विराट कोहली ने अपने वनडे इंटरनेशनल करियर में 49वां शतक लगाया है। और यह सचिन तेंदुलकर के ही बराबर है। अब विराट कोहली इस कीर्तिमान को छू चुके हैं। तो वह सचिन तेंदुलकर के समकक्ष हो गए हैं, यह बात होनी स्वाभाविक है।
यह तो है, कि आधुनिक दौर के क्रिकेट में विराट कोहली ने एक स्तर स्थापित किया है, जिसे महान कहा जा सकता है। वह कीर्तिमान जो बीते समय में सचिन तेंदुलकर द्वारा स्थापित किए गए हैं, वे भावी भविष्य के लिए केवल महान कीर्तिमान नहीं, केवल प्रेरणा नहीं बल्कि आज यदि कोई उस कीर्तिमान को छूता है, उससे आगे बढ़ता है तो यह हमारी उन्नति का प्रतीक है। यह हमारे बढ़ते रहने का प्रतीक है। इसलिए कहते हैं कि रिकॉर्ड बनाये ही जाते हैं तोड़ने के लिए। क्योंकि हम भविष्य को उन्नति की ओर बढ़ता हुआ चाहते हैं, और ऐसा ही होता है।
लेकिन यह तो है, कि इस कीर्तिमान को हासिल कर लेने से विराट कोहली ग्रेट विराट कोहली कहे जाने के और योग्य हो गए हैं। तो अब उस सवाल कि सचिन के समकक्ष हैं विराट कोहली?
इस सवाल को कैसे जवाब दिया जाए जिससे महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और उनके तमाम प्रशंसको तथा विराट कोहली और उनके प्रशंसकों जो की एक समान भी हैं तथा विचारों के उन तमाम पहलुओं जो इससे संबंधित है, के साथ न्याय हो सके।
यह भारत का सौभाग्य है कि क्रिकेट के दो महान सितारे हमारे हैं, और वे हमारे साथ हैं। लगभग एक ही दौर में इन दो महान उपलब्धियां ने हमें चर्चा की ओर और करीब लाया है।
सन् 2012 में सचिन तेंदुलकर ने अपना 100वां शतक लगाकर दुनिया के लिए क्रिकेट जगत में महानता का स्तर स्थापित किया। इस समय तक विराट कोहली भी भारतीय क्रिकेट टीम में अपने लगभग चार वर्ष पूरे कर चुके थे। जब सचिन तेंदुलकर फलक पर थे, तब विराट कोहली अपना आधार बना रहे थे। यहां शुरुआत और मुकाम साथ थे। यहां एक रोल मॉडल बना और विराट कोहली ने उन्हें गहराई से जाना और बहुत लग्नशील होकर उनका अनुसरण किया। इसी का नतीजा सामने है, आज उनके लिए कोई रिकॉर्ड कठिन नहीं है। वे मैदान पर उतरते हैं, कि आज जिस मुकाम पर वे हैं वहां नए रिकॉर्ड बनते चले जाते हैं।
आप यह भी कह सकते हैं, कि विराट कोहली के लिए मुकाम सचिन तेंदुलकर ने स्थापित किया था। हालांकि यह सब उनकी काबिलियत उनके धैर्य और समर्पण का फल है, जो भारत को विराट कोहली में सचिन तेंदुलकर का रूप दिखा है। और यह सचिन तेंदुलकर का महान खेल रहा है, की हर सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी की तुलना उनसे होगी, क्योंकि वह वे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने सबसे पहले आने वाली कई पीढ़ियों के लिए एक मुकाम स्थापित किया।
जो उस उपलब्धि को हासिल करेगा, वह स्वत: ही महान होगा। किंतु ऐसा कितनी ही बार भविष्य में होता रहे, आप इस बात को स्वीकार करेंगे, कि वह कभी सचिन तेंदुलकर के समकक्ष नहीं होगा।।
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