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गेंदबाजों का क्रिकेट | भारत Vs श्रीलंका

भारतीय क्रिकेट टीम का आज पूरी तरह से उत्साह पूर्ण प्रदर्शन रहा। यह निडर प्रदर्शन श्रीलंका के खिलाफ होना, भारतीय टीम के आत्मविश्वास का प्रदर्शन है। हालांकि भारत की ओर से स्कोर बोर्ड पर अच्छी चुनौती दी गई थी। लेकिन यह इतना भी दबाव पैदा नहीं करता है, कि श्रीलंका जैसी बड़ी टीम को इस स्थिति में ले आए। यहां भारतीय गेंदबाजी की बड़ी तारीफ करनी होगी। खास कर तेज गेंदबाज जो लगातार शानदार प्रदर्शन दे रहे हैं।   इस खेल में आज सिर्फ बॉल विकेट के लिए फेंकी जा रही थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था। बल्ले ने भारत के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कहा। यह श्रीलंका जैसी टीम के लिए बड़ी निराशा है। यह कुछ ऐसा ही था, जैसे तमाम अब तक हुए मैचों को जीत आने के बाद भारतीय टीम ने अपना वह सब अनुभव आज के मैच में उतार दिया हो। यह बड़ी जीत है। यह भारतीय टीम के मजबूत विजन को दर्शाता है। बैटिंग के शानदार प्रदर्शन के बाद गेंदबाजी में यह कर दिखाना पूरी तरह से एक तरफा मैच की स्थिति पैदा करने वाला रहा।   वहां जब से मोहम्मद शमी को खेलने को मैदान पर लाया गया है, उन्होंने अपनी जगह को पूरी तरह से निश्चित कर लिया है। हर मैच ...

श्रेयश अय्यर श्रीलंका के खिलाफ शानदार

इस वर्ल्ड कप में खिलाड़ियों का शानदार देखा गया। आज इसी लय में श्रेयश अय्यर ने भारतीय क्रिकेट टीम में अपने होने का प्रदर्शन किया। एक शानदार प्रदर्शन। यूं तो सुभमन गिल और विराट कोहली की भी एक लंबी शानदार पारी रही, लेकिन श्रेयश अय्यर आज के मैच में खास हैं। यह इसलिए भी क्योंकि इस वर्ल्ड कप में खेल प्रेमियों के साथ स्वयं श्रेयश अय्यर भी अपना सर्वश्रेष्ठ ढूंढ रहे थे।  भारतीय टीम का हिस्सा इस वर्ल्ड कप में श्रेयश अय्यर अब तक अपना खास नहीं दे पाए थे। पूर्व में एक मैच के बाद जब उन्हें बाहर रखा गया यह कहकर की फिटनेस संबंधी समस्या है, और ईशान किशन को उनकी जगह पर लाया गया तो उनकी ओर से एक निराशा प्रतिक्रिया प्रकट की गई, कि उन्हें यह सब का पता भी नहीं चला कि उन्हें कैसे प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा जा रहा है। यह भारतीय क्रिकेट टीम कप्तान और मैनेजमेंट के लिए बड़ी विडंबना है, कि कैसे खिलाड़ियों में सर्वश्रेष्ठ का चयन हो। क्योंकि भारत में प्रतिवर्ष होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग के चलते खिलाड़ियों का एक शानदार प्रदर्शन देखने को मिलता है। वही खिलाड़ी देश की टीम के लिए खेलने की योग्यता भी रखते हैं। ह...

होमी जहांगीर भाभा और भारत का परमाणु परीक्षण

1966 में वियना जा रहे एक वायुयान के क्रेश हो जाने की घटना ने भारत के न्यूक्लियर रिसर्च की ओर बढ़ती आशाओं को धीमा कर दिया। इस विमान में होमी जहांगीर भाभा भी थे। वह इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी की एक कांफ्रेंस के लिए वियना जा रहे थे। भारत को पहले एटॉमिक बम बनाने का वादा करने वाले होमी जहांगीर भाभा, भारतीय एटॉमिक रिसर्च के फादर कहे जाते हैं।  यह उनकी मेहनत का ही फल था, कि उनकी मृत्यु के 8 वर्षों पश्चात भारत ने पहले एटॉमिक प्रशिक्षण में सफलता हासिल की। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद वे इंजीनियरिंग के लिए कैंब्रिज गये। उनके पिता भी यही चाहते थे, कि वह इंजीनियरिंग करें और इसी में अपना भविष्य देखें। किंतु कैंब्रिज में कुछ लोगों से उनकी मुलाकात के कारण उनका झुकाव धीरे-धीरे मैथ्स और थियोरेटिकल फिजिक्स की ओर चला गया। उन्होंने कैंब्रिज में अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। लेकिन इसी दरमियान उन्होंने अपने पिताजी को इस संदर्भ में खबर दी की वह अपने भविष्य में इंजीनियरिंग को लेकर इतने रुचिकर नहीं हैं। उन्होंने कैंब्रिज में ही न्यूक्लियर फिजिक्स में अपनी पीएचडी भी पूरी की। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जो क...

भारतीय क्रिकेट टीम का सर्वश्रेष्ठ | विशेष लेख

 दूर इलाकों में कहीं जो युवा क्रिकेट खेल रहा है, और ऐसे हजारों मेहनती खिलाड़ी असल में इसी दिन के लिए हैं। कि जब उनमें से कोई भारतीय टीम का हिस्सा बने तो वह ऐसी क्रिकेट खेलें जो आज भारतीय टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली है।   उनकी ईमानदार मेहनत जो दुर्गम क्षेत्र में कम संसाधनों के साथ केवल एक उम्मीद पर चल रही है, उसका परिणाम एक मजबूत भारतीय टीम भी है। यह भारतीय टीम की ताकत है, कि मोहम्मद शमी जैसे शानदार खिलाड़ी भी बेंच पर बैठे रहते हैं।   मैं इस लेख को क्रिकेट विश्व कप 2023 के 29 अक्टूबर को हुए भारत बनाम इंग्लैंड मैच के बाद लिख रहा हूं। यह शानदार क्रिकेट प्रदर्शन भारतीय टीम को वर्ल्ड कप विजेता के रूप में दर्शाता है।   बुमराह और मोहम्मद शमी की आरंभिक गेंदबाजी ने सामने खड़े विपक्षी बल्लेबाजों को आश्चर्यजनक ढंग से आउट कर दिया। यह गेंदबाजी का बेहद उत्कृष्ट प्रदर्शन था। सबसे महत्वपूर्ण यह भारतीय क्रिकेट को उठाता है। युवा जो इस खेल के लिए समर्पित भाव से जुटे हुए हैं। इसे अपना भविष्य चुन चुके हैं। उनके लिए यह और अधिक मेहनत का सबक है।  और भारत में क्रिकेट ...

India vs England भारत की जीत | विशेष लेख

ये इंग्लिश क्या सोचते होंगे। भारत ने आज क्रिकेट के मैदान पर इंग्लैंड को काफी बड़े अंतर से हराया। यह कोई छोटा क्रिकेट मुकाबला नहीं है, यह विश्व कप है। वे लोग जो इंग्लैंड की ओर से अपनी टीम का समर्थन करने आए होंगे भले वे कम संख्या में थे, बेहद कम लेकिन अत्यधिक निराश हुए होंगे।   दरअसल यह जैंटलमैनों का खेल था, और एक जमाने में इंग्लैंड के लोगों के अलावा और किसे जेंटलमैन कहा जा सकता था। यह उन्हीं का खेल उन्हीं को आज मैदान पर मात देता है। हालांकि यह कोई बड़ी बात नहीं, खेल है और इसके दो पहलू हार और जीत हैं। अब हार हुई या जीत उसे स्वीकार करना भी खिलाड़ी का एक गुण है।    लेकिन यह मन है और यह सोचता जरूर होगा। बड़ी बात यह है, कि सामने भारत था, और उससे यह बड़ी हार कई पहलुओं को खुला कर देती है।  भारत ब्रिटिशों का गुलाम रहा मुल्क। ब्रिटिश क्रिकेटरों और उन जैंटलमैनों के शौक क्रिकेट खेल में भारतीय व्यक्ति फील्डिंग करता हुआ, केवल फील्डिंग।  वह लगान फिल्म भी याद आती है। हालांकि वहां क्रिकेट से कोई मतलब नहीं था, बस उस खेल को जीतकर ब्रिटिशों से कर की माफी स्वीकार करानी थी। हालांकि ...

पुर्तगालियों का भारत आगमन और गतिविधियां

बार्थोलोम्यो डियाज 1487 में केप ऑफ गुड होप अफ्रीका के दक्षिणी छोर तक पहुंचता है। 1488 में यह वापस लिस्बन पुर्तगाल लौट जाता है। ठीक लगभग 10 वर्ष बाद पुर्तगाल का एक और जहाजी बेड़ा वास्कोडिगामा के नेतृत्व में भारत की खोज को 1497 में पुर्तगाल से प्रस्थान करता है। यह केप ऑफ गुड होप तक पहुंचता है। अब्दुल मनीक नाम के व्यापारी की सहायता पाकर यह भारत की दिशा में हिंद महासागर से बढने लगा, और भारत के मालाबार तट पर कालीकट नामक स्थान पर आ पहुंचा। यहां का शासक जमोरिन था, जिसे शामुरी भी कहा जाता है। वास्कोडिगामा अच्छे लाभ के साथ पुर्तगाल लौटा। 1500 में एक और पुर्तगाली जहाज बेड़ा पेट्रो अलवारेज के नेतृत्व में भारत आया यह तेरह जहाजों का बेड़ा था। अब पुर्तगालियों की नीति अरब का वर्चस्व हिंद महासागर के क्षेत्र में तोड़ने की थी। और भारत के साथ स्वतंत्र व्यापार स्थापना की, 1503 में वास्कोडिगामा फिर भारत आया। कोचीन में पुर्तगालियों की पहली व्यापारिक कोठी स्थापित की गई। 1505 से 1509 तक के लिए भारत ने पुर्तगाल का पहला गवर्नर फ्रांसिस्को डी अल्मीडा आता है। अल्मीडा की नीति “ब्लू वाटर पॉलिसी” नाम से जानी जाती है...

रिश्ता | Amitabh bachchan an Akashy kumar

        रिश्ता चार लोगों के चक्रव्यूह में फंस कर हजारों लोग काम करते हैं।  जब विजय कपूर शहर के नामी बिजनेसमैन अपने पुत्र अजय को समझाता है। वह चाहता है, कि उसका पुत्र एक बड़ा बिजनेसमैन केवल अपने पिता के बदौलत ना बन जाए बल्कि जमीन से लगातार अपने प्रयासों से एक सफल व्यक्ति बनकर पिता की कुर्सी हासिल करे। अजय अपने ही पिता की कंपनी में मजदूरों के काम से आरंभ करता है। मजदूरों का एक यूनियन लीडर जो काम तो करता नहीं अपने दो-तीन करीबियों के साथ बैठकर जुआ खेलता अन्य मजदूरों को अपनी सेवा पर रखता। यह बात अजय को जमी नहीं। वह उससे भिड़ गया, यह कहते कि वह विजय कपूर का बेटा है, और तुम उसकी मिल में काम की बजाय जुआ खेलते हो। यूनियन लीडर उसे अपने अंडर एक मजदूर कहकर पुकारता है और उसकी बात नहीं सुनता।  अजय उस पर हाथ उठाता है, यूनियन लीडर मजदूरों की हड़ताल करवा देता है। विजय कपूर को यह बात मालूम हुई तो वह अजय को यूनियन लीडर से सबके सामने माफी मांगने को कहता है। अजय बेहद संवेदनशील, स्वाभिमानी और सैद्धांतिक व्यक्ति झुकना कभी नहीं चाहेगा क्योंकि वह सही था। अपने पिता की आज्ञा पर...