शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

मैं खेलूंगा | महान सचिन तेंदुलकर का उदय

हाल ही में वानखेड़े स्टेडियम मुंबई के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की एक प्रतिमा को अनावरित किया गया। सचिन तेंदुलकर स्वयं इसे उन तमाम सहयोगियों अपने साथी क्रिकेटरों के साथ होने का फल बताते हैं। वहीं भारत इस प्रतिमा को भारतीय क्रिकेट का एक समग्र स्वरूप के रूप में देख रहा है।

सचिन तेंदुलकर की क्रिकेट की वह तमाम ऐतिहासिक परियां जाने कितनी बार भारतीयों के लिए गर्व करने का एक चेहरा बने श्री सचिन तेंदुलकर। उनका वह आरंभिक समय भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलना, वह एक मैच जिसकी चर्चा करना आज भी एक महान प्रेरणा है। वह मैच बताता है, कि क्यों सचिन तेंदुलकर महान सचिन तेंदुलकर हैं।

केवल पंद्रह साल का एक बालक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा एक मैच के दरमियान जब मैदान पर उतरता है, तो सामने विपक्षी खिलाड़ियों के तो पहले ही हौसले ऊंचाई पर थे। इसके दो कारण थे, एक तो केवल 24 रनों पर भारतीय टीम के चार बल्लेबाज वापस लौट गए थे। और दूसरा अब जो क्रीज पर खड़ा था, एक बालक केवल पंद्रह वर्ष का।

गेंदबाजी पाकिस्तान के हाथों में थी, बेहद तेज गेंदबाज लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार और बड़े-बड़े नाम वकार यूनुस, इमरान खान और वसीम अकरम जैसे गेंदबाज।

पहली गेंद जो उस बालक के सामने से यूं जाकर निकली जैसे गेंद हो ही न केवल हवा का झोंका हो। सामने दूसरे छोर पर नवजोत सिंह सिद्धू जो खड़े थे, जाकर पूछते हैं तो बालक ने कहा मैं ठीक हूं।

अगली गेंद एक बाउंसर थी, और उस बालक के हेलमेट से नाक पर जा लगी, यह बहुत तेज था। वहां खून बहने लगा एक पंद्रह वर्ष का बालक भारतीय टीम के लिए खेलता हुआ। दर्शकों कि जहां पूर्व से ही एक पंद्रह वर्षीय बालक को लेकर सहानुभूति थी, इसलिए क्योंकि पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों के सामने वह किसी भी प्रकार से सक्षम नहीं दिख रहा था। दर्शकों का तो साफ मानना था, कि इतनी कम उम्र के बालक को इतने बड़े मैच में कैसे खेलने दिया गया है। 

वहां खिलाड़ी और डॉक्टर खड़े हुए और अब उस बालक को मैदान छोड़ने को कहा गया वह जाए और कुछ समय आराम करे।लेकिन उस बालक ने इन तमाम बातों को नकार दिया। अपने आत्मविश्वास और मजबूत इरादे को जाहिर किया। दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की।

वह बोला और जो बोला वह आज तक नये बल्लेबाजों के लिए महान प्रेरणा है। वह बालक कहता है “मैं खेलूंगा”

यह कोई और नहीं सचिन तेंदुलकर थे। और यहां इस मैदान में भारतीय क्रिकेट का एक सितारा पैदा हुआ। वह खेला और ऐसा खेला की भारत ही नहीं दुनिया क्रिकेट से उसे नहीं पहचानती बल्कि उसके चेहरे से क्रिकेट को पहचानती हैं।।

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