Skip to main content

Posts

Showing posts with the label cinema

अमोल पालेकर | फिल्म अपने पराये से

अमोल पालेकर सादगी और केवल सादगी असल में अमोल पालेकर ने यही तो पेश किया है। अपनी लगभग हर फिल्म एक आदर्श गुणी पुरुष की भांति ही दिखे हैं। इन्हें नेक्स्ट डुअर पर्सन कहा गया। क्योंकि इनकी आवाज और अभिनय ने हर दूसरे व्यक्ति को अपने आप से मिलाया। एक मृदंग को बजाते हुए अमोल जाने कब बड़े हो गए, यह वे खुद भी नहीं जान पाए। लेकिन वे इन सब बातों की सुध नहीं लेते। आज से 30 साल पहले एक अच्छे मध्यम वर्गीय परिवार में दो भाइयों के बाद उनका जन्म हुआ था, बहुत सुंदर मृदंग बजाते हैं अमोल। प्रातः होने के साथ उनकी ताल छिड़ जाती है। घर के सभी बच्चे दौड़कर चाचा की ओर बढ़ते हैं, और अमोल एक सुंदर भजन गाते हैं। उनकी भाभी पूजा करती हुई और साथ ही अमोल के भजन। यूं तो अमोल का विवाह भी हो गया है, और वह एक खुशमिजाज और बेफिक्र व्यक्ति हैं। लेकिन यहां बेफिक्री उसकी पत्नी के लिए असहज है। हालांकि वह बहुत समझदार और शील स्त्री है, घर की लगभग सभी जिम्मेदारियां उसी के हाथों में हैं। लेकिन साथ ही वह एक स्वाभिमानी स्त्री है, और केवल इस बात से चिंतित है, कि उसका पति अमोल किसी काम को गंभीरता से नहीं लेता। यही है कि वह कुछ भी कमा कर...

बिग बॉस विनर एलविश यादव के खिलाफ FIR

एलविश यादव पर कुछ आरोप लगाए गए हैं। FIR दर्ज हुई है। सांपों की तस्करी से जुड़ा मामला है, और लगभग छः के खिलाफ यह एफआईआर दर्ज की गई है। उनमें एक एलविश यादव हैं। अब यह हममें से तो कई लोगों के लिए बिल्कुल नया है कि सांपों के जहर को पार्टियों में प्रयोग किया जाता है। बताया गया है, कि यह गैर कानूनी कार्य के लिए इस आरोप के चलते वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9, 39, 48ए, 49, 50 और 51 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है। एलविश यादव इस आरोप में बड़ा चेहरा है। कई नौजवान उन्हें बेहद उत्साह से अनुसरण करते हैं। बिग बॉस के विजेता बनने के बाद तो वह खूब चर्चित रहे। देश भर में उन्हें देखा गया और लोगों ने खूब पसंद भी किया। जाहिर सी बात है कि इससे उनकी प्रसिद्धि में इजाफा हुआ है। आप उन्हें जानते ही होंगे फोन पर आपने कभी तो उन्हें देखा ही होगा। मुझे एक बात उनकी याद आती है, बिग बॉस के शो पर उस दरमियां उन्होंने वहां आए किन्हीं पंडित जी जो हाथ की लकीरें पढ़ सकते थे, उनसे बहुत सी बातें जानने के बाद एलविश यादव ने कहा पंडित जी आप देखकर बताइए मैं नेता कब बनूंगा। मैं पॉलिटिक्स में कब आऊंगा। हालांकि इस मामले पर...

रिश्ता | Amitabh bachchan an Akashy kumar

        रिश्ता चार लोगों के चक्रव्यूह में फंस कर हजारों लोग काम करते हैं।  जब विजय कपूर शहर के नामी बिजनेसमैन अपने पुत्र अजय को समझाता है। वह चाहता है, कि उसका पुत्र एक बड़ा बिजनेसमैन केवल अपने पिता के बदौलत ना बन जाए बल्कि जमीन से लगातार अपने प्रयासों से एक सफल व्यक्ति बनकर पिता की कुर्सी हासिल करे। अजय अपने ही पिता की कंपनी में मजदूरों के काम से आरंभ करता है। मजदूरों का एक यूनियन लीडर जो काम तो करता नहीं अपने दो-तीन करीबियों के साथ बैठकर जुआ खेलता अन्य मजदूरों को अपनी सेवा पर रखता। यह बात अजय को जमी नहीं। वह उससे भिड़ गया, यह कहते कि वह विजय कपूर का बेटा है, और तुम उसकी मिल में काम की बजाय जुआ खेलते हो। यूनियन लीडर उसे अपने अंडर एक मजदूर कहकर पुकारता है और उसकी बात नहीं सुनता।  अजय उस पर हाथ उठाता है, यूनियन लीडर मजदूरों की हड़ताल करवा देता है। विजय कपूर को यह बात मालूम हुई तो वह अजय को यूनियन लीडर से सबके सामने माफी मांगने को कहता है। अजय बेहद संवेदनशील, स्वाभिमानी और सैद्धांतिक व्यक्ति झुकना कभी नहीं चाहेगा क्योंकि वह सही था। अपने पिता की आज्ञा पर...

उपन्यास देवदास पर्दे पर | शहंशाह कुंदन लाल सहगल

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के बंगाली उपन्यास देवदास को आज के समय में उतना ही जीवंत और लोकप्रिय रखने में जितना कि वह 1920s  के दशक में रहा होगा, पर्दे पर अभिनय का योगदान रहा है। उन पृष्ठों के किरदारों देवदास, पार्वती, चंद्रमुखी, को क्रमश: शाहरुख, ऐश्वर्या और माधुरी के चेहरों ने हरकतें दी, यूं जैसे जीवित कर दिया हो।    विमल रॉय के निर्देशन में यह उपन्यास पूर्व में भी फिल्म का रूप ले चुका था। जहां दिलीप साहब देवदास की भूमिका में थे, और सुचित्रा सेन और विजयंतीमाला मुख्य अदाकारा थी। यह फिल्म 1955 में प्रकाशित की गई थी।   किंतु देवदास पर बनी पहली फिल्म 1936 में प्रकाशित हुई थी। जिसमें के० एल० सहगल साहब, देवदास की मुख्य भूमिका में थे। साथी मुख्य अदाकारा जमुना और राजकुमारी जी थे। यूं कहें कि देवदास का पर्दे पर होने का पथ इन्होंने ही प्रशस्त किया था।    कुंदन लाल सहगल भारतीय सिनेमा जगत के पहले सुपरस्टार कहे जाते हैं। अभिनय के साथ में गायकी में बचपन से ही अपनी जन्मभूमि जम्मू में मशहूर थे। उनके पिता जम्मू में तहसीलदार थे वहां महाराजा प्रताप शासक थे। बचपन में सह...

दिव्या भारती अदाकारी में अविस्मरणीय | फिल्मिस्तान

    आज यदि दिव्या भारती जीवित होती तो वह 46 साल की होती, और अब तक दुनिया को कई खूबसूरत यादें दे चुकी होती। वह केवल 19 साल में अलविदा कह गई। लेकिन उनकी अदाकारी से लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।     छोटी सी उम्र में उन्होंने जो मुकाम हासिल किया वह फिल्म जगत के जाने कितने सितारों का सपना रह जाता है। वह चुलबुली सी लड़की श्रीदेवी की हमशक्ल के रूप में देखी गई। हालांकि एक इंटरव्यू में दिव्या ने कहा, “मुझे ऐसा नहीं लगता जब मैंने श्रीदेवी को देखा तो बहुत बहुत खूबसूरत हैं, मुझसे कहीं अधिक।”     शुरुआत में वह तेलुगु फिल्मों में दिखी। जब उन्होंने गोविंदा के साथ पहली फिल्म “शोले और शबनम” की तो वह फिल्म खाने की सितारा बन गई। साजिद नाडियावाला से मिलने के बाद दिव्या ने उनके शादी के लिए अपना धर्म बदल कर इस्लाम कबूल किया, और साजिद से शादी कर ली और खुद सना नाडियावाला बन गई। उनके भोलेपन और खूबसूरती से वह लोगों में आकर्षण बनी रही और डायरेक्टर्स की पहली पसंद बन गई।     ऐसा भी समय आया कि उन्होंने एक साल में चौदह फिल्में साइन कर ली। 90 के दशक के कई बड़े सितारों...

World Theatre Day विशेष लेख | 27 march

world theatre day जब गोविंदा ने शुरुआत की। तो उन्होंने जो कोई फिल्में की, किंतु उनमें उन्हें उस धारा की तलाश थी, जहां वह अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं। तब तक संजय, अनिल कपूर काफी काम कर चुके थे। गोविंदा तलाश में थे, कि लोगों पर उनके किस अलग स्टाइल की छाप छोड़ी जा सकती है। जिससे गोविंदा नाम सुनते ही दर्शकों को एक दृश्य स्पष्ट हो जाए, कि गोविंदा है, तो ऐसा होगा। यह तब हुआ, जब गोविंदा को कॉमेडी फिल्में मिली। यह मानना होगा कि उस समय पर केवल कॉमेडी में किसी पूरी फिल्म को चला पाया हो ऐसा कोई अभिनेता पर्दे पर आपको कुछ ही मिलेंगे। हालांकि कॉमेडी मसाले के लिए कई कलाकार मशहूर रहे हैं। गोविंदा ने इससे ट्रेंड किया। यह सब हो रहा था, जब सलमान और शाहरुख का आगाज हो चुका था। जो 90s का दौर था। जिस एक्शन पर फिल्मों का चलन हो गया था। उस किरदार में सटीक अभिनय के लिए पहली पसंद अक्षय और अजय देवगन बन गए। सनी देओल पहले ही एंग्री यंग मैन और उसके लिए जरूरी शानदार पर्सनैलिटी से इस ट्रेंड में कंपटीशन हाई कर चुके थे। पारिवारिक फिल्मों के लिए आमिर, सलमान जैसे क्यूट फेस बड़ी शालीनता से फिल्माए जा सकते थे। उनमे...

काला पानी| | देवानंद फिल्म 1958 | Kala Pani movie 1958 | Dev Anand movie

Kala Pani डायरेक्टर-    राज खोसला प्रोड्यूसर-    देवानंद गीत-    आशा भोसले, मोहम्मद रफ़ी कलाकार-    देवानंद, मधुबाला, नलिनी, सप्रु, नासिर हुसैन, Johnnie Walker, मुमताज बेगम, जयवत साहू, Samson, Ravikant   1958 की फिल्म काला पानी एक आपराधिक मामले की दास्तां है। माला एक तवायफ का नाम है।  नाच- गाने के शौकीन और विलासी जीवन यापन करने वाले लोग कोठे पर शिरकत देते हैं। माला का कत्ल हुए 15 साल बीत चुके हैं, और अदालत के द्वारा कातिल शंकरलाल नाम के व्यक्ति को ठहराया गया है। यह फिल्म जिस मुख्य पात्र के ऊपर बनी है। वह शंकरलाल का पुत्र है, जिसका नाम करण है। करण 15 वर्ष तक इस झूठ के साथ जीता है, कि उसके पिता मर चुके हैं। किंतु 1 दिन उसे यह मालूम चल जाता है, कि उसके पिता जीवित है, और हैदराबाद की जेल में सजा काट रहे हैं। वह अपने पिता से मिलने के लिए उत्सुक हो उठता है, यह  सच्चाई जानने के लिए कि क्या वास्तव में उसके पिता कातिल है, और हैदराबाद जाने का मन बना लेता है।    उसकी मां उसे समझाती है, ऐसा भी कहती है, कि उसके पिता ने उसकी मां का त्य...

रावण के किरदार अरविंद त्रिवेदी जी नहीं रहे | ramanand sagar ramayana

ramanand sagar ramayana-arvind trivedi ji 8 नवंबर 1938 को इंदौर में जन्मे अरविंद त्रिवेदी की 90 के दशक के लोकप्रिय रामानंद सागर जी की रामायण के मशहूर कलाकारों में एक रहे। अरविंद त्रिवेदी जी ने रावण का किरदार निभाया। उनके पिताजी मूल रूप से गुजरात के थे। 300 से अधिक हिंदी गुजराती फिल्मों में अभिनय करने वाले अरविंद त्रिवेदी जी का निधन 83 वर्ष की उम्र में हो गया है। दुनिया भर में रामायण में रावण के किरदार के कारण उनको बेहद लोकप्रिय मिली। 90 के दशक में रामायण धारावाहिक की इतनी लोकप्रियता रही, कि 52 एपिसोड को एक्सटेंड कर 78 एपिसोड की शूटिंग की गई। रामायण धारावाहिक लगभग डेढ़ साल कि लंबे समय में तैयार हो सका। लगभग 55 देशों में रामायण धारावाहिक का टेलीकास्ट दुनिया भर में किया गया। जिससे 650 मिलियन से ज्यादा लोगों ने इसे देखा। इसी धारावाहिक का हिस्सा रावण के किरदार मैं अरविंद जी को लोगों ने बहुत सराहा। 1987 में जब रामायण दूरदर्शन पर प्रकाशित होने लगा, तो टीवी देखने वाले हर व्यक्ति में रामायण को देखने की अलग उत्सुकता थी। जो आस्था और विश्वास का जीवंत अभिनय था, यहां तक कि लोग धार्मिक आस्था के चलत...

मेधावी छात्र से बैडमैन तक का सफर | गुलशन ग्रोवर जन्मदिन विशेष

गुलशन ग्रोवर बचपन गुलशन ग्रोवर जी स्कूल के दिनों में बड़े मेधावी छात्र हुआ करते थे। विद्यालय में अच्छे अंको से पास होना, और एक अच्छे विद्यार्थी की तरह शालीन स्वभाव से पर्दे पर बैडमैन हो जाने तक का सफर कैसे तय हुआ। वे दिल्ली में पले बड़े, दिल्ली के ही स्कूल में उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की परिवार की स्थिति इतनी बेहतर नहीं थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जब गुलशन ग्रोवर जी कहते हैं, कि मैं बचपन में स्कूल की ड्रेस को अपने साथ लिए सुबह डिटर्जेंट और साबुन, फिनायल इत्यादि को बेचने घर-घर जाया करता था। आप की अदालत मैं गुलशन ग्रोवर का अपने बचपन के विषय में कहना है, कि जो लोग उन्हें बचपन में जानते थे, आज पर्दे पर उन्हें देखकर जरूर सोचते हैं, कि यह इतना अच्छा लड़का ऐसे रोल कैसे कर सकता है, यह तो ऐसा लड़का है ही नहीं। गुलशन ग्रोवर असल जिंदगी में कभी बैडमैन रहे ही नहीं उनकी बहनों से सुने तो बचपन में गुलशन उन्हें पढ़ाया करते थे। स्कूल समय से ही झगड़े लड़ाइयों से दूर रहे गुलशन स्क्रीन पर एक अलग ही रंग में दिखते हैं। बचपन से ही कलाकारी का एक अलग शौक गुलशन साहब को रहा। उन्होंने बचप...

मंदाकिनी। राम तेरी गंगा मैली की खूबसूरत अदाकारा

"राम तेरी गंगा मैली" की खूबसूरत अदाकारा 80 के दशक में आई एक शानदार फिल्म राम तेरी गंगा मैली (1985) से बॉलीवुड में अपना कदम रखने वाली खूबसूरत अदाकारा यासमीन या मंदाकिनी आज भी याद है। उस समय पर राज कपूर साहब अपने छोटे बेटे राजीव कपूर साहब के बॉलीवुड में डैब्यू के लिए एक शानदार फिल्म के साथ लांच करना चाहते थे, और सबसे अहम कि यह फिल्म राज कपूर साहब के डायरेक्शन में की गई उनकी आखिरी फिल्म रही। राज कपूर साहब की समझ में अपने छोटे भाई शशि कपूर साहब की बेटी संजना कपूर गंगा के किरदार में पहली पसंद थी। डिंपल कपाड़िया और आशा पारेकर से होकर गंगा के किरदार में मंदाकिनी आकर टिकती है। फिल्म सुपरहिट होती है। इसके पश्चात मंदाकिनी ने अपने करियर में तकरीबन 50 फिल्मों में काम किया, किंतु सफलता का वह मुकाम उन्हें कभी हासिल ना हो सका, और फिर मंदाकिनी रील  लाइफ से गायब, गुमनाम हो गई। किंतु मंदाकिनी की वह आंखें….