सभ्यता क्या है? सिंधु घाटी सभ्यता वर्णन-
सभ्यता से तात्पर्य लोगों का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक जीवन कैसा रहा होगा, इससे है। सिंधु घाटी की सभ्यता प्राचीनतम भारतीय सभ्यता के रूप में पुरातत्व की सबसे महत्वपूर्ण खोज है, जो अतीत के लिए विश्व को एक विशेष नजरिया देती है। यह विशाल भूमि पर फैला था। सिंधु नदी की घाटी में इसका विस्तार प्राप्त हुआ है, अतः इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जानते हैं। घाटी वह भूमि है, जो उस नदी से पोषित होती है। सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार सिंध, पंजाब, पूर्वी बलूचिस्तान, कठियावाड़ और अन्य स्थानों पर ज्ञात हुआ है। विद्वानों का मत है, कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जो क्रम से वर्तमान में पंजाब के जिला माउंटगोमरी (पाकिस्तान) और सिंध के लरकाना जिले (पाकिस्तान) में है, इनका सात बार विनाश और सात बार निर्माण हुआ था। क्योंकि खुदाई में सात परतें मिली हैं।
◆ विद्वानों के मतानुसार सिंधु घाटी सभ्यता में भवन निर्माण एक निश्चित योजना से होते थे। नगर के निर्माण एक योजना का परिणाम रहा होगा। सड़कें आपस में जहां काटती वहां समकोण अंतरित करती। वे बहुत चौड़ी होती थी। मुख्य सड़कों को जोड़ने वाली गलियां तीन से चार फीट चौड़ी होती थी। और मुख्य सड़कें तो तेंतीस फीट चौड़ी पाई गई। हां वे कच्ची हुआ करती थी। किंतु वह नगर को कई आयताकार और वर्गाकार भागों में बांट रही होती थी।
◆ सड़कों के दोनों और पक्की ईंटों के मकान थे। और हर मकान में जैसे स्नानागार होना आवश्यक रहा होगा। और एक और मुख्य बिंदु मकानों के द्वार बेहद चौड़े होते थे, कुछ तो इतने चौड़े की बैलगाड़ी भीतर जा सके। मकानों में खिड़कियां और अलमारियां भी होती थी।
◆ नगरों के जल का निस्तारण के लिए नालियों का प्रबंध था। वह ईंटों तथा पत्थरों से ढकी होती थी। खुदाई में एक विशाल जलाशय भी मिला है। जो सार्वजनिक रहा होगा। इसके दक्षिण पश्चिम में आठ स्नानागार थे। जलाशय के पास एक कुआं प्रप्त हुआ है। संभवतः जलाशय को इस कुएं के जल से भरा जाता रहा होगा।
◆ इसके अतिरिक्त खुदाई में अस्त्र-शस्त्र गदा, फरसे, भाले, बर्छे, धनुष, बाण, कटार, मिले हैं। बीज तथा पशुओं की हड्डियों प्राप्त हुई हैं। नापतोल से संबंधित बड़े छोटे आयताकार बाट, तराजू, गज मिले हैं।
◆ खुदाई में एक मूर्ति मिली है। जिसमें एक व्यक्ति एक सौल ओढे है, जो उसके बाएं कांधे से दाएं कांघ से होकर नीचे जाती है। शायद यही उनकी वेशभूषा रही होगी।
◆ खुदाई में अन्य मूर्तियां भी मिली है। उनमें कुछ देवी देवताओं की होंगी। वह उनके धार्मिक जीवन को दर्शाती है। इनमें पशुओं की मूर्तियां हैं। हड़प्पा में मिली एक मूर्ति को लेकर सर जॉन मार्शल का विचार है, कि वह शिव की मूर्ति है। इसके अतिरिक्त मूर्तियों में नारी की मूर्ति भी प्राप्त हुई है।
◆ खुदाई में सर्वाधिक संख्या में मुहरें मिली हैं। जिन पर कुछ लिखा है। जिनसे उनके लेखन के ज्ञान का अनुमान लगाया जाता है। इन मोहरों में एक ओर पशुओं का चित्र भी अंतरित है। मुख्यतः मोहरें हाथी दांत, पत्थर, धातुओं से निर्मित हैं।
यह लेख सिंधु घाटी सभ्यता की अतीत में मानवीय उत्थान के श्रेष्ठ मिसाल शायद बयां कर पा रहा हो। किंतु यह सभ्यता और अधिक विस्तृत थी। और विद्वान इस पर विभिन्न मत देते हैं। किंतु जो भी हो यह दुनिया को भारत के अतीत का सर्वश्रेष्ठ चेहरा दिखाता है। और सोने की चिड़िया वास्तव में थी, इस विचार को मजबूती देता है।
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