अफगान घटनाक्रम आज तक
हाल ही की खबर है, कि पाकिस्तान एक वर्चुअल मीटिंग में अफगानिस्तान की हाली स्थितियों पर बैठक करेगा। जिसने अफगान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्री उपस्थित होंगे। जिन देशों के विदेश मंत्रियों ने इस बैठक में उपस्थित होना है, चीन, ईरान, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान हैं। इस बैठक में अफगान की ताजा स्थिति और आने वाले समय में चुनौतियों और उससे उबरने के लिए समाधान पर चर्चा होगी।
वही 15 अगस्त को काबुल को कब्जा लेने के बाद तालिबानियों ने अंतरिम सरकार घोषित की, 33 सदस्यों की कैबिनेट बनाई गई। वहीं पंजशीर के संघर्ष के दौरान अफगान पूर्व उपराष्ट्रपति अम्रुल्लाह सालेह के भाई को पकड़ लिया गया था। खबर है कि उनकी हत्या कर दी गई। यह खबर भी अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर रही। वहीं यह भी खबर है, कि अफगान पूर्व उपराष्ट्रपति अम्रुल्लाह साले ने प्लायन कर लिया है, और वह तजाकिस्तान पहुंच चुके हैं। किंतु इस खबर को झूठलाया भी जा रहा है। कि उन्होंने देश छोड़ दिया है।
वहीं दूसरी ओर अफगान से प्लायन करने वालों में अधिकतर संख्या महिलाओं की देखी जा रही है। जो सफल हो सके हैं, वह अफगान कि हालिया स्थिति पर अपने निर्णय को ठीक ही कहेंगे। एक महिला ने कहा कि तालिबान राज में वह 20 वर्ष पीछे हो गई है, उनकी पहचान अब बुर्के में छिप जाएगी। इस तथ्य को सत्य साबित कर रहा तालिबान के प्रवक्ता सैयद जैखराउल्लाहा हाशिम ने कहा कि महिलाएं मंत्री पद नहीं संभाल सकती हैं। काबुल में जो महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं उनकी आवाज सारे अफगान की महिलाओं की आवाज नहीं है। कैबिनेट को महिलाओं की जरूरत नहीं है।
अफगान पर भारत-
यूएन में भारतीय राजदूत पीएस तिरुमूर्ति ने बयान दिया कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना है, कि उसकी जमीन को आतंकवाद के प्रसार के लिए प्रयोग न किया जाए। पाक में पल रहे आतंकी संगठन लश्कर और जैश अफगान की जमीन को आतंक के प्रसार के लिए प्रयोग में ना ले सकें। ठीक यही बयान भारत में एनएसए चीफ अजीत डोभाल जी ने भी दिया की अफगान की जमीन का प्रयोग आतंक प्रसार के लिए हो सकता है।
वहीं तालिबान का पुनः उजागर होना सत्ता में होना पहले से ही भारत के लिए चिंता का विषय है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी ने ऑस्ट्रेलिया शिक्षा मंत्री से हाल ही में की वार्ता में कहा कि तालिबान का उदय भारत के लिए शिक्षा में चिंता का सबसे बड़ा विषय है।
यूएनडीपी–
इन सभी बयानो से इतर यदि संयुक्त राष्ट्र विकास एजेंडे (यूएनडीपी) की माने तो अफगानिस्तान संकट में है। और वह गरीबी की तीव्र चोटी पर खड़ा है। यदि अर्थव्यवस्था को सुधारने में ध्यान ना दिया जाए, तो तय है कि अफगान अगले साल के मध्य तक गरीबी दर में 98 फीसद हासिल कर लेगा। तालिबान के कब्जे से पहले तक 20 वर्षों में जो भी अर्थव्यवस्था का ढांचा तैयार हो सका था। वह बेहतर स्थिति में नहीं है। वह डगमगा गया है, और आगे के लिए यह अफगानिस्तान में सबसे बड़ी भीतरी चुनौती है।
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