में ना कहता है। तो बडोला उसे कहता है, कि वह हथियार तुम्हें देशद्रोही ने दिए हैं, और हमारा रास्ता हथियार नहीं है। तब मानव कहता है, देश, लोकतंत्र सब छलावा है। बडोला अब मानव का साथ छोड़ देता है। क्योंकि वह आज भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर विश्वास रखता है।

फिल्म का एकमात्र फाइट सीन जब मानव एक पुलिस कर्मचारी जम्बू सिंह को अपने साथियों के साथ मिलकर पीटता है। मानव के स्थितियों के साथ बदले विचारों को दर्शाता है।

जब मानव को प्रोफ़ेसर पाठक अपने यहां बुलाते हैं, उससे उसकी योजना के विषय में जानने के लिए, तो प्रोफेसरों उसे समझाते हैं, उससे सवाल करते हैं, कि तुम्हें इस काम के लिए एक बड़ा ग्रुप जोड़ना होगा, तुम पचास, साठ लोग जोड़ोगे किंतु इकसठवें के विषय में तुम्हारी क्या राय है, क्या तुम मुझे वचन दे सकते हो, कि वह इकसठवां आदमी तुम्हारे दिए हथियार का दुरुपयोग नहीं करेगा, निर्दोष का शोषण नहीं करेगा, अबला की इज्जत नहीं लूटेगा। डाकुओं का ग्रुप गिरोह तुम्हारे एसोसिएशन के नाम पर किसी को फिरौती के लिए नहीं उठाएगा। यदि तुम मुझे वचन दे सकते हो, तो हां मैं प्रोफेसर पाठक तुम्हारे साथ सबसे पहले हथियार उठा लूंगा। 

मानसी भी मानव को उसके बदले हुए विचार को लेकर समझाती है। वह उसे भी औरों की तरह एक ऐसा पुरुष बताती है, जो सोचता है, कि महिलाओं पर हुए जुल्म का बदला सिर्फ पुरुष ले सकता है, वह उसे पुरुष प्रधान समाज का एक तत्व बताती है।

आखिर में मानव सत्याग्रह मार्ग पर होता है। वह हथियार उठाता है, किंतु वार नहीं कर पाता। उसे एहसास होता है। कि हथियार से लड़ी लड़ाई कभी खत्म नहीं होती। मेरी एक गोली दागना कल मेरे समाज में उनकी दस गोलियां दागना लेकर आएगी।।

शनिवार, 4 नवंबर 2023

बनास के धावक | अंकित कुमार राष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट


  अंकित कुमार आजकल लोगों ने खूब सुना और देखा। देखते ही देखते पैठाणी घाटी का चर्चित चेहरा बन गया। हालांकि जो उन्होंने कर दिखाया है, वह इससे कई बड़ा है। गोवा में चल रहे राष्ट्रीय खेलों में पौड़ी गढ़वाल निवासी अंकित कुमार ने स्वर्ण पदक हासिल किया है। उन्होंने 10 किलोमीटर दौड़ को 29 मिनट और 51 सेकंड में पूरा कर यह पदक अपने नाम किया।


बात यह है कि अंकित कुमार अपने निकटवर्ती गांव बनास के हैं और यह स्थानीय लोगों के लिए रेखांकित करने वाली बात है, हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।

  यदि स्थानीय बातचीत के संदर्भ में विचार पेश करें। मेरा इस लेख को लिखने का मुख्य कारण क्षेत्रीय विषयों को अहमियत देना और क्षेत्रीय उपलब्धियां को क्षेत्र के लोगों से अधिक से अधिक जोड़ने का प्रयास करने के साथ यह भी है की साथी युवाओं से मैंने कई बार सुना है “बनास के धावक”

शायद आपने भी सुना हो। जो लोग इस बात को पूर्व से जानते हैं और स्वीकार करते हैं, वे अंकित कुमार की इस उपलब्धि के बाद सीधे इसी बात का स्मरण करेंगे “बनास के धावक”

बनास गांव के युवा तेज दौड़ते हैं। यह उपलब्धि फौजी के लिए दौड़ लगाते युवाओं के बीच हुई प्रतिस्पर्धा के कारण ही सामने आई होगी। अब तक मैं सर्वाधिक जो नाम सुना हूं वह मुकेश हैं। बनास गांव के मुकेश। 

उनका नाम भी तब अधिक सामने आया था, जब पहले कभी यहां हुई एक दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम आकर उन्होंने इनाम में एक स्कूटी हासिल की थी। यह प्रेरक जीत थी। इससे कई युवा अपने आप में छुपी प्रतिभा को ढूंढने के लिए आगे आते हैं। इससे बात युवाओ में एक बार फिर हुई, बनास के धावक होते हैं। तभी से यह बात मुझे स्थानीय खेलकूद के संदर्भ में याद आती है, और आज बड़े स्तर पर अपने आप को सबसे तेज साबित कर आए हैं बनास के धावक, अंकित कुमार।

मैं इस लेख को मित्रवत भाव में लिख रहा हूं स्थानीय लोगों के लिए यह अधिक महत्व का है। वे इसे अधिक गहराई से समझ सकेंगे। इन बातों को वह शायद पूर्व से ही सहमति भी देते हो।

  यह अंकित कुमार हैं, और यह उन तमाम क्षेत्र के धावकों का सर्वश्रेष्ठ चेहरा बन गए हैं। उन्होंने गांव के रास्तों और कच्ची सड़क की दौड़ को सबसे मजबूत मेहनत साबित कर दिया है। उन्होंने गांव के रास्तों को दौड़ के ट्रैक पर सफल साबित किया है।।

गुरुवार, 19 जनवरी 2023

जोशीमठ ऐतिहासिक,धार्मिक महत्व & आज आपदा

ज्योतिर्मठ

जोशीमठ यह स्थल कुछ अप्रिय घटनाओं के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। जोशीमठ में बड़ी मात्रा में भूधंसाव हो रहा है। यह इतना गंभीर मामला है, क्योंकि उस शहर के अस्तित्व पर ही खतरे की तरह दिख रहा है। जोशीमठ जो ऐतिहासिक धार्मिक और सामरिक महत्व के बारे स्थान है। ऐतिहासिक इस प्रकार से जोशीमठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की। यह वही आदि शंकराचार्य हैं, जिन्होंने संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। श्रृंगेरी मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ और ज्योर्तिमठ। ज्योर्तिमठ नाम इसलिए है, क्योंकि यहां आदि शंकराचार्य ने ज्ञान प्राप्त किया, यहां उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। क्योंकि उन्हें ज्ञान रूपी ज्योति यहां प्राप्त की इसलिए यह ज्योर्तिमठ है। हर मठ के अंतर्गत एक वेद रखा गया है। ऋग्वेद की बात करें, तो यह गोवर्धन मठ के अंतर्गत रखा गया है। वही ज्योर्तिमठ के अंतर्गत जो वेद रखा गया है, वह अर्थवेद है। हर मठ में दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद संप्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिस आधार पर वे उसी संप्रदाय के सन्यासी कहे जाते हैं। हर मठ का एक महावाक्य होता है। “अहं ब्रह्मास्मि” जो हम सब जानते हैं, श्रृंगेरी मठ का महावाक्य है। ज्योर्तिमठ का महावाक्य है-  “अयमात्मा ब्रह्मा”

यह स्थान धार्मिक महत्व का है। यह स्थान जहां आदि शंकराचार्य ने भारतीय दर्शन की महत्वपूर्ण रचना शंकर भाष्य लिखी। यह स्थान प्राचीन समय से ही वैदिक शिक्षा का केंद्र बना रहा। आज तक यह बद्रिकाश्रम धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल है। यहीं पूजा होती है।
सामरिक दृष्टि से भी जोशीमठ महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन के साथ अपनी सीमा को साझा करने वाला चमोली जिला वहां अर्धसैनिक बलों के लिए जोशीमठ एक अहम पड़ाव है, यहां से सैनिकों को सीमा तक संचालित किया जाता है। इसलिए  यह स्थान अपना सामरिक महत्व रखता है।
जोशीमठ में लगातार भूधंसाव हो रहा है। ऐसा नहीं है, कि यह अभी प्रकाश में आया हो, यह पूर्व में भी प्रकाश में आया है। इस वक्त यह बेहद विकराल रूप में सामने आया है। इस वक्त पर जिन कारणों को सामान्य दृष्टि से देखा जा रहा है-
1. क्षेत्र में चल रही हाइड्रो परियोजना कार्य जिसमें तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना का कार्य है।
2. चार धाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत बदरीनाथ हाईवे पर हो रहे कार्य।
3. जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होना।
हालांकि ये निर्माण कार्य वहां सरकार द्वारा या वहां जिला प्रशासन द्वारा रोक दिये गए हैं। किन्तु यह कुछ कारणों को ही अहम माना जा रहा है। इसके अलावा अन्य भी कुछ जैसे वहां कई बड़े-बड़े होटलों का निर्माण को अनियमित मानकर दोसपूर्ण बताया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि यह सब इतने विकराल स्वरूप में एकदम से चमत्कारिक ढंग से सामने आया हो। बल्कि यह लंबे समय से धीरे-धीरे सामने आ रहा था। जो पूर्व में भी प्रकाश में आया था। तत्कालीन सरकार ने कार्यवाही भी की। 1970 से ही जोशीमठ में भूधंसाव की घटनाएं सामने आ रही है। 1976 में तत्कालीन सरकार ने इस संबंध में एक कमेटी गठित की। तत्कालीन गढ़वाल मंडल आयुक्त महेश चंद्र मिश्रा उनका नाम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने क्षेत्र का गहराई से अध्ययन किया। कारणों की जांच की और रिपोर्ट सरकार को सौंपी, कमेटी ने सुझाव दिए-
1. जोशीमठ में वर्षा और घर से निकालने वाले जल की निकासी का उचित प्रबंधन किया जाए।
2. अलकनंदा नदी के द्वारा होने वाले कटाव का रोकथाम किया जाए।
उस समय कुछ कार्य भी किए गए, कुछ नहरें इत्यादि बना दी गई। किंतु इस पर आवश्यकता अनुरूप अमल नहीं किया गया। विषय को गंभीरता से नहीं देखा गया। परिणाम आज भीषण समस्या बनकर सामने है। इसी में यह बात निकलकर भी सामने आई थी, जोशीमठ शहर पूर्व में कुंवारी पास के नजदीक हुए भूस्खलन में आए मलबे के ऊपर बसा है। वही नीचे से अलकनंदा नदी जो सामान्य नदी का गुण वो कटान कर रही हैं। अब नीचे कटान होगा तो ऊपर भूस्खलन होगा ही। हिमालय क्षेत्र में गांव मलबे पर ही बसे हैं। हां यह बात है कि वह चट्टान का रूप ले चुका है। उधर हिमालय की निर्माण प्रक्रिया अभी जारी है, ऐसे में भूगर्भिक हलचल का होना स्वाभाविक बात है। वहां जो टीम कारणों का पता लगाने पहुंची है। क्योंकि वहां मटमैला जल मिला है, तो भूगर्भीक हलचल होने की बात कही जा रही है। बस मानव के लिए यह विषय देखने का है, कि हम किस प्रकार विज्ञान का अपनी आधुनिकता का प्रयोग कर इन चुनौतियों का सामना करते हैं, और बच कर निकल जाते हैं। तब हम उसे विकास कह सकते हैं।
हमें यह समझना है, कि मैदानी क्षेत्रों में निर्माण कार्य और पहाड़ी क्षेत्र में निर्माण कार्य दो अलग बातें हैं। जिस गति से मैदानों में भारी कंस्ट्रक्शन हो सकता है, पहाड़ों में यह उतना संभव नहीं है, जो पहाड़ों को मैदान बनाने की प्रक्रिया चल रही है। यदि प्रकृति स्वयं कर रही है, तो ठीक है। किन्तु यदि यह मानव करेगा तो प्रकृति रिप्लाई करेगी। आपने निर्माण कार्य के लिए जो इस भूमी में परिवर्तन किया है, और उस परिवर्तन से जो इस भूमि में विरूपण हुआ है, उस विरूपण को संतुलित करने के लिए यह भूमी रिप्लाई करेगी। वह रिप्लाई भूगर्भीय हलचल होगी। और उसका परिणाम भूस्खलन, भूकंप, बाढ़ आदि अनेक आपदाएं होंगी।

रविवार, 4 दिसंबर 2022

प्रसिद्ध बुंखाल मेला | एक संस्मरण लेख

बुंखाल मेला पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
        

हर बार की तरह बुंखाल की सुंदर झलकियां इस बार भी प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा सामने लाई गई हैं। और यह बेहद सुंदर हैं, और जो लोग मेले में नहीं थे, उन्हें यह और भी सुंदर लग रही हैं।

बहुत से दोस्तों की तस्वीर देखी जो अन्य दोस्तों को फ्रेम में लिए हैं। जिन से मेरी मुलाकात भी काफी समय से नहीं हुई है। मेले का मतलब ही यह है, मिलना।

बूंखाल मेले की एक पुरानी तस्वीर

अब तो कई साधनों के माध्यम से हम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, संपर्क में रहते हैं। लेकिन पहले यह सब साधन नहीं थे, तो मेला बड़े उल्लास का विषय था, क्योंकि वहां जाने कौन-कौन मिलने वाला है, इसके लिए मन में उत्साह होता था।

वो एक सुंदर वीडियो जो शायद पिछले वर्ष का है, और इस प्रसिद्ध मेले के स्थान बुंखाल का भूगोल आकाश से दिखा रहा है, उसे सभी लोग साझा कर रहे हैं। वह वीडियो इस सुंदर मेले के लगभग सुंदरता को दर्शा भी रहा है।

मैं जब पहली बार बुंखाल मेला गया। शायद 2009 में तो मुझे याद है, तब सभी पैदल जाते थे। एक तंग रास्ते में जो बुंखाल बाजार के ठीक नीचे की ओर से जो रास्ता मलुंड गांव को जाता है, पर बागी के साथ एक बड़ी भक्तों की भीड़ जो पीछे से आ रही थी। वही ढोल दमाऊ और बागी के चारों ओर रस्सों के साथ और डंडों के साथ लड़कों की बड़ी संख्या साथ ही बच्चे, महिलाएं सभी मां काली के भक्त पूरे जोर-शोर से आगे बढ़ रहे हैं। बागी इससे विचलित भी होता है, और कभी कभी आगे को दौड़ने लगता है, और लोगों को जो उस पर बंधी रास्सियों को पकड़े हैं, खींचने लगता है। यह मेरे लिए तो डरने का मामला था। लगभग सभी लोग एक किनारे हो गए, क्योंकि रास्ता भी लोगों से पूरी तरह भरा हुआ था। ऐसे में अफरा-तफरी हो जाए लगभग संभव था। हम वैसे ही घर से लड़ कर आए थे। क्योंकि अकेले तो आ नहीं सकते थे, किसी के साथ ही आना था, और कोई क्यों दिन भर मेले में एक आफत के रूप में जिम्मेदारी का हाथ पकड़ कर घूमता रहे। ऐसे में हम आधा दिन किसी के साथ रहते थे, और आधा दिन किसी और के साथ। जो भी होता था सख्त निर्देश होता था, हाथ नहीं छोड़ना।

जहां बलि दी जा रही थी वहां मेरी मां ने मुझे उठा कर दिखाया। क्योंकि वहां भीड़ ही इतनी थी, चारों तरफ से लोग घेरे हुए थे। बली के स्थान के दोनों तरफ हथियार के साथ दो या चार आदमी थे। उधर बागियों को पहले पूरे खेत में घुमाया जाता था, उन्हें थकाने के बाद उनकी बलि दी जाती थी। लोग अपनी बकरी और बागी को किसी तरह से तो उतनी भीड़ में बलि के स्थान तक ला रहे थे। बकरियों की संख्या तो गिनना मुश्किल होगा। मैं यह देखता उससे पहले में उतर गया, मुझसे यह नहीं देखा जाता।

बूंखाल में बलि प्रथा- एक पुरानी तस्वीर
                                        

तब बलि प्रथा पर खूब नारेबाजी हुआ करती थी। जागरूकता के लिए स्कूली बच्चों द्वारा सड़कों पर रैलियां निकाली जाती थी। विशेषकर बुंखाल मेले से एक-दो दिन पूर्व लगभग स्कूल क्षेत्र में रैलियां निकालते थे। 

बच्चों के माध्यम से घर-घर तक आवाज पहुंचीं। प्रशासन पहले से ही निर्देशित था। बहुत बड़ा जन-विरोध नहीं होगा, ऐसी स्थिति जब सरकार को महसूस हुई, तो 2011 में बलि प्रथा बुंखाल में निषेध है, कि घोषणा कर दी गई। यदि मैं ठीक हूं तो वह तिथि बुंखाल मेले की 26 नवंबर को तय थी। और प्रशासन के कड़े इंतजाम में मां काली के पूज्य स्थान में कहीं भी पशुबलि नहीं दी गई। लोगों ने दूर जहां से मां काली का स्थान दिखता हो,बली जरूर दी थीं। शायद यह भी खबर थी, कि कुछ बागियों को पुलिस तब जफ्त कर ले गई थी।

बलि प्रथा और लोगों में अपने लोगों से मिलने का उत्साह इस मेले का अहम आकर्षण था, और जोरदार भीड़ का कारण भी। अब यह सब सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से किया जाने का प्रयास है। सांस्कृतिक कार्यक्रम मेले का मूल आकर्षण प्रतीत हो रहा है। अच्छा बजट लगाकर कार्यक्रम में लोकप्रिय कलाकारों की उपस्थिति से लोग मेले का शानदार आनंद उठा रहे हैं।

लेकिन मेले में भीड़ की उपस्थिति का सबसे अहम कारण बलि प्रथा और लोगों ने मिलन का उत्साह से अधिक और बड़ा मां बुंखाल काली के प्रति लोगों में आस्था की भावना है। यह मां काली के प्रति लोगों की श्रद्धा ही है, जो उन्हें तब से आज तक हमेशा से अपने गांव इस मेले के लिए खींच लाती है।

जय मां बुंखाल काली🙏

शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2022

गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार सचित्र वर्णन | part -2

इससे पूर्व  ( गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार सचित्र वर्णन part -1 ) में हम जान चुके हैं। अब आगे…

इस परिसर को देख मुझे जो ख्याल आता है। जैसे इतिहास के पृष्ठों में हम यूं तो भारत के प्राचीन सभी धर्म किंतु विशेषकर बौद्धों के संघाराम तात्पर्य बौद्ध मठों या मंदिरों से है, जहां बहुत से व्यक्तियों के ठहरने का प्रबंध होता था। जहां वे लगातार निर्बाध अध्ययन करते रहते थे। पूरे भारत में ऐसे कई संघाराम होते थे। जो बौद्ध भिक्षुओं को संरक्षण व बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने के लिए होते थे। भगवान बुद्ध के बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद से और ईसा के जन्म के बाद जब तक मोटे तौर पर गुप्त वंश का साम्राज्य नहीं आया था। बौद्धों को खूब संरक्षण मिला।
कन्नौज का राजा हर्षवर्धन भी बौद्धों का ही मुख्य संरक्षक था। लेकिन पुष्यमित्र शुंग का प्रण की वह बौद्धों बिग को समाप्त कर देगा। दूसरी सदी ईस्वी में बौद्धों के एक ग्रंथ में बताया गया है, कि पुष्यमित्र ने कैसे एक संघाराम कुक्कुटाराम जो पाटलिपुत्र में था, को नष्ट कर दिया।वहां बौद्धों को कैसे मार दिया। यह भी एक प्रसंग बताया गया है।

शांतिकुंज के परिसर में वैदिक ऋषियों के नाम पर और विद्वानों के नाम पर भवन बनाए गए हैं। और ध्येय वाक्यों और विद्धानों की कही बातों को जगह जगह पर उकेरा गया है।

शांतिकुंज -संस्कारशाला

संस्कारशाला से आगे बढ़ते हैं। संस्कारशाला नाम से जो धर्मशाला का भी एक बड़ा हॉल है। जहां बड़ी संख्या में लोग आप पाएंगे। इसी संस्कारशाला में लोगों के शादी विवाह के कार्यक्रम भी संपन्न होते हैं। बड़ी संख्या में जोड़ें यहां विवाह को वैदिक परंपरा विधि विधान से बड़े सामान्य ढंग से संपन्न करवाते हैं। पंडित, मंत्रों का उच्चारण मंच से ही करते हैं, और सामने बैठे कई जोड़े का विवाह एक साथ संपन्न होता है। यह विवाह वैदिक विधान से संपन्न करवाते हैं। यह धूमधाम से विवाह के लिए आपको जगह नहीं देते हैं।

चित्र में -शांतिकुंज में विवाह

वहां के पुरोहितों की यह निष्ठा ही है, कि वह जिस प्रकार विवाह के अर्थ को और विवाह के लिए हर विधि विधान जो वे कर रहे हैं। उनके संदर्भ में स्पष्ट करते हुए समझाते जाते हैं। पति-पत्नी के धर्म की व्याख्या करते हैं। विवाह के अर्थ को स्पष्ट करते हैं।

संस्कारशाला के इस दीवार पर आप लिखा पढ़ सकते हैं। कि
|| वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः ||
हम पुरोहित राष्ट्र को जागृत एवं जीवंत बनाए रखेंग

संस्कारशाला से आगे नचिकेता भवन जो एक बड़ी बिल्डिंग है। यहां भी बहुत से कपड़े बिल्डिंग के हर मंजिल में बाहर रेलिंग पर सूख रहे हैं। लगता है, यहां भी यात्री आदि या शांतिकुंज के विद्यार्थी, ब्राह्मण या स्वयंसेवी रहते होंगे। शायद कुछ लोग यहां के स्थाई रहने वाले भी हैं। वह भी इन भवनों में उपलब्ध कमरों में रहते होंगे।
नचिकेता भवन के मुख्य द्वार पर ही नौ दिवसीय संजीवनी साधना सत्र की सूचना का भी एक बोर्ड लगा है। तात्पर्य है, कि यहां दैनिक रूप से कार्यक्रम होते ही रहते हैं। शान्तिकुन्ज के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है।

जगह जगह पर मार्ग के दोनों ओर तख्तियों पर मानव के लिये लिखे आलेखों द्वारा सीख दी जा रही हैं। ऐसा ही एक नचिकेता भवन के बाहर अखंड ज्योति द्वारा 1965 अगस्त 24 का लिखा आलेख “धैर्य की उपयोगिता” धैर्यवान होने की सीख देता है।।

आगे अगले खंड में शीघ्र….

गुरुवार, 6 अक्टूबर 2022

गायत्री तीर्थ- शांतिकुंज हरिद्वार सचित्र वर्णन | part -1

चित्र में- शांतिकुंज परम तपस्वी ऋषियुग्म पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा

शांतिकुंज से पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का नाम याद आ जाता है। आपने इनका नाम भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जो गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में अखिल विश्व गायत्री परिवार के सौजन्य से करवाई जाती है, के कारण जरूर सुना होगा। पूरे देश में इनकी शाखाएं और कई कार्यकर्ता होते हैं। और यह परीक्षा उन्हीं के द्वारा पूरे देश में संचालित होती है। संस्कृति ज्ञान परीक्षा की किताब जो हर छात्र को विद्यालय स्तर तक और सभी अन्य स्तरों पर होने वाली इस परीक्षा की तैयारी के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं। विद्यालय स्तर से अन्य सभी स्तरों पर विजेताओं को प्रथम द्वितीय और तृतीय स्तर के पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। उद्देश्य एक ही है, भारतीय प्राचीन संस्कृति के ज्ञान से नई पीढ़ी को अवगत करवाना।

चित्र में- शांतिकुंज परिसर मे प्रवेश के लिए एक द्वार

शांतिकुंज एक आश्रम एक धर्मशाला जहां कई लोग निशुल्क रुकते हैं, हरिद्वार में यह धार्मिक आकर्षण का एक मुख्य केंद्र है। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के विषय में यहां इस आलेख से पता चलता है कि-

चित्र में- गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के विषय में

  “शांतिकुंज परम तपस्वी ऋषियुग्म पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा की तपोभूमि है। यहां 1926 से प्रज्वलित अखंड ज्योति, हर व्यक्ति के लिए उपयोगी युग ऋषि की लिखी 3200 पुस्तकें, गायत्री माता मंदिर, देवात्मा हिमालय मंदिर, ऋषियुग्म के समाधि स्थल दर्शनीय एवं आस्था के केंद्र हैं। करोड़ों साधकों द्वारा किए गए गायत्री मंत्र, जप, अनुष्ठान, यज्ञ संस्कार और यहां चलने वाले प्रशिक्षण शिविर इसे ऊर्जावान बनाते हैं। जाति लिंग भाषा प्रांत धर्म संप्रदाय आदि के भेदभाव के बिना मानव मात्र के लिए कल्याणकारी सर्वमान्य व विज्ञानसम्मत अध्यात्म चेतना का विश्वव्यापी विस्तार युग तीर्थ शांतिकुंज का प्रमुख अभियान है। शांतिकुंज का संकल्प है-

मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण”


चित्र में- शांतिकुंज परिसर मे एक भवन

शांतिकुंज का परिसर एक वैदिक समाज का परिवेश तैयार करता दिखता है। शानदार उपयोगी वृक्ष वाटिका मुख्य मार्ग के दोनों ओर कम मात्रा में किंतु अलग-अलग प्रकार के होने से आकर्षण का भाग है। बहुत से लोग यहां निशुल्क रुके हुए हैं। यह धर्मशाला के रूप में भी है। कई लोग जो प्रतीत होता है, कि यहां के स्थाई हो गए हैं। लोगों ने अपने वस्त्र यहां मुख्य मार्ग के दोनों और सुखाने को धूप पर रखे हैं। जो एक बड़ा हॉल है, वही धर्मशाला है। जहां लोग अपने अपने सामान के साथ कोई जगह देख कर लेटे हैं, या बैठे हैं। कुछ लोग अंदाजा है, कि स्थाई रूप से यहां रह रहे होंगे, या कुछ लंबे समय से यहां होंगें। शायद वही लोग हैं, जो परिसर में चार पांच मंजिला भवनों में कमरे पाए हुए हैं।

चित्र में- शांतिकुंज द्वारा संचालित अन्य संसथान

परिसर काफी बड़ा है, धर्मशाला के अलावा बाकी अधिकतर क्षेत्र शांत ही है। शांतिकुंज के परिसर में ही लगभग मध्य में एक कैंटीन को भी जगह दी गई है। यहां लोग जो दैनिक रूप से श्रद्धालु या यात्री देखने आते होंगे वह कुछ फास्ट फूड खा लेते होंगे।

आगे गायत्री तीर्थ- शांतिकुंज हरिद्वार सचित्र वर्णन | part -2 में…

गुरुवार, 12 मई 2022

उत्तराखंड समाचार दैनिक | 12 may 2022

मुख्य समाचार-

◆ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने सचिवालय में अधिकारियों से बैठक की। जिसमें उन्होंने गुड गवर्नेंस के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए कुछ बातें कहीं। उन्होंने कहा की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक भी गुड गवर्नेंस का लाभ पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा की प्रशासनिक अधिकारी आमजन से मिलने का अपना समय तय करें। बहुउद्देशीय शिविरों का नियमित आयोजन किया जाए। और उनकी प्रचार-प्रसार भरपूर ढंग से किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कर उसकी समस्याओं का निदान करें। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 12 may 2022}

उत्तराखंड राजनीति-

◆ वहीं बात करें चंपावत सीट पर होने वाले उपचुनाव की, तो बीते दिन बुधवार को कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी जी ने अपना नामांकन करा दिया है। 9 मई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने चंपावत उपचुनाव के लिए अपना नामांकन कराया था। निर्मला गहतोड़ी जी के नामांकन के दौरान कांग्रेस के कई नेता उपस्थित रहे। वहीं पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल भी इस दौरान वहां उपस्थित रहे। बैठक के दौरान पार्टी नेताओं ने कहा की खटीमा सीट से हार कर आए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी को चंपावत विधानसभा सीट की जनता मुंहतोड़ जवाब देगी।  {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 12 may 2022}

◆ वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जी और प्रीतम सिंह जी के निर्मला गहतोड़ी जी के नामांकन में उपस्थित ना होने के चलते भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपना पूर्वानुमान है, कि उनकी स्थिति चंपावत उपचुनाव में क्या रहने वाली है। इसीलिए मुख्य नेताओं ने इससे दूरी बनाए रखी है। दूसरी ओर हरीश रावत जी ने निर्मला गहतोड़ी जी की प्रशंसा की है। और कहा कि वह एक ऐसी विदुषी महिला है। जिन्होंने अपने गृहस्थ जीवन और सामाजिक जीवन दोनों में सामन्जस्य बैठा कर यह मुकाम हासिल किया है। कि आज पार्टी ने उन्हें चंपावत उपचुनाव के लिए बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्होंने साथ ही कहा कि निर्मला गहतोड़ी की जीत ही उत्तराखंड में लोकतांत्रिक शक्तियों की जीत होगी। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 12 may 2022}

◆ चार धाम यात्रा के इस सीजन में इनकी व्यवस्थाओं को लेकर केदारनाथ और बद्रीनाथ की व्यवस्थाओं के संबंध में क्रमशः कैबिनेट मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल जी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वही चार धाम यात्रा के दौरान लोगों की हुई मृत्यु पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने कहा की यात्रियों को एसडीआरएफ एस्कॉर्ट और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। क्योंकि यात्रियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है। इस वजह से दर्शन के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। इससे बुजुर्ग और अस्वस्थ लोगों को समस्या हो रही है। इसके लिए एसडीआरएफ टीम को अपने संरक्षण में उन्हें दर्शन करवाने चाहिए। उन्होंने कहा अपनी सरकार के दौरान उन्होंने यह सुविधा उपलब्ध करवाई थी।। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 12 may 2022}

मंगलवार, 10 मई 2022

उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

मुख्य समाचार

◆ राष्ट्रीय वाहन स्क्रेपिंग नीति के संबंध में गडकरी जी ने अपनी अग्रिम योजना के संबंध में बताया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी ने कहा। प्रत्येक शहर में 150 किलोमीटर के अंदर कम से कम एक व्हीकल स्क्रेपिंग की सुविधा उपलब्ध की जाने का लक्ष्य हमने लक्ष्य रखा है। उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

◆ राज्य में पिछले 24 घंटे में 17 नए कोरोना के केस प्राप्त हुए हैं। सबसे महत्वपूर्ण कि प्रदेश में 24 घंटे में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई है। राज्य में अब कुल कोरोना एक्टिव केसों की संख्या 111 पहुंच चुकी है। राज्य में सैंपल पॉजिटिव दर 0.84% है। उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

◆ वही हुंकार रैली की प्रदेश से कुछ तस्वीरें सामने हैं। यह रैली सेना में भर्ती की प्रक्रिया में अभिलंब और भर्ती ना आने के संबंध में विरोध प्रदर्शन है। पिछले 2 वर्षों से सेना में भर्ती ना आने की वजह से युवाओं ने अपना आक्रोश इस प्रदर्शन के माध्यम से जताया। उनका कहना है कि पहाड़ी क्षेत्रों का युवा अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद सेना की भर्ती के लिए लगातार कोशिश करने लगता है। किंतु इस तरह से आखिर, जब भर्ती के लिए आयोजन ही नहीं होगा, तो युवा कब तक सेना में भर्ती कि अपनी चाहत को लिए इंतजार करता रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी यदि सेना में भर्ती के लिए और अधिक अविलम्ब होगा तो और अधिक उग्र आंदोलन करेंगे। उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

◆ उत्तराखंड कुमाऊं क्षेत्र में कुछ स्थानों से वर्षा और ओलावृष्टि की खबरें सामने हैं। नैनीताल जैसे जिले में और अन्य पहाड़ी इलाके में वर्षा के साथ ओलावृष्टि की खबर है। ऐसे में तापमान थोड़ा नीचे गिर  गया। सैलानियों को हल्की ठंड के साथ नैनीताल की खूबसूरती का लुफ्त मिला। उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

◆ पूर्व कैबिनेट मंत्री रामप्रसाद टम्टा जी के निधन की खबर है। वह उत्तराखंड की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। अब वे 75 साल के थे। लंबे समय से बीमार थे। उनका कहना था, कि आज की राजनीति बदल चुकी है।
वे तो 1968 में यूथ कांग्रेस में जुड़े थे। 18 वर्ष की उम्र होने पर 1971 में वे संघठन से जुड़ गए। उसी उम्र में उन्होंने ग्राम प्रधान का चुनाव पहली बार लड़ा और जीत हासिल की। वे बताते हैं, कि केवल ₹12 खर्च कर उन्होंने ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा और जीतने के बाद भेली बांटकर अपने सभी सहयोगियों का अभिवादन किया। 1993 में पहली बार वे विधायक उत्तर प्रदेश सरकार में बागेश्वर सीट से विधायक बने। इसी सीट से 2002 में फिर विधायक का चुनाव जीतने के बाद उत्तराखंड के निर्वाचित सरकार कि कैबिनेट में वे समाज कल्याण मंत्री रहे।। उत्तराखंड समाचार daily | 9 may 2022

रविवार, 8 मई 2022

उत्तराखंड समाचार daily | 7 may 2022

मुख्य समाचार-

◆ उत्तराखंड में राशन कार्ड धारकों को प्राप्त होने वाले राशन में जून से कुछ बदलाव मिलेगा। जहां केंद्र ने गेहूं का कोटा घटा दिया है। साथ ही चावल का कोटा बढा दिया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अंत्योदय एवं प्राथमिक परिवारों के राशन कार्ड धारकों को जून के माह से मिलने वाले राशन में कुछ इस तरह का बदलाव प्राप्त होगा। { उत्तराखंड समाचार daily | 7 may 2022 }

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अब तक प्राप्त हुए राशन में यह बदलाव केवल उत्तराखंड में नहीं बल्कि अन्य राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में भी जारी किया गया है। जहां उत्तराखंड में गेहूं की मात्रा में कमी की गई है। जून के महीने से उत्तराखंड में प्रति यूनिट 3 किलो गेहूं के स्थान पर केवल 1 किलो गेहूं ही प्राप्त होगा। जबकि चावल को 2 किलो के स्थान पर 4 किलो प्रति यूनिट आवंटित किया जाएगा। { उत्तराखंड समाचार daily | 7 may 2022 }

◆ चंपावत सीट से उत्तराखंड मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी जी उपचुनाव लड़ने वाले हैं। जिस की तिथि भी घोषित की जा चुकी है। विपक्षी दल कांग्रेस ने उपचुनाव में अपनी पार्टी से नाम घोषित कर दिया है। निर्मला गहतोड़ी कॉग्रेस पार्टी की चंपावत उपचुनाव में चेहरा होंगी। वह 10 साल जिला अध्यक्ष रही है। महिला सशक्तिकरण और अन्य तमाम कार्यों से वे जनता के बीच सक्रिय रही है। इसी सीट पर कांग्रेस के विधायक रहे हेमेश खर्कवाल जी को भाजपा के कैलाश चंद्र गहतोड़ी जी ने हराकर जीत हासिल की। क्योंकि माननीय पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से चुनाव हार के उपचुनाव में चंपावत से वह चुनाव लड़ें। इसके लिए गहतोड़ी जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। { उत्तराखंड समाचार daily | 7 may 2022 }

◆ वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट जी ने पार्टी की अपनी प्राथमिक सदस्यता से ही इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है, कि कांग्रेस पार्टी लगातार दूसरी बार उत्तराखंड विधानसभा क्षेत्र चुनाव में हार गई है। किन्तु हार के कारणों पर समीक्षा के बजाय उत्तराखंड के कांग्रेसी नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। इन्हीं कारणों से क्षुब्ध होकर अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स के माध्यम से कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता जोत सिंह बिष्ट जी ने अपना इस्तीफे की सूचना उजागर की।। { उत्तराखंड समाचार daily | 7 may 2022 }

गुरुवार, 5 मई 2022

उत्तराखंड समाचार daily | 4 may 2022

मुख्य समाचार-

◆ चार धाम यात्रा आरंभ होने से पूर्व ही शासन ने आदेश जारी किया था, कि चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित की गई है। जिसमें यमुनोत्री में चार हजार, गंगोत्री में सात हजार, केदारनाथ में बारह हजार, और बद्रीनाथ में पन्द्रह हजार श्रद्धालुओं की संख्या निश्चित की गई है। इस विषय पर  पुजारियों और तमाम कारोबारी व्यवसायियों ने विरोध जताया। उन्होंने इस संबंध में पुनर्विचार के लिए भी अनुरोध किया। इसी बीच गंगोत्री पहुंचे मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी जी ने पत्रकारों से वार्ता में कहा इस प्रकार से कोई संख्या निर्धारित नहीं की गई है। हां यदि श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होगी। तो इस पर विचार किया जाएगा। अब यहां एक प्रकार से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जिसमें शासनादेश और मुख्यमंत्री जी दो अलग बातें कह गए हैं। किंतु मुख्यमंत्री जी के इस बयान के बाद चार धाम यात्रा के पुजारियों और तमाम संबंधित व्यवसायियों ने मुख्यमंत्री जी के इस बयान का स्वागत किया है। {उत्तराखंड समाचार daily | 4 may 2022}

◆ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा जी ने उत्तराखंड के तमाम समस्याओं को एक पत्रकार वार्ता में सामने रखा। जिसमें उन्होंने पानी की समस्या, चार धाम यात्रा में हो रही समस्याएं, यात्रा मार्गो में स्वास्थ्य पुलिस, पर्यटन पुलिस हेल्प नम्बर, होटल, रेस्टोरेंट और होमस्टे के संबंध में तथा यात्रा मार्गो में पार्किंग की उचित व्यवस्था की समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बदहाल होने, कर्मचारियों की कमी इस समस्या को उजागर किया। साथ ही उन्होंने चंपावत सीट से मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जो चुनाव लड़ रहे हैं, कहा कि उस सीट से भी उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए चंपावत सीट से उम्मीदवार और अन्य तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। {उत्तराखंड समाचार daily | 4 may 2022}

◆ बीते 24 घंटे में 18 नए कोरोना मामले राज्य भर में पाए गए हैं। जिसने अब राज्य भर में 114  एक्टिव केस है। जिन का इलाज चल रहा है। साथ ही इन 24 घंटों में 6 मरीज ठीक हुए हैं। {उत्तराखंड समाचार daily | 4 may 2022}

रविवार, 1 मई 2022

उत्तराखंड समाचार daily | 30 अप्रैल 2022

मुख्य समाचार-

◆ चारधाम यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। बैठकें में इस संबंध में लगातार होती आ रही हैं। साथ ही चार धाम यात्रा राज्य के आर्थिक की में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसलिए छोटी से छोटी बातों पर संज्ञान लिया जा रहा है। इस विषय में जहां उत्तराखंड में प्रवेश के लिए कोविड जांच रिपोर्ट और अन्य जैसे कोविड वेक्सीनेशन की रिपोर्ट के संबंध में अफवाह कि इस खबर का है। जिसमें श्रद्धालुओं में अफवाह है, कि उत्तराखंड में प्रवेश के लिए कोविड जांच रिपोर्ट कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता होगी। जबकि इस पर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों पर साफ किया है, कि राज्य में प्रवेश के लिए कोविड संबंधी कोई अवरोध नहीं है। हां मास्क पहनना जरूरी है। पिछले कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के संबंध में सभी राज्यों को अलर्ट रहने की निर्देश दिए हैं। {उत्तराखंड समाचार daily | 30 अप्रैल 2022}

◆ खबरें राज्य में कुछ जिलों में हुई वर्षा की है। जो तेज गर्मी के इस चुनौतीपूर्ण समय में बहुत अधिक सुखद समाचार है। जहां चमोली में वर्षा ने तापमान को कुछ कम कर लोगों को निजात दिलाई। साथ में उनके तापमान के कारणों में एक वनों में लगी अग्नि को कम कर वन विभाग की प्राकृतिक तौर से स्वयं मदद हो गई। रुद्रप्रयाग पिथौरागढ़ व अन्य क्षेत्रों में वर्षा ने अपना दर्शन दिए इससे किसानों की गेहूं की पकी फसल जो फिर भीग गई। उन्हें उसे कुछ दिन सूखने का इंतजार करना होगा। किंतु यह इतनी बड़ी समस्या नहीं, जितनी कि तापमान इन दिनों परेशानी बना है। {उत्तराखंड समाचार daily | 30 अप्रैल 2022}

◆ बद्रीनाथ में जारी योजना के तहत हो रहे निर्माण परिवर्तन पहले ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया से होकर गुजर रहा है। कई सरकारी और गैर सरकारी भवनों को खाली कर ध्वस्त किया जा चुका है। जहां अब 24 ऐसे संस्थान दुकानें हैं। जिन्हें अब नोटिस जारी किया गया है, कि वह भी 5 दिन के भीतर अपने भवन को खाली करें। {उत्तराखंड समाचार daily | 30 अप्रैल 2022}

   ठीक इसी प्रकार अतिक्रमण पर सख्त कार्यवाही या सामने आ रही हैं। जहां रुद्रप्रयाग शहर में बस अड्डे और मुख्य सड़कों पर व्यापारियों के अतिक्रमण पर संबंधित अधिकारी पालिका ईओ सुशील कुमार जी ने निरीक्षण किया, और अतिक्रमण हटाओ अभियान का आरंभ किया केदारनाथ पैदल मार्ग यात्रा में दुर्घटनाएं घटित होती रहती हैं। इस पर यदि यात्रियों पर सरकार व स्थानीय व्यवस्था की नजर रहे तो समस्याओं को निपटाने भी जा सकता है। इसके लिए जीपीएस का उपयोग की बात की गई। जिससे यात्री की लोकेशन का ठीक पता जानकारी में रहेगा। इसके लिए यात्रा के लिए प्रयोग 2100 घोड़ो व खच्चरों पर जीपीएस की लगा दी गई है। {उत्तराखंड समाचार daily | 30 अप्रैल 2022}

शनिवार, 30 अप्रैल 2022

उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022

मुख्य समाचार-

◆ राजभवन में चार धाम यात्रा की तैयारियों के संबंध में समीक्षा बैठक राज्यपाल ले० जनरल गुरमीत सिंह जी द्वारा ली गई। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा में आपकी भागीदारी ड्यूटी के समान नहीं है। बल्कि इसमें तो समर्पण भाव की आवश्यकता है। यह ड्यूटी समय की भांति निश्चित कार्यभार नहीं है। इस बैठक में, माननीय राज्यपाल जी द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा और सरलता के लिए पूर्ण ध्यान रखने के लिए निर्देशित किया गया। उन्होंने विभागों की आपसी समन्वय से बनी कार्य योजना की सफलता को मुख्य कहा। साथ ही स्थानीय लोगों को चार धाम यात्रा का मुख्य अंग कहा। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

◆ शासन ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों से टनल पार्किंग के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है। गाड़ियों की लंबी कतार और खासकर यात्रा और पर्यटन के सीजन में जो और बड़ी चुनौती और असुविधा का कारण बनी रहती है। इससे निजात के लिए टनल पार्किंग योजना तैयार की गई है। इस कार्य योजना निर्माण के निर्देश मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने एक बैठक में पिछले दिनों ही दिए थे। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

◆ उत्तराखंड राजनीतिक खबरों में आम आदमी पार्टी जो उत्तराखंड विधानसभा के हाल में ही हुई चुनाव में सभी सीटों पर हार का सामना कर चुकी है। अब खबर है, कि दिल्ली से राष्ट्रीय पार्टी संयोजक एवं मुख्यमंत्री दिल्ली अरविंद केजरीवाल के निर्देशों से उत्तराखंड आम आदमी पार्टी संगठन व अन्य सभी प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी को खंडित कर दिया गया है। अब नव गठन में पार्टी को नए सिरे से संगठित करने का विचार है। इस विषय की जानकारी आप नेता दिनेश मोहनिया ने दी। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

◆ उत्तराखंड वनों में अग्नि की खबरों का क्रम जारी है। अब खबर पौड़ी के इंजीनियरिंग कॉलेज जी बी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान घुड़दौड़ से है। जहां परिसर तक जंगल की अग्नि पहुंच चुकी थी। जिसे कड़ी मेहनत के बाद अग्निशमन ने काबू किया। सबसे बड़ी समस्या यह है, उत्तराखंड के कई स्थानों से वनों में अग्नि की घटनाएं लगातार खबरों में है। इससे कई चुनौतियां सामने आ रही है। जहां वनों में रहने वाले जीव संकट में हैं, वही वनों में आग से समीपवर्ती क्षेत्रों में धुआं और तापमान बढ़ने से खासा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

उत्तराखंड समाचार दैनिक | 28 अप्रैल 2022

मुख्य समाचार-

उत्तराखंड में कोरोना अपडेट यह है, कि बुधवार तक तारीख 27 अप्रैल, कोरोना के 80 एक्टिव केस राज्य में उपलब्ध हैं। जिनमें देहरादून व हरिद्वार में कर्म 46 और 22 केस हैं  वहीं राज्यभर में कोरोना के मामलों की जाने तो कुल मामले बुधवार को 24 दर्ज किए गए। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

◆ उत्तराखंड में जंगलों में अग्नि से भारी क्षति का और प्राकृतिक संपदा के धुए में तब्दील होने की खबरें जारी है। उस पर देवप्रयाग क्षेत्र में पौराणिक दशरथ पर्वत में अग्नि ने एक और चिंता वन संपदा के संबंध में और सवाल उन दावों पर किया है, जो विभाग जंगलों की रक्षा के संबंध में करता रहा है। दशरथ पर्वत के इस निर्जन जंगल में बड़ी संख्या में वन्यजीवों का बसेरा है। इस अग्नि से उनके जीवन को खासा नुकसान पहुंचने की अनुमान है। साथ ही संपूर्ण नदी घाटी क्षेत्र में अग्नि से तापमान में वृद्धि हुई है, जो एक अलग चुनौती है।{उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

◆ उत्तराखंड राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह जी की अध्यक्षता में बुधवार को राज-भवन प्रेक्षागृह में भारतीय रेडक्रॉस समिति राज्य शाखा की सत्रहवीं आम बैठक हुई। इसमें राज्यपाल महोदय ने रेड क्रॉस सोसाइटी के संबंध में जानकारी देते हुए बताया, कि रेड क्रॉस स्वयंसेवक सेवा, समर्पण, त्याग और परोपकार की भावना से समाज व राष्ट्र को योगदान दे रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया, मास मीडिया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से अधिक से अधिक वालंटियर को जोड़ा जाए। साथ ही रेडक्रॉस के लिए निस्वार्थ भाव से दान देने वाले लोगों को भी जोड़ा जाए। इसमें राज्यपाल महोदय ने रेड क्रॉस सोसायटी उत्तराखंड शाखा का उद्घोष गीत भी लॉन्च किया है। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

एचएनबी विश्वविद्यालय परिसर बादशाहीथौला में एक बैठक केंद्रीय विश्वविद्यालय में नव प्रणाली के अनुरूप होने वाली भर्ती परीक्षा के लिए छात्रों में प्रचार के संबंध में की गई। क्योंकि देश के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अब स्नातक में प्रथम वर्ष प्रवेश के लिए परीक्षा के माध्यम से ही प्रवेश प्राप्त हो सकेगा। इसमें देशभर के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए इंटरमीडिएट में कम अंक लाने वाले छात्र और अधिक अंक लाने वाले छात्रों, सबको ही समान अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। जिससे कि वह देश भर के नामी विश्वविद्यालयों में भी इस परीक्षा के माध्यम से प्रवेश पा सकेंगे। {उत्तराखंड समाचार दैनिक | 29 अप्रैल 2022}

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

उत्तराखंड समाचार | 27 apr 2022

मुख्य खबरें- 

◆ कुमाऊं गढ़वाल में कई इलाकों में 124 मामले केवल एक दिन में वनाग्नि के सामने आए हैं। जंगलों में भीषण अग्नि अखबारों की मुख्य हैडलाइन बनकर सामने है। कहीं युवा छात्रों ने तो कहीं ग्रामीणों ने जंगलों में अग्नि बुझाने की खबरें हैं, तो कहीं जंगल में कई दिनों से लगी आग से सब कुछ राख होने की तस्वीरें सामने आ रही है। {उत्तराखंड समाचार | 27 apr 2022}

◆ उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध चार धामों में बद्रीनाथ यात्रा जो 8 मई से आरंभ हो रही है। साथ ही हेमकुंड साहिब यात्रा जो 22 मई से आरंभ होने जा रही है, की व्यवस्थाओं को लेकर कार्यवाही तेज होने लगी है। इसी में व्यवस्थाओं को लेकर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने नगरपालिका जोशीमठ के सभागार में अधिकारियों, व्यापारियों, टैक्सी यूनियन, जनप्रतिनिधियों की बैठक में निर्देश दिए। {उत्तराखंड समाचार | 27 apr 2022}

◆ कैबिनेट मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने श्रीनगर में स्पोर्ट्स स्टेडियम को लेकर बजट स्वीकृत कराने की बात कही है। 2013 में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान जो तब आपदा में ध्वस्त हो गया था। वहां एक अस्थाई मैदान को स्पोर्ट्स स्टेडियम रूप में सामने लाने की बात है। इससे श्रीनगर में दो बड़े खेल मैदानों की उपलब्धता होगी। {उत्तराखंड समाचार | 27 apr 2022}

◆ वही केदारनाथ पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी का वहां हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों पर जायजा और साथ ही मजदूरों से बात हुई, उन्होंने वासुकीताल ट्रेक को विकसित करने का निर्देश दिया। मंदिर के मार्ग पर पड़े मलवा और अन्य निर्माण सामग्री को हटाने के निर्देश दिए, साथ ही डीएम रुद्रप्रयाग मयूर दिक्षित की प्रशंसा की गई। {उत्तराखंड समाचार | 27 apr 2022}

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

उत्तराखंड समाचार 25 अप्रैल 2022

उत्तराखंड खास-

■ उत्तराखंड पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज जी का राज्य में विश्व प्रसिद्ध चार धाम यात्रा के संबंध में संबंधित अधिकारियों को एक बैठक में निर्देशित किया गया।

■ उत्तराखंड विधानसभा स्पीकर रितु खंडूरी जी का कोटद्वार को जिला बनाने की मांग को मुख्यमंत्री धामी जी से एक शिष्टाचार भेंट कर दोहराया गया।

■ अब शिक्षा मित्रों को ₹20000 का मानदेय प्राप्त होगा, जो 15000 से बढ़ाकर कर दिया गया है। इस संबंध में अपर शिक्षा सचिव दीप्ति सिंह जी ने शासनादेश जारी कर दिया है।

उत्तराखंड राजनीति में कांग्रेस के बड़े चेहरे के भाजपा में प्रवेश होने की संभावनाओं पर प्रीतम सिंह जी ने कहा वह बड़ा चेहरा मैं नहीं। उन्होंने कहा 2022 की हार का ठीकरा उन पर फोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके पिता चकराता मसूरी क्षेत्र से 8 बार विधायक रहे, छह बार वे विधायक हैं। उनका परिवार कांग्रेस के लिए एक सिपाही की तरह है।

◆ विपक्ष उत्तराखंड की अहम वर्तमान समस्या इनमें भीषण वनाग्नि जो प्रतिवर्ष राज्य को महंगी क्षती दे रही है। उसके साथ ही बिजली कटौती, जल संकट, महंगाई, बेरोजगारी के संबंध में यशपाल आर्य जी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। पेयजल की समस्या तो झीलों के शहर नैनीताल को तक गर्मियों में अधिक दूबर जीवन की तस्वीरों में बयां कर रही है। वर्ष भर यूं तो पेयजल की समस्या वहां रहती है, किंतु गर्मियों में अधिक परेशान करने वाली है।

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नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏