दिल्ली में मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल अभी बना है, चर्चाएं अब भी जारी हैं। निश्चित रूप से बीजेपी इस चयन के माध्यम से पूरे देश में एक संदेश देने की कोशिश करेगी।
27 साल बाद बीजेपी दिल्ली में वापसी कर रही है। 70 विधानसभा सीटों में 48 पर भाजपा ने जीत हासिल की शेष 22 आम आदमी पार्टी को जीत मिली और कांग्रेस यथावत स्थिति पर रही। ऐसे में भाजपा संगठन में भी खुशी की लहर है। साथ ही दिल्ली की जनता के आशा और अपेक्षाएं बड़ी हैं। एक तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है, दूसरी ओर मोदी जी की सरकार है, जनता की अपेक्षाओं पर खडा उतरने के लिए भाजपा संगठन की तरफ से एक योग्य और क्षमतावान व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाना है, साथ ही ऐसे व्यक्ति का चयन करना है जिससे पूरे देश में एक संदेश जा सके।
दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में एक खास बात यह भी देखने को मिली कि भाजपा ने चुनाव के समय किसी चेहरे पर मोहर नहीं लगाई थी, बिना चेहरे के दिल्ली का चुनाव लड़ा और जीत भी गई। यही बात जब इंडिया गठबंधन के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में उनके द्वारा इस तरह से लड़ा जा रहा था। जब उनसे पूछा जाता था, कि यदि गठबंधन जीता तो प्रधानमंत्री कौन होगा। क्योंकि इस संबंध में कोई संतोषजनक जवाब ना दे सके, तो हार के बाद इसे भी एक कारण माना गया। लेकिन बीजेपी ने यह बात सिद्ध कर दी कि हम बिना चेहरे के लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी।
दिल्ली नेतृत्व के लिए भाजपा संगठन के सामने कई विकल्प बताए जा रहे हैं। अरविंद केजरीवाल जी को हराने वाले प्रवेश वर्मा जी, रेखा गुप्ता जी, पवन शर्मा जी, सतीश उपाध्याय जी, शिखा राय जी इन नाम की चर्चा सर्वाधिक है। हालांकि बीजेपी का एक पैटर्न रहा है, उत्तराखंड हो, राजस्थान हो, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हो बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के चयन में सभी राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया है। यहां भी कुछ ऐसा हो सकता है। हालांकि बीजेपी के विकल्पों में महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। निश्चित रूप से उन पर भी विश्वास जताया जा सकता है, महिला सम्मान की जो बात होती है। देश की जनता के सामने बीजेपी इस चयन से उस बात को प्रमाणित कर सकती है। साथ ही पिछड़ों और दलित को आगे लाकर नेतृत्व देकर देश में एक बड़ा संदेश जाएगा। देश के राजनीति में यह बड़ा सवाल है, राहुल गांधी जी ने भाजपा संगठन पर आरोप लगाया कि मोदी जी दलितों को प्रतिनिधित्व देने की बात तो करते हैं लेकिन उन्हें शक्ति से दूर रखते हैं। एक अच्छा मौका है, जहां बीजेपी इस तरह के सवालों का जवाब दे सकती है। हालांकि इस समय भाजपा संगठन की भीतरी बातों को समझ कर दिल्ली की जनता की अपेक्षा को देखते हुए संगठन के सदस्यों से वार्ता के बाद जिस किसी तरह बढ़ लेकिन उनके मस्तिष्क में यह बातें जरूर होंगी।।
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
Please comment your review.