बार्थोलोम्यो डियाज 1487 में केप ऑफ गुड होप अफ्रीका के दक्षिणी छोर तक पहुंचता है। 1488 में यह वापस लिस्बन पुर्तगाल लौट जाता है। ठीक लगभग 10 वर्ष बाद पुर्तगाल का एक और जहाजी बेड़ा वास्कोडिगामा के नेतृत्व में भारत की खोज को 1497 में पुर्तगाल से प्रस्थान करता है। यह केप ऑफ गुड होप तक पहुंचता है। अब्दुल मनीक नाम के व्यापारी की सहायता पाकर यह भारत की दिशा में हिंद महासागर से बढने लगा, और भारत के मालाबार तट पर कालीकट नामक स्थान पर आ पहुंचा। यहां का शासक जमोरिन था, जिसे शामुरी भी कहा जाता है। वास्कोडिगामा अच्छे लाभ के साथ पुर्तगाल लौटा। 1500 में एक और पुर्तगाली जहाज बेड़ा पेट्रो अलवारेज के नेतृत्व में भारत आया यह तेरह जहाजों का बेड़ा था। अब पुर्तगालियों की नीति अरब का वर्चस्व हिंद महासागर के क्षेत्र में तोड़ने की थी। और भारत के साथ स्वतंत्र व्यापार स्थापना की, 1503 में वास्कोडिगामा फिर भारत आया। कोचीन में पुर्तगालियों की पहली व्यापारिक कोठी स्थापित की गई। 1505 से 1509 तक के लिए भारत ने पुर्तगाल का पहला गवर्नर फ्रांसिस्को डी अल्मीडा आता है। अल्मीडा की नीति “ब्लू वाटर पॉलिसी” नाम से जानी जाती है...
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