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Showing posts with the label विशेष लेख

2 Oct 1994 | रामपुर तिराहा कांड

सन 2003 में लेखक निर्माता अनुज जोशी जी के निर्देशन में एक फिल्म “तेरी सौ” बनाई गई जो कि उत्तरांचल अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन पर आधारित है। फिल्म में सक्षम जुयाल और पूजा रावत मुख्य पात्र नाम क्रम से मानव और मानसी हैं। जो डीएवी कॉलेज देहरादून के छात्र होते हैं। मानव उत्तराखंड आंदोलन में सेलाकुई के शहीद 15 वर्षीय सत्येंद्र चौहान के चचेरे बड़े भाई की भूमिका में होते हैं।  डीएवी कॉलेज देहरादून तब छात्र एकता में उत्तराखंड आंदोलनकारियों का गढ़ हुआ करता था। डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र दबंग माने जाते थे। हालांकि मानव और उसके साथियों का गांधीवादी विचार और शांतिपूर्ण ढंग से राज्य आंदोलन को आगे बढ़ाने वाला दिखाया गया है। मदन डुकलान जी के लिखे गीतों ने फिल्म को अधिक खूबसूरत बना दिया। फिल्म के गीत “मेरी जन्मभूमि मेरो पहाड़”,  “ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरी गांव के”,  “गढ़वाली अंताक्षरी”,  “तेरी सौं”, धार मा सी जून मुखड़ी च तेरी”,  “सौं उठोला कठ्ठा होला चला दिल्ली जोंला गढ कुमों द्वी हाथ बोटी हक अपड़ो ल्योला”,  “हक का बाना ह्वे गीं...

वर्ल्ड क्रिकेट सेमीफाइनल IND vs NZ | विशेष लेख

वर्ल्ड क्रिकेट सेमीफाइनल IND vs NZ भारतीय क्रिकेट टीम वानखेड़े स्टेडियम की ओर रवाना हो रही है। हर चेहरा कितना मशहूर है, और खुश भी। वह सब कितने शानदार और सुंदर हैं। लेकिन उन्हीं चेहरों के पीछे जिम्मेदारियां का कितना भार है, अगर उनमें कोई उस भार को महसूस करने लगा हो तो अवश्य ही वह छुपाते छुपाते भी ना छुपा सकेगा। संपूर्ण भारत क्रिकेट का विशाल स्टेडियम है। तमाम विषयों में रुचि रखने वाले भारतीय, क्रिकेट के लिए विशेष रूप से समर्पित हैं। इसका प्रमाण है, दुनिया के किसी मैदान में क्रिकेट के लिए, भारतीय टीम के समर्थन के लिए भारतीयों की संख्या। यह हमेशा से गौर करने वाली है। हर भारतीय खिलाड़ी उस संख्या का सीधा भरवाहक है। वह हर खिलाड़ी जो क्रिकेट के लिए मशहूर है, जो भारतीय टीम का हिस्सा है, उसका स्वप्न है यह एक मैच खेलना, इस मैच में जीत की वजह बनना। नये खिलाड़ियों के लिए तो बड़ी चुनौती है और बाकी जो चेहरा जितना मशहूर उतनी आशाओं का वाहक। मैं उन्हीं चेहरों को पढ़ने का प्रयास कर रहा हूं, जिन्हें भारत के लिए आज मैदान पर उतरना है। लेकिन आप वहां केवल सहजता और वैल कम्फर्ट पाएंगे, और यही है जो उन्हें भारती...

अमोल पालेकर | फिल्म अपने पराये से

अमोल पालेकर सादगी और केवल सादगी असल में अमोल पालेकर ने यही तो पेश किया है। अपनी लगभग हर फिल्म एक आदर्श गुणी पुरुष की भांति ही दिखे हैं। इन्हें नेक्स्ट डुअर पर्सन कहा गया। क्योंकि इनकी आवाज और अभिनय ने हर दूसरे व्यक्ति को अपने आप से मिलाया। एक मृदंग को बजाते हुए अमोल जाने कब बड़े हो गए, यह वे खुद भी नहीं जान पाए। लेकिन वे इन सब बातों की सुध नहीं लेते। आज से 30 साल पहले एक अच्छे मध्यम वर्गीय परिवार में दो भाइयों के बाद उनका जन्म हुआ था, बहुत सुंदर मृदंग बजाते हैं अमोल। प्रातः होने के साथ उनकी ताल छिड़ जाती है। घर के सभी बच्चे दौड़कर चाचा की ओर बढ़ते हैं, और अमोल एक सुंदर भजन गाते हैं। उनकी भाभी पूजा करती हुई और साथ ही अमोल के भजन। यूं तो अमोल का विवाह भी हो गया है, और वह एक खुशमिजाज और बेफिक्र व्यक्ति हैं। लेकिन यहां बेफिक्री उसकी पत्नी के लिए असहज है। हालांकि वह बहुत समझदार और शील स्त्री है, घर की लगभग सभी जिम्मेदारियां उसी के हाथों में हैं। लेकिन साथ ही वह एक स्वाभिमानी स्त्री है, और केवल इस बात से चिंतित है, कि उसका पति अमोल किसी काम को गंभीरता से नहीं लेता। यही है कि वह कुछ भी कमा कर...

महेंद्र सिंह धोनी | भारतीय क्रिकेट का सितारा

रेलवे प्लेटफार्म की बेंच पर बैठा युवा इंतजार कर रहा है। वह जीवन की सफलता के लिए प्रकाश चाहता है, जो उसकी राह प्रसस्त करे। वह असमंजस में है, कि वह अपनी रेलवे की नौकरी त्याग दे या नहीं। वहां परिवार बड़ी आश बांधे है, की पुत्र रेलवे में नौकरी पा गया है भविष्य सुरक्षित है। लेकिन महेंद्र इतने में संतुष्ट नहीं है, क्योंकि वह जीवन भर अब तक क्रिकेट के लिए समर्पित रहा है। वह एक श्रेष्ठ खिलाड़ी है। लेकिन योग बनते नहीं दिखे कि वह भारत के लिए खेले। यहां इस बेंच पर बैठा महेंद्र इसी के मध्य उलझा है, कि वह किस तरफ बढ़े। एक ओर तो वह रेलवे की नौकरी कर सकता है। वहीं दूसरी ओर क्रिकेट उसे बुला रहा है। वह आगे बढ़ना चाहता है। एक और उसके परिवार की आशाएं और खुशियां हैं, जो कहीं तो पूरी हो गई है, जबकि वह रेलवे में सरकारी नौकरी कर रहा है। लेकिन दूसरी ओर उसका मन स्थिर नहीं है। आती ट्रेन को देख वह स्पष्ट होता गया और भी अधिक कि उसे किस राह पर चलना है। रेलवे की नौकरी के बाद वह रोज खेलता तो है, लेकिन यह उसे कहीं लेकर नहीं जा रहा, वे खिलाड़ी जो रणजी में उसके साथ खेले उनमें कई आज भारतीय क्रिकेट के सितारे हो गए हैं। ट्र...

हजारों असफलताओं की सफलता | एडिसन

थॉमस अल्वा एडिसन थॉमस अल्वा एडिसन एक बहुत ही चर्चित नाम। वे केवल वैज्ञानिक जगत में बड़े आविष्कारों के लिए नहीं जाने जाते, बल्कि उनका जीवन एक प्रेरक कहानी के तौर पर भी पेश किया जाता है। इसका श्रेय उनकी माता को भी जाता है, कि एडिसन एक बेहद जिज्ञासु और लग्नशील व्यक्तित्व को प्राप्त करते हैं। स्कूल के समय पर एडिसन बेहद एकांत प्रिय छात्र थे, साथ ही वह जिज्ञासु प्रकृति के थे, तो अपने गुरुजनों से बिल्कुल अटपटे सवाल करते। इन सब सवालों के जवाब तो दिए भी जा सकते थे, और शायद नहीं भी। लेकिन शिक्षकों द्वारा उनकी इस उत्सुकता को बढ़ावा न दिया जा सका। उनकी माता को विद्यालय बुलाया गया और एडिशन के शिक्षकों के साथ व्यवहार की शिकायत की गई। तब तक एडिशन छोटा बालक था। अगले कुछ ही दिनों में एडिशन एक पत्र के साथ घर लौटा, मां को वह पत्र लाकर सौंप दिया कि स्कूल से प्राप्त हुआ है, एडिशन तब तक पूरा पढ़ना भी नहीं जानते थे, तो मां से उस पत्र में लिखा हुआ जानना चाहते थे।   उस पत्र को पढ मां की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने एडिसन को बताया कि इस पत्र में लिखा है, कि हमारे स्कूल में एडिसन एक बेहद बुद्धिमान छा...

संस्कृतियों का उदय | विशेष लेख

दुनिया एक गति के साथ है। यह केवल धरती का घूमना सूरज के चारों ओर चक्कर लगाना मात्रा नहीं है, बल्कि धरती से बाहर उस ब्रह्मांड की गति, वहां हर कारण जो अपना चक्र पूरा कर रहा है। साथ ही धरती के भीतर हर प्राणी हर वस्तु और पदार्थ अपना समय बिता रहे हैं। यह सब एक चक्र में है और एक गति से प्रेरित हैं। यह पदार्थ प्राणियों के संबंध में है। क्या यह मानव सभ्यताओं और संस्कृतियों के लिए भी सत्य है, कि वह भी एक चक्र में है, और एक चक्र पूरा कर लेने के बाद उनका काल भी समाप्त हो जाएगा। हजारों साल पुरानी कोई सभ्यता यदि आज भी प्रासंगिक है, तो यह वह दूरदृष्टि है जो तब हजारों साल पहले आने वाले हजारों सालों के लिए स्थापित की गई, और लोग तब से आज तक उसका निष्ठावान अनुसरण करते हैं। दुनिया की गति के साथ या इस बीते समय के साथ स्थितियां और जीवन जीने के लिए साधन और विकल्प भी बदल रहे हैं। यह बात तो स्वीकार करनी होगी, की सभ्यताएं तभी पनपती हैं जब मानव अपने लिए मूलभूत आवश्यकता के संसाधन जुटा पा रहा हो। भूखे और प्यासे व्यक्ति के लिए अन्न जल का मिल जाना ही सबसे बड़ी बात है, हर भोजन की तलाश में भटकते संसार के किसी भी अ...

अब सचिन कहो या विराट! विशेष लेख

विराट कोहली ने क्रिकेट के मैदान पर उपलब्धियों के सबसे ऊंचे पायदान को छू लिया है। जिन्होंने उस पायदान को स्थापित किया था, वह भी भारतीय और आज फिर उसे दोहराया है वह भी भारतीय। विराट कोहली ने अपने वनडे इंटरनेशनल करियर में 49वां शतक लगाया है। और यह सचिन तेंदुलकर के ही बराबर है। अब विराट कोहली इस कीर्तिमान को छू चुके हैं। तो वह सचिन तेंदुलकर के समकक्ष हो गए हैं, यह बात होनी स्वाभाविक है। यह तो है, कि आधुनिक दौर के क्रिकेट में विराट कोहली ने एक स्तर स्थापित किया है, जिसे महान कहा जा सकता है। वह कीर्तिमान जो बीते समय में सचिन तेंदुलकर द्वारा स्थापित किए गए हैं, वे भावी भविष्य के लिए केवल महान कीर्तिमान नहीं, केवल प्रेरणा नहीं बल्कि आज यदि कोई उस कीर्तिमान को छूता है, उससे आगे बढ़ता है तो यह हमारी उन्नति का प्रतीक है। यह हमारे बढ़ते रहने का प्रतीक है। इसलिए कहते हैं कि रिकॉर्ड बनाये ही जाते हैं तोड़ने के लिए। क्योंकि हम भविष्य को उन्नति की ओर बढ़ता हुआ चाहते हैं, और ऐसा ही होता है। लेकिन यह तो है, कि इस कीर्तिमान को हासिल कर लेने से विराट कोहली ग्रेट विराट कोहली कहे जाने के और योग्य हो गए हैं...

अब सर्वश्रेष्ठ विराट कोहली कहो।

केवल खिलाड़ियों के साथ विराट कोहली मैदान पर नहीं खेल रहे हैं। वे वहीं से दर्शकों में मैदान की ऊर्जा भर रहे हैं। यह उनका एक अलग अंदाज दर्शाता है। और यही है जो विशाल संख्या में चाहने वालों को देता है। यही जो उन्हें सबसे अलग बनाता है। यह वह दौर है, जहां विराट कोहली अपने सर्वश्रेष्ठ पर हैं। किसी भी स्थिति में मजबूत और विश्वस्त। विराट आज अपने जन्मदिन पर सर सचिन तेंदुलकर के एक और विराट रिकॉर्ड को अपने नाम कर चुके हैं। वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट में 49 बार सौ रनों की पारी। यह कैसा है, पहले तो आप अपने कठिन परिश्रम से भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनते हैं, जो अपने आप में एक महान सफलता है। लेकिन उसके बाद भी आप ठहर नहीं जाते, आप लगातार आगे बढ़ाने को उत्सुक हैं। आपमें प्यास है, और आप पूरी तरह से उसके लिए समर्पित हैं। आप लगातार नए प्रयोग करते हैं, और उनसे सीखते हैं। तब जाकर एक विराट “विराट कोहली” सामने आते हैं। जिन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है, कि आज मैदान पर आए हैं तो जाने क्या रिकॉर्ड बनाने को। वह एक महान बल्लेबाज हैं, और इस बात को उन्होंने साबित किया है। क्रिकेट के इतिहास में महानता के उन आया...

बनास के धावक | अंकित कुमार राष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट

  अंकित कुमार आजकल लोगों ने खूब सुना और देखा। देखते ही देखते पैठाणी घाटी का चर्चित चेहरा बन गया। हालांकि जो उन्होंने कर दिखाया है, वह इससे कई बड़ा है। गोवा में चल रहे राष्ट्रीय खेलों में पौड़ी गढ़वाल निवासी अंकित कुमार ने स्वर्ण पदक हासिल किया है। उन्होंने 10 किलोमीटर दौड़ को 29 मिनट और 51 सेकंड में पूरा कर यह पदक अपने नाम किया। बात यह है कि अंकित कुमार अपने निकटवर्ती गांव बनास के हैं और यह स्थानीय लोगों के लिए रेखांकित करने वाली बात है, हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।   यदि स्थानीय बातचीत के संदर्भ में विचार पेश करें। मेरा इस लेख को लिखने का मुख्य कारण क्षेत्रीय विषयों को अहमियत देना और क्षेत्रीय उपलब्धियां को क्षेत्र के लोगों से अधिक से अधिक जोड़ने का प्रयास करने के साथ यह भी है की साथी युवाओं से मैंने कई बार सुना है “बनास के धावक” शायद आपने भी सुना हो। जो लोग इस बात को पूर्व से जानते हैं और स्वीकार करते हैं, वे अंकित कुमार की इस उपलब्धि के बाद सीधे इसी बात का स्मरण करेंगे “बनास के धावक” बनास गांव के युवा तेज दौड़ते हैं। यह उपलब्धि फौजी के लिए दौड़ लगाते युवाओं के बीच ...

मैं खेलूंगा | महान सचिन तेंदुलकर का उदय

हाल ही में वानखेड़े स्टेडियम मुंबई के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की एक प्रतिमा को अनावरित किया गया। सचिन तेंदुलकर स्वयं इसे उन तमाम सहयोगियों अपने साथी क्रिकेटरों के साथ होने का फल बताते हैं। वहीं भारत इस प्रतिमा को भारतीय क्रिकेट का एक समग्र स्वरूप के रूप में देख रहा है। सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट की वह तमाम ऐतिहासिक परियां जाने कितनी बार भारतीयों के लिए गर्व करने का एक चेहरा बने श्री सचिन तेंदुलकर। उनका वह आरंभिक समय भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना, वह एक मैच जिसकी चर्चा करना आज भी एक महान प्रेरणा है। वह मैच बताता है, कि क्यों सचिन तेंदुलकर महान सचिन तेंदुलकर हैं। केवल पंद्रह साल का एक बालक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा एक मैच के दरमियान जब मैदान पर उतरता है, तो सामने विपक्षी खिलाड़ियों के तो पहले ही हौसले ऊंचाई पर थे। इसके दो कारण थे, एक तो केवल 24 रनों पर भारतीय टीम के चार बल्लेबाज वापस लौट गए थे। और दूसरा अब जो क्रीज पर खड़ा था, एक बालक केवल पंद्रह वर्ष का। गेंदबाजी पाकिस्तान के हाथों में थी, बेहद तेज गेंदबाज लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार और बड़े-बड़े नाम वकार यूनुस,...

दुनिया एक सफर में और जीवन चक्र | विशेष लेख

जीने के लिए प्लायन एक अहम क्रिया है? आज से हजारों साल पहले मानव ने अफ्रीका से दुनिया भर में पलायन आरंभ किया। हर कोने को जानना और अपने लिए उपयुक्त स्थान की तलाश में सफर जारी है। आज भी यह जारी है, और सच तो यह है, कि यह सफर दुनिया में चल रहे हजारों प्राणी जातियों के सफर में एक है। वह सब सफर कर रहे हैं, अपने जीवन के लिए कोई अपने भोजन के लिए और कोई बदलते समय, मौसम और जलवायु के लिए। कुल मिलाकर दुनिया एक सफर में है। कोई धीमी चाल में और कोई तीव्र। कोई हर समय सफर में ही है, कोई मौसम के साथ सफर में है, कोई साल में एक बार तो कोई जीवन में एक बार सफर में है। यह सफर धरती पर बसे केवल प्राणी जगत के लिए नहीं है। यह सफर तो स्वयं इस धरती के लिए भी है, वह भी सफर में है। हमारी धरती सूरज का चक्कर लगा रही है, यह मौसम परिवर्तन का कारण है। धरती अपने अक्ष पर भी घूम रही है, और यह रात दिन के लिए कारण है। सूरज के सामने जो हिस्सा होगा वहां दिन होगा और यह 12 घंटे के समय के लिए है। धरती 23.5 डिग्री झुकी हुई भी है और यह ध्रुव पर एक महत्वपूर्ण घटना को जन्म देता है। छः माह दिन और छः माह रात, और यह यहां के जीवन को बह...

गेंदबाजों का क्रिकेट | भारत Vs श्रीलंका

भारतीय क्रिकेट टीम का आज पूरी तरह से उत्साह पूर्ण प्रदर्शन रहा। यह निडर प्रदर्शन श्रीलंका के खिलाफ होना, भारतीय टीम के आत्मविश्वास का प्रदर्शन है। हालांकि भारत की ओर से स्कोर बोर्ड पर अच्छी चुनौती दी गई थी। लेकिन यह इतना भी दबाव पैदा नहीं करता है, कि श्रीलंका जैसी बड़ी टीम को इस स्थिति में ले आए। यहां भारतीय गेंदबाजी की बड़ी तारीफ करनी होगी। खास कर तेज गेंदबाज जो लगातार शानदार प्रदर्शन दे रहे हैं।   इस खेल में आज सिर्फ बॉल विकेट के लिए फेंकी जा रही थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था। बल्ले ने भारत के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कहा। यह श्रीलंका जैसी टीम के लिए बड़ी निराशा है। यह कुछ ऐसा ही था, जैसे तमाम अब तक हुए मैचों को जीत आने के बाद भारतीय टीम ने अपना वह सब अनुभव आज के मैच में उतार दिया हो। यह बड़ी जीत है। यह भारतीय टीम के मजबूत विजन को दर्शाता है। बैटिंग के शानदार प्रदर्शन के बाद गेंदबाजी में यह कर दिखाना पूरी तरह से एक तरफा मैच की स्थिति पैदा करने वाला रहा।   वहां जब से मोहम्मद शमी को खेलने को मैदान पर लाया गया है, उन्होंने अपनी जगह को पूरी तरह से निश्चित कर लिया है। हर मैच ...

श्रेयश अय्यर श्रीलंका के खिलाफ शानदार

इस वर्ल्ड कप में खिलाड़ियों का शानदार देखा गया। आज इसी लय में श्रेयश अय्यर ने भारतीय क्रिकेट टीम में अपने होने का प्रदर्शन किया। एक शानदार प्रदर्शन। यूं तो सुभमन गिल और विराट कोहली की भी एक लंबी शानदार पारी रही, लेकिन श्रेयश अय्यर आज के मैच में खास हैं। यह इसलिए भी क्योंकि इस वर्ल्ड कप में खेल प्रेमियों के साथ स्वयं श्रेयश अय्यर भी अपना सर्वश्रेष्ठ ढूंढ रहे थे।  भारतीय टीम का हिस्सा इस वर्ल्ड कप में श्रेयश अय्यर अब तक अपना खास नहीं दे पाए थे। पूर्व में एक मैच के बाद जब उन्हें बाहर रखा गया यह कहकर की फिटनेस संबंधी समस्या है, और ईशान किशन को उनकी जगह पर लाया गया तो उनकी ओर से एक निराशा प्रतिक्रिया प्रकट की गई, कि उन्हें यह सब का पता भी नहीं चला कि उन्हें कैसे प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा जा रहा है। यह भारतीय क्रिकेट टीम कप्तान और मैनेजमेंट के लिए बड़ी विडंबना है, कि कैसे खिलाड़ियों में सर्वश्रेष्ठ का चयन हो। क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग के चलते खिलाड़ियों का एक शानदार प्रदर्शन देखने को मिलता है। वही खिलाड़ी देश की टीम के लिए खेलने की योग्यता भी रखते हैं। ह...

होमी जहांगीर भाभा और भारत का परमाणु परीक्षण

1966 में वियना जा रहे एक वायुयान के क्रेश हो जाने की घटना ने भारत के न्यूक्लियर रिसर्च की ओर बढ़ती आशाओं को धीमा कर दिया। इस विमान में होमी जहांगीर भाभा भी थे। वह इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी की एक कांफ्रेंस के लिए वियना जा रहे थे। भारत को पहले एटॉमिक बम बनाने का वादा करने वाले होमी जहांगीर भाभा, भारतीय एटॉमिक रिसर्च के फादर कहे जाते हैं।  यह उनकी मेहनत का ही फल था, कि उनकी मृत्यु के 8 वर्षों पश्चात भारत ने पहले एटॉमिक प्रशिक्षण में सफलता हासिल की। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे इंजीनियरिंग के लिए कैंब्रिज गये। उनके पिता भी यही चाहते थे, कि वह इंजीनियरिंग करें और इसी में अपना भविष्य देखें। किंतु कैंब्रिज में कुछ लोगों से उनकी मुलाकात के कारण उनका झुकाव धीरे-धीरे मैथ्स और थियोरेटिकल फिजिक्स की ओर चला गया। उन्होंने कैंब्रिज में अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। लेकिन इसी दरमियान उन्होंने अपने पिताजी को इस संदर्भ में खबर दी की वह अपने भविष्य में इंजीनियरिंग को लेकर इतने रुचिकर नहीं हैं। उन्होंने कैंब्रिज में ही न्यूक्लियर फिजिक्स में अपनी पीएचडी भी पूरी की। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जो क...

भारतीय क्रिकेट टीम का सर्वश्रेष्ठ | विशेष लेख

 दूर इलाकों में कहीं जो युवा क्रिकेट खेल रहा है, और ऐसे हजारों मेहनती खिलाड़ी असल में इसी दिन के लिए हैं। कि जब उनमें से कोई भारतीय टीम का हिस्सा बने तो वह ऐसी क्रिकेट खेलें जो आज भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली है।   उनकी ईमानदार मेहनत जो दुर्गम क्षेत्र में कम संसाधनों के साथ केवल एक उम्मीद पर चल रही है, उसका परिणाम एक मजबूत भारतीय टीम भी है। यह भारतीय टीम की ताकत है, कि मोहम्मद शमी जैसे शानदार खिलाड़ी भी बेंच पर बैठे रहते हैं।   मैं इस लेख को क्रिकेट विश्व कप 2023 के 29 अक्टूबर को हुए भारत बनाम इंग्लैंड मैच के बाद लिख रहा हूं। यह शानदार क्रिकेट प्रदर्शन भारतीय टीम को वर्ल्ड कप विजेता के रूप में दर्शाता है।   बुमराह और मोहम्मद शमी की आरंभिक गेंदबाजी ने सामने खड़े विपक्षी बल्लेबाजों को आश्चर्यजनक ढंग से आउट कर दिया। यह गेंदबाजी का बेहद उत्कृष्ट प्रदर्शन था। सबसे महत्वपूर्ण यह भारतीय क्रिकेट को उठाता है। युवा जो इस खेल के लिए समर्पित भाव से जुटे हुए हैं। इसे अपना भविष्य चुन चुके हैं। उनके लिए यह और अधिक मेहनत का सबक है।  और भारत में क्रिकेट ...

India vs England भारत की जीत | विशेष लेख

ये इंग्लिश क्या सोचते होंगे। भारत ने आज क्रिकेट के मैदान पर इंग्लैंड को काफी बड़े अंतर से हराया। यह कोई छोटा क्रिकेट मुकाबला नहीं है, यह विश्व कप है। वे लोग जो इंग्लैंड की ओर से अपनी टीम का समर्थन करने आए होंगे भले वे कम संख्या में थे, बेहद कम लेकिन अत्यधिक निराश हुए होंगे।   दरअसल यह जैंटलमैनों का खेल था, और एक जमाने में इंग्लैंड के लोगों के अलावा और किसे जेंटलमैन कहा जा सकता था। यह उन्हीं का खेल उन्हीं को आज मैदान पर मात देता है। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं, खेल है और इसके दो पहलू हार और जीत हैं। अब हार हुई या जीत उसे स्वीकार करना भी खिलाड़ी का एक गुण है।    लेकिन यह मन है और यह सोचता जरूर होगा। बड़ी बात यह है, कि सामने भारत था, और उससे यह बड़ी हार कई पहलुओं को खुला कर देती है।  भारत ब्रिटिशों का गुलाम रहा मुल्क। ब्रिटिश क्रिकेटरों और उन जैंटलमैनों के शौक क्रिकेट खेल में भारतीय व्यक्ति फील्डिंग करता हुआ, केवल फील्डिंग।  वह लगान फिल्म भी याद आती है। हालांकि वहां क्रिकेट से कोई मतलब नहीं था, बस उस खेल को जीतकर ब्रिटिशों से कर की माफी स्वीकार करानी थी। हालांकि ...

रिश्ता | Amitabh bachchan an Akashy kumar

        रिश्ता चार लोगों के चक्रव्यूह में फंस कर हजारों लोग काम करते हैं।  जब विजय कपूर शहर के नामी बिजनेसमैन अपने पुत्र अजय को समझाता है। वह चाहता है, कि उसका पुत्र एक बड़ा बिजनेसमैन केवल अपने पिता के बदौलत ना बन जाए बल्कि जमीन से लगातार अपने प्रयासों से एक सफल व्यक्ति बनकर पिता की कुर्सी हासिल करे। अजय अपने ही पिता की कंपनी में मजदूरों के काम से आरंभ करता है। मजदूरों का एक यूनियन लीडर जो काम तो करता नहीं अपने दो-तीन करीबियों के साथ बैठकर जुआ खेलता अन्य मजदूरों को अपनी सेवा पर रखता। यह बात अजय को जमी नहीं। वह उससे भिड़ गया, यह कहते कि वह विजय कपूर का बेटा है, और तुम उसकी मिल में काम की बजाय जुआ खेलते हो। यूनियन लीडर उसे अपने अंडर एक मजदूर कहकर पुकारता है और उसकी बात नहीं सुनता।  अजय उस पर हाथ उठाता है, यूनियन लीडर मजदूरों की हड़ताल करवा देता है। विजय कपूर को यह बात मालूम हुई तो वह अजय को यूनियन लीडर से सबके सामने माफी मांगने को कहता है। अजय बेहद संवेदनशील, स्वाभिमानी और सैद्धांतिक व्यक्ति झुकना कभी नहीं चाहेगा क्योंकि वह सही था। अपने पिता की आज्ञा पर...

कांग्रेस विपक्ष को एक कर सकेगी | चुनाव 2024

एक तरफ कांग्रेस अपनी साख बचाने को देश भर में भारत जोड़ो जात्रा से मिशन राहुल को साधने पर लगी है। साथ ही भारत जोड़ो यात्रा आम जनमानस से संवाद स्थापित करने में भी अहम है। और यह राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को जरूर लाभ पहुंचाएगी। किंतु फिर भी 24 का चुनाव ऐसा तो नहीं संभव की कॉन्ग्रेस इकलौती चलकर विजय हासिल कर ले। उसे भाजपा के विपक्षी दलों को एकत्रित करना होगा। लेकिन समस्या यह है, कि विपक्ष क्या वे सभी कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे। इसके संबंध में कई बिखराव युक्त टिप्पणियां आना आरंभ हो गया है। इसके चलते ऐसे समीकरण बनते नजर नहीं आ रहे हैं।   देखिए यह तो साफ है, कि विपक्षी दलों का एकजुट होना आवश्यक है। अन्यथा भाजपा को अलग-अलग चलकर पराजय तक ले जाएं, यह तो उतना सरल नहीं। कांग्रेस पिछले कई चुनावों के परिणामों में अपने नेतृत्व की अहम स्थिति को भाजपा के विपक्ष के कई बड़े दलों की दृष्टि में खोई हुई प्रतीत होती है। हां भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी ने कुछ छलांग जरूर लगाई है। किंतु सूचना यह भी आती रही की इस यात्रा में ही कई कांग्रेस के समर्थक दलों ने सीधी भूमिका के स्थान पर...

कांग्रेस के कदम | Loksabha चुनाव 2024

राहुल गांधी से ही कांग्रेस पार्टी के हर स्तर पर चुनाव कर आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना की बात करते रहें हैं। यह परिवारवाद के उस बड़े सवाल का जिसे लगातार भारतीय जनता पार्टी द्वारा उठाया जाता रहा है, का परिणाम है। नागालैंड में प्रचार रैली में मोदी जी ने परिवारवाद के हवाले से पुनः कांग्रेस को घेरा। ऐसे में कांग्रेस इन सवालों के निदान में पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस पार्टी के अहम निर्णय लेने वाली कार्यसमिति में सदस्यों की संख्या कुछ बढ़ाई गई। अब 30 सदस्य कार्यसमिति में होंगे। इसमें महिलाओं, एससी, एसटी, युवाओं आदि को आरक्षण भी दिया गया है। किंतु जब यह तय किया गया कि कांग्रेस पार्टी कि निर्णय लेने वाली अहम कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव नहीं होगा, बल्कि यह प्रस्ताव पारित किया गया कि मलिकार्जुन खरगे जी जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, को यह अधिकार होगा कि वह सदस्यों को नामित करें, ऐसे में कांग्रेस पर लगने वाले परिवारवाद के सवालों के निवारण अभियान से जो वह आंतरिक हर स्तर पर चुनाव के माध्यम से दर्शाना चाहती थी, से पीछे हट गई। ऐसे में राहुल गांधी और गांधी परिवार का कोई सदस्य संचालन समि...

रूस-यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष पूर्ण | विशेष लेख

             रूस-यूक्रेन युद्ध एक वर्ष हो चुका है। रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध जारी है। यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। कोरोना से उभरने के बाद कुछ गति जो विकास कार्यों की ओर अपेक्षित थी रूस-यूक्रेन युद्ध ने उस गाड़ी का टायर पंचर कर दिया। बात साफ है, वैश्वीकरण के युग में आप दुनिया के किसी राष्ट्र में हो रही हलचल से बिना प्रभावित हुए बचकर नहीं निकल सकते। हमारे देश में जो मांगे पैदा होती हैं, उनकी आपूर्ति के लिए विदेशों से आयात होता है, और विदेशों की आवश्यकता की आपूर्ति के लिए भारत उन्हें वस्तुएं निर्यात करता है। अतः हम संपूर्ण विश्व से परस्पर जुड़े हैं। इस वर्ष भारत को जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता के संदर्भ में प्रधानमंत्री जी ने इसीलिए ही कहा, कि कोई तीसरी दुनिया नहीं है हम सब एक नाव पर सवार है। यह कहने का तात्पर्य ही था कि हम सब की संपूर्ण दुनिया में तमाम राष्ट्रों की समस्याएं एक समान ही हैं। इसका प्रमाण दिया है, कोरोना महामारी ने और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के समय दुनिया का हर राष्ट्र आज महंगाई, खाद्य संकट, ऊर्जा संकट आदि समस्याओं का स...