गुरुवार, 16 सितंबर 2021

अफगानी फैसले | तालिबान afganistan latest

छात्राओं के लिए शिक्षा की शर्तें-

विश्वविद्यालय में लड़कियों के पढने पर कई शर्तें तय कर दी गई हैं, जैसे अब कक्षा में लड़का लड़की एक साथ उपस्थित नहीं होंगे, सभी छात्रों वाली एक साथ चलने वाली कक्षाओं का चलन खत्म होगा। लड़कियों के लिए अलग क्लासरूम तय होगी। इसके अतिरिक्त उन्हें इस्लामी वस्त्र में आना अनिवार्य होगा। यह तालिबान शिक्षा मंत्री अब्दुल बाकी हक्कानी का एक टीवी इंटरव्यू में कहना है।
1996 की तालिबान से कुछ बदलाव इस बार तो रहा है तब तो महिलाओं को शिक्षा और अन्य किसी भी सामाजिक सरोकार से शामिल होने पर पूर्ण पाबंदी थी। वहां उस पर कुछ परिवर्तन कर उसे ऐसा कर दिया गया है। हालांकि तालिबानी सरकार में तो महिलाओं को इस बार भी नहीं लिया है। हाल ही के एक तालिबानी नेता के बयान में यह था, की तालिबान कैबिनेट को महिलाओं की कोई आवश्यकता नहीं है। आतः महिलाओं के प्रति अपनी दृष्टि को तालिबानी स्पष्ट कर चुका है। संगीत और अन्य कला पर सख्त रोक की खबरें हैं। यह भी तय किया जाएगा कि लड़कियों को पढ़ाने का काम शिक्षिकाएं ही करें।
सरिया कानून के लिए शपथ दिलाई गई-
 
खबरों में यह भी है, कि तालिबानी झंडे को लिए 300 युवतियों को सरिया कानून की शपथ कराई गई वह बुर्के में उपस्थित हुई। यह काबुल यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान हुआ। जिसमें नेताओं ने शरिया कानून पर व्याख्यान दी
वहीं छात्रों ने अपने भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की है। जहां सरकार ने सभी छात्रों की एक साथ चल रही शिक्षा को गलत ठहरा दिया है। इसमें छात्र आने वाली शिक्षा पद्धति और शिक्षा संदेश पर भी चिंतित होंगे। आखिर वह शिक्षा में क्या ग्रहण करेंगे। शिक्षा मंत्री का कहना है, कि वह 20 वर्ष तो पीछे नहीं जाएंगे मगर जो है, उसमें देश को हम ठीक सुधार में लाएंगे।
इन सब में तालिबान ने छात्रों को यह कहकर भी आकर्षण में लाने का प्रयत्न किया कि वे उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने का कार्यक्रम भी प्रारंभ कर रहे हैं। किंतु तालिबान विचारधारा में अपने छात्रों को विदेश भेजने में यह ढूंढ रहे होंगे, कि शिक्षा किन देशों में सरिया पर आधारित है। किन देशों की शिक्षा शरिया कानून का उल्लंघन करना नहीं सिखाती, वहीं वे छात्रों को अध्ययन के लिए अनुमति देंगे ऐसा संभव है।
तालिबान आम नागरिकों का संघर्ष जारी-
 
तालिबान के अफगान को अधिकार मिले रहने के पश्चात से ही महिलाओं ने मोर्चा छोड़ा नहीं है, यह भी दृश्य में है, कि कई शहरों में महिलाओं ने तालिबान के खिलाफ मोर्चे को जारी रखा है। यह भी खबरों में है, कि उन पर उत्पीड़न कर बर्बरता से उनके प्रदर्शन को दमन करने में तालिबान पुरजोर कोशिश से लगा है।
दूसरी और अफगान भूख से भी तड़प रहा है। कहीं घर का सामान तक सड़कों पर उतार कर बेचने का सिलसिला दृश्य में आया है। लोग परिवार का पेट पालने के लिए घर का सामान बेच रहे हैं। उनका कहना है कि बैंकों में जमा पूंजी प्राप्त नहीं हो पा रही है। एटीएम में पैसों की सुविधा नहीं रही है, ऐसे में वह क्या खाएं, और सबसे महत्वपूर्ण व्यवस्था इतनी चरमरा गई गई है, कि संघर्ष के दौर में काम धंधा और कमाई की राह का पतन हो चुका है। वह लोग सड़कों पर अपना घर का एक-एक सामान बेचने को बैठे हैं।
यूएन तालिबान पर-
यूएन ने तालिबान पर टिप्पणी की, कि वह मानव अधिकार की रक्षा नहीं करता है। वह छात्राओं को घरों में रखा जाए ऐसी व्यवस्था की पूर्ण रूप से तैयारी कर रहा है। ऐसा गठजोड़ कर रहा है, कि युवतियों को कैद कर दिया जाए। वहीं यह भी कहा गया, कि तालिबान पुराने अफगान सैनिकों को ढूंढ कर हत्या कर रहा है, इस पर तालिबान को संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकार के नियमों के बाहर कदम रखने वाला दर्शाया और उपरोक्त टिप्पणी दी।
वही यूएन ने कहा कि इस वर्ष अफगान की इस आपात स्थिति में उन्हें $600000000 की आवश्यकता होगी दुनिया भर के दानदाताओं से इस पर अपील भी की है, किंतु यह बेहद जटिल समस्या है, लोकतंत्र सरकार को समाप्त करने वाले तालिबान को कई राष्ट्र सहयोग देने को तैयार नहीं है। किंतु विषय अफगान कि भूखे जनमानस का है, यही यूएन की चिंता है। सभी राष्ट्र विश्व के बड़े दानदाता तालिबान को मौका नहीं देना चाहते हैं, हां वे अफगान के आम जनमानस की भूख को जरूर मिटाना चाहते हैं।

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नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏