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गायत्री तीर्थ- शांतिकुंज हरिद्वार सचित्र वर्णन | part -1

चित्र में- शांतिकुंज परम तपस्वी ऋषियुग्म पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा

शांतिकुंज से पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का नाम याद आ जाता है। आपने इनका नाम भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा जो गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में अखिल विश्व गायत्री परिवार के सौजन्य से करवाई जाती है, के कारण जरूर सुना होगा। पूरे देश में इनकी शाखाएं और कई कार्यकर्ता होते हैं। और यह परीक्षा उन्हीं के द्वारा पूरे देश में संचालित होती है। संस्कृति ज्ञान परीक्षा की किताब जो हर छात्र को विद्यालय स्तर तक और सभी अन्य पर होने वाली इस परीक्षा की तैयारी के लिए उपलब्ध कराई जाती हैं। विद्यालय स्तर से अन्य सभी स्तरों पर विजेताओं को प्रथम द्वितीय और तृतीय स्तर के पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। उद्देश्य एक ही है, भारतीय प्राचीन संस्कृति के ज्ञान से नई पीढ़ी को अवगत करवाना।

चित्र में- शांतिकुंज परिसर मे प्रवेश के लिए एक द्वार

शांतिकुंज एक आश्रम एक धर्मशाला जहां कई लोग निशुल्क रुकते हैं, हरिद्वार में यह धार्मिक आकर्षण का एक मुख्य केंद्र है। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के विषय में यहां इस आलेख से पता चलता है कि-

चित्र में- गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के विषय में

  “शांतिकुंज परम तपस्वी ऋषियुग्म पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा की तपोभूमि है। यहां 1926 से प्रज्वलित अखंड ज्योति, हर व्यक्ति के लिए उपयोगी युग ऋषि की लिखी 3200 पुस्तकें, गायत्री माता मंदिर, देवात्मा हिमालय मंदिर, ऋषियुग्म के समाधि स्थल दर्शनीय एवं आस्था के केंद्र हैं। करोड़ों साधकों द्वारा किए गए गायत्री मंत्र, जप, अनुष्ठान, यज्ञ संस्कार और यहां चलने वाले प्रशिक्षण शिविर इसे ऊर्जावान बनाते हैं। जाति लिंग भाषा प्रांत धर्म संप्रदाय आदि के भेदभाव के बिना मानव मात्र के लिए कल्याणकारी सर्वमान्य व विज्ञानसम्मत अध्यात्म चेतना का विश्वव्यापी विस्तार युग तीर्थ शांतिकुंज का प्रमुख अभियान है। शांतिकुंज का संकल्प है-

मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण”


चित्र में- शांतिकुंज परिसर मे एक भवन

शांतिकुंज का परिसर एक वैदिक समाज का परिवेश तैयार करता दिखता है। शानदार उपयोगी वृक्ष वाटिका मुख्य मार्ग के दोनों ओर कम मात्रा में किंतु अलग-अलग प्रकार के होने से आकर्षण का भाग है। बहुत से लोग यहां निशुल्क रुके हुए हैं। यह धर्मशाला के रूप में भी है। कई लोग जो प्रतीत होता है, कि यहां के स्थाई हो गए हैं। लोगों ने अपने वस्त्र यहां मुख्य मार्ग के दोनों और सुखाने को धूप पर रखे हैं। जो एक बड़ा हॉल है, वही धर्मशाला है। जहां लोग अपने अपने सामान के साथ कोई जगह देख कर लेटे हैं, या बैठे हैं। कुछ लोग अंदाजा है, कि स्थाई रूप से यहां रह रहे होंगे, या कुछ लंबे समय से यहां होंगें। शायद वही लोग हैं, जो परिसर में चार पांच मंजिला भवनों में कमरे पाए हुए हैं।

चित्र में- शांतिकुंज द्वारा संचालित अन्य संसथान

परिसर काफी बड़ा है, धर्मशाला के अलावा बाकी अधिकतर क्षेत्र शांत ही है। शांतिकुंज के परिसर में ही लगभग मध्य में एक कैंटीन को भी जगह दी गई है। यहां लोग जो दैनिक रूप से श्रद्धालु या यात्री देखने आते होंगे वह कुछ फास्ट फूड खा लेते होंगे।

आगे गायत्री तीर्थ- शांतिकुंज हरिद्वार सचित्र वर्णन | part -2 में…

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