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Boxer Jaideep Rawat |
मुझे नहीं मालूम था, कि हमारे यहां से भी कोई लड़का मुक्केबाजी में खुद को आंकता होगा। अपना भविष्य एक मुक्केबाज होने में देखता होगा। तब जब वह इस खेल को जिसमें अपने करियर बनाने के लिए पहली दफा चयन प्रक्रिया में खड़ा था, मुझे तब यह मालूम नहीं था कि वह एक दिन इस खेल से दुनिया के सामने एक चेहरा प्रस्तुत होगा।
हम क्रिकेट खेल से चयन की आश में थे, और आप भी। यदि आप जयदीप के निवास क्षेत्र से होते तो आप भी क्रिकेट खेल में ही स्वयं को चयनित होने की लाइन में रखते। किंतु जयदीप ने ऐसा नहीं किया, उसने मुक्केबाजी को चुना। मुझे नहीं मालूम यह कैसे हुआ। एक पहाड़ी लड़का जो हम सब के साथ पल-बड़ा हो रहा हो, एक परिवेश, एक विद्यालय, एक से लोग, किंतु कैरियर के संबंध में जब खेल जहन में आया तो जिस खेल को चुना वह मुक्केबाजी। जयदीप जिस क्षेत्र से आते हैं, मैं निश्चित हूं यह कहने में, जयदीप ने यह खेल पहले कभी नहीं खेला था। हां टेलीविजन सुविधाओं के चलते देखा जरूर होगा।
दरअसल बात है 2014-15 की बैच की भर्ती के लिए महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज देहरादून में आठवीं और नौवीं कक्षा में छात्रों के लिए चयन प्रक्रिया घोषित की जो प्रतिवर्ष होता रहा है। आज भी निरंतर है। मैं उस दिन को उसी दिन में जा कर लिख रहा हूं। आप उस दिन में होकर के पढ़ें।
पौड़ी कंडोलिया का मैदान है। बहुत धूप है। तकरीबन सौ लड़के तो होगें जो महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में भर्ती के इच्छुक हैं। सर्वाधिक बेहतरी जिन छात्रों मैं है, वह मुख्य बाजार पौड़ी के छात्र हैं। किंतु उनमें भी किसी का खेल चयन मुक्केबाजी तो नहीं है।
सर्वाधिक छात्रों ने फुटबॉल की ओर अपना रुझान दर्शाया, और दूसरे नंबर पर जिस खेल के लिए चयनित होने की इच्छा कंडोलिया मैदान में छात्रों में रही, वह क्रिकेट है।
खेल चयन में वॉलीबॉल, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, एथलीट का भी विकल्प है। किंतु विशेष संख्या में छात्रों की वहां उन खेलों में रुचि नहीं है। और आप को सबसे रोचक बात मैं बताऊं, फुटबॉल जिसमें सर्वाधिक छात्रों ने चयन होने में रुचि दिखाई, एक भी खिलाड़ी चयनित नहीं हुआ। जबकि उनमें भी अच्छे प्लेयर हैं।
खैर यह वृत्तान्त जयदीप रावत को केंद्र में रख कर लिख रहा हूं। उस दिन हुई खेल चयन के लिए प्रक्रियाओं में सभी ने अपना खेल दिखाया इन सब में दो लड़के अपना खेल दिखाने के बाद आते हैं, उनमें से एक जयदीप है, दोनों बताते हैं कि हमारा चयन हो गया है, और हमें देहरादून बुलाया है, एक और चयन प्रक्रिया जो हमारी वहां होनी है, उन दोनों का खेल बॉक्सिंग है।
क्योंकि जयदीप हमारे क्षेत्र से है, तो स्वाभाविक तौर से हम दोनों एक दूसरे का हाल जानने को रुके। मुझे आज भी याद है, उसने कहा “मुझे तो यह स्टेप करवाया है”। वह साथ खड़े दूसरे मुक्केबाजी में चयनित हो चुके लड़के को बॉक्सिंग से संबंधित वही फुटवर्क करके दिखाता है, जो उसे चयन के दौरान करना पड़ा। जहां तक मेरी जानकारी में है, बॉक्सिंग खेल में कंडोलिया में दो ही छात्रों ने रुचि दिखाई थी, और वे दोनों चयनित हुए।आज वह समय उसके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हो रहा है। वह अपनी लगन और मेहनत से उस खेल में महारथी हो
रहा है। पूरे भारत देश का मान बढ़ाता है, और दुनिया में बॉक्सिंग का एक चेहरा हो गया है।
मुझे लगा कि इससे स्वर्णिम अवसर क्या होगा, इस लेख को सार्वजनिक होने का जब, वह पल जब जयदीप ने मुक्केबाजी की ओर पहला कदम बढ़ाया था, फल दे रहा हो। यह केवल जयदीप की सफलता का बखान नहीं है, बल्कि यह वे शब्द हैं, जो उन्हें जो इन शब्दों पर विचरण कर रहे हैं, यह बयां करेंगे कि कैसे एक कदम जीवन को किस ओर ले जाता है, वह कौन सा कदम है।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण जयदीप भारतीय सेना के जवान हैं। राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव का इससे महान और क्या परिचय हो सकता है। और अपनी मेहनत और लगन से राष्ट्र का गौरव हो जाना एक अलग अनुभूति है। यदि जयदीप यह मौका पाए हैं, यह सौभाग्य है।
मुझे याद है, घर लौटते वक्त जयदीप के पिताजी मेरे पिताजी से इस विषय पर कह रहे थे कि “वह स्पोर्ट्स कॉलेज निकल तो गया है, किंतु खर्चा बहुत हुआ है, वहां हॉस्टल में होने रहने खाने के लिए वह हर सामान को जुटा रहे हैं।
यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है, जो जयदीप को इस दिशा में लाया है। जयदीप के पिता का वह साहस अपने पुत्र पर पूर्ण विश्वास और पूंजी का अधिकांश भाग उसकी बेहतरी के लिए लगाना, यह आज के युग में विरला संयोग होगा कि पुत्र उस विश्वास को निभा सके। यह मेहनत और भाग्य का बेहतरीन संयोग है।
मूल निवास पैठाणी, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड के जयदीप रावत अब लोगों में चैंपियन मुक्केबाज जयदीप रावत हो चुके हैं। मध्यम वर्ग का परिवार जिसमें जयदीप अपने पिताजी की उनके पुत्र के भविष्य के प्रति एक अलग सोच का नतीजा है, कि वह आज मुक्केबाज जयदीप हुए हैं। उनकी मेहनत के समांतर इसी लय में उन्हें सफलताएं मिलती रहें, भविष्य के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।
यह लेख जयदीप का जयघोष मात्र नहीं है, बल्कि यह लेख पाठकों में भी अपना अगला कदम तय करने की प्रेरणा बन सकेगा।