राखी पर हमारे यहां एक चलन रहा है। भाई बहन का प्यार और राखी के अलावा। अब यह चलन अपने पहाड़ में ही है, या और भी विस्तृत है, यह मालूम करना रहेगा। बहन की राखी के साथ एक और राखी होती है। ब्राह्मण की भेजी राखी। अब तक भी यह चलन में है। हालांकि इस प्रकार का सामाजिक ताना-बाना तकरीबन कमजोर हो चुका है, और यह चलन भी। पड़ोस के पंडित जी जो सामने के मंदिर में होते हैं, राखी लेकर हमारे घर पहुंचे और सब को राखी पहनाई दरअसल मोहल्ले में पंडित जी एक मात्र यही हैं। जो हर कार्यक्रम संस्कार पर पूजा पाठ की विद्या जानते हैं। मोहल्ले में गांव जैसा व्यवहार पैदा हुआ होगा तो, और पंडित जी भी इकलौते मोहल्ले के कार्यक्रमों में पुजारी रहे हैं तो, मोहल्ले को स्वीकार भी है। जो लोग मोहल्ले में इस रीत से अवगत हैं, पुजारी जी उन लोगों से अवगत हैं, उन्होंने राखी बांधी हालांकि पंडित जी चमोली के हैं। हम चमोली के नहीं। पुश्तैनी गांव में पुरखों से आज तक यह रीत कैसे काम करती है। गांव में राखी भेजने वाले ब्राह्मण को राशि का ब्राह्मण कहते हैं। यह कुछ ऐसे है, कि वह हमारे या आपके कई पुस्तों से ब्राह्मण होंगे। तब उनके पुरखे और...
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