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Showing posts from February, 2023

कांग्रेस के कदम | Loksabha चुनाव 2024

राहुल गांधी से ही कांग्रेस पार्टी के हर स्तर पर चुनाव कर आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना की बात करते रहें हैं। यह परिवारवाद के उस बड़े सवाल का जिसे लगातार भारतीय जनता पार्टी द्वारा उठाया जाता रहा है, का परिणाम है। नागालैंड में प्रचार रैली में मोदी जी ने परिवारवाद के हवाले से पुनः कांग्रेस को घेरा। ऐसे में कांग्रेस इन सवालों के निदान में पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस पार्टी के अहम निर्णय लेने वाली कार्यसमिति में सदस्यों की संख्या कुछ बढ़ाई गई। अब 30 सदस्य कार्यसमिति में होंगे। इसमें महिलाओं, एससी, एसटी, युवाओं आदि को आरक्षण भी दिया गया है। किंतु जब यह तय किया गया कि कांग्रेस पार्टी कि निर्णय लेने वाली अहम कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव नहीं होगा, बल्कि यह प्रस्ताव पारित किया गया कि मलिकार्जुन खरगे जी जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, को यह अधिकार होगा कि वह सदस्यों को नामित करें, ऐसे में कांग्रेस पर लगने वाले परिवारवाद के सवालों के निवारण अभियान से जो वह आंतरिक हर स्तर पर चुनाव के माध्यम से दर्शाना चाहती थी, से पीछे हट गई। ऐसे में राहुल गांधी और गांधी परिवार का कोई सदस्य संचालन समि...

रूस-यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष पूर्ण | विशेष लेख

             रूस-यूक्रेन युद्ध एक वर्ष हो चुका है। रूस और यूक्रेन के मध्य युद्ध जारी है। यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बना हुआ है। कोरोना से उभरने के बाद कुछ गति जो विकास कार्यों की ओर अपेक्षित थी रूस-यूक्रेन युद्ध ने उस गाड़ी का टायर पंचर कर दिया। बात साफ है, वैश्वीकरण के युग में आप दुनिया के किसी राष्ट्र में हो रही हलचल से बिना प्रभावित हुए बचकर नहीं निकल सकते। हमारे देश में जो मांगे पैदा होती हैं, उनकी आपूर्ति के लिए विदेशों से आयात होता है, और विदेशों की आवश्यकता की आपूर्ति के लिए भारत उन्हें वस्तुएं निर्यात करता है। अतः हम संपूर्ण विश्व से परस्पर जुड़े हैं। इस वर्ष भारत को जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता के संदर्भ में प्रधानमंत्री जी ने इसीलिए ही कहा, कि कोई तीसरी दुनिया नहीं है हम सब एक नाव पर सवार है। यह कहने का तात्पर्य ही था कि हम सब की संपूर्ण दुनिया में तमाम राष्ट्रों की समस्याएं एक समान ही हैं। इसका प्रमाण दिया है, कोरोना महामारी ने और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के समय दुनिया का हर राष्ट्र आज महंगाई, खाद्य संकट, ऊर्जा संकट आदि समस्याओं का स...

राजपरिवारों की कन्याओं के विवाह | विशेष लेख

प्राचीन समय से ही राज परिवारों ने और शासकों ने अपनी कन्याओं के विवाह से अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीति का अनुसरण किया। कन्या को श्रेष्ठ पक्ष को सौंपकर विवाह संबंध स्थापना से उन्हें राजनीतिक लाभ प्राप्त हुए। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हर्यक वंश का शासक बिम्बिसार ने विवाह नीति का अनुसरण किया। उसकी तीन रानियां थी। पहली महाकौशल देवी जो कौशल प्रदेश की राजकुमारी थी, और प्रसनजीत जो अति प्रसिद्ध राजा हुआ, कि बहन थी। से विवाह किया और उसे दहेज में काशी प्राप्त हुआ। उसकी दूसरी रानी लिच्छवी शासक चेटक की बहन थी। इन्हीं से बिंबिसार का पुत्र अजातशत्रु का जन्म हुआ। लिच्छवी बेहद मजबूत गणराज्य हुआ करता था। और इससे बिंबिसार को अवश्य बल और राजनीतिक वर्चस्व हासिल हुआ होगा। उसकी तीसरी रानी मद्र की राजकुमारी क्षेमा थी। आज से 2300 साल पहले जब चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस को परास्त किया, तो उसने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया। और भी संधि के अनुसार कार्य किए गए। किंतु यह भी राजनीतिक क्रियाकलाप के फल स्वरुप ही हो सका। अतः यह विवाह भी राजनीतिक रूप से प्रेरित था। भारत ही न...