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राजपरिवारों की कन्याओं के विवाह | विशेष लेख


प्राचीन समय से ही राज परिवारों ने और शासकों ने अपनी कन्याओं के विवाह से अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीति का अनुसरण किया। कन्या को श्रेष्ठ पक्ष को सौंपकर विवाह संबंध स्थापना से उन्हें राजनीतिक लाभ प्राप्त हुए।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हर्यक वंश का शासक बिम्बिसार ने विवाह नीति का अनुसरण किया। उसकी तीन रानियां थी।
पहली महाकौशल देवी जो कौशल प्रदेश की राजकुमारी थी, और प्रसनजीत जो अति प्रसिद्ध राजा हुआ, कि बहन थी। से विवाह किया और उसे दहेज में काशी प्राप्त हुआ।
उसकी दूसरी रानी लिच्छवी शासक चेटक की बहन थी। इन्हीं से बिंबिसार का पुत्र अजातशत्रु का जन्म हुआ। लिच्छवी बेहद मजबूत गणराज्य हुआ करता था। और इससे बिंबिसार को अवश्य बल और राजनीतिक वर्चस्व हासिल हुआ होगा।
उसकी तीसरी रानी मद्र की राजकुमारी क्षेमा थी।

आज से 2300 साल पहले जब चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस को परास्त किया, तो उसने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया। और भी संधि के अनुसार कार्य किए गए। किंतु यह भी राजनीतिक क्रियाकलाप के फल स्वरुप ही हो सका। अतः यह विवाह भी राजनीतिक रूप से प्रेरित था।

भारत ही नहीं विदेशों में भी यह चलन रहा। जुलियस सीजर की कथा में और अन्य कई चलचित्रों में भी दिखाया जाता है, कि राज परिवार किस प्रकार अपनी पुत्री धन का प्रयोग अपनी सत्ता को कायम रखने या और ऊंचा उठाने में करते रहे थे। जुलियस सीजर को ही दिखाया गया है, कि वह कैसे अपनी पुत्री का विवाह अपनी ही उम्र के अपने मित्र से कर देता है। बदले में वह अपने मित्र से सेना की टुकड़ी हासिल कर लेता है, फिर अपनी विजय यात्रा के लिए निकल पड़ता है, जिससे वह रोम में अथाह प्रसिद्धि हासिल करता है, और रोम के लोगों के लिए अत्यधिक धन लूट कर लाता है। यह सब इसलिए कि वह अपनी पुत्री का अपने मित्र से विवाह कर देता है। और बदले में सैनिक टुकड़ी पाता है।

गुप्त काल में चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छिवियों की राजकुमारी से विवाह कर दिया। जिसका नाम कुमारदेवी था। लिच्छवी गणराज्य की शक्ति पर ही वह अपना गुप्त साम्राज्य स्थापित कर पाता है, यह वर्णन आता है।

आधुनिक भारत के इतिहास में पुर्तगाली गवर्नर अलबुकर्क ने विवाह संबंध नीति को प्रयोग कर अपने साम्राज्य को स्थापित करने का प्रयास किया। क्योंकि भारत में हिंदू धर्म में विधवा औरतों का विवाह वर्जित था, उसने उन्हें अपने पुर्तगाली ईसाइयों से विवाह कर लेने को कहा, और पुर्तगाली बस्ती स्थापित करने का प्रयास करता रहा।

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