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ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार नहीं किया?

ईस्ट इंडिया कंपनी: VICTORIA MEMORIAL

1600 में महारानी एलिजाबेथ की आज्ञा पत्र के साथ अंग्रेजों का भारत आगमन होता है। इनकी आरंभ में जो नीती थी वह अब तक के यूरोपीय व्यापारियों की अपेक्षा कुछ अलग थी। अब तक पुर्तगाली और डचों का भारत में प्रवेश हो चुका था। पुर्तगालियों ने 1498 में ही भारत में प्रवेश कर लिया था और अपनी एक व्यापारी कंपनी “एस्तादो द इंडिया” के नाम से भारत से व्यापार के लिए स्थापित कर ली थी।

वही डचों का भी 1595-96 में भारत में दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में विशेष इंडोनेशिया में प्रवेश हुआ। डचों का हस्तक्षेप इंडोनेशिया के द्वीपों में आरंभ हो गया था। उन्होंने युद्ध नीति अपनाई और डचों ने पुर्तगालियों से इंडोनेशिया में 1602 में वाण्टम जीत लिया। उसके बाद 1605 में अम्बयाना, 1613 में जकार्ता, 1641 में मलक्का पर अधिकार किया। भारत में उन्होंने 1605 में मसूलीपट्टनम में अपनी कोठी बनाई जो आंध्रप्रदेश के तट पर था। डचों का भारत आगमन तो 1695-96 में ही हो गया था। लेकिन उन्होंने अपनी कंपनी “Veerengde Oost Indische Compagnie” (VOC) या डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1602 में की थी। यह भी व्यापारिक कंपनी थी। पुर्तगालियों के व्यापार के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए उन्हें युद्ध करने पड़े और राजनीति में उनका प्रवेश हुआ। ठीक ऐसे ही ऐसे ही भारत के स्थानीय राजाओं से भी इन्हें युद्ध करने पड़े और राजनीति में इनका प्रवेश हुआ।

अंग्रेजों की नीति इनसे कुछ अलग थी। उन्होंने भारत के शासकों के साथ संधि की और इसी नीति के अंतर्गत 1608 में विलियम हॉकिंस, 1615 में टॉमस रो भारत आए। 1600 में जब अंग्रेजों ने कंपनी की स्थापना की तो वह व्यापार के लिए ही स्थापित की थी। किंतु जिस कंपनी ने व्यापार किया और 1600 में जिसे स्थापित किया गया था। उसका नाम “द गवर्नर एंड मर्चेंट ऑफ लंदन ट्रेडिंग इनटू  द ईस्ट इंडीज” था। इसी नाम की कंपनी ने भारत में व्यापार किया था। जो एलिजाबेथ प्रथम के आज्ञा पत्र के साथ भारत आई थी। ब्रिटेन कि दो अन्य कंपनियां न्यू कंपनी तथा राजा विलियम तृतीय द्वारा बनाए कंपनी का 1708 में “द गवर्नर एंड मर्चेंट ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज” में विलय हो गया व नया नाम “यूनाइटेड कंपनी ऑफ मर्चेंट ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडीज” कर दिया गया।

इस कंपनी का नाम 1833 में ईस्ट इंडिया कंपनी कर दिया गया। अब आप तिथि याद करें 1833 जब भारत के लिए चार्टर एक्ट 1833 आया था। इसी में यह प्रावधान आया। आप जानिए कि 1835 में ही ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापारके अधिकार को समाप्त कर दिया गया। अब 1833 के बाद कंपनी पूर्णतया राजनैतिक और प्रशासनिक कार्य के लिए तब्दील कर दी गई। और वह क्राउन के ट्रस्टी के रूप में रहेगी।

इस तरह आप पाएंगे, कि नाम के कारण यह कहा जा सकता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार नहीं किया बल्कि वह तो शुद्ध राजनीतिक व प्रशासनिक कार्य के लिए थी।।

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