नमस्कार साथियों
यह ब्लॉक चैनल आपके लिए अनेकों विषय पर सूचनात्मक और विश्लेषणात्मक और विचारात्मक आर्टिकल्स उपलब्ध कराने के लिए है। आपके सहयोग की आशा है, कि आप इससे जुड़ेंगे और निश्चित रूप से आप इससे लाभ प्राप्त करेंगे।
नवीनीकरण / नया राशन कार्ड के लिए आवेदन में आवश्यक दस्तावेजों का विवरण-
1. मुखिया की एक पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ-
राशन कार्ड के आवेदन के लिए घर के उस परिवार के मुखिया की पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ जो नए राशन कार्ड के लिए आवेदन कर रहे हैं।
2. पुराना राशन कार्ड यदि / राशन कार्ड के निरस्तीकरण प्रमाण पत्र / नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
3. मुखिया से संबंधित निम्न कागजों की फोटोकॉपी-
● बैंक में खाते की बुक के पहले और आखिरी पेज की फोटो कॉपी लानी होती है।
● गैस बुक की प्रथम पृष्ठ की फोटो कॉपी लानी होती है
4. सभी सदस्य जो राशन कार्ड में होंगे के संबंधित दस्तावेज-
उस परिवार के सभी सदस्य के आधार कार्ड की फोटो कॉपी आवश्यक है। अर्थात राशन कार्ड पर जिन सदस्यों का नाम दर्ज होगा, उन सभी के आधार कार्ड की फोटोकॉपी आवश्यक है।
5. आय प्रमाण पत्र संबंधित किसी एक दस्तावेज की फोटो कॉपी-
● नौकरी होने पर या तो सैलरी स्लिप की फोटोकॉपी।
या
● इनकम टैक्स द्वारा वापस दी गई रिसिप्ट की फोटोकॉपी।
या
● आय प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी।
6. निवास स्थान एड्रेस के सत्यापन के लिए निम्न में से किसी एक दस्तावेज की फोटो कॉपी-
● हाल ही में आया बिजली का बिल नवीनतम-
हो सकता है कि बिजली का बिल घर के मुखिया के नाम पर हो और मुखिया का पुत्र अपनी पत्नी और बच्चों को लिए पिता (मुखिया) के साथ ही एक घर में रहता हो तो बिजली का बिल वही घर का मुखिया के नाम का प्रयोग में होगा।
या
● नवीनतम पानी का बिल-
घर में आए पानी के बिल की एक फोटो कॉपी।
या
● हाउस टैक्स से संबंधित कागज की फोटो कॉपी।
या
● किरायानामा की फोटो कॉपी।
नोट-यह सभी जानकारियां जिला पूर्ति कार्यालय देहरादून उत्तराखंड से दिनांक 23 सितंबर 2021 को इकट्ठी की गई है। राशन कार्ड के आवेदन से संबंधित सभी दस्तावेजों को पूर्ण कर खाद्य पूर्ति कार्यालय तहसील में जमा करवाया जा सकता है।
गुलशन ग्रोवर जी स्कूल के दिनों में बड़े मेधावी छात्र हुआ करते थे। विद्यालय में अच्छे अंको से पास होना, और एक अच्छे विद्यार्थी की तरह शालीन स्वभाव से पर्दे पर बैडमैन हो जाने तक का सफर कैसे तय हुआ।
वे दिल्ली में पले बड़े, दिल्ली के ही स्कूल में उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की परिवार की स्थिति इतनी बेहतर नहीं थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जब गुलशन ग्रोवर जी कहते हैं, कि मैं बचपन में स्कूल की ड्रेस को अपने साथ लिए सुबह डिटर्जेंट और साबुन, फिनायल इत्यादि को बेचने घर-घर जाया करता था। आप की अदालत मैं गुलशन ग्रोवर का अपने बचपन के विषय में कहना है, कि जो लोग उन्हें बचपन में जानते थे, आज पर्दे पर उन्हें देखकर जरूर सोचते हैं, कि यह इतना अच्छा लड़का ऐसे रोल कैसे कर सकता है, यह तो ऐसा लड़का है ही नहीं।
गुलशन ग्रोवर असल जिंदगी में कभी बैडमैन रहे ही नहीं उनकी बहनों से सुने तो बचपन में गुलशन उन्हें पढ़ाया करते थे। स्कूल समय से ही झगड़े लड़ाइयों से दूर रहे गुलशन स्क्रीन पर एक अलग ही रंग में दिखते हैं। बचपन से ही कलाकारी का एक अलग शौक गुलशन साहब को रहा। उन्होंने बचपन में रामलीला से स्कूल कॉलेजों में ड्रामा के मंचों तक गुलशन ग्रोवर अपनी अदाकारी की धार पेनी करते रहे। वह श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स दिल्ली से ग्रेजुएट हुए।
सफल कलाकार बनने का सफर
गुलशन ग्रोवर ग्रेजुएशन के बाद मुंबई को रवाना हो गए। उन्होंने वहां प्रो० रोशन तनेजा के एक एक्टिंग स्कूल में एडमिशन ले लिया, और वहां जिन सहपाठी से उनकी मुलाकात हुई। जिनमें एक और सफल कलाकारअनिल कपूर, मदन खान, मदन जैन, सुरेंद्र पाल इत्यादि।
जब गुलशन ग्रोवर एक्टिंग स्कूल लास्ट ईयर पास आउट हुए। एक निरीक्षक के तौर पर छात्रों को प्रोत्साहित करने और उनकी उन्नति को आंकने अनिल कपूर साहब के पिता सुरेंद्र कपूर जी वहां उपस्थित हुए, और उन्होंने गुलशन ग्रोवर को सर्वाधिक अंक दिए, विश्वास दिलाया कि जो आवश्यकता हो मुझे जरूर बताना, मैं तुम्हें मदद देने की पूरी कोशिश करूंगा, और जिस मदद का वादा सुरेंद्र कपूर जी ने गुलशन ग्रोवर से किया था, उसमें पहली सबसे बड़ा साथ जो दिया उन्होंने अपनी फिल्म “हम पांच” में काम देकर।
अपनी एक्टिंग कोर्स पूरा हो जाने के बाद अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आवश्यकताओं पर खर्चा को लेकर गुलशन ग्रोवर साहब ने उसी एक्टिंग स्कूल में एक्टिंग टीचर के तौर पर नौकरी कर ली और अपनी एक्टिंग टीचर की नौकरी के साथ-साथ हुए फिल्म मेकर से मुलाकात के लिए दौड़ भी करते रहे। इसी दौरान प्रोफेसर रोशन तनेजा से संजय दत्त एक्टिंग कोर्स लेने आए इस तरह से गुलशन ग्रोवर भी उनके टीचर रहे।
पहली फिल्म
गुलशन ग्रोवर की पहली फिल्म को लेकर संजय दत्त साहब के पिता सुनील दत्त जी कहते हैं, कि उन दिनों में संजय दत्त की ट्रेनिंग के दौरान गुलशन ग्रोवर संजय दत्त को मिला करते रहे। एक दिन संजय दत्त ने अपनी पिता सुनील दत्त जी से कहा कि पिताजी यह गुलशन हैं और यह बहुत अच्छी कॉमेडी कर लेता है। जब सुनील दत्त जी ने उन्हें देखा तो उन्होंने गुलशन में एक अच्छा एक्टर पाया। उन्होंने सलाह दी कि तुम विलेन के रोल में काम किया करो। उन्हीं दिनों सुनील दत्त जी रॉकी फिल्म को फिल्माने की तैयारी में थे। वहीं से गुलशन ग्रोवर का पहला रोल निकल कर आया।
रॉकी फिल्म कामयाब फिल्म रही, किंतु गुलशन ग्रोवर साहब को बहुत पहचान तो नहीं मिली थी, उन्हें इस फिल्म में काम से फिलहाल तक तो उस स्तर पर नोटिस नहीं किया गया।
अनिल कपूर जी के पिता सुरेंद्र कपूर जी ने भी गुलशन ग्रोवर जी को अपनी फिल्म हम पांच में काम करने का मौका दिया। “हम पांच” फिल्म में काम कर रहे गुलशन ग्रोवर साहब कि उसी दौरान मुलाकात शबाना आजमी जी से होती है, और उन्हें गुलशन ग्रोवर की मेहनत उनका समर्पण बेहद पसंद आया और उन्होंने मोहन कुमार जी से “अवतार” फिल्म के लिए गुलशन ग्रोवर का जिक्र किया उनकी तस्वीरों को उन तक पहुंचाया। इसी पहल के चलते मोहन कुमार साहब ने गुलशन ग्रोवर जी को फिल्म अवतार में काम दिया। इसके बाद गुलशन ग्रोवर के करियर में अनेकों कामयाब फिल्मों का झरोखा बह चला।
बॉलीवुड का बैडमैन
गुलशन ग्रोवर साहब के चाहने वाले बेडमैन के नाम से जानते हैं। इसे लेकर सुभाष घई की फिल्म राम-लखन में गुलशन ग्रोवर को मिला रोल का जिक्र आता है। उस फिल्म के रिलीज होने के बाद गुलशन ग्रोवर का जादू दर्शकों के जुबान पर साफ दिख रहा था। दर्शक फिल्म देख कर बाहर निकले तो केवल बैडमैन, बैडमैन ही कह रहे थे, और उस फिल्म की सफलता के साथ ही गुलशन ग्रोवर साहब बैडमैन के नाम से मशहूर हो गए।
हॉलीवुड का किस्सा
हॉलीवुड को लेकर गुलशन ग्रोवर साहब का एक किस्सा कुछ इस प्रकार से है, कि किसी डायरेक्टर की नजर जब रेस्टोरेंट मैं बैठे गुलशन ग्रोवर पर पड़ी तो उसने उनसे सवाल किया क्या तुम मेरी फिल्म में काम करोगे। वह यह नहीं जानता था, कि गुलशन ग्रोवर बॉलीवुड में पहले ही एक सफल कलाकार हैं। गुलशन ग्रोवर हॉलीवुड की भी कई फिल्मों में काम कर चुके हैं।
तालिबानी महिलाओं को लेकर कैसी मनः स्थिति में है, और समय के साथ कितना परिवर्तन स्वयं में ला पाने में वह सफल हो सका है, यह सब तालिबान से आने वाली खबरों में साफ हो रहा है, महिलाओं का सड़कों पर प्रदर्शन अपनी आजादी और खुली सांस की लड़ाई।
तालिबान मानसिकता में जीवन के समस्त अधिकारों को वे खो नहीं देना चाहती। वे उन जंजीरों में बंध कर खुद को कैदी महसूस कर रही हैं। वह दुनिया में खुद को उन महिलाओं में गिनना चाहती हैं, जो हर विषय पर कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति की राह में सेवा दे सकती हैं।
ऐसे में तालिबानी बुर्खा, हिजाब उन्हें तो जरूर ढक लेगा, किंतु उनके आक्रोश की ज्वाला, हक को लड़ने की मानसिकता को नहीं ढक सकता है, तालिबान से महिलाओं को लेकर सर्वाधिक पिछड़े फैसलों की अपडेट मिल रही हैं, किंतु अफगानी महिलाओं ने अपने अपने स्तर से इस मानसिकता के खिलाफ जंग को जारी रखने की मुहिम छोड़ी नहीं है। सोशल मीडिया पर रंग बिरंगे वस्त्रों में अपनी तस्वीरों को वह पोस्ट कर रही हैं। वे लिखती हैं, कि वह रंग बिरंगी पोशाक हमारी संस्कृति हैं, तालिबान हमारी पहचान तय नहीं करेगा। इस प्रकार से विरोध लगातार जारी है।
वही अफगान से 32 महिला फुटबॉल खिलाड़ी अपने परिवार को लिए लाहौर पहुंच गए हैं। यह सब तालिबान की नजरों से बचकर हुआ है। तालिबानी लोग इन्हें धमका रहे थे। क्योंकि ये महिला होते हुए खेल से जुड़ी हैं। तालिबान को यह मंजूर नहीं। यह महिला खिलाड़ी 2022 में कतर में होने वाले विश्व कप में शामिल होंगे। इन महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा को देखते हुए इन्हें पाकिस्तान ले जाने का कदम ब्रिटेन के एक एनजीओ ने उठाया।
इन सब घटनाओं से स्पष्ट हो रहा है, कि तालिबान महिला प्रतिभा और उनकी अहमियत को कितना आंकता है, इसलिए उन्हें बांध कर रखने का प्रयत्न करता है।
तालिबान को लेकर दुनिया में-
तालिबान के कारनामों पर समर्थन देने वाले और आशंकित और विरोधी रुख लिए राष्ट्रों के नाम धीरे-धीरे साफ हो रहे हैं। खाड़ी देशों के एक वरिष्ठ अफसर की माने तो अफगान के विषय पर जहां चीन और पाक एक तरफ हैं, तो भारत, रूस और ईरान एक ओर होंगे। उनका कहना यह भी है, कि ईरान की नज़दीकियां भारत और रूस से अधिक है, वे अपनी ओर से अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान की मिलीभगत पर कहते रहेंगे।
दुनिया में पाकिस्तान अपने तालिबानी समर्थन स्टैंड के चलते घेरे में तो आया है, और यदि ऐसा नहीं है तो क्यों खबरों में है, की काबुल की सड़कों पर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। इस पर सोचने का विषय है कि काबुल की सड़कों पर विरोधी क्यों तालिबान के बजाय पाकिस्तान के खिलाफ स्वर ऊंचा करते हैं।
अफगानिस्तान बिगड़ते हालात-
पिछले दिनों की खबरों से यह मालूम हुआ, कि लोग अफगान में इस स्थिति में आ गए हैं, कि खाने को कुछ नहीं काम के जरिए समाप्त हो गए हैं। बैंकों से रुपए मिल पाना बेहद मुश्किल हो रहा है, वहां लंबी कतारें हैं। लोग यहां तक कि अपने घरों का सामान बेचने को सड़कों पर बैठे हैं। यूएन ने फिर अफगान के बिगड़ते हालातों पर चिंता व्यक्त की है। अफगान में मानवीय स्थिति बत्तर हालातों में आ चुकी है। वहां लोगों के पास भोजन, दवा, घर जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं है।
वहीं अफगान के मानव अधिकार आयोग ने कहा कि तालिबान उनके दफ्तर को अपने अधिकार में ले चुका है। तालिबान मानव अधिकार आयोग के कामकाज में दखलंदाजी करता है। उनके कंप्यूटर, कार सभी तालिबान अपने इस्तेमाल के लिए प्रयोग में ला रहा है। उन्हें अपनी स्वतंत्र कार्यकारिणी को लेकर चिंता है।
सुखविंदर सिंह रंधावा का नाम पंजाब मुख्यमंत्री पद को लेकर सबसे आगे था। उनके पश्चात अमृता सोनी के सी एम बनने को लेकर के इनकार ने सुनील जाखड़ और साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू का नाम भी रेस में शामिल रहा। नवजोत सिंह सिद्धू को इस वक्त मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस हाईकमान नई मुसीबत गले नहीं लेना चाहती। चुनाव निकट है। जहां सुनील जाखड़ का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए आने लगा था, तब सिद्धू पक्षी नेता दल ने उनका विरोध दर्शाया। अंत में आकर चरणजीत सिंह चन्नी नाम पंजाब के नए सीएम के पद को हासिल होगा। पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत जी ने ट्वीट कर यह जानकारी साझा की।
चरणजीत सिंह चन्नी-
पंजाब के नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी रूपनगर जिले के चमकौर साहिब विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक वर्तमान में है। वह पंजाब विधानसभा में 2015 से 16 तक विपक्ष के नेता के तौर पर प्रमुख रहे। वे दलित समाज के अंग है, और पंजाब में पहले मुख्यमंत्री होंगे जो दलित सिख हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी जी के विषय में रोचक प्रसंग-
एक बेहद रोचक विवरण पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जी के विषय में है। 2018 में उनके विषय में एक वीडियो देखने में आया था। जिसमें कि वह लेक्चरर होने के लिए दो उम्मीदवारों के मध्य सिक्का उछालते दिखाए गए। इन तस्वीरों पर तब मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी जी ने कहा था, कि यह सुझाव उन दो उम्मीदवारों का ही था, क्योंकि वे दोनों बराबर पर थे, इसलिए सिक्का उछाल कर तय करने पर मंजूरी बनी। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी जी के विषय में यह भी जानने को मिला कि ज्योतिष के मशवरे से उन्होंने एक अवैध सड़क का निर्माण भी करवा लिया था, यह पूरा मामला क्या रहा होगा, किंतु सरकार ने इस अवैध सड़क को समाप्त कर दिया। उन्होंने अपनी ज्योतिष की सलाह पर एक हाथी की सवारी अपने ही घर में की थी। यह कुछ रोचक तथ्य पंजाब के होने जा रहे नए मुख्यमंत्री श्री चरणजीत सिंह चन्नी जी के विषय में है। एक समय पर उन पर आम आदमी पार्टी के नेता सुखपाल खैरा जी ने अवैध खनन को लेकर आरोप लगाए थे। किंतु उन्होंने स्पष्ट करते हुए इसमें अपना कोई हाथ नहीं होना बताया था। यह सब उनकी राजनीतिक जीवन और सामान्य जीवन संबंधी प्रसंग है। यह तो राजनेताओं का एक पहलू है। 58 वर्ष के चरणजीत सिंह चन्नी जी अब पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगें। और नवजोत सिंह सिद्धू जरूरी है, कि नई सरकार में मंत्री होंगे। उन्होंने अमरिंदर सरकार पर स्पष्ट आरोप लगाया था, कि 2017 चुनाव वादों को निभाने में विफल रही है। नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधियों में देखा जाता है। वे उन नेताओं में हैं, जिन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू को अध्यक्ष बनाया था।
पंजाब के हाल तक और इस्तीफा सौंप चुके मुख्यमंत्रीकैप्टन अमरिंदर सिंह जी का 52 वर्ष का राजनीतिक जीवन हो चुका है। वह 9 वर्ष तक पंजाब के मुख्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। उनका जन्म 1942 में हुआ था। वह राष्ट्रीय डिफेंस अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक के बाद भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। 1963 से 1966 तक वे भारतीय सेना में सेवारत रहे। 1965 की इंडो पाक युद्ध में भी वे भारतीय सेना का हिस्सा थे।
राजनीतिक जीवन-
वे स्कूल समय से ही भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी के अच्छे मित्र रहे, और राजनीति में प्रवेश इसी मित्रता के साथ हो गया। कांग्रेस पार्टी से उनका परिचय राजीव गांधी जी के द्वारा ही हुआ। वे 1980 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। किंतु ऑपरेशन ब्लू स्टार के विषय में उन्होंने 1984 में संसद को इस्तीफा दे दिया, तथा कांग्रेस छोड़ दी, उन्होंने शिरोमणि अकाली दल में शामिल होना स्वीकार किया, और राज्य विधानमंडल में तलवंडी सबो से चुने गए। वे राज्य सरकार में कृषि तथा वन मंत्री भी रहे। अमरिंदर सिंह जी ने सन 1992 में पार्टी अकाली दल से अपने आप को हटा लिया, और एक नई पार्टी शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) नाम से गठित की। यह पार्टी 1998 में कांग्रेस में विलय हो गई। वे लंबे समय तक पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, वे तीन बार 1999 से 2002, 2010 से 2013, 2015 से 2017 तक कांग्रेस प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष रहे, वे 2002 से 2007 तक पंजाब मुख्यमंत्री पद पर भी आसीन रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह जी ने 2014 आम चुनाव में वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली जी को एक लाख से अधिक वोटों से करारी हार दी थी। वह पटियाला तथा तलवंडी साबो की सीटों से सम्मिलित रूप से 5 बार पंजाब विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह जी को 2014 में 2017 के चुनाव को लेकर पंजाब राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था, और 2017 में कांग्रेस पार्टी को राज्य विधानसभा का चुनाव जीत लेने के बाद पंजाब राजभवन चंडीगढ़ में पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें शपथ दिलाई गई। 18 सितंबर 2021 को पार्टी द्वारा अपमानित होने का कारण देकर कैप्टन अमरिंदर सिंह जी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।
अमरिंदर सिंह जी द्वारा लिखी किताबें-
कैप्टन अमरिंदर सिंह जी ने अपने जीवन के अनुभव तथा संस्मरण को अपनी लिखी किताबों के माध्यम से सार्वजनिक किया है। उनकी लिखी किताब लेस्ट वी फॉरगेट, द लास्ट सनसेट: राइज एंड फॉल ऑफ लाहौर दरबार और द सिख इन ब्रिटेन,
इंडियाज मिलिट्री कंट्रीब्यूशन टू द ग्रेट वॉर ऑफ 1914 से 1918,
द मानसून वॉर: यंग ऑफिसर्स रिमिनीस:1965 भारत पाक युद्ध।
लेखक खुशवंत जी ने एक पुस्तक जो कि एक जीवनी है सार्वजनिक की है, जिसका नाम कैप्टन अमरिंदर सिंह: द पिपुल्स महाराजा इन 2017
नवजोतसिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के मध्य कि रार चुनाव से कुछ ही समय पहले रंग दिखा गई, और साफ कर गई की आखिर यह रार कितनी गहरी थी। कांग्रेस हाईकमान हमेशा से बचाव में लगी रही वह कई मुलाकात पूर्व में पंजाब में पार्टी की गुटबाजी के लिए कर चुके, कभी नवजोत सिंह सिद्धू की राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात हो, या कैप्टन अमरिंदर सिंह जी की पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात हो, किंतु हर कोशिश नाकाम रही और मुख्यमंत्री पद का इस्तीफा आखिर पंजाब के राजनैतिक रार का फल हुआ।
कांग्रेस हाईकमान का ही फैसला होगा, कि आखिर मुख्यमंत्री पद को कौन पंजाब में होगा, यह कैप्टन का कहना है। किंतु उन्होंने साफ बोल में नवजोत सिंह सिद्धू को अयोग्य बताया है। उन्होंने कहा है, कि सिद्धू पाकिस्तान परस्त हैं, वह इमरान और भाजपा के साथ हैं, यदि वह मुख्यमंत्री बनता है, तो यह देश हित में नहीं है, वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
दूसरी ओर उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू का यह सब करना उसकी मुख्यमंत्री पद की आकांक्षा ही है। अब कांग्रेस हाईकमान इन सब हालातों में कैसे राज्य में स्थायित्व ला सकेगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान जो सिद्धू को पूर्णता कटघरे में खड़ा करते हैं, कांग्रेस को सिद्धू को मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित करने से पूर्व जरूर गहरा सोचने को मजबूर करेगी। वहीं यदि सिद्धू मुख्यमंत्री होते हैं, तो यह भी तकरीबन तय है, कि कैप्टन पार्टी को छोड़ दें। वे पहले से ही स्वयं को पार्टी से अपमानित समझते हैं। जब उनसे पूछा गया कि आगे क्या कदम होगा, तो उनका जवाब था कि वे अपने साथी नेताओं से विषय पर वार्ता करेंगे तब अंतिम फैसले पर पहुंचेंगे।
यह भी तय है, कि कैप्टन और सिद्धू को एक ही पार्टी में रहना है, तो इसका मतलब है, कि सिद्धू का मुख्यमंत्री ना बनना। क्योंकि कैप्टन को यह स्वीकार ही नहीं कि सिद्धू मुख्यमंत्री बने, यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयानों के बावजूद भी कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को मुख्यमंत्री पद सौंपती है, तो कांग्रेस पार्टी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध में जाने का खामियाजा पंजाब में भुगतना होगा। यह कैप्टन अमरिंदर सिंह जी की पार्टी छोड़ना भी हो सकता है। और सीधा-सीधा इसका फायदा पंजाब में आम आदमी पार्टी और भाजपा को होने वाला है।
यह तो स्पष्ट है, की कैप्टन के बयानों ने सिद्धू कि पंजाब में मुख्यमंत्री पद प्राप्ति की राह को बेहद कठिन कर दिया है।
पार्टी का नेतृत्व खेमा बड़ा होने से अब भाजपा की उत्तराखंड में चुनौती भी बड़ी है, कि वे सभी बागी हुए तथा योग्य, बुजुर्ग सभी नेताओं को मनोवांछित सीटों पर टिकट दे, जीत हो तो मंत्रिमंडल में जगह दे, मुख्यमंत्री का पद दें। वही भाजपा पार्टी के उत्तराखंड में पहले से ही दिग्गज नेता अपनी भक्ति, लंबे समय से पार्टी में होने के फल में अपने ही विचार को पार्टी का विचार मानने की मनः स्थिति में आ चुके हैं। 2016 में एक ओर पहले से ही कांग्रेस से बागी नेता अपनी मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी के लिए अधीर हुए हैं। भाजपा उन्हें भी अपनी पार्टी में ग्रहण कर पूर्णतः पकाने का काम कर रही हैं। किंतु वह बागी नेता तो राजनीति में अरसे से हैं, अतः अब इंतजार करना उन्हें लाजमी नहीं, और राजनीति में लंबे समय से होने के कारण अधिक अनुभव के कायदे से यूं तो उन्हें ही मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होना चाहिए, किंतु भाजपा के लिए तो वे इतने पुराने नहीं जितने कि वे राजनीति में पुराने हो चुके हैं। खैर एक ओर जहां नेताओं का भाजपा का दामन थामना हो रहा है। वही सीट पर यह समस्या होगी, कि टिकट दे किन्हें। पुरोला की ही सीट का हाल देखें कि विधायक राजकुमार मुख्यमंत्री, घोषणाओं के बदला बदली के दौर में खुद भी एक कदम और बदल लिए हैं, क्षेत्र में राजनीति का दायरा और तीव्रता कम नहीं होती है, इस पर विपक्षी व्यक्ति का अपनी ही पार्टी का विधायक हो जाना और उस समय पर जब चुनाव 2022 दरवाजे पर हैं, तब वर्तमान पुरोला विधायक राजकुमार जी का यह कदम पूर्व विधायक पुरोला मालचंद जी को भविष्य में भाजपा का पुरोला सीट पर टिकट को लेकर समीकरण स्पष्ट दिख रहे हैं। और यही कारण है कि वह इस विषय पर बोले। दरअसल पुरोला क्षेत्र में चर्चाएं यह भी होने लगी कि विधायक मालचंद जी कांग्रेस में शामिल होंगे, किंतु विधायक मालचंद जी ने यह तथ्य पूर्णता असत्य दर्शाए। उनका यह भी कहना है, कि पुरोला सीट पर 2022 भाजपा से टिकट उन्हें ही मिलने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि वह भाजपा पार्टी के एजेंडे पर सदैव से कार्य करने को नियत रहे हैं। जबकि कुछ लोगों ने भाजपा पार्टी को छोड़ दिया था। अतः स्पष्ट है, कि पुरोला सीट पर भाजपा के लिए टिकट को लेकर समस्या जरूर है, और उम्मीदवारों में से किसी का टिकट ही प्राप्त करना अपने आप में एक बड़ी जीत है। टिकट वितरण में संतोष असंतोष और अपनी ही पार्टी के सदस्य का आकर विरोधी हो जाना राजनीति का पहलू है, और हो भी क्यों नहीं 5 साल में एक बार तो यह पर्व होता है, और 5 वर्षों तक अपने आप को साधना में रखें उम्मीदवार को टिकट हाथ ना लगे, तो वह स्पष्टतः निराश ही होगा। 2016 से कांग्रेस से बागी नेताओं की मुख्यमंत्री पद की चाह अब तक भाजपा भी पूर्ण नहीं कर सकी है। अब वह किसी दिशा में दल बदलें। वे राज्य में शीर्षस्थ नेता रहे हैं। यदि अब दलों की दिशा बदलते हैं, तो दिशाहीन कहलाएंगे। कुल मिलाकर राजनीति में बड़ा परिवार होने पर और एक ही सीट की इच्छा रखने वाले काबिल कई उम्मीदवार हो जाना पार्टी में असंतोष पैदा करता है। और पुरोला वर्तमान विधायक राजकुमार जी का भाजपा में शामिल होना तथा पुरोला के पूर्व विधायक मालचंद जी का इस पर बयान कि 2022 में पुरोला सीट से टिकट उन्हें ही मिलने वाला है, यह तय है कि कहीं ना कहीं टिकट वितरण एक खेमे में असंतोष जरूर पैदा करेगा।
नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏