भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही वनडे सीरीज में आज हुए तीसरे मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 9 विकेट से मात दी। ऑस्ट्रेलिया दो मैचो में विजेता रही। इस तरह से सीरीज तो ऑस्ट्रेलिया के नाम हो गया लेकिन यह तीसरा मैच भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशंसकों के लिए एक यादगार मैच बन गया, और केवल इसलिए नहीं की विराट कोहली ने अपने पिछले दो मैचो में लगातार शून्य पर आउट होने के बाद आज शानदार अर्थशतक लगाया। बल्कि इसलिए भी की आखिरी बॉल तक मैदान में टिके रहे रोहित शर्मा जिन्होंने शतकीय पारी से भारत को विजय दिलाई। और इसी तरह रोहित शर्मा और विराट कोहली के साझेदारी कुछ रिकॉर्ड्स भी लेकर आई जहां रोहित शर्मा ने अपना 33 वां शतक पूरा किया वहीं रनों की रेस में विराट कोहली ने संगकारा को पीछे छोड़ दिया। अब वे द ग्रेट सचिन तेंदुलकर के बाद दूसरे स्थान पर है। शून्य पर आउट होने के कारण विराट कोहली के आत्मविश्वास को लेकर सवाल था। ऑस्ट्रेलिया की अच्छी गेंदबाजी ने पिछले दो माचो में उन्हें शून्य पर आउट किया। लेकिन आज और उन दोनों मैचों में भी प्रशंसकों ने उन्हें इसी गर्मजोशी से मैदान पर स्वागत किया। अपनी पहली गेंद खेल रहे विराट कोहली ने जब तेजी से एक रन लिया, तो प्रशंसकों ने इस तरह से स्टेडियम में इसका जश्न मनाया जैसे विराट कोहली ने शतकीय पारी खेली हो। विराट कोहली ने भी अनोखे अंदाज में इस जश्न को आगे बढ़ाया और कारवां चलता रहा। भारतीय टीम के दो दिग्गज खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली मैदान पर एक के बाद एक शानदार शॉट लगाते हुए ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों पर हावी होते रहे। एक समय आया अब रोकने वाला कोई न था, सभी गेंदबाजों को जवाब मिल चुके थे। विराट कोहली ने आखिर चौका लगाकर जीत दिलाई। रोहित शर्मा की आत्मविश्वास से भारी बल्लेबाजी हमेशा से बल्लेबाजी को अधिक रोचक बनाती है। यह साफ है कि अगर रोहित शर्मा मैदान पर टिके रहे तो रन चाहे कितने हो जीत समय से पहले ही मिल जाएगी, मैच कठिन स्थितियों में फंसेगा ही नहीं, बल्कि गेंदे शेष रह जाएंगे और टीम विजयी हो चुकी होगी। किंतु रोहित शर्मा और विराट कोहली की मैदान पर आज यह साझेदारी प्रशंसकों के लिए यादों में स्वर्णिम बन गई है।।
एक होली की टीम ने पहल की वे देहरादून जाएंगे अपने लोगों के पास और इस बार एक नई शुरुआत करेंगे। कुछ नए गीत उनके गीतों में खुद का भाव वही लय और पूरे खुदेड़ गीत बन गए। खूब मेहनत भी की और इस पहल को करने का साहस भी किया। देहरादून घाटी पहुंचे और पर्वतीय अंचलों में थाली बजाकर जो हम होली मनाया करते थे, उसे विशुद्ध कलाकारी का स्वरूप दिया। हालांकि आज से पहले बहुत से शानदार टोलियों ने होली बहुत सुंदर मनाई है।। बदलते समय के साथ संस्कृति के तमाम इन अंशो का बदला स्वरूप सामने आना जरूरी है, उसे बेहतर होते जाना भी जरूरी है। और यह तभी हो सकता है, जब वह प्रतिस्पर्धी स्वरूप में आए अर्थात एक दूसरे को देखकर अच्छा करने की इच्छा। इस सब में सबसे महत्वपूर्ण है, संस्कृति के इन छोटे-छोटे कार्यक्रमों का अर्थव्यवस्था से जुड़ना अर्थात इन कार्यक्रमों से आर्थिक लाभ होना, यदि यह हो पा रहा है, तो सब कुछ उन्नत होता चला जाएगा संस्कृति भी। उदाहरण के लिए पहाड़ों में खेत इसलिए छूट गए क्योंकि शहरों में नौकरी सरल हो गई और किफायती भी। कुल मिलाकर यदि पहाड़ों में खेती की अर्थव्यवस्था मजबूत होती तो पहाड़ की खेती कभी बंजर ना हो...

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