सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

ICC-CT 2025 भारत-पाकिस्तान | शुभमन ने विराट की राह पकड़ ली है

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का 2025 भारत-पाकिस्तान का यह मैच बहुत कुछ बता रहा है। शुभमन गिल ने विराट की छाया ढूंढ ली है। अब करना यह है, उसे छोड़ना नहीं है, यही रास्ता है। 

आज का मैच शुभमन हर भार को खूबसूरती से बहन करते दिखे। भारत का क्रिकेट इन हाथों में खूबसूरत और उज्जवल लगता है ।


जब शुभमन, रोहित के साथ मैदान पर आए वह हमेशा की तरह किसी कार्यभार से मुक्त प्रतीत हो रहे थे। हां रोहित और विराट जैसे खिलाड़ी कुछ भार महसूस करते हैं, ऐसा प्रतीत होता है। क्योंकि उपलब्धियां जितनी बड़ी हासिल की हैं, उनसे जनता की अपेक्षाएं उतनी ही बड़ी हो गई हैं। शुभमन शांत और एक विद्यार्थी जैसा प्रतीत होता है। और यह सच भी है, विराट और रोहित जैसे दुनिया के क्रिकेट में लोहा मनवा चुके खिलाड़ियों के बीच वे मैदान पर विद्यार्थी ही हैं। बात गौर कि यह है कि उनमें यह विद्यार्थी पना झलकता है। और यह शुभमन को खास बनाता है। 

बात पहले से ही होती रही है कि विराट की राह शुभमन ने पकड़ ली है। हालांकि राह लंबी है, और उसमें हर दिन उन्हें नीरश मेहनत से होकर जाना है। विराट का कहना कि एक दिन मैदान पर चमकने के लिए पहले का हर दिन वह नीरश मेहनत।


आज शुभमन की एक-एक प्रहार बिल्कुल सटीक और केंद्रित था। शुभमन, भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है इसका प्रदर्शन दे रहे हैं, और सामने किंग कोहली उन्हें शिखर की ऊंचाई बता रहे हैं।।

सोमवार, 17 फ़रवरी 2025

तो ये हैं दिल्ली के नए मुख्यमंत्री | New CM Delhi | Delhi Election


दिल्ली में मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल अभी बना है, चर्चाएं अब भी जारी हैं। निश्चित रूप से बीजेपी इस चयन के माध्यम से पूरे देश में एक संदेश देने की कोशिश करेगी।

27 साल बाद बीजेपी दिल्ली में वापसी कर रही है। 70 विधानसभा सीटों में 48 पर भाजपा ने जीत हासिल की शेष 22 आम आदमी पार्टी को जीत मिली और कांग्रेस यथावत स्थिति पर रही। ऐसे में भाजपा संगठन में भी खुशी की लहर है। साथ ही दिल्ली की जनता के आशा और अपेक्षाएं बड़ी हैं। एक तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है, दूसरी ओर मोदी जी की सरकार है, जनता की अपेक्षाओं पर खडा उतरने के लिए भाजपा संगठन की तरफ से एक योग्य और क्षमतावान व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाना है, साथ ही ऐसे व्यक्ति का चयन करना है जिससे पूरे देश में एक संदेश जा सके।

दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में एक खास बात यह भी देखने को मिली कि भाजपा ने चुनाव के समय किसी चेहरे पर मोहर नहीं लगाई थी, बिना चेहरे के दिल्ली का चुनाव लड़ा और जीत भी गई। यही बात जब इंडिया गठबंधन के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में उनके द्वारा इस तरह से लड़ा जा रहा था। जब उनसे पूछा जाता था, कि यदि गठबंधन जीता तो प्रधानमंत्री कौन होगा। क्योंकि इस संबंध में कोई संतोषजनक जवाब ना दे सके, तो हार के बाद इसे भी एक कारण माना गया। लेकिन बीजेपी ने यह बात सिद्ध कर दी कि हम बिना चेहरे के लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी।


दिल्ली नेतृत्व के लिए भाजपा संगठन के सामने कई विकल्प बताए जा रहे हैं। अरविंद केजरीवाल जी को हराने वाले प्रवेश वर्मा जी, रेखा गुप्ता जी, पवन शर्मा जी, सतीश उपाध्याय जी, शिखा राय जी इन नाम की चर्चा सर्वाधिक है। हालांकि बीजेपी का एक पैटर्न रहा है, उत्तराखंड हो, राजस्थान हो, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हो बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के चयन में सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया है। यहां भी कुछ ऐसा हो सकता है। हालांकि बीजेपी के विकल्पों में महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। निश्चित रूप से उन पर भी विश्वास जताया जा सकता है, महिला सम्मान की जो बात होती है। देश की जनता के सामने बीजेपी इस चयन से उस बात को प्रमाणित कर सकती है। साथ ही पिछड़ों और दलित को आगे लाकर नेतृत्व देकर देश में एक बड़ा संदेश जाएगा। देश के राजनीति में यह बड़ा सवाल है, राहुल गांधी जी ने भाजपा संगठन पर आरोप लगाया कि मोदी जी दलितों को प्रतिनिधित्व देने की बात तो करते हैं लेकिन उन्हें शक्ति से दूर रखते हैं। एक अच्छा मौका है, जहां बीजेपी इस तरह के सवालों का जवाब दे सकती है। हालांकि इस समय भाजपा संगठन की भीतरी बातों को समझ कर दिल्ली की जनता की अपेक्षा को देखते हुए संगठन के सदस्यों से वार्ता के बाद जिस किसी तरह बढ़ लेकिन उनके मस्तिष्क में यह बातें जरूर होंगी।।

शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने किसके खिलाफ मोर्चा खोला है?

श्रीनगर किताब कौथिक आयोजित ना होना या जो खबर है, कि उसे होने से रोका गया। इस घटना ने बहुत से सवालों को पैदा किया है, बात यह है कि श्रीनगर में किताब कौथिक आयोजित होना था। इस कौथिक को करवाने वाली उस टीम में सदस्य कहें, हेम पंत जी ने अपनी बात को रखा। वह कहते हैं, कि इस आयोजन को पॉलिटिकल दृष्टि से देखा जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ है नहीं। हम पहाड़ों के दूरस्थ गांव में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं, उसे स्थापित करना चाहते हैं। हमारे राज्य के ऐतिहासिक, पौराणिक क्षेत्र का ज्ञान लोगों को करवाना चाहते हैं। यही हमारा उद्देश्य है 12 सफल आयोजन करवाने के बाद 13 वें आयोजन में इस प्रकार की रुकावट को वे खेदपूर्ण बताते हैं।


दूसरी तरफ छात्र संघ है। छात्र संघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि हमें इस बात की सूचना जब मिली की कॉलेज परिसर में किताब कौशिक का आयोजन होगा और इसमें कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाएंगे। हमने लाइब्रेरी में जो तमाम छात्र पढ़ने आते हैं उनसे बात की तो उनकी सहमति पर क्योंकि उनकी परीक्षाएं चल रही हैं, जिसके चलते छात्र हित में हमने इस किताब कौथिक के कार्यक्रम को इस वक्त स्थगित करने या पोस्टपोंड करने की बात रखी।

इस विषय पर जब नरेंद्र सिंह नेगी जी ने बात को उठाया तो मुद्दा व्यापक हो गया। अब एक तरफ तो हेम पंत जी और उनका वह साथी वर्ग जो किताब कौथिक का आयोजन करवाता है, अपने विशुद्ध उद्देश्य के साथ हैं। लेकिन बात अब पॉलिटिकल हाथों में जा चुकी है। यहां से आरोप लगने शुरू होते हैं। 


इस घटना ने कुछ सवाल जरूर पैदा किए हैं हेम पंत जी बताते हैं कि उन्होंने रामलीला मैदान में भी किताब कौथिक करवाने के लिए तैयारी की लेकिन वहां पर भी कुछ इसी प्रकार का विवाद पैदा हुआ। जिस वजह से अब उन्हें इसे पूरी तरह से स्थगित करना पड़ रहा है, ऐसे में सवाल बड़ा है। सरकार तक तो मालूम नहीं लेकिन क्षेत्र के विधायक जी इस विषय पर बात रखें तो बेहतर होगा। हालांकि बाद में यह मुद्दा पॉलिटिकल हाथों में गया, लेकिन मूल रूप से यह शिक्षा प्रेमियों, पुस्तक प्रेमियों और बुद्धिजीवियों का मुद्दा है।।

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

केजरीवाल की हार से राहुल गांधी की जीत हुई है।


दिल्ली चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस की भविष्य को लेकर स्थिति को साफ कर दिया है। कांग्रेस ने देश भर में गठबंधन के नेताओं को और पार्टियों को एक संदेश दिया है। यदि गठबंधन के मूल्यों को और शर्तों को चुनौती दोगे, तो कांग्रेस भी इसमें केंद्र बिंदु में रहकर अपनी जमीन को सौंपती नहीं रहेगी। बल्कि दमदार अंदाज में चुनाव लड़कर दिल्ली की तरह ही अन्य जगहों पर भी चुनाव लड़ेगी।

आम आदमी पार्टी की हार हो जाने से राहुल गांधी जी का गठबंधन में स्तर पुनर्स्थापित हुआ है। कारण यही है कि अब तक अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली में सरकार बनाकर एक ऐसे नेता बने हुए थे, जो मोदी जी के सामने अपराजिता हैं। जिन्हें हराया नहीं गया है, विशेष कर मोदी जी के सामने।

वह एक विजेता नेता की छवि के तौर पर गठबंधन के उन तमाम नेताओं में शीर्ष पर थे। अब विषय यह था, कि राहुल गांधी जी की एक हारमान नेता की छवि के तौर पर जो स्थिति गठबंधन में थी, वह केजरीवाल जी के होने से गठबंधन के अन्य नेताओं में शीर्ष होने की स्वीकार्यता हासिल नहीं कर पा रही थी। राहुल गांधी जी को गठबंधन के शीर्ष नेता के तौर पर जो स्वीकार्यता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रही थी। क्योंकि केजरीवाल जी एक ऐसे विकल्प के तौर पर थे, जो मोदी जी के सामने हारे ही नहीं है, हर बार अपनी पार्टी को जीत दिलाते हैं। लेकिन यहां जब केजरीवाल जी की हार हुई और यह छवि टूट गई अब राहुल गांधी जी ने अपने स्तर को पुनःस्थापित कर लिया है। अब बात बराबरी की है, गठबंधन में अब यह मामला बराबरी का है, और यहां पर अन्य देश की तमाम गठबंधन की पार्टियों के लिए भी एक संदेश हो जाता है।


देश भर में गठबंधन की वह पार्टियों और नेता चाहे वे अखिलेश यादव हों, ममता बनर्जी हों तेजस्वी यादव हों या महाराष्ट्र के शरद पवार हों कांग्रेस से अपनी बात मनवा कर गठबंधन की शर्तों में और गठबंधन की एकता के लिए कांग्रेस के मूल्यों को कम कर चुनाव लड़ने जैसी बात कांग्रेस के लिए एक चुनौती का विषय था। लेकिन यहां से कांग्रेस ने एक सीधा संदेश दिया है, कि अगर गठबंधन का साथ नहीं दोगे तो हम दिल्ली में केजरीवाल जी के खिलाफ जिस प्रकार दमदार अंदाज में लड़े ठीक उसी प्रकार आपके राज्य में भी आपके समीकरण बिगाड़ सकते हैं। यहां निश्चित रूप से अन्य पार्टियों को जो गठबंधन में है कांग्रेस को लेकर शीर्ष नेता को लेकर राहुल गांधी जी के प्रति स्वीकार्यता दर्शानी होगी और कांग्रेस को अहमियत देनी होगी।।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏