भारत के विभिन्न नाम / भारत के प्राचीन नाम / आर्यवर्त, भारतवर्ष, हिंदुस्तान, इंडिया-
वैदिक काल से पूर्व भारत को किस नाम से पुकारा जाता था, यह तो ज्ञान नहीं है। किंतु प्रारंभ में जहां आर्य रहते थे, उस देश को सप्तसिंधु कहा गया। सप्तसिंधु का तात्पर्य है, सप्त- सात, सिंधु- नदी अर्थात सात नदियों का देश सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास, सतलज, सरस्वती यह नदियां थी। यह वही प्रदेश है, जो अब पंजाब नाम से जाना जाता है, धीरे-धीरे आर्य पूर्व की ओर बढ़ने लगे तो देश के अन्य भागों को अन्य नाम जैसे ब्रह्मऋषि देश, मध्य देश के नाम से पुकारने लगे। देश के उत्तर के उस संपूर्ण भूभाग जिसमें आर्य घूमते रहे, उसे आर्यवर्त नाम से पुकारा गया। आर्य जो एक जाती है, और आवर्त जिसका तात्पर्य चक्कर लगाना है। अर्थात वह भूभाग जहां आर्य चक्कर लगाते रहे।
विंध्याचल और सतपुड़ा की श्रेणियों के उस पार दक्षिण हिस्से में द्रविड़ निवास करते थे। जिसे द्रविड़ देश या दक्षिणा पथ कहते थे। यह अलग ही सभ्यता और संस्कृति जो आर्यों से बिल्कुल भिन्न थी। यह लोग तेलुगू,तमिल, मलयालम जैसी भाषाओं का प्रयोग करते थे। किंतु इन सब में उस समय तक संपूर्ण भारत को एक नाम नहीं दिया गया था, जिससे उसे पुकारा जा सके।
◆ भारतवर्ष-
यह नाम प्राचीनतम वह नाम है, जो संपूर्ण देश पर लागू होता है। शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत जिसका यश संपूर्ण भारत में फैल गया। उसके नाम पर ही भारत या भारतवर्ष कहा जाने लगा। भारत भरत के नाम से है। और वर्ष का अर्थ है, खंड अथवा टुकड़ा प्राचीन काल में विद्वानों को धरा को नौ खंडों में बांटा है। जिसमें एक जंबूद्वीप है। इसी जंबूद्वीप में भारत है। अतः भारत जंबूद्वीप का खंड है। यही भारतवर्ष है।
◆ हिंदुस्तान-
यह नाम पारसियों की देन है। फारसी में सिंधू को हिंदू कहा जाता है। अतः वे लोग जो सिंधु प्रदेश के निवासी हैं, उन्हें हिंदू कहा गया। हिंदू का स्थान हिंदुस्थान के नाम से जाना गया। और उसे हिंदुस्तान भी कहा गया। मध्यकाल में मुस्लिम शासक इसे हिंदुस्तान कहते रहे हैं।
◆ इंडिया-
यह नाम यूनानीयों की देन है। सिंधु नदी को क्योंकि यूनानी इंडस कहते थे। यह यूनानी भाषा में है। इंडस से यह “इंडीज” हो गया था। उन्होंने इस शब्द का प्रयोग भारत खंड के लिए किया था। कालांतर में यह बदलकर अथवा बिगड़कर इंडिया हो गया है। अंग्रेजों ने भारत को यही नाम से पहचाना और पुकारा।
संविधान के साथ ही यह भूखंड “भारत संघ” हो गया है। हालांकि अन्य नामों का प्रयोग होता है। क्योंकि यह सब ऐतिहासिक अर्थ बयां करते हैं। भारत के इतिहास को बयां करते हैं।
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