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भारतीय संविधान का अनुच्छेद -1

भारतीय संविधान का अनुच्छेद -1

भारतीय संविधान का अनुच्छेद -1 बताता है-
“India that is Bharat shall be a union of state.” अर्थात
“इंडिया जो कि भारत राज्यों का संघ होगा”

भारतीय संविधान का पहला अनुच्छेद मूल रूप से दो बातें स्पष्ट करता है। एक राष्ट्र का नाम और दूसरा राष्ट्र का स्वरूप।
राष्ट्र के नाम के रूप में इंडिया और भारत कहा गया है। यह ध्यान रखने योग्य विषय है, कि इंडिया का अर्थ भारत नहीं है। अर्थात इंडिया अंग्रेजी शब्द और भारत उसका हिंदी अनुवाद हो ऐसा नहीं है, बल्कि इंडिया और भारत दो अलग-अलग नाम है। इंडिया का हिंदी और अंग्रेजी दोनों इंडिया ही है। और भारत का हिंदी और अंग्रेजी दोनों भारत ही है। अर्थात इस अनुच्छेद के माध्यम से हम संविधान में राष्ट्र के लोगों द्वारा अपनाए गए दो नाम इंडिया और भारत जानते हैं।
साथ ही यह अनुच्छेद राष्ट्र के स्वरूप को भी दर्शाता है, कि भारत राज्यों का संघ होगा। अर्थात भारत राज्यों का एक संघ है, जहां संघ द्वारा राज्यों को शक्तियां दी गई है। इसे आप विशिष्टता से पढ़ें और ध्यान में रखें कि भारत में संघ द्वारा राज्यों को शक्तियां दी गई।

भारत विनाशी राज्यों का अविनाशी संघ है। संघ को अर्थात संसद को संविधान के अनुच्छेद -3 से राज्यों के पुनर्गठन की शक्ति प्राप्त है। किन्तु राज्यों को संघ से अपने आप को अलग करने की शक्ति नहीं है।

जहां राज्यों को बहुत अधिक स्वायत्ता प्राप्त है, और जहां संघ राज्यों को शक्तियां देता है। ऐसा नहीं है, की राज्यों ने मिलकर शक्तियां संघ को दी हो।
इस तरह के अंतर को “Federation of state” तथा “Union of state” में अंतर कर स्पष्ट किया जा सकता है। क्योंकि दोनों का हिंदी रूपांतरण “राज्यों का संघ” ही होता है। किंतु दोनों में गहरा अंतर है। इसे Union of state & Federation of state में अंतर? आलेख के माध्यम से आप समझ सकते हैं।।

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