सिंधु घाटी सभ्यता / मिस्त्र, मोसोपोटामियां और सिंधु घाटी सभ्यता एक तुलनात्मक अध्ययन-
सिंधु घाटी सभ्यता के विषय में यह दूसरा लेख है। वे लोग उस काल में भी व्यापार करते थे। विद्वानों का मत है, कि वह वैदिक सभ्यता के मुकाबले अधिक नगरीय तथा व्यापार प्रधान थे। उनका प्रमुख व्यवसाय कृषि आधारित ही नहीं था, बल्कि व्यापार भी था। खुदाई में ऐसे बीज मिले हैं, जो उनकी भूमि की उपज नहीं हैं। साथ ही वहां किसी राज प्रासाद का साक्ष्य नहीं मिला है। हां कई सभा भवन के खंडहर जरूर मिलें हैं। इससे उनके लोकतांत्रिक शासन के होने का अनुमान होता है।
भारत में सिंधु घाटी की सभ्यता के उदय के दौर में ही विश्व के अन्य भागों में भी मानव उत्कृष्ट सभ्यता का जन्म हो रहा था। जो ज्ञात हैं वह, मिस्र की सभ्यता और मेसोपोटामिया की सभ्यता हैं। तीनों में उभयनिष्ठ है, कि वे नदी घाटी में उदित हुई। सिंधु नदी घाटी सभ्यता सिंधु नदी की घाटी में, मिस्र की सभ्यता नील नदी की घाटी में, और मेसोपोटामिया की सभ्यता दजला और फरात नदी की घाटी में प्राप्त हुई हैं।
तीनों से सभ्यताएं उत्तर पाषाण काल के बाद की हैं। वह धातु काल की सभ्यताएं हैं। वह कांश्य तथा तांबे का प्रयोग करते थे। इन सभ्यताओं के लोग सुंदर भवन बनाकर रहते थे। कुशल शिल्पकार हुआ करते थे। और सुंदर चीजों को बनाया करते थे। उनका व्यापार भी अच्छी स्थिति में था।
हालांकि परलोक को प्राप्त होने पर वहां सुख भोगने के लिए जिस प्रकार से मिस्र के लोगों ने पिरामिडो का निर्माण किया था। वह ना तो मेसोपोटामिया और ना ही सिंधु घाटी के लोगों ने किया।
मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोग अनेक देवी-देवताओं पर विश्वास करते थे। ठीक इसी प्रकार सिंधु घाटी के लोग भी देवी देवताओं पर विश्वास करते थे। खुदाई में कई मूर्तियां मिली हैं, जो मूर्तियां देवी-देवताओं की हैं, उन मूर्तियों को लेकर यह विद्वानों का मत है। किन्तु सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने उन की भांति कभी देवी देवताओं के लिए देवालय का निर्माण नहीं किया था।
सिंधु घाटी की खुदाई में अधिक लेख तो प्राप्त नहीं हुए, अपेक्षाकृत मेसोपोटामिया और मिस्र की खुदाई में अधिक लेख प्राप्त हुए हैं। किंतु विद्वानों का मत है, कि सिंधू घाटी सभ्यता के लोगों की लिपि सर्वोत्तम थी। और वह भवन निर्माण कला में भी मिश्र तथा मेसोपोटामिया सभ्यता के लोगों से उन्नत थे।
सिंधु सभ्यता के लोगों का विस्तार मिश्र तथा मेसोपोटामिया की सभ्यता से अधिक विस्तारित था। विद्वानों का मत है, कि यहां सिंधु सभ्यता के लोगों का अधिक रण-प्रिय होने का संकेत देता है।
अब सवाल यह है, कि सिंधु घाटी सभ्यता के निर्माता कौन थे। क्या वे आर्य थे। बहुत से विद्वानों का मत यही है। किंतु वैदिक सभ्यता और सिंधु घाटी सभ्यता में बहुत बड़ा अंतर है। जिससे यह स्पष्ट होता है, कि जिन लोगों ने वैदिक सभ्यता का निर्माण किया वे लोग सिंधु घाटी सभ्यता का निर्माण करने वाले नहीं हो सकते हैं।
कुछ विद्धानों का मत यह भी है, कि यह द्रविड़ लोगों की सभ्यता थी, क्योंकि दक्षिण भारत में द्रविड़ो के मिट्टी के बरतन तथा आभूषण सिंधु घाटी के लोगों के बर्तन आभूषणों से काफी मिलते-जुलते हैं। यह धारणा कुछ ठीक भी लगती है। किंतु खुदाई में जो हड्डियां मिली हैं, वह किसी एक जाति की नहीं है। अतः इस सभ्यता के निर्माता किसी एक जाति का न होकर वरन विभिन्न जाति के लोग थे।
सिंधु घाटी सभ्यता के ज्ञात होने से विद्वानों की यह धारणा की वैदिक कालीन सभ्यता ही भारत की प्राचीनतम सभ्यता है। गलत साबित होती है। विद्वानों के अनुसार वैदिक कालीन सभ्यता ईसा से लगभग 2000 वर्ष पूर्व की है। जबकि सिंधु घाटी सभ्यता ईसा से लगभग 3 से 4 हजार वर्ष पूर्व की होने का अनुमान है।
यह कहानी मानव के उन्नत अतीत की है।
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