उत्तराखंड सियासत-
मुख्यमंत्री जी की कई योजनाओं की घोषणा में अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन, स्फूर्ति का परिचय और रोजगार पर पहल का पिछले 4 साल की गणित को धुंधला करने का पुरजोर प्रयत्न है।
वही 1 सप्ताह के भीतर भीतर जिन विधायकों ने भाजपा पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। पहले यमुनोत्री के विधायक प्रीतम सिंह पंवार जी का भाजपा में हित टटोलते दामन थामना और अब पुरोला विधायक राजकुमार जी की दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करना भाजपा की चुनावी रणनीति को साफ कर रहा है।
भाजपा के द्वार खुले हैं। उत्तराखंड में नाखुश विधायक पूर्व में कुछ का स्थानांतरण कांग्रेस पार्टी ने 2016 में देखा है। हालांकि उनको अब तक भाजपा में भी अपने मनोवांछित फल की प्राप्ति नहीं हो पाई है। यह माननीय हरक सिंह रावत जी ने एक टीवी इंटरव्यू में स्पष्ट कर दिया है। हरक सिंह रावत जी का कहना है, कि उन्होंने 2016 में बगावत मंत्री बनने के लिए नहीं की थी, बल्कि वे तो मुख्यमंत्री होने के लिए बागी हुए थे।
भाजपा सरकार के निर्माण के लिए नेताओं का और मुख्यधारा के सबल नेताओं का दल परिवर्तन कर भाजपा का दामन थामना एक मुख्य कारक रहा है। और इस समय भी भाजपा रणनीति का मुख्य बिंदु वही है, और इसे सफल बनाती है, उत्तराखंड में नेताओं की प्रवृत्ति।
उत्तराखंड में अक्सर नेताओं का है, कि कहां जाएं जो खूब पाएं, नहीं तो जो पूर्व से है उसे तो बचा पाए।
निर्दलीय विधायक यमुनोत्री प्रीतम सिंह पंवार जी का अपना जनप्रियता का आयाम मोदी लहर में उनकी निर्दलीय जीत से प्रस्तुत होता है। वे अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। वहीं पुरोला विधायक राजकुमार जी का बीजेपी के पक्ष में हो जाना भाजपा की नीति को और विधायक द्वारा लगाई अनुमानित विजय लहर के झोंक को दर्शाता है।
पुरोला विधायक राजकुमार जी-
खबरों में यह भी मुख्य रूप से रहा, कि पुरोला के विधायक राजकुमार जी अपने कार्यकर्ता कांग्रेसियों से ठीक तालमेल बिठा पाने में असफल है, और यह असफलता इतनी प्रबल है, कि हाल ही में की गई एक कांग्रेस कार्यकर्ता मीटिंग में उन्हें टिकट न देने तक की अपील की गई। उनके विरोध में कांग्रेस कार्यक्रमों के बैठकों में स्वर उठते रहे हैं। स्वयं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल जी ने कहा कि विधायक राजकुमार हमारी कमजोर कड़ी थे, जो वक्त से पहले टूट गए हैं।
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