पार्टी का नेतृत्व खेमा बड़ा होने से अब भाजपा की उत्तराखंड में चुनौती भी बड़ी है, कि वे सभी बागी हुए तथा योग्य, बुजुर्ग सभी नेताओं को मनोवांछित सीटों पर टिकट दे, जीत हो तो मंत्रिमंडल में जगह दे, मुख्यमंत्री का पद दें। वही भाजपा पार्टी के उत्तराखंड में पहले से ही दिग्गज नेता अपनी भक्ति, लंबे समय से पार्टी में होने के फल में अपने ही विचार को पार्टी का विचार मानने की मनः स्थिति में आ चुके हैं। 2016 में एक ओर पहले से ही कांग्रेस से बागी नेता अपनी मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी के लिए अधीर हुए हैं। भाजपा उन्हें भी अपनी पार्टी में ग्रहण कर पूर्णतः पकाने का काम कर रही हैं। किंतु वह बागी नेता तो राजनीति में अरसे से हैं, अतः अब इंतजार करना उन्हें लाजमी नहीं, और राजनीति में लंबे समय से होने के कारण अधिक अनुभव के कायदे से यूं तो उन्हें ही मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होना चाहिए, किंतु भाजपा के लिए तो वे इतने पुराने नहीं जितने कि वे राजनीति में पुराने हो चुके हैं। खैर एक ओर जहां नेताओं का भाजपा का दामन थामना हो रहा है। वही सीट पर यह समस्या होगी, कि टिकट दे किन्हें। पुरोला की ही सीट का हाल देखें कि विधायक र...
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