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भारत के ऐतिहासिक प्रदेश | भौगोलिक एवं ऐतिहासिक व्याख्या

    मानव की खींची सीमाओं के  अतिरिक्त भी भारत की  प्राकृतिक तौर से स्वयं सीमा तय हुई है। यह प्रतीत होता है। भारत स्वयं में एक प्रायद्वीप है। वह भाग जो तीन ओर से जल से घिरा हो।

    भारतखंड अथवा भारतवर्ष विश्व के मानचित्र में सर्वाधिक अनोखी आकृति लिए है। इसकी सीमाएं पश्चिम-दक्षिण से और दक्षिण-पूर्व तक इसके प्रायद्वीप होने का कारण है। अर्थात क्रमशः अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी हैं। यही इसकी प्राकृतिक सीमा है। और पश्चिम-उत्तर दिशा में हिंदू कुश और सुलेमान की पर्वतमाला इसकी सीमा को तय करती हैं। उत्तर का विशाल मैदान जिस की देन है, वह हिमालय भारत भूमि पर सदैव से रक्षक रहा है। और सदैव रहेगा।

     ● सिंध और पश्चिम पंजाब का हिस्सा जो अब पाकिस्तान में है। शेष पंजाब का पूर्वी कुछ हिस्सा भारत का भाग है। यह भूमि हालांकि पंजाब और हरियाणा में दो भाग में वर्तमान में प्राप्त है। सिंधु तथा उसकी पांच सहायक नदियां इसी प्रदेश में बहती है। यही भूमि गुरु नानक की है, जिन्होंने सिख धर्म चलाया था। गेहूं की पैदावार अच्छी होने से यह भूमि समृद्ध है।

  ● उत्तर प्रदेश का यह राज्य जो वृहद ऐतिहासिक महत्व रखता है। संयुक्त प्रांत के नाम का खंडन तब हुआ जब उत्तर प्रदेश का विखंडन होता है। यह देश में कई बार बड़े-बड़े युद्धों का निपटारा करने वाली भूमि है। आगरा इसी भूमि पर है। आगरा को भारत की राजधानी का गौरव भी प्राप्त है। रामायण और महाभारत भी इसी भूमि पर लिखे गए। काशी, मथुरा इसी भूमि पर तीर्थ है। राम और कृष्ण इसी भूमि की देन हैं। यह भूमि उपजाऊ भूमि है। 

  ● उत्तर प्रदेश से पूर्व की ओर बिहार की भूमि है। राजा जनक, महर्षि याज्ञवल्क्य, गार्गी, मां सीता, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी इसी भूमि के हैं। मगध जैसी ऐतिहासिक भूमि के उत्थान और पतन का चक्र इसी भूमि पर है। शिक्षा का महान केंद्र नालंदा का विश्वविद्यालय जिसमें प्राचीन काल में भी दस हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते थे, बिहार की धरा पर ही है। बौद्ध और जैन धर्म का प्रादुर्भाव इसी भूमि पर है।

  ● बिहार के पूर्व में बंगाल प्रदेश है। यह अच्छी बौद्धिक सामर्थ्य युक्त लोगों का प्रदेश है। जगदीश चंद्र बसु, शरदचंद्र, अरविंदो, रविंद्र नाथ टैगोर जैसे आधुनिक विभूतियां इसी प्रदेश की देन हैं। यहां वर्षा अधिक होती है। यहां के लोगों का मुख्य भोजन मछली और चावल है। 

  ● पंजाब के दक्षिण में राजस्थान की भूमि राजपूतों की है। अथवा यह मरुस्थल राजपूतों का है। राजपूतों के राज्यों में मेवाड़ जिसकी राजधानी चित्तौड़ थी। बहुत ऊंचा स्थान रखता है। राणा कुंभा, राणा सांगा, और महाराणा प्रताप इसी भूमि की उपज हैं। राजस्थान के दक्षिण में गुजरात और मालवा का प्रदेश है। जो उपजाऊ प्रदेश है। 

 ● भारत में ठीक मध्य में मध्य प्रदेश भी एक उपजाऊ भूमि है। जहां पर चावल और गेहूं की अच्छी पैदावार है। इस प्रदेश में मुख्य व्यवसायिक नगर नागपुर है।

    दक्षिण के प्रदेश अर्थात दक्षिणापथ यह पठारी प्रदेश है यह उपजाऊ योग्य भूमि नहीं है। यहां के लोग अधिक मेहनती होते हैं, अपनी आजीविका के लिए।

  ● मुख्य प्रदेशों में यहां महाराष्ट्र है। जहां के लोग मराठे हैं। यह मेहनती होते हैं। शिवाजी का प्रदेश यही है। वीर शिवाजी जो हिंदू धर्म के रक्षक हुए हैं, और एक महान क्रांतिकारी योद्धा भी। मुंबई से प्रदेश की चकाचोंद है। जो संपूर्ण देश के मध्य व्यापारिक केंद्र में एक मुख्य स्थान रखता है। भारत में इसी दक्षिण भाग में तमिलनाडु प्रदेश है। जिसके विषय में नारियलों का जिक्र आता है। यह चावल और इमारती लकड़ी का भी अच्छा उत्पादन  है।

  ● मैसूर में दक्षिण भारत का मुख्य ऐतिहासिक प्रदेश है। कर्नाटक के नाम से जाना जाता है। यहां के लोग चाय काफी का प्रयोग अधिक करते हैं। यहां प्रदेश सोने की खानों को लेकर प्रसिद्ध हैं। 

     यह कुछ राज्यों का संक्षिप्त परिचय हैं। अथवा भारत का संक्षिप्त परिचय है। भारत कई अनेकताओं को लिए है। भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक किन्तु इन सब में यही नारा की “अनेकता में एकता” हमें बांधती हैं।

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