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चंद्रगुप्त मौर्य का शासन काल | साम्राज्य का प्रसार तथा विजित प्रदेश | Maurya dinesty Chandragupt

Chandragupta maurya 

संपूर्ण उत्तर भारत में जिसका साम्राज्य स्थापित हो चुका था, वह दक्षिण की ओर बढ़ता है, और सौराष्ट्र की भूमि पर भी अपना अधिकार स्थापित करता है, इतना ही नहीं वह मालवा को भी अपने अधिकार में करता है, कुछ विद्वानों का मत है, कि उस क्रांतिकारियों के नेता चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य मैसूर राज्य की सीमा तक प्रसारिता था।

    चंद्रगुप्त की विजय का आरंभ पंजाब की भूमि से होता है। सिकंदर के भारत से लौट जाने के पश्चात पंजाब की भूमि में यूनानीयों के विरोध में एक बड़ी क्रांति ने जन्म लिया। चंद्रगुप्त मौर्य क्रांतिकारियों का नेता हो गया उसने यूनानीयों को भारत भूमि से मार भगाया और पंजाब पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया।

   चंद्रगुप्त मौर्य अब अपने लक्ष्यों के प्राप्ति के उदीयमान पृष्ठों को लिख रहा था। यह वही मगध का साम्राज्य था, जिस पर आक्रमण का साहस सिकंदर न कर सका, किंतु दृढ़ संकल्पित चंद्रगुप्त मौर्य पंजाब पर अपने अधिपत्य के पश्चात मगध के विशाल साम्राज्य पर विजय के मंसूबे को साकार करता है। ब्राह्मण चाणक्य साथ हैं। 321 ईसा पूर्व में चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य का मगध की गद्दी पर राज्याभिषेक कर देते हैं, और चंद्रगुप्त मौर्य मगध के सिंहासन पर एक नए वंश मौर्य वंश का पहला पृष्ठ लिखता है।

    उत्तर भारत पर चंद्रगुप्त के अधिपत्य के पश्चात चंद्रगुप्त मौर्य दक्षिण भारत को भी अपने अधिकार में लेने के लिए प्रयत्नरत होता है। उसने सौराष्ट्र की भूमि को पहले जीता, और उसके पश्चात मालवा को अपने अधिकार में ले लेता है। मालवा की भूमि को अपने अधिकार में ले लेने के पश्चात वह वहां का शासन प्रबंध पुष्पगुप्त वैश्य को सौंप देता है, और उसी ने वहां पर सुदर्शन झील का निर्माण करवाया था। 

   चंद्रगुप्त का अंतिम संघर्ष सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर के साथ पश्चिमोत्तर भारत सिंधु नदी के पश्चिम में हुआ।

सिकंदर की मृत्यु के पश्चात सेल्यूकस निकेटर सिकंदर की साम्राज्य के पूर्वी भाग का स्वामी बन गया था, और वह भारत पर अधिपत्य के लिए दृढ था। उसने 305 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण कर दिया, किंतु चंद्रगुप्त मौर्य ने सफलतापूर्वक उसे वहीं रोक दिया। अंततः सेल्यूकस निकेटर को चंद्रगुप्त के साथ संधि करनी पड़ी। उसने चंद्रगुप्त मौर्य के साथ अपनी पुत्री का विवाह कर दिया, और यही नहीं बल्कि अफगानिस्तान तथा बलूचिस्तान का प्रदेश भी चंद्रगुप्त मौर्य को सौंप दिया। चंद्रगुप्त मौर्य ने भी 500 हाथियों को भेंट स्वरूप सेल्यूकस निकेटर को सौंप दिया।

   अब चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य उत्तर भारत में तो अपनी चरमता हासिल कर चुका था। स्पष्ट है कि चंद्रगुप्त का साम्राज्य पश्चिम में हिंदू कुश पर्वत से पूर्व में बंगाल तक और उत्तर में हिमालय पर्वत से दक्षिण में कृष्णा नदी तक फैला हुआ था। हां यह जरूर ध्यान रहे कि कश्मीर और कलिंग का हिस्सा चंद्रगुप्त के साम्राज्य में नहीं आता था।

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