तालिबान प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा: क्या हैं मायने?
हाल ही में, तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली का दौरा किया, जिसने कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। यह मुलाक़ात अफ़गानिस्तान में बदलते राजनीतिक परिदृश्य और भारत की क्षेत्रीय रणनीति के लिहाज़ से काफ़ी महत्वपूर्ण है।
दौरे का मुख्य उद्देश्य
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाना और मानवीय सहायता पर चर्चा करना था। तालिबान चाहता है कि भारत अफ़गान लोगों को दी जाने वाली सहायता जारी रखे, खासकर गेहूँ और दवाओं की आपूर्ति। भारत, जो ऐतिहासिक रूप से अफ़गानिस्तान का एक बड़ा भागीदार रहा है, ने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बातचीत जारी रखी है।
भारत की प्राथमिकताएँ
भारत के लिए, इस बातचीत की सबसे बड़ी प्राथमिकताएँ निम्नलिखित हैं:
सुरक्षा चिंताएँ:
भारत अपनी सुरक्षा को लेकर स्पष्ट है कि अफ़गान धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए।
मानवीय सहायता: भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसकी सहायता सही ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँचे।
क्षेत्रीय स्थिरता: भारत, अफ़गानिस्तान में शांति और स्थिरता चाहता है, जो पूरे दक्षिण एशिया के लिए आवश्यक है।
आगे की राह
यह मुलाक़ात दोनों पक्षों के बीच एक व्यावहारिक जुड़ाव की शुरुआत मानी जा सकती है, न कि पूर्ण कूटनीतिक संबंध की। भारत अपनी 'प्रतीक्षा करो और देखो' (Wait and Watch) की नीति पर कायम है, लेकिन मानवीय और सुरक्षा कारणों से बातचीत के रास्ते को खुला रखा है। यह स्पष्ट है कि भविष्य में तालिबान और नई दिल्ली के बीच संवाद और सहयोग, खासकर मानवीय मोर्चे पर, जारी रहने की संभावना है।
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