Skip to main content

Posts

ICC-CT 2025 भारत-पाकिस्तान | शुभमन ने विराट की राह पकड़ ली है

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का 2025 भारत-पाकिस्तान का यह मैच बहुत कुछ बता रहा है। शुभमन गिल ने विराट की छाया ढूंढ ली है। अब करना यह है, उसे छोड़ना नहीं है, यही रास्ता है।  आज का मैच शुभमन हर भार को खूबसूरती से बहन करते दिखे। भारत का क्रिकेट इन हाथों में खूबसूरत और उज्जवल लगता है । जब शुभमन, रोहित के साथ मैदान पर आए वह हमेशा की तरह किसी कार्यभार से मुक्त प्रतीत हो रहे थे। हां रोहित और विराट जैसे खिलाड़ी कुछ भार महसूस करते हैं, ऐसा प्रतीत होता है। क्योंकि उपलब्धियां जितनी बड़ी हासिल की हैं, उनसे जनता की अपेक्षाएं उतनी ही बड़ी हो गई हैं। शुभमन शांत और एक विद्यार्थी जैसा प्रतीत होता है। और यह सच भी है, विराट और रोहित जैसे दुनिया के क्रिकेट में लोहा मनवा चुके खिलाड़ियों के बीच वे मैदान पर विद्यार्थी ही हैं। बात गौर कि यह है कि उनमें यह विद्यार्थी पना झलकता है। और यह शुभमन को खास बनाता है।  बात पहले से ही होती रही है कि विराट की राह शुभमन ने पकड़ ली है। हालांकि राह लंबी है, और उसमें हर दिन उन्हें नीरश मेहनत से होकर जाना है। विराट का कहना कि एक दिन मैदान पर चमकने के लिए पहले का हर दिन वह ...

तो ये हैं दिल्ली के नए मुख्यमंत्री | New CM Delhi | Delhi Election

दिल्ली में मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल अभी बना है, चर्चाएं अब भी जारी हैं। निश्चित रूप से बीजेपी इस चयन के माध्यम से पूरे देश में एक संदेश देने की कोशिश करेगी। 27 साल बाद बीजेपी दिल्ली में वापसी कर रही है। 70 विधानसभा सीटों में 48 पर भाजपा ने जीत हासिल की शेष 22 आम आदमी पार्टी को जीत मिली और कांग्रेस यथावत स्थिति पर रही। ऐसे में भाजपा संगठन में भी खुशी की लहर है। साथ ही दिल्ली की जनता के आशा और अपेक्षाएं बड़ी हैं। एक तो दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है, दूसरी ओर मोदी जी की सरकार है, जनता की अपेक्षाओं पर खडा उतरने के लिए भाजपा संगठन की तरफ से एक योग्य और क्षमतावान व्यक्ति को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाना है, साथ ही ऐसे व्यक्ति का चयन करना है जिससे पूरे देश में एक संदेश जा सके। दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव में एक खास बात यह भी देखने को मिली कि भाजपा ने चुनाव के समय किसी चेहरे पर मोहर नहीं लगाई थी, बिना चेहरे के दिल्ली का चुनाव लड़ा और जीत भी गई। यही बात जब इंडिया गठबंधन के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में उनके द्वारा इस तरह से लड़ा जा रहा था। जब उनसे पूछा जाता था, कि यदि गठबंधन जी...

लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने किसके खिलाफ मोर्चा खोला है?

श्रीनगर किताब कौथिक आयोजित ना होना या जो खबर है, कि उसे होने से रोका गया। इस घटना ने बहुत से सवालों को पैदा किया है, बात यह है कि श्रीनगर में किताब कौथिक आयोजित होना था। इस कौथिक को करवाने वाली उस टीम में सदस्य कहें, हेम पंत जी ने अपनी बात को रखा। वह कहते हैं, कि इस आयोजन को पॉलिटिकल दृष्टि से देखा जा रहा है। जबकि ऐसा कुछ है नहीं। हम पहाड़ों के दूरस्थ गांव में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं, उसे स्थापित करना चाहते हैं। हमारे राज्य के ऐतिहासिक, पौराणिक क्षेत्र का ज्ञान लोगों को करवाना चाहते हैं। यही हमारा उद्देश्य है 12 सफल आयोजन करवाने के बाद 13 वें आयोजन में इस प्रकार की रुकावट को वे खेदपूर्ण बताते हैं। दूसरी तरफ छात्र संघ है। छात्र संघ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि हमें इस बात की सूचना जब मिली की कॉलेज परिसर में किताब कौशिक का आयोजन होगा और इसमें कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाएंगे। हमने लाइब्रेरी में जो तमाम छात्र पढ़ने आते हैं उनसे बात की तो उनकी सहमति पर क्योंकि उनकी परीक्षाएं चल रही हैं, जिसके चलते छात्र हित में हमने इस किताब कौथिक के कार्यक्रम को इस वक्त स्थ...

केजरीवाल की हार से राहुल गांधी की जीत हुई है।

दिल्ली चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस की भविष्य को लेकर स्थिति को साफ कर दिया है। कांग्रेस ने देश भर में गठबंधन के नेताओं को और पार्टियों को एक संदेश दिया है। यदि गठबंधन के मूल्यों को और शर्तों को चुनौती दोगे, तो कांग्रेस भी इसमें केंद्र बिंदु में रहकर अपनी जमीन को सौंपती नहीं रहेगी। बल्कि दमदार अंदाज में चुनाव लड़कर दिल्ली की तरह ही अन्य जगहों पर भी चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी की हार हो जाने से राहुल गांधी जी का गठबंधन में स्तर पुनर्स्थापित हुआ है। कारण यही है कि अब तक अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली में सरकार बनाकर एक ऐसे नेता बने हुए थे, जो मोदी जी के सामने अपराजिता हैं। जिन्हें हराया नहीं गया है, विशेष कर मोदी जी के सामने। वह एक विजेता नेता की छवि के तौर पर गठबंधन के उन तमाम नेताओं में शीर्ष पर थे। अब विषय यह था, कि राहुल गांधी जी की एक हारमान नेता की छवि के तौर पर जो स्थिति गठबंधन में थी, वह केजरीवाल जी के होने से गठबंधन के अन्य नेताओं में शीर्ष होने की स्वीकार्यता हासिल नहीं कर पा रही थी। राहुल गांधी जी को गठबंधन के शीर्ष नेता के तौर पर जो स्वीकार्यता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पा रही...

2 Oct 1994 | रामपुर तिराहा कांड

सन 2003 में लेखक निर्माता अनुज जोशी जी के निर्देशन में एक फिल्म “तेरी सौ” बनाई गई जो कि उत्तरांचल अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन पर आधारित है। फिल्म में सक्षम जुयाल और पूजा रावत मुख्य पात्र नाम क्रम से मानव और मानसी हैं। जो डीएवी कॉलेज देहरादून के छात्र होते हैं। मानव उत्तराखंड आंदोलन में सेलाकुई के शहीद 15 वर्षीय सत्येंद्र चौहान के चचेरे बड़े भाई की भूमिका में होते हैं।  डीएवी कॉलेज देहरादून तब छात्र एकता में उत्तराखंड आंदोलनकारियों का गढ़ हुआ करता था। डीएवी पीजी कॉलेज के छात्र दबंग माने जाते थे। हालांकि मानव और उसके साथियों का गांधीवादी विचार और शांतिपूर्ण ढंग से राज्य आंदोलन को आगे बढ़ाने वाला दिखाया गया है। मदन डुकलान जी के लिखे गीतों ने फिल्म को अधिक खूबसूरत बना दिया। फिल्म के गीत “मेरी जन्मभूमि मेरो पहाड़”,  “ले मशाले चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरी गांव के”,  “गढ़वाली अंताक्षरी”,  “तेरी सौं”, धार मा सी जून मुखड़ी च तेरी”,  “सौं उठोला कठ्ठा होला चला दिल्ली जोंला गढ कुमों द्वी हाथ बोटी हक अपड़ो ल्योला”,  “हक का बाना ह्वे गीं...

वर्ल्ड क्रिकेट सेमीफाइनल IND vs NZ | विशेष लेख

वर्ल्ड क्रिकेट सेमीफाइनल IND vs NZ भारतीय क्रिकेट टीम वानखेड़े स्टेडियम की ओर रवाना हो रही है। हर चेहरा कितना मशहूर है, और खुश भी। वह सब कितने शानदार और सुंदर हैं। लेकिन उन्हीं चेहरों के पीछे जिम्मेदारियां का कितना भार है, अगर उनमें कोई उस भार को महसूस करने लगा हो तो अवश्य ही वह छुपाते छुपाते भी ना छुपा सकेगा। संपूर्ण भारत क्रिकेट का विशाल स्टेडियम है। तमाम विषयों में रुचि रखने वाले भारतीय, क्रिकेट के लिए विशेष रूप से समर्पित हैं। इसका प्रमाण है, दुनिया के किसी मैदान में क्रिकेट के लिए, भारतीय टीम के समर्थन के लिए भारतीयों की संख्या। यह हमेशा से गौर करने वाली है। हर भारतीय खिलाड़ी उस संख्या का सीधा भरवाहक है। वह हर खिलाड़ी जो क्रिकेट के लिए मशहूर है, जो भारतीय टीम का हिस्सा है, उसका स्वप्न है यह एक मैच खेलना, इस मैच में जीत की वजह बनना। नये खिलाड़ियों के लिए तो बड़ी चुनौती है और बाकी जो चेहरा जितना मशहूर उतनी आशाओं का वाहक। मैं उन्हीं चेहरों को पढ़ने का प्रयास कर रहा हूं, जिन्हें भारत के लिए आज मैदान पर उतरना है। लेकिन आप वहां केवल सहजता और वैल कम्फर्ट पाएंगे, और यही है जो उन्हें भारती...

अमोल पालेकर | फिल्म अपने पराये से

अमोल पालेकर सादगी और केवल सादगी असल में अमोल पालेकर ने यही तो पेश किया है। अपनी लगभग हर फिल्म एक आदर्श गुणी पुरुष की भांति ही दिखे हैं। इन्हें नेक्स्ट डुअर पर्सन कहा गया। क्योंकि इनकी आवाज और अभिनय ने हर दूसरे व्यक्ति को अपने आप से मिलाया। एक मृदंग को बजाते हुए अमोल जाने कब बड़े हो गए, यह वे खुद भी नहीं जान पाए। लेकिन वे इन सब बातों की सुध नहीं लेते। आज से 30 साल पहले एक अच्छे मध्यम वर्गीय परिवार में दो भाइयों के बाद उनका जन्म हुआ था, बहुत सुंदर मृदंग बजाते हैं अमोल। प्रातः होने के साथ उनकी ताल छिड़ जाती है। घर के सभी बच्चे दौड़कर चाचा की ओर बढ़ते हैं, और अमोल एक सुंदर भजन गाते हैं। उनकी भाभी पूजा करती हुई और साथ ही अमोल के भजन। यूं तो अमोल का विवाह भी हो गया है, और वह एक खुशमिजाज और बेफिक्र व्यक्ति हैं। लेकिन यहां बेफिक्री उसकी पत्नी के लिए असहज है। हालांकि वह बहुत समझदार और शील स्त्री है, घर की लगभग सभी जिम्मेदारियां उसी के हाथों में हैं। लेकिन साथ ही वह एक स्वाभिमानी स्त्री है, और केवल इस बात से चिंतित है, कि उसका पति अमोल किसी काम को गंभीरता से नहीं लेता। यही है कि वह कुछ भी कमा कर...