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Alexander की भारत यात्रा का प्रभाव | सिकंदर | भारत पर यूनानी प्रभाव

सिकंदर(Alexander)
सिकंदर(Alexander) के आक्रमण का प्रभाव भारत में इतिहासकारों में मतभेद दिखाने वाला एक और विषय है। कुछ विद्वानों का मानना है, कि सिकंदर(Alexander) का आक्रमण एक तूफान की तरह था, जिसने थोड़ी देर के लिए भारतीयों को झकझोर जरूर दिया था, और फिर पानी के बुलबुले की तरह वह समाप्त भी हो गया।

कुछ विद्वानों के विचार में यह बेहद क्षणिक था और भारत के छोटे से क्षेत्र में यह होने पर पूरे भारत पर इसके प्रभाव को गहनता से भी नहीं देखते हैं। उनका मत है कि यह केवल एक सैन्य विजय थी, और यूनानी लोग कुछ ही दिनों के बाद भारत से निकल गए थे, अतः यहां भारत में यूनानीयों का कोई स्थाई प्रभाव ना हो सका।

वे तो स्वयं बर्बर और लुटेरे थे, लुटेरे यूनानी सैनिकों से भारत की सभ्यता जो स्वयं में इतनी ऊंची थी, कभी कुछ नहीं सीख सकती थी।

इस विषय में स्मिथ महोदय ने लिखा है “यूनानी प्रभाव कभी अंतः स्थल तक प्रविष्ट नहीं हो सका भारतीय राजसंस्था और समाज का संगठन जो जाति व्यवस्था पर आधारित था, वस्तुतः अपरिवर्तित हुआ रहा और सैन्य शास्त्र में भारतवासी सिकंदर(Alexander) की तीक्ष्ण करवाल द्वारा सिखाई हुई शिक्षा का आलिंगन करने के लिए उत्सुक ना थे”।

  किंतु कुछ इतिहासकारों का कहना है, कि भारतीय इतिहास में यह घटना बहुत महत्वपूर्ण थी और इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव भारतीय सभ्यता पर जरूर पड़े। यह सत्य है कि यूनानी लोग भारत से भगा दिए गए थे, किंतु वह लोग अपने देश को नहीं गए वरन वे भारत के पश्चिमोत्तर सीमा के निकट बस गए थे। और भारतीयों के साथ संबंध स्थापित करने के पश्चात भारतीय संस्कृति उन से अछूती न रह सकी। प्रो० नीलकांत शास्त्री ने सिकंदर के आक्रमण के विषय में कहा है कि यद्यपि यह दो वर्षों से कम तक रहा परंतु आक्रमण स्वयं एक ऐसी महान घटना थी, की चीजें जैसी थी वैसी न रह सकी उसने इस बात को स्पष्ट रुप से प्रदर्शित कर दिया कि एक दृढ़ प्रतिज्ञ शत्रु की संयम शक्ति की समानता स्वतंत्रता का उत्तेजना पूर्ण प्रेम नहीं कर सकता।

    इस आक्रमण से भारतीयों को कम से कम इतना तो ज्ञान हुआ कि पश्चिमोत्तर छोटे-छोटे राज्यों में वितरित होना उसके राजनीतिक दुर्बलता को प्रस्तुत करता है। और आक्रमणकारियों को निमंत्रण देता है। इसी विचार से चंद्रगुप्त मौर्य पूरे उत्तर भारत में राजनीतिक एकता स्थापित करने में सफल हो सका।

  यूनानीयों की सुसज्जित सेना ने कैसे भारतीयों की विशाल सेना को परास्त कर दिया इससे भारतीयों को यह ज्ञान हुआ कि सेना में संख्या की नहीं बल्कि रण कुशलता की अधिक आवश्यकता होती है।

  सिकंदर(Alexander) का आक्रमण 327 ईसा पूर्व भारत पर हुआ था, और इसी तिथि के बाद भारत में इतिहास का तिथि गत क्रम से अध्ययन प्रारंभ होता है।

यूनानीयों के कई लेख भारतीय प्राचीन इतिहास को जानने में भी बेहद महत्वपूर्ण है।

  भारतीय संस्कृति और साहित्य पर यूनानीयों का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा यह कुछ इतिहासकार विद्वानों का मत है, क्योंकि यूनानी भारत से वापस लौटे नहीं बल्कि पश्चिमोत्तर प्रदेशों में बस गए थे। इसलिए संस्कृत में आदान-प्रदान निश्चित तौर से हुआ।

~कुछ का मत है कि भारत में गद्य-काव्य, नाट्य इत्यादि यूनानीयों के प्रभाव के होने से ही प्रारंभ हुआ।

~भारत में मुद्रा का चलन को लेकर यूनानी द्रम से ही भारतीय दीनार रूपांतरित हुआ है। यह कुछ विद्वानों का मत है।

~इसके अतिरिक्त यूनानीयों का प्रभाव भारतीयों पर ज्योतिष विद्या, चिकित्सा एवं औषधि तथा धार्मिक जीवन पर पड़े बिना न रह सका।

~कुछ विद्वानों का मत है, कि भारतीयों की मूर्तिकला पर यूनानीयों का प्रभाव पड़ने से एक नई शैली का प्रादुर्भाव हुआ, जिसे गांधार शैली के नाम से जाना जाता है।

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