सार्क संगठन में सदस्यता के लिए कोशिश-
सार्क दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन में तालिबान के प्रवेश होकर सदस्य बनने के लिए पाकिस्तान की पुरजोर कोशिश नाकाम हो गई है। पाकिस्तान सार्क की बैठक में उपस्थित सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों के समूह से इस विषय को लिए अगुवाई कर रहा था, कि तालिबान सार्क संगठन का सदस्य होना चाहिए। न्यूयॉर्क में हुई इस बैठक में सार्क संगठन के सदस्यों ने पाकिस्तान की कोशिश जो कि तालिबान की अगुवाई करते हुए सार्क में शामिल करने की थी, नकार दी और इस मसले पर आम सहमति न बन पाने से उस दिवस की बैठक ही रद्द कर दी गई।
संगठन के सात राष्ट्र सदस्यों में से पाकिस्तान के अलावा तालिबान को मान्यता देने वाला कोई राष्ट्र नहीं है।
यूएन में तालिबान की भाषण के लिए कोशिश-
अफगान कि तालिबान सरकार को अब तक मान्यता यूएन से प्राप्त न होने के चलते भी तालिबान अपने प्रतिनिधि का नाम संयुक्त राष्ट्र को प्रेषित कर चुका है। जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तालिबान का प्रतिनिधित्व के लिए सुहैल साहीन का नाम संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस को भेज, 76वें सत्र में अपनी बात रखने के लिए इजाजत की मांग की है। तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने लिखा कि गनी की सरकार के काल में स्थाई राजदूत गुलाम इसाकजाई देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। अतः तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण को अपने नए राजदूत सुहेल शाहीन के लिए अनुमति की मांग की है।
पाकिस्तान और तालिबान सरकार नोकझोंक-
जहां पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की मान्यता के लिए विश्व भर में बोल रहा है। यूं कहें कि तालिबान के चलते अफगानिस्तान में हुए बदलावों के बाद तालिबानी सरकार के साथ खड़ा होकर अफगान को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश भी करता है। ऐसी प्रवृत्ति के चलते कुछ किस्से भी खबरों में शामिल हुए हैं-
1. पाकिस्तान झंडे को हटाने पर तालिबान नाराजगी व्यक्त करता है और सीमा के रक्षक जवानों में चार को गिरफ्तार करता है तालिबानी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि तोरखम सीमा पर 17 ट्रक पाकिस्तान से मदद सामग्री लिए तालिबान में प्रवेश करने पर सीमा रक्षक दल में से कुछ ने पाकिस्तान के झंडे को जबरन हटा दिया। जिसका वीडियो फुटेज उपलब्ध हुआ है। तालिबान इस व्यवहार की निंदा करता है। इस पर कार्यवाही करते हुए तालिबानी सीमा के 4 जवानों को गिरफ्तार किया गया।
2. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान ने तालिबान को नसीहत दी है, कि “तालिबान सरकार में सभी गुटों को ले नहीं तो गृह युद्ध झेलना पड़ेगा” अब इस नसीहत पर तालिबान जो विश्व में अफगान में अपनी सरकार के हो जाने के पश्चात एकल समृद्ध राष्ट्र की छवि को टटोल रहा है। वह अपनी एक मजबूती को प्रस्तुत करने के लिए, पाकिस्तान को फटकार लगाने से भी ना थमा।
तालिबान प्रवक्ता और अफगान सूचना मंत्री जबीउल्लाह मुजादीन ने डेली टाइम्स में कहा कि “पाकिस्तान या कोई अन्य देश यह न बताएं कि आसमान में सरकार कैसी हो”।
कतर ने की अपील-
अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कतर की ओर से प्रतिनिधित्व कर संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक नेताओं से अफगान कि तालिबान सरकार के प्रति बहिष्कार ना हो की अपील की है। वे कहते हैं, कि बहिष्कार से मात्र ध्रुवीकरण होता है।
उनका कहना है, कि तालिबान के कैबिनेट महिलाओं के बिना सदस्य वाली हैं। किंतु वह भविष्य में एक समावेशी कैबिनेट की ओर जरूर कदम रखेंगे। उनका कहना है, कि दुनिया में इस वक्त अफगान की स्थिति के चलते मानवीय मदद की पहल जारी रखनी चाहिए। राजनीतिक मतभेदों को अलग ही रहने देना चाहिए।
वही उज्बेकिस्तान ने अफगान को तेल और बिजली की आपूर्ति अपनी ओर से प्रारंभ कर दी है।
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