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संवैधानिक, गैर संवैधानिक, असंवैधानिक, संविधिक और कार्यकारी निकाय

संस्थाएं

हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी को 22 वें विधि आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। हर क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता होती है, इसीलिए विधि के क्षेत्र में विधि आयोग है। जिसका मुख्य कार्य कानूनी सुधार के लिए काम करना है, और इसके लिए परामर्श देना है।
लेकिन विधि आयोग ना तो संवैधानिक निकाय है, और ना ही वैधानिक निकाय है, यह एक कार्यकारी निकाय है।
यह कार्यकारी निकाय क्या है?
संस्थाओं को कितने प्रकार में बांटा जा सकता है? जहां हम संविधान के बात करते हैं।

संस्थाएं (institution) तीन प्रकार की हो सकती हैं।
संवैधानिक (constitutional)
असंवैधानिक (unconstitutional) तथा
गैर संवैधानिक (extra constitutional)

सामान्य रूप से समझा जा सकता है, कि संवैधानिक वह निकाय है, जो संविधान में किस अनुच्छेद में वर्णित है। जैसे वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) इत्यादि।
इसके विपरीत असंवैधानिक निकाय वह हैं। जो संविधान में वर्णित तो नहीं हैं। किंतु साथ ही यह संविधान का उल्लंघन करते हैं। जैसे आतंकवादी संगठन, नक्सलवादी संगठन आदि।
इसके अलावा निकायों की एक अन्य श्रेणी गैर संवैधानिक निकाय है। यह भी संविधान में वर्णित नहीं हैं। यह संविधान को लागू करने में सहायक होते हैं। और संविधान के संगत हैं। एक उदाहरण से आप समझें जिस विधि आयोग कि हम पूर्व में बात कर रहे हैं, वह भी इसी के अंतर्गत आता है। किंतु उसे कार्यकारिणी निकाय कहा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि गैर संवैधानिक निकाय को दो भागों में बांटा जा सकता है-
कार्यकारिणी संस्था (executive body) और
संविधिक संस्था (statutory body) अथवा कानूनी संस्था (legal body)
कार्यकारिणी संस्था वह है, जो राष्ट्रपति के द्वारा मंत्रिमंडल की सलाह पर बनाई जाती है। जैसे नीति आयोग और विधि आयोग आदि।
यह कार्यकारिणी संस्थाएं हैं इन्हें कार्यपालिका निर्मित करती है। और यह इसके ही प्रति जवाबदेही होती हैं।

वहीं यदि संविधिक संस्था अथवा कानूनी संस्था को देखा जाए तो जो संस्था संसद द्वारा या राज्य सरकार में विधानमंडलों द्वारा कानून पारित कर बनते हैं। उदाहरण के लिए संसद ने कानून पारित किया “राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम” 1992 तब इसी आधार पर 1993 में “राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग” का गठन किया गया। ठीक ऐसे ही “सूचना का अधिकार अधिनियम” है जिसके लिए “सूचना आयोग” का गठन किया गया।
अतः यह दोनों आयोग संविधिक निकाय हैं या कानूनी निकाय हैं।।

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