Skip to main content

India vs England भारत की जीत | विशेष लेख

ये इंग्लिश क्या सोचते होंगे। भारत ने आज क्रिकेट के मैदान पर इंग्लैंड को काफी बड़े अंतर से हराया। यह कोई छोटा क्रिकेट मुकाबला नहीं है, यह विश्व कप है। वे लोग जो इंग्लैंड की ओर से अपनी टीम का समर्थन करने आए होंगे भले वे कम संख्या में थे, बेहद कम लेकिन अत्यधिक निराश हुए होंगे।

  दरअसल यह जैंटलमैनों का खेल था, और एक जमाने में इंग्लैंड के लोगों के अलावा और किसे जेंटलमैन कहा जा सकता था। यह उन्हीं का खेल उन्हीं को आज मैदान पर मात देता है। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं, खेल है और इसके दो पहलू हार और जीत हैं। अब हार हुई या जीत उसे स्वीकार करना भी खिलाड़ी का एक गुण है।

   लेकिन यह मन है और यह सोचता जरूर होगा। बड़ी बात यह है, कि सामने भारत था, और उससे यह बड़ी हार कई पहलुओं को खुला कर देती है।

 भारत ब्रिटिशों का गुलाम रहा मुल्क। ब्रिटिश क्रिकेटरों और उन जैंटलमैनों के शौक क्रिकेट खेल में भारतीय व्यक्ति फील्डिंग करता हुआ, केवल फील्डिंग।

 वह लगान फिल्म भी याद आती है। हालांकि वहां क्रिकेट से कोई मतलब नहीं था, बस उस खेल को जीतकर ब्रिटिशों से कर की माफी स्वीकार करानी थी। हालांकि तब वह भावना अतुलनीय रही होगी। 

  लेकिन शायद ब्रिटिशों का राष्ट्र प्रेम ऐसा नहीं है। हम भारतीय यदि क्रिकेट का शौक रखते हैं, तो आपको क्रिकेट के मैदान पर पूरा भारत दिखेगा। हमारे लिए यह खेल बेहद अहमियत रखता है। इस बात का अंदाजा आप मैदान में भारतीय दर्शकों की भीड़ से लगा सकते हैं। और यह खेल बहुत से लोगों के लिए देशभक्ति को प्रस्तुत करने का एक मौका भी है। यही भावना इस खेल से देश के हर व्यक्ति को जोड़ती है।

वहीं क्रिकेट एक खेल है, एक खेल केवल। 

इंग्लैंड इस भावना में आ चुका है, यह उनके लिए देश के गौरव से जुड़ा बड़ा सवाल नहीं बन जाता है। वे इससे उभर चुके हैं, या वे इसमें नहीं फंसना चाहते हैं। बस यह की क्रिकेट एक खेल है, उनकी एक टीम है, जो देश के नाम पर खेलती हैं। जीते तो गौरव का विषय है, हारे तो खेल का एक पहलू ही है हार, और वे उसे स्वीकार करते हैं।।

Comments

Popular posts from this blog

राठ क्षेत्र से मुख्यमंत्री आवास तक का सफर | कलाकारों का संरक्षण राज्य का कर्तव्य

  एक होली की टीम ने पहल की वे देहरादून जाएंगे अपने लोगों के पास और इस बार एक नई शुरुआत करेंगे। कुछ नए गीत उनके गीतों में खुद का भाव वही लय और पूरे खुदेड़ गीत बन गए। खूब मेहनत भी की और इस पहल को करने का साहस भी किया। देहरादून घाटी पहुंचे और पर्वतीय अंचलों में थाली बजाकर जो हम होली मनाया करते थे, उसे विशुद्ध कलाकारी का स्वरूप दिया। हालांकि आज से पहले बहुत से शानदार टोलियों ने होली बहुत सुंदर मनाई है।। बदलते समय के साथ संस्कृति के तमाम इन अंशो का बदला स्वरूप सामने आना जरूरी है, उसे बेहतर होते जाना भी जरूरी है। और यह तभी हो सकता है, जब वह प्रतिस्पर्धी स्वरूप में आए अर्थात एक दूसरे को देखकर अच्छा करने की इच्छा। इस सब में सबसे महत्वपूर्ण है, संस्कृति के इन छोटे-छोटे कार्यक्रमों का अर्थव्यवस्था से जुड़ना अर्थात इन कार्यक्रमों से आर्थिक लाभ होना, यदि यह हो पा रहा है, तो सब कुछ उन्नत होता चला जाएगा संस्कृति भी। उदाहरण के लिए पहाड़ों में खेत इसलिए छूट गए क्योंकि शहरों में नौकरी सरल हो गई और किफायती भी। कुल मिलाकर यदि पहाड़ों में खेती की अर्थव्यवस्था मजबूत होती तो पहाड़ की खेती कभी बंजर ना हो...

प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा और अब सवाल महेंद्र भट्ट से

श्री प्रेमचंद अग्रवाल को एक अदूरदृष्ट नेता के तौर पर याद किया जाएगा। जिन्होंने अपनी कही बात पर इस्तीफा दिया मंत्री पद को त्याग और इससे यह साबित होता है, कि आपने गलती की है। अन्यथा आप अपनी बात से, अपनी सत्यता से जनमानस को विश्वास में लेते, पार्टी को विश्वास में लेते और चुनाव लड़ते। आपके इस्तीफे ने आपकी गलती को साबित कर दिया। उन्होंने राज्य आंदोलन के दौरान अपनी भूमिका को स्पष्ट किया, अपना योगदान बताया और आखिरी तौर से वे भावनाओं से भरे हुए थे, उनके आंसू भी देखे गए। इसी पर उन्होंने अपने इस्तीफा की बात रख दी वह प्रेस वार्ता हम सबके सामने हैं।  यहां से बहुत कुछ बातें समझने को मिलती है, राजनीति में बैक फुट नहीं होता है, राजनीति में सिर्फ फॉरवर्ड होता है। यह बात उस समय सोचने की आवश्यकता थी, जब इस तरह का बयान दिया गया था, जिसने इतना बड़ा विवाद पैदा किया। यह नेताओं की दूर दृष्टि का सवाल है, उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि उनके द्वारा कही बात का प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है। राजनीति में आपके द्वारा कही बात पर आप आगे माफी लेकर वापसी कर पाएंगे ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि उसका प्रभाव कभी-कभी इतना ...

केजरीवाल की हार से राहुल गांधी की जीत हुई है।

दिल्ली चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस की भविष्य को लेकर स्थिति को साफ कर दिया है। कांग्रेस ने देश भर में गठबंधन के नेताओं को और पार्टियों को एक संदेश दिया है। यदि गठबंधन के मूल्यों को और शर्तों को चुनौती दोगे, तो कांग्रेस भी इसमें केंद्र बिंदु में रहकर अपनी जमीन को सौंपती नहीं रहेगी। बल्कि दमदार अंदाज में चुनाव लड़कर दिल्ली की तरह ही अन्य जगहों पर भी चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी की हार हो जाने से राहुल गांधी जी का गठबंधन में स्तर पुनर्स्थापित हुआ है। कारण यही है कि अब तक अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली में सरकार बनाकर एक ऐसे नेता बने हुए थे, जो मोदी जी के सामने अपराजिता हैं। जिन्हें हराया नहीं गया है, विशेष कर मोदी जी के सामने। वह एक विजेता नेता की छवि के तौर पर गठबंधन के उन तमाम नेताओं में शीर्ष पर थे। अब विषय यह था, कि राहुल गांधी जी की एक हारमान नेता की छवि के तौर पर जो स्थिति गठबंधन में थी, वह केजरीवाल जी के होने से गठबंधन के अन्य नेताओं में शीर्ष होने की स्वीकार्यता हासिल नहीं कर पा रही थी। राहुल गांधी जी को गठबंधन के शीर्ष नेता के तौर पर जो स्वीकार्यता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रही...