शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

Boxer Jaideep Rawat | Step which made him

Boxer Jaideep Rawat

मुझे नहीं मालूम था, कि हमारे यहां से भी कोई लड़का मुक्केबाजी में खुद को आंकता होगा। अपना भविष्य एक मुक्केबाज होने में देखता होगा। तब जब वह इस खेल को जिसमें अपने करियर बनाने के लिए पहली दफा चयन प्रक्रिया में खड़ा था, मुझे तब यह मालूम नहीं था कि वह एक दिन इस खेल से दुनिया के सामने एक चेहरा प्रस्तुत होगा।

   हम क्रिकेट खेल से चयन की आश में थे, और आप भी। यदि आप जयदीप के निवास क्षेत्र से होते तो आप भी क्रिकेट खेल में ही स्वयं को चयनित होने की लाइन में रखते। किंतु जयदीप ने ऐसा नहीं किया, उसने मुक्केबाजी को चुना। मुझे नहीं मालूम यह कैसे हुआ। एक पहाड़ी लड़का जो हम सब के साथ पल-बड़ा हो रहा हो, एक परिवेश, एक विद्यालय, एक से लोग, किंतु कैरियर के संबंध में जब खेल जहन में आया तो जिस खेल को चुना वह मुक्केबाजी। जयदीप जिस क्षेत्र से आते हैं, मैं निश्चित हूं यह कहने में, जयदीप ने यह खेल पहले कभी नहीं खेला था। हां टेलीविजन सुविधाओं के चलते देखा जरूर होगा।

   दरअसल बात है 2014-15 की बैच की भर्ती के लिए महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज देहरादून में आठवीं और नौवीं कक्षा में छात्रों के लिए चयन प्रक्रिया घोषित की जो प्रतिवर्ष होता रहा है। आज भी निरंतर है। मैं उस दिन को उसी दिन में जा कर लिख रहा हूं। आप उस दिन में होकर के पढ़ें।

पौड़ी कंडोलिया का मैदान है। बहुत धूप है। तकरीबन सौ लड़के तो होगें जो महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में भर्ती के इच्छुक हैं। सर्वाधिक बेहतरी जिन छात्रों मैं है, वह मुख्य बाजार पौड़ी के छात्र हैं। किंतु उनमें भी किसी का खेल चयन मुक्केबाजी तो नहीं है।

   सर्वाधिक छात्रों ने फुटबॉल की ओर अपना रुझान दर्शाया, और दूसरे नंबर पर जिस खेल के लिए चयनित होने की इच्छा कंडोलिया मैदान में छात्रों में रही, वह क्रिकेट है।
खेल चयन में वॉलीबॉल, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, एथलीट का भी विकल्प है। किंतु विशेष संख्या में छात्रों की वहां उन खेलों में रुचि नहीं है। और आप को सबसे रोचक बात मैं बताऊं, फुटबॉल जिसमें सर्वाधिक छात्रों ने चयन होने में रुचि दिखाई, एक भी खिलाड़ी चयनित नहीं हुआ। जबकि उनमें भी अच्छे प्लेयर हैं।
खैर यह वृत्तान्त जयदीप रावत को केंद्र में रख कर लिख रहा हूं। उस दिन हुई खेल चयन के लिए प्रक्रियाओं में सभी ने अपना खेल दिखाया इन सब में दो लड़के अपना खेल दिखाने के बाद आते हैं, उनमें से एक जयदीप है, दोनों बताते हैं कि हमारा चयन हो गया है, और हमें देहरादून बुलाया है, एक और चयन प्रक्रिया जो हमारी वहां होनी है, उन दोनों का खेल बॉक्सिंग है।
क्योंकि जयदीप हमारे क्षेत्र से है, तो स्वाभाविक तौर से हम दोनों एक दूसरे का हाल जानने को रुके। मुझे आज भी याद है, उसने कहा “मुझे तो यह स्टेप करवाया है”। वह साथ खड़े दूसरे मुक्केबाजी में चयनित हो चुके लड़के को बॉक्सिंग से संबंधित वही फुटवर्क करके दिखाता है, जो उसे चयन के दौरान करना पड़ा। जहां तक मेरी जानकारी में है, बॉक्सिंग खेल में कंडोलिया में दो ही छात्रों ने रुचि दिखाई थी, और वे दोनों चयनित हुए।आज वह समय उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हो रहा है। वह अपनी लगन और मेहनत से उस खेल में महारथी हो
रहा है। पूरे भारत देश का मान बढ़ाता है, और दुनिया में बॉक्सिंग का एक चेहरा हो गया है।
मुझे लगा कि इससे स्वर्णिम अवसर क्या होगा, इस लेख को सार्वजनिक होने का जब, वह पल जब जयदीप ने मुक्केबाजी की ओर पहला कदम बढ़ाया था, फल दे रहा हो।

   यह केवल जयदीप की सफलता का बखान नहीं है, बल्कि यह वे शब्द हैं, जो उन्हें जो इन शब्दों पर विचरण कर रहे हैं, यह बयां करेंगे कि कैसे एक कदम जीवन को किस ओर ले जाता है, वह कौन सा कदम है।

   सर्वाधिक महत्वपूर्ण जयदीप भारतीय सेना के जवान हैं। राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव का इससे महान और क्या परिचय हो सकता है। और अपनी मेहनत और लगन से राष्ट्र का गौरव हो जाना एक अलग अनुभूति है। यदि जयदीप यह मौका पाए हैं, यह सौभाग्य है।

   मुझे याद है, घर लौटते वक्त जयदीप के पिताजी मेरे पिताजी से इस विषय पर कह रहे थे कि “वह स्पोर्ट्स कॉलेज निकल तो गया है, किंतु खर्चा बहुत हुआ है, वहां हॉस्टल में होने रहने खाने के लिए वह हर सामान को जुटा रहे हैं।
यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है, जो जयदीप को इस दिशा में लाया है। जयदीप के पिता का वह साहस अपने पुत्र पर पूर्ण विश्वास और पूंजी का अधिकांश भाग उसकी बेहतरी के लिए लगाना, यह आज के युग में विरला संयोग होगा कि पुत्र उस विश्वास को निभा सके। यह मेहनत और भाग्य का बेहतरीन संयोग है।
   मूल निवास पैठाणी, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड के जयदीप रावत अब लोगों में चैंपियन मुक्केबाज जयदीप रावत हो चुके हैं। मध्यम वर्ग का परिवार जिसमें जयदीप अपने पिताजी की उनके पुत्र के भविष्य के प्रति एक अलग सोच का नतीजा है, कि वह आज मुक्केबाज जयदीप हुए हैं। उनकी मेहनत के समांतर इसी लय में उन्हें सफलताएं मिलती रहें, भविष्य के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।

   यह लेख जयदीप का जयघोष मात्र नहीं है, बल्कि यह लेख पाठकों में भी अपना अगला कदम तय करने की प्रेरणा बन सकेगा।

सोमवार, 30 अगस्त 2021

आज के समाचार | today news 30 Aug 2021

आज के हाल समाचार-

अंतराष्ट्रीय-

   अमेरिका का बड़ा दावा काबुल एयरपोर्ट पर हुए  आईएस खुरासान के हमले में अपने 13 सैनिकों को खोने के बाद अमेरिका का दावा है, कि उसके किए ड्रोन हमले से इस घटना के मुख्य साजिशकर्ता को खत्म कर दिया है। वाइडन का कहना है, कि वह इस घटना को भूलेंगे नहीं। बता दें काबुल एयरपोर्ट पर हुए हमले में 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोगों की मौत की खबर है। इस अमेरिकी कार्यवाही को ओवर द होरिजिन ऑपरेशन कहा गया है।
साथ ही अमेरिकी दूतावास ने पुनः काबुल हवाई अड्डे के समीप स्थानों पर आतंकी हमला हो सकने के आसार जताए हैं। इस पर एडवाइजरी जारी की है। उन स्थानों को लोग छोड़ दें, वहां भीड़ इकट्ठा ना करें।

कोरोना समाचार 24 घंटे में संक्रमण 46459 देशभर में और 509 लोगों की मौत हुई है। यह 2 माह के बाद आया सबसे बड़ा संक्रमण आंकड़ा है। कोरोनावायरस गाइडलाइन पालन को इसी भय और आशंका में 30 अगस्त तक बढ़ाया गया है।

   वहीं अमेरिका में बच्चों के संक्रमण की दर बहुत तीव्र हो गई हैं बड़ी संख्या में बच्चों को कोरोनावायरस पाया गया है। यह आने वाले समय में उपचार की सुविधा में मुश्किल पैदा करेगा यह अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है।

भारत आज-

भारतीय तटरक्षक (आईसीजीएस) बल में विग्रह शामिल। यह अपतटीय गश्ती पोतों में पोत शामिल हुआ है।

राजनीति-

राहुल का ट्वीट आम जनता की आय में कितनी बढ़ोतरी हुई है, जहां भाजपा की आय में तो 50% बढ़ोतरी हुई है।

   कृषि कानून को लेकर विरोधी स्वर को ऊंचा कर  प्रियंका का ट्वीट अपने अरबपति मित्रों के इजाफे के लिए लाई है भाजपा सरकार कृषि कानून।

भाजपा की बैठक में विरोध को आए किसानों पर करनाल में पुलिस कार्यवाही के चलते लाठियां बरसाई गई। खबर है कि प्रदर्शनकारियों में कई गंभीर रूप से घायल हैं।

वहीं पंजाब की राजनीति में बयानबाजी सर्व सम्मत नेतृत्व को स्पष्ट नहीं कर पा रही। नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के मध्य नेतृत्व अधर में प्रतीत होता है।

फिल्मपुरी-

हनी सिंह पर घरेलू हिंसा का केस उनकी पत्नी ने बीते दिनों दर्ज करवाया था। हनी सिंह को मामले में उपस्थित ना होने पर फटकार मिली।

   टीवी अभिनेता गौरव दीक्षित अब एनसीबी के सवालों में होंगे 30 अगस्त तक रहेंगे हिरासत में बता दें ड्रग्स डीलिंग के मामले में गिरफ्तार हैं गौरव दिक्षित।

शनिवार, 28 अगस्त 2021

अफगान घटनाचक्र अपडेट | daily news | afganistan update

अफगान घटनाचक्र-

 अमेरिका का अफगानिस्तान से पलायन तालिबानियों की हौसला अफजाई रही। राह इतनी सरल रही कि देखते ही देखते अफगान तालिबान शासित हो गया। वह भूमि अफगानो की है। यह स्वर भी सुनने में आए कि तालिबानी अफगानी नहीं है।

   अमेरिका का इतने वर्षों में अफगान को छोड़ने का यह तो ठीक समय ना था। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा नहीं किया। उसे वैश्विक हितों के संरक्षण की दृष्टि से देखेंगे। अमेरिका विश्व महाशक्ति का यूं एक स्वयं के  हितों के एवज में अवयस्क अफगान को संकटों में छोड़ना उचित तो नहीं। जिस तरह से अमेरिका ने अफगान से निकला ऐसा प्रतीत होता है, कि अमेरिका ने अफगान को अफगान सरकार के हाथ में नहीं बल्कि तालिबानियों के हाथ में सौंप दिया हो। किंतु अफकान के इन हालातों पर जवाबदेही किसकी होगी।

  अब इन स्थितियों में पक्ष-विपक्ष समर्थन असमर्थन में बयानबाजी का दौर आरंभ होता है। रूस भी कुछ स्पष्ट मालूम नहीं होता है। बयान बाजी के बाद जिस बिंदु पर विचारक पहुंचे तो चीन और पाकिस्तान को लेकर तालिबानियों के खेमे में होने को मान लिया है। तालिबानियों का समर्थक वही है, जो उस नीति का समर्थक है, जिसमें किस प्रकार तालिबानी अफगान को अपने कब्जे में कर लेते हैं।

   दूसरी और अमेरिका यूं ही तो एशिया में बैरागी नहीं हो सकता। स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति जॉ बाइडन का यह कदम उन्हें भी परेशान करता होगा। वह स्वयं यह मानते हैं, कि यह एशिया में उन शक्तियों को बढ़ावा दे सकता है, जो अवांछित हैं। इन्हीं कारणों से भी अमेरिका इतने वर्षों से अफगान में स्वयं को रखे था।

    हालांकि कुछ राष्ट्रों ने तालिबान का विरोध भी किया है जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी भयानक व नाटकीय है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी विरोधी स्वरों में दिखे।

    हालांकि तालिबान किस तरह से स्थितियों को संभाल रहा है। इसका एक दृश्य कि तालिबान के कट्टर विरोधी रहे गुल आगा शेरजई को और सद्र इब्राहिम को तालिबान अंतरिम सरकार में क्रमशः वित्त मंत्री और गृह मंत्री बनाए जाने की खबर है।

    इन खबरों से स्थायित्व की ओर बढ़ती अफगान घटनाक्रम का अंदेशा है, किंतु यह कितनी दूर तक को है। 

    यह जानना शेष रहेगा कि तालिबान की लड़ाई अमेरिका से थी, या अमेरिका और अफगान सरकार दोनों से। यह तालिबान की नीतियों और कार्यों से मालूम होगा।

 खैर इन सब में अफगान की आम जनमानस का हित सर्वोपरि रहे यही आशाएं हैं।


रविवार, 22 अगस्त 2021

रक्षाबंधन पर एक रीत | वैचारिक लेख -diwakar

राखी पर हमारे यहां एक चलन रहा है। भाई बहन का प्यार और राखी के अलावा। अब यह चलन अपने पहाड़ में ही है, या और भी विस्तृत है, यह मालूम करना रहेगा।

बहन की राखी के साथ एक और राखी होती है। ब्राह्मण की भेजी राखी। अब तक भी यह चलन में है। हालांकि इस प्रकार का सामाजिक ताना-बाना तकरीबन कमजोर हो चुका है, और यह चलन भी।

पड़ोस के पंडित जी जो सामने के मंदिर में होते हैं, राखी लेकर हमारे घर पहुंचे और सब को राखी पहनाई दरअसल मोहल्ले में पंडित जी एक मात्र यही हैं। जो हर कार्यक्रम संस्कार पर पूजा पाठ की विद्या जानते हैं। मोहल्ले में गांव जैसा व्यवहार पैदा हुआ होगा तो, और पंडित जी भी इकलौते मोहल्ले के कार्यक्रमों में पुजारी रहे हैं तो, मोहल्ले को स्वीकार भी है। जो लोग मोहल्ले में इस रीत से अवगत हैं, पुजारी जी उन लोगों से अवगत हैं, उन्होंने राखी बांधी हालांकि पंडित जी चमोली के हैं। हम चमोली के नहीं।

पुश्तैनी गांव में पुरखों से आज तक यह रीत कैसे काम करती है। गांव में राखी भेजने वाले ब्राह्मण को राशि का ब्राह्मण कहते हैं। यह कुछ ऐसे है, कि वह हमारे या आपके कई पुस्तों से ब्राह्मण होंगे। तब उनके पुरखे और आज वे। ब्राह्मण का सत्कार श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा समाज में व्यवहार रहा है।

परिवार अपनी खुशहाली में पूजा पाठ करते हैं। वह ब्राह्मणों को श्रेष्ठ सत्कार करते हैं। जैसे प्राचीन काल में राजा प्रजा की सुख शांति में अश्वमेघ यज्ञ करते थे।

ब्राह्मण का सत्कार सदैव से व्यवहार में रहा यह एक भावना रही, कुछ ऐसे ही जैसे गाय का घर के गौशाला में होना बहुत समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। यदि आप इसे मिथक मानते हैं, तो मैं मुंशी प्रेमचंद जी के उपन्यास गोदान का जिक्र करूंगा। इस उपन्यास को लेकर एक फिल्म गोदान मुख्य भूमिका में राजकुमार साहब और शशिकला जी पर फिल्माई गई थी। आप इसका प्रसंग इसी तथ्य के सत्यापन पर पाएंगे।

खैर यह सब भावनाएं रहीं। आज के प्रयोगिक जीवन में सामाजिक उस ताने-बाने का कोई अर्थ शेष नहीं रहता। यह लेख ब्राह्मणों की आवाज बिल्कुल नहीं। यह लेख तो समाज में वह भावना जो शेष बची है, उसका एक दृश्य है।

सबसे महत्वपूर्ण यह है, कि यह भावना आज भी समाज में टिकी है। हालांकि यह कमजोर हो चली है जो समय के साथ हुआ है। विषय यह नहीं है, कि यह भावना गलत है, सही है, या यह कोई आडंबर अंधविश्वास है। बल्कि विषय यह है, कि हमारे पूर्वजों ने कितना समय लिया होगा, उस व्यवहार को अपने आप से और हम तक के लिए इतनी गहराई से बिठाने में। जो आज तक भी वह भावना व्यवहार में शेष रही है। क्योंकि हम में वह लोग हैं, जो राष्ट्रगान को राष्ट्र के सम्मान में 52 सेकंड अपने पथ पर नहीं ठहरते, ना अपनी कुर्सी छोड़ते हैं, और न काम। इस व्यवहार को हम में से अनेकों, वर्षों से अपने में विकसित नहीं कर सके हैं।

किसी भावना को व्यवहार में विकसित करना इतना तो आसान नहीं।

बुधवार, 18 अगस्त 2021

नारीवाद | Feminism in hindi | Lukhnaw girl slap taxi driver

समाज में एक औरत और पुरुष के किसी अपराध में होने पर अशिष्ट व्यवहार पर दंड देने वाले तीसरे व्यक्ति का उनके प्रति दृष्टिकोण कैसा होगा। यह औरत और पुरुष के संपूर्ण समुदाय के द्वारा किए गए असम्मानजनक कृत्यों के आंकड़ों से अनुमान कर सकते हैं।

जैसे किसी विद्यालय में एक कक्षा के 10 बच्चों ने अवज्ञा की तो सारे विद्यालय में शिक्षक उसके कक्षा को संपूर्ण कक्षा को ही बिगड़ी कक्षा कहने लगते हैं। हो सकता है, कि आज भी विश्व में या अपने ही देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं के द्वारा किए अपराधों की संख्या में तो समानता ना आई हो, और यदि अपने आसपास समाज में भी हम दृष्टि डालें तो सामान्य तौर से घरेलू हिंसा का अपराध हो या अन्य तो ज्यादातर पुरुष ही अपराधिक कटघरे में खड़े हैं। हालांकि कहीं पर औरत भी अपराधी है, यह अपवाद है। किंतु यह उतना नहीं जितना पुरुष वर्ग अपराधिक कार्यों में ऊंचे आंकड़े दे चुका है।

इस प्रकार की दृष्टिकोण में और सामाजिक समीकरणों में जब एक अन्य व्यक्ति अथवा तीसरा व्यक्ति पुरुष और महिला को अपराध में पाता है, अथवा एक दूसरे पर आरोप मढते पाता है, तो विषय की जानकारी ना होने पर भी वह अधिकतर स्थिति में और अक्सर पुरुष को आरोपी दृष्टि से देखता है। वृतांत का विश्लेषण एक घटना से प्राप्त हो रहा है। यह हाल ही की घटना है।

जहां लखनऊ के चौराहे पर एक लड़की टैक्सी ड्राइवर को पीट रही है। उसे एक दो और इसी क्रम में 20 थप्पड़ मार देती है। जो वीडियो उपलब्ध हुआ उसमें लोग जो वीडियो बना रहे हैं, और सारे विषय को प्रारंभ से देख रहे हैं, जान रहे हैं, वह लड़की को बदतमीज कहते सुने जा सकते हैं।

किंतु हुआ वही जो सामाजिक दृष्टि के अनुरूप तय हो गया है। जब तृतीय व्यक्ति अर्थात पुलिस बिना विषय के जानकारी के पहुंची तो टैक्सी ड्राइवर अर्थात पुरुष को हिरासत में ले लिया। लड़की को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। हालांकि वीडियो ने तमाशा और खींच दिया, और पुलिस को अपराध की रूह तक पहुंचना पड़ा।

किंतु अंततः इस घटना से क्या मायने ज्ञात होते हैं, क्या यह कि लड़कियां या महिलाएं अशिष्ट होती हैं, उन पर हाथ उठाना चाहिए, टैक्सी ड्राइवर को लड़की को पीटना चाहिए था।

शायद हमारे कई विचार होंगे किंतु इस तथ्य को आप कितना अपनाएंगे की एक महिला या लड़की के आचरण से संपूर्ण महिला वर्ग को उस दृष्टि से देखना ठीक नहीं, इसे एकल मानव की अशिष्टता की दृष्टि से जानना चाहिए। ठीक यही पुरुषों के लिए दृष्टता होनी चाहिए।

इन सब घटना चक्र में आकर हमारी बुद्धि ने विषयों पर विचार की जो राह प्राप्त कर ली है। वह प्रकृति की देन इस सुंदर दुनिया से हमें कितना दूर लाकर खड़ा कर गई हैं।

फेक फेमिनिज्म जैसे शब्दों ने तकरीबन सभी औरतों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह ठीक नहीं जैसे नारी एक मकान को घर बना देती है। उसमें प्यार भर देती है। वही नारी समाज को बेहद सुंदर बना सकने में भी सक्षम है। हमारे देश की नारी को इस दिशा में कदम बढ़ाने हैं। उन्हें यह तय करना होगा, कि वे उस स्थिति पर न पहुंचे कि समाज में कोई किसी अपराध में औरत को बिना विषय की जानकारी वाला तीसरा व्यक्ति आरोपी मान ले।

मुद्दे बनते रहते हैं। सोशल मीडिया घर-घर तक पहुंचाती हैं। और बहुत सफल भी है। किंतु इस प्रकार के मुद्दों से हमारी दृष्टिता पर क्या प्रभाव हुआ जा रहा है, इस पर आप क्या सोचते हैं।।

रविवार, 15 अगस्त 2021

New vehicle scrappage policy in india | गाड़ी परिमार्जन नीति | in hindi

  New vehicle scrappage policy-


   यह स्पष्ट तौर से पुरानी गाड़ियों के परिमार्जन की पॉलिसी है।बीते 13 अगस्त 2021 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने यह पॉलिसी घोषित की। मोदी जी का कहना है, कि यह पॉलिसी भारत में 10000 करोड़ से अधिक रुपए का नया निवेश लाने जा रही है, और रोजगार का हजारों में सृजन करने वाली है।

   इस पॉलिसी में पुरानी हो चुकी गाड़ी के लिए नई परिमार्जन नीति निर्देशित है।  प्राइवेट व्हीकल को 15 साल बाद और कमर्शियल व्हीकल को 20 साल बाद टेस्ट सेंटर में फिटनेस जांच को जाना अनिवार्य होगा।

   यदि गाड़ी टेस्ट पास नहीं कर पाएगी तो तय है। कि उसे परिमार्जन के लिए जाना ही होगा। इस पर गाड़ी के मालिक गाड़ी परिमार्जन से संबंधित सर्टिफिकेट प्राप्त करेंगे। वह सर्टिफिकेट निम्न बिंदुओं पर उपयोगी होगा।

1. नई गाड़ी पर डिस्काउंट प्राप्त होगा।

2. नई गाड़ी खरीद पर रजिस्ट्रेशन पर कोई रुपया नहीं देना   होगा।

3. रोड टैक्स पर छूट होगी।

शनिवार, 14 अगस्त 2021

15 august 2021 | इंडिपेंडेंस डे ऑफ इंडिया इन हिंदी | भारतीय स्वतंत्रता दिवस

    15 अगस्त शुभकामनाओं, भारतीय यश की गाथाओं के स्मरण के साथ पुनः आया है इन गाथाओं का दीप सदैव उदीयमान रहे। भारतीय पताका विजय हवाओं में लहराता रहे, और उसके तल में उत्साह और मानव उत्थान की सूज में भारतवासी राष्ट्रगान का स्वर ऊंचा कर प्रतिवर्ष 15 अगस्त को मिसाल बनाते रहें। 

यह हमारी एकता का परिणाम होगा। दुनिया को पैगाम होगा

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नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏