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रक्षाबंधन पर एक रीत | वैचारिक लेख by- diwakar

राखी पर हमारे यहां एक चलन रहा है। भाई बहन का प्यार और राखी के अलावा। अब यह चलन अपने पहाड़ में ही है, या और भी विस्तृत है, यह मालूम करना रहेगा। बहन की राखी के साथ एक और राखी होती है। ब्राह्मण की भेजी राखी। अब तक भी यह चलन में है। हालांकि इस प्रकार का सामाजिक ताना-बाना तकरीबन कमजोर हो चुका है, और यह चलन भी। पड़ोस के पंडित जी जो सामने के मंदिर में होते हैं, राखी लेकर हमारे घर पहुंचे और सब को राखी पहनाई दरअसल मोहल्ले में पंडित जी एक मात्र यही हैं। जो हर कार्यक्रम संस्कार पर पूजा पाठ की विद्या जानते हैं। मोहल्ले में गांव जैसा व्यवहार पैदा हुआ होगा तो, और पंडित जी भी इकलौते मोहल्ले के कार्यक्रमों में पुजारी रहे हैं तो, मोहल्ले को स्वीकार भी है। जो लोग मोहल्ले में इस रीत से अवगत हैं, पुजारी जी उन लोगों से अवगत हैं, उन्होंने राखी बांधी हालांकि पंडित जी चमोली के हैं। हम चमोली के नहीं। पुश्तैनी गांव में पुरखों से आज तक यह रीत कैसे काम करती है। गांव में राखी भेजने वाले ब्राह्मण को राशि का ब्राह्मण कहते हैं। यह कुछ ऐसे है, कि वह हमारे या आपके कई पुस्तों से ब्राह्मण होंगे। तब उनके पुरखे और...

नारीवाद | Feminism in hindi

समाज में एक औरत और पुरुष के किसी अपराध में होने पर अशिष्ट व्यवहार पर दंड देने वाले तीसरे व्यक्ति का उनके प्रति दृष्टिकोण कैसा होगा। यह औरत और पुरुष के संपूर्ण समुदाय के द्वारा किए गए असम्मानजनक कृत्यों के आंकड़ों से अनुमान कर सकते हैं। जैसे किसी विद्यालय में एक कक्षा के 10 बच्चों ने अवज्ञा की तो सारे विद्यालय में शिक्षक उसके कक्षा को संपूर्ण कक्षा को ही बिगड़ी कक्षा कहने लगते हैं। हो सकता है, कि आज भी विश्व में या अपने ही देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के द्वारा किए अपराधों की संख्या में तो समानता ना आई हो, और यदि अपने आसपास समाज में भी हम दृष्टि डालें तो सामान्य तौर से घरेलू हिंसा का अपराध हो या अन्य तो ज्यादातर पुरुष ही अपराधिक कटघरे में खड़े हैं। हालांकि कहीं पर औरत भी अपराधी है, यह अपवाद है। किंतु यह उतना नहीं जितना पुरुष वर्ग अपराधिक कार्यों में ऊंचे आंकड़े दे चुका है। इस प्रकार की दृष्टिकोण में और सामाजिक समीकरणों में जब एक अन्य व्यक्ति अथवा तीसरा व्यक्ति पुरुष और महिला को अपराध में पाता है, अथवा एक दूसरे पर आरोप मढते पाता है, तो विषय की जानकारी ना होने पर भी वह अधिकत...

New vehicle scrappage policy in india | गाड़ी परिमार्जन नीति | in hindi

यह स्पष्ट तौर से पुरानी गाड़ियों के परिमार्जन की पॉलिसी है।बीते 13 अगस्त 2021 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने यह पॉलिसी घोषित की। मोदी जी का कहना है, कि यह पॉलिसी भारत में 10000 करोड़ से अधिक रुपए का नया निवेश लाने जा रही है, और रोजगार का हजारों में सृजन करने वाली है।    इस पॉलिसी में पुरानी हो चुकी गाड़ी के लिए नई परिमार्जन नीति निर्देशित है।  प्राइवेट व्हीकल को 15 साल बाद और कमर्शियल व्हीकल को 20 साल बाद टेस्ट सेंटर में फिटनेस जांच को जाना अनिवार्य होगा।    यदि गाड़ी टेस्ट पास नहीं कर पाएगी तो तय है। कि उसे परिमार्जन के लिए जाना ही होगा। इस पर गाड़ी के मालिक गाड़ी परिमार्जन से संबंधित सर्टिफिकेट प्राप्त करेंगे। वह सर्टिफिकेट निम्न बिंदुओं पर उपयोगी होगा। 1. नई गाड़ी पर डिस्काउंट प्राप्त होगा। 2. नई गाड़ी खरीद पर रजिस्ट्रेशन पर कोई रुपया नहीं देना   होगा। 3. रोड टैक्स पर छूट होगी।

15 august 2021 | इंडिपेंडेंस डे ऑफ इंडिया

    15 अगस्त शुभकामनाओं, भारतीय यश की गाथाओं  के स्मरण के साथ पुनः आया है इन गाथाओं का दीप सदैव उदीयमान रहे। भारतीय पताका विजय हवाओं में लहराता रहे, और उसके तल में उत्साह और मानव उत्थान की सूज में भारतवासी राष्ट्रगान का स्वर ऊंचा कर प्रतिवर्ष 15 अगस्त को मिसाल बनाते रहें।  यह हमारी एकता का परिणाम होगा।  दुनिया को पैगाम होगा ।

गढवाली बोली | गढवली मा | मां की जुबान मातृबोली

गढवाली बोली     शायद मेरी मां ला बचपन मा मी थैं इन नी सिखै होलो कि यु बिरौलो नी च ये कु  C A T  कैट बुलदिन, शायद वांकु परिणाम चा कि मि गढवली अपड़ी मातृभाषा थैं जणदूं छों। कम से कम इतगा जणदूं छों कि अपड़ी बात अपड़ी मातृबोली मा बोली सोकूं अर समझी सोकू।    ईं मातृबोली से हमरी मां की जुबान च हम मा। हमारी मां की संघर्ष की कहानी च हम मां। वा जुबान हम मा सदनी कु राली। या जुबान हमरी मां को ज्ञान च हम मा। जु हमारी मां थैं हम मा सदनी रखलो। वीं आपबीती थैं सदनी बयां करली या जुबान। या जुबान हम मा अर हमारी ओंण वली पीढी मा सदनी जिंदा राली अर वीं संघर्ष की कहानी थैं बयां कनी राली। बोला दौं क्या नी दे ईं बोली ला हम थैं।    ऊ लोग जौंका मन की बात सिर्फ ईं बोली मा ह्वे सकदी, ऊंका आखरूं थैं, ऊकां दुख सुख से हम थैं ज्वड़दी। या बोली मीं थैं ऊंका इतगा करीब ला के खड़ी करदी, मिं ऊं थैं जाणी सौकू यनु लायक बणोंदी।    गढवली बुलण वला लोगों की भावनाओं की कदर ऊं लोगों ह्वे सकदी, जुं थै वीं बोली की समझ हो। कदर तभी ह्वे सकदी जब वीं बात की समझ हो।

मंदाकिनी। राम तेरी गंगा मैली की खूबसूरत अदाकारा

"राम तेरी गंगा मैली" की खूबसूरत अदाकारा 80 के दशक में आई एक शानदार फिल्म राम तेरी गंगा मैली (1985) से बॉलीवुड में अपना कदम रखने वाली खूबसूरत अदाकारा यासमीन या मंदाकिनी आज भी याद है। उस समय पर राज कपूर साहब अपने छोटे बेटे राजीव कपूर साहब के बॉलीवुड में डैब्यू के लिए एक शानदार फिल्म के साथ लांच करना चाहते थे, और सबसे अहम कि यह फिल्म राज कपूर साहब के डायरेक्शन में की गई उनकी आखिरी फिल्म रही। राज कपूर साहब की समझ में अपने छोटे भाई शशि कपूर साहब की बेटी संजना कपूर गंगा के किरदार में पहली पसंद थी। डिंपल कपाड़िया और आशा पारेकर से होकर गंगा के किरदार में मंदाकिनी आकर टिकती है। फिल्म सुपरहिट होती है। इसके पश्चात मंदाकिनी ने अपने करियर में तकरीबन 50 फिल्मों में काम किया, किंतु सफलता का वह मुकाम उन्हें कभी हासिल ना हो सका, और फिर मंदाकिनी रील  लाइफ से गायब, गुमनाम हो गई। किंतु मंदाकिनी की वह आंखें….