नमस्कार साथियों
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इतिहास क्या है / इतिहास किसे कहते हैं / इतिहास की परिभाषा एवं व्याख्या-
इतिहास क्या है
वर्तमान और भविष्य की जड़ें इतिहास में है। आज भी हम जो फल प्राप्त कर पा रहे हैं, जो परिणाम सम्मुख हैं, वह अतीत के ही हैं। या यूं कहें कि हमारे पूर्वजों का किया हम ही तो भोगते हैं।
● इतिहास “जो निश्चित रूप से ऐसा ही था” शाब्दिक अर्थ लिए है। उससे ज्ञान है की, मनुष्य का हमेशा से उद्देश्य जीवन को सुखी बनाना रहा है। इतिहास हमें बताता है, कि सहयोग से मानव उन्नति होती है।
● वर्तमान में जो प्राप्त है, वह इतिहास का फल है। और भविष्य पर कोई स्पष्ट विदित तथ्यात्मक पुस्तक लिखी नहीं जा सकती। किंतु यह भी है, कि इतिहास की जानकारी से भविष्य का अनुमान जरूर लगा पाने में हम स्वयं को कुछ हद तक सही पाते हैं। इतिहास तो एक विज्ञान है जो मानव के हर कदम को प्रयोग मानकर उस पर लिखा गया है।
● साथ ही इतिहास केवल दिवंगत राजाओं की कृत्यों की सूचना मात्र नहीं है। वरन यह एक विज्ञान है, जो बुद्धि का विकास में आवश्यक है। उपयोगी है। साथ ही हम सदैव से लकीर के फकीर नहीं हैं। हमने अतीत से आज तक स्वयं को परिवर्तित पाया है। हमने जीवन मूल्य में अंतर पाया है। जिन धार्मिक युद्धों का मध्य काल में आमंत्रण था, वह आज भत्सना के पात्र हैं। अतीत मैं जिस स्वतंत्रता के लिए हमने हिंसा का सहारा लिया उसी से सीख ले कर मानव बुद्धि में अहिंसा से स्वतंत्रता प्राप्ति की राह को इजाद किया। क्योंकि मानव जान रहा है, कि मानव ही धरा पर इन सब को चलाएमान रखे हैं। उसके ना होने पर यह सब शून्य है। और उसके समृद्धि ही इन्हें जीवित रखेगी। क्योंकि भूखा मानव अन्न और धर्म में पहले अन्न प्राप्ति के प्रयास में होगा। इतिहास गवाह है।
◆ अतः इतिहास वर्तमान के मानव का शिक्षक है। मानव की उन्नति का डाटा है।
8 नवंबर 1938 को इंदौर में जन्मे अरविंद त्रिवेदी की 90 के दशक के लोकप्रिय रामानंद सागर जी की रामायण के मशहूर कलाकारों में एक रहे। अरविंद त्रिवेदी जी ने रावण का किरदार निभाया। उनके पिताजी मूल रूप से गुजरात के थे। 300 से अधिक हिंदी गुजराती फिल्मों में अभिनय करने वाले अरविंद त्रिवेदी जी का निधन 83 वर्ष की उम्र में हो गया है। दुनिया भर में रामायण में रावण के किरदार के कारण उनको बेहद लोकप्रिय मिली। 90 के दशक में रामायण धारावाहिक की इतनी लोकप्रियता रही, कि 52 एपिसोड को एक्सटेंड कर 78 एपिसोड की शूटिंग की गई। रामायण धारावाहिक लगभग डेढ़ साल कि लंबे समय में तैयार हो सका। लगभग 55 देशों में रामायण धारावाहिक का टेलीकास्ट दुनिया भर में किया गया। जिससे 650 मिलियन से ज्यादा लोगों ने इसे देखा। इसी धारावाहिक का हिस्सा रावण के किरदार मैं अरविंद जी को लोगों ने बहुत सराहा। 1987 में जब रामायण दूरदर्शन पर प्रकाशित होने लगा, तो टीवी देखने वाले हर व्यक्ति में रामायण को देखने की अलग उत्सुकता थी। जो आस्था और विश्वास का जीवंत अभिनय था, यहां तक कि लोग धार्मिक आस्था के चलते टीवी की आरती उतारा करते थे। अरविंद जी ने एक इंटरव्यू में बताया, कि पहले तो जब वे शूटिंग के लिए जाते थे, तो ट्रेन में खड़े होकर यात्रा करनी पड़ती थी। किंतु बाद में लोग उन्हें पहचानने लगे, उनका अभिवादन होने लगा। रामायण में रावण के किरदार को विश्व भर से ढेर सारी लोकप्रियता मिली। 2020 के लॉकडाउन के दौरान धारावाहिक रामायण ने टीआरपी के मामले में 5 साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। रामायण के तकरीबन सभी एपिसोड गुजरात के पास उमरगांव में फिल्माए गए थे। अरविंद जी ने ना केवल रामायण में बल्कि विक्रम और बेताल नाम के धारावाहिक में पहले ही दर्शकों का बेहद प्रेम हासिल किया था।
अरविंद त्रिवेदी जी की गहरी धार्मिक आस्था-
ramanand sagar ramayana-arvind trivedi ji
अरविंद त्रिवेदी जी एक इंटरव्यू में कहते हैं, कि रावण का रोल उन्हें भगवान श्री राम की कृपा से प्राप्त हुआ है। असल जीवन में अरविंद जी बेहद सरल स्वभाव के रहे। उनका कहना है, कि वे असल जिंदगी में भी शिवभक्त रहे, और रावण भी शिव का भक्त था। रामायण की शूटिंग के दौरान अरविंद जी अपनी दैनिक दिनचर्या में पूजा पाठ के दौरान हाथ जोड़कर माफी मांगते थे, कि मैं रावण का किरदार करूंगा, हे ईश्वर मेरे मुंह से कुछ अपशब्द निकलेगा, मुझे उसके लिए माफ करना, मैं मात्र उस किरदार को निभा रहा हूं, असल तो मैं आपका भक्त हूं। अरविंद त्रिवेदी जी भगवान भोलेनाथ के बड़े भक्त रहे, उन्हें मंचों पर शिव तांडव का वाचन करते हुए देखा जा सकता है।
रामायण में किरदार कैसे मिला-
1987 में जब रामानंद सागर जी ने धारावाहिक रामायण बनाने का निर्णय किया, और यह बात अरविंद त्रिवेदी जी को मालूम हुई, साथ ही वह यह भी जाने कि रामायण में कई दिग्गज कलाकार काम करने वाले हैं। अरविंद जी रामायण में रोल पाने के लिए मुंबई की ओर बढ़ चले। बड़ी संख्या में लोग रामायण में किरदार पाने के लिए ऑडिशन दे रहे थे। अरविंद जी के मन में स्वयं के रावण जैसे शक्तिशाली किरदार या किसी अन्य पसंद के किरदार को निभाने को लेकर पहले से कोई मन इच्छा नहीं थी। या यूं कहें कि वह तो रामायण धारावाहिक में किसी भी किरदार को पाने के लिए ऑडिशन देने पहुंचे थे। वह केवट के लिए ऑडिशन दिए थे। जब उनका ऑडिशन हुआ उस समय तक श्री राम के किरदार के लिए अरुण गोविल जी का निर्णय हो चुका था, और रावण के किरदार को लेकर अरुण जी ने जिस नाम को आगे किया था, वह बॉलीवुड के मशहूर विलेन अमरीश पुरी जी थे। किंतु अमरीश पुरी जी ने इस रोल को मनाही कर दी। इसका कारण यह हो सकता है, क्योंकि उस समय अमरीश पुरी जी फिल्मी दुनिया में एक सफल विलन के रूप में पहचाने जाने लगे थे। वे धारावाहिक टीवी शो में नहीं बंधना चाहते थे। इसके बाद रावण को लेकर एक ऐसा कलाकार जो बुद्धिमान भी दिखता हो और शक्तिशाली भी की खोज जारी रही। जब अरविंद त्रिवेदी जी ने रामानंद सागर जी के सामने अपना ऑडिशन स्क्रिप्ट पढ़ी तो उन्हें लगा कि रामानंद जी को उनका ऑडिशन पसंद नहीं आया। किंतु रामानंद जी ने उन्हें रोककर कहा, कि तुम हमारी रामायण में रावण का रोल करोगे, और इस तरह अरविंद त्रिवेदी जी को उनके जीवन का एक सबसे मशहूर किरदार प्राप्त हुआ।
फिल्मी कैरियर-
300 से ज्यादा हिंदी गुजराती फिल्में अपने कैरियर में अरविंद त्रिवेदी जी ने दी। हिंदी फिल्मों में जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर जैसे अनेक लोकप्रिय कलाकारों के साथ त्रिवेदी जी काम कर चुके हैं। शाहरुख खान की फिल्म त्रिमूर्ति में मुख्य विलेन के किरदार में अरविंद त्रिवेदी जी को देखा जा सकता है।
राजनीतिक जीवन-
अरविंद त्रिवेदी जी फिल्मी दुनिया में महान योगदान के साथ राजनीति के भी हिस्सा रहे। 1991 से 96 तक बीजेपी पार्टी से सांसद चुने गए। गुजरात में साबरकांडा क्षेत्र से इन्हें संसद के लिए चुना गया। अटल जी की सरकार के दौरान 2002 में अरविंद जी को सीबीएफसी अर्थात सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का चेयरमैन बनाया गया था।
कुछ मशहूर किस्से-
रावण के किरदार को या यूं कहें कि अरविंद त्रिवेदी जी को रावण के अभिनय के लिए तैयार होने में लगभग 5 घंटों का समय लगता था। 10 किलो का मुकुट हुआ करता था। और शरीर पर कई अन्य आभूषण हार हुआ करते। जब एक बार रावण हनुमान अंगद को फेंककर अपने से दूर फेंक देते हैं, तब जामवंत उन पर वार करते हैं। रामानंद सागर जी की रामायण में जामवंत के किरदार राजशेखर उपाध्याय जी बताते हैं, कि जब मैंने रावण का किरदार निभा रहे अरविंद त्रिवेदी जी पर वार किया, तो उनकी कमर पर इतनी जोर से लग गई, कि वह सचमुच मूर्छित हो गए। ऐसे ही जब एक बार अरविंद त्रिवेदी जी कुछ आम घर के लिए रख गए, और शूटिंग में व्यस्त हो गए तो वानरों की सेना का किरदार निभा रहे कलाकारों ने आम की सारी पेटी खाली कर दी। इस बात पर अरविंद जी ने हंसकर कहा कोई बात नहीं।
उत्तराखंड राजनीति चुनावी पहल | भाजपा के चुनावी कदम-
उत्तराखंड राजनीति चुनावी पहल आजकल
भाजपा के चुनावी कदम विपक्ष के बोल-
उत्तराखंड में 2022 के चुनाव को लेकर हर दिन पक्ष विपक्ष, राजनीतिक दल अपने आप को आम जनमानस में सबसे मजबूत समर्थ और योग्य जताने की कोशिश में कार्यक्रमों का आयोजन कर रहें हैं। आज उत्तराखंड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्यतिथि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी का आगमन उत्तराखंड में भाजपा की जीत के लिए प्रयोग किए जाने वाले बड़े पेंचों में एक है। 2017 की भांति भाजपा ने अपनी केंद्र सरकार की उपलब्धियों से मुनाफा उत्तराखंड 2022 चुनाव में हासिल करना है, यह तो तय है। किन्तु दूसरी ओर विपक्ष राज्य में भाजपा के हर कदम पर उसे घेरने के पुख्ता इंतजाम किए हुए है। पीठसैंण में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी के दौरे से पूर्व ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल जी ने उनकी पुरानी घोषणा सैनिक स्कूल को लेकर कहा की उन्हें पीटसैंण की जनता से इस वादे को ना निभा पाने पर माफी मांगनी चाहिए, साथ ही उन्हें ऐसी घोषणा करनी चाहिए जिन्हें तीन माह में उत्तराखंड भाजपा सरकार पूरा कर सके। भाजपा के केंद्रीय नेताओं का उत्तराखंड दौरा आम जनमानस पर अधिक प्रभावी न हो सके इसके लिए कांग्रेस भरसक प्रयत्न में है। यह प्रयत्न स्पष्ट तौर से कार्यक्रमों में उत्तराखंड में वर्तमान भाजपा सरकार को उसकी पूरी न की जा सके वादों को याद दिलाने में दिख रहा है। मुख्यमंत्रियों का एक के बाद एक बदलते जाना, बदले गए मुख्यमंत्रियों के कार्यों और घोषणाओं पर सीधे तौर से सवाल खड़ा करता है। किंतु नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी की घोषणाएं और कार्य जनता में कितना विश्वास जगा पाते हैं, यह देखने का विषय है। 2017 में आई भाजपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में 100 दिन के भीतर भीतर उत्तराखंड को मजबूत लोकायुक्त मिलेगा की घोषणा की थी, जहां भाजपा सरकार लगभग 80% वादों को पूरा हुआ दर्शाती है, और जो शेष वादे जो रह गए हैं, उन्हें शेष समय में पूरा करने का विश्वास दिलाती है, वही लोकायुक्त को लेकर विपक्ष जनता में भाजपा की खामी दर्शाएगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक जी का कहना है, कि उनकी सरकार साढे चार साल उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त रही है, वे उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की संकल्पना पर वास्तविक शासन किए हैं। उनका कहना है, कि वे ऐसी सरकार चलाना चाहते हैं, कि उन्हें लोकायुक्त की आवश्यकता ही ना हो। आपको बता दें कि विधानसभा में यह बिल आया, पक्ष और विपक्ष दोनों धड़े एकमुस्त बिल के समर्थन में रहे, किंतु सत्तापक्ष की ओर से यह बिल प्रवर समिति के हाथों में सौंपा गया, और तब से यह अब तक समिति का ही होकर रह गया।
सरकार बनेगी तो यह होंगे कांग्रेस के पहले कदम-
वहीं कांग्रेस भी अपने भविष्य में उत्तराखंड में बनी सरकार को लेकर अपनी योजनाओं की घोषणा कर रही है। कांग्रेस गढ़वाल मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी का कहना है कि उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बनने के पश्चात वह गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाएंगे, और देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने का कदम उठाएंगे, पुरानी पेंशन बहाली को लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का काम करेंगे।
उत्तरकाशी में विधानसभा सीटें-
उत्तरकाशी में 3 विधानसभा सीटें हैं। पुरोला, यमुनोत्री और गंगोत्री इन 3 विधानसभा सीटों में वर्तमान में केवल एक सीट पर विधायक की मौजूदगी है। गंगोत्री के विधायक पांच माह पूर्व अकस्मात असमय मृत्यु हो गई, जिससे गंगोत्री की सीट रिक्त है। पुरोला की सीट के प्रतिनिधि विधायक राजकुमार जी का पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ थामना और अब पुरोला सीट विधायक पद से इस्तीफा दे देना पुरोला सीट पर विधायक का पद रिक्त कर देता है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल जी ने इस्तीफा स्वीकार किया। दरअसल इस्तीफा देने की वजह यह रही कि राजकुमार जी जिन्होंने 2017 में कांग्रेस स्वीकारी थी, अब बीजेपी में शामिल हो जाने पर कांग्रेस ने दल-बदल कानून के तहत कार्यवाही और अगले चुनाव को लेकर विधायक राजकुमार जी को अयोग्य घोषित करने की मांग की। इससे पूर्व की कोई कार्यवाही होती विधायक राजकुमार जी ने अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल जी का कहना है, की स्वेच्छा से विधायक का दिया इस्तीफा और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकारे जाने के पश्चात दल-बदल कानून लागू नहीं होता। इस प्रकार से उत्तरकाशी की विधानसभा सीटें रिक्त हुई है।
अफगानिस्तान घटनाक्रम / तालिबान के फरमान / पाकिस्तान के बयान-
अफगान घटनाक्रम
अफगानिस्तान में महिलाएं-
तालिबान विश्व स्तर पर अपना अस्तित्व तलाश रहा है। वह मान्यता के लिए और दुनिया में अफगान को प्रस्तुत करने के लिए बेचैन है। किंतु अफगान समाचारों में मानव अधिकार के हनन की खबरें जारी हैं। महिलाओं पर दमन चक्र और अत्याचार पर आवाजें उठ रही हैं। महिलाओं के शिक्षा पर प्रतिबंध का इंतजाम किया जा रहा है। महिलाओं की राजनीति में प्रवेश वर्जित है। इन सब ने दुनिया भर से अफगानी हितों में आवाज उठ रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स तथा वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन अगेंस्ट टॉर्चर ने अफगानिस्तान में तालिबानियों के द्वारा मानव अधिकार के लिए काम करने वाले या स्वर ऊंचा करने वालों को घर-घर जाकर दमन करने पर चिंता जाहिर की है। वहीं अफगान में तालिबान सरकार की महिलाओं पर अत्याचार के विरोध में विभिन्न राष्ट्रों की महिलाओं ने न्यूयॉर्क यूएन मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में महिलाओं ने इस विरोध में उपस्थिति दर्ज की।
पाकिस्तान के बयान-
आजकल अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान खबरों में बना हुआ है। तालिबान की मान्यता पर पाकिस्तान लगातार अपना बयान दे रहा है। वह वैश्विक स्तर पर अफगान की पैरवी करता है। पाकिस्तान विदेश मंत्री महमूद कुरैशी का बयान है, कि तालिबान अफगान में हकीकत है। हमें उसे स्वीकारना होगा। वही अफगान का हित है। तालिबान के नेताओं से आमने-सामने बैठकर वार्ता की जानी चाहिए। आफगान में तालिबान के अलावा अब कोई भी विकल्प नहीं है। उन्होंने साथ यह भी कहा यदि अफगान दुनिया की जरूरतों को पूरा करेगा, तो निश्चित ही उसे स्वीकार्यता प्राप्त होगी। कुरैशी ने कहा अफगान में तालिबानी सरकार के चलते वह जमीन आतंकी घटनाओं का केंद्र न बन सकें, इसके लिए पाकिस्तान दुनिया के साथ है। किंतु वैश्विक राष्ट्रों को अफगान में तालिबान सरकार की मान्यता पर ठीक कदम उठाना होगा। पाकिस्तान के आतंक के खिलाफ विश्व के साथ होने के इन सभी तर्कों के बीच हाल ही में एक आतंकी को भारत ने सीमा से घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर हिरासत में लिया है। घुसपैठी स्वयं को पाकिस्तानी बता रहा है। सेना के कैंप में उसकी ट्रेनिंग हुई है। उसने स्पष्ट शब्दों में भारतीय सेना को बतायाहै। पाकिस्तान के बयानों में और कृतियों में कितना अंतर है, यह स्पष्ट हो जाता है। पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी के मुताबिक पाकिस्तान सदस्य धर्मनिरपेक्ष लोगों को देशद्रोह और विश्वासघाती के तौर पर देखता रहा है। अतः पाकिस्तान की नीति में धर्मनिरपेक्षता का कोई स्थान नहीं है, धार्मिक कट्टरता का प्रयोग उसकी नीति है।
अफगान आर्थिक दशा-
अफगान आर्थिक संकट के चरम दौर से गुजर रहा है। बेरोजगारी अकाल और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध अफगान में आर्थिक दशा को लेकर तालिबानी सरकार की सबसे बड़ी चिंता बना हुआ है। दरअसल अफगान में तालिबानी डर से केंद्रीय बैंकों के प्रमुख और अन्य अधिकारी तो पहले ही देश छोड़ चुके हैं। अब अहम फैसले कैसे और कौन लेगा एक और समस्या है। तालिबान सरकार के प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी ने केंद्रीय बैंकों के अधिकारियों से बैठक में कहा कि बैंकिंग की व्यवस्था को उसकी समस्या को एक संबंधित कानून से हल किया जाना सुनिश्चित है। विश्व बैंक की माने तो अफगान में आर्थिक पिछड़ापन को एंडेमिक बताया है। जिसका तात्पर्य कभी न खत्म होने वाला है। अफगान में विश्व बैंक के मुताबिक 90 फ़ीसदी आवाम $2 प्रतिदिन में गुजारा करने को मजबूर है। आपको बताएं कि 4.2 अरब डालर की मदद विश्वभर से अफगानिस्तान को 2019 में प्राप्त हुई थी। किंतु इस समय हालात कुछ इस प्रकार के हैं, कि यह मदद मिल पाना मुश्किल प्रतीत होता है।
अफगान से कुछ अन्य खबरें-
अफगान ने हाल ही में यूएन में उच्च स्तरीय आम चर्चा में भाग लेने के लिए एक नाम गुलाम एम इसकजाई को लेकर एक पत्र यूएन को दिया था। कि वे उनका प्रतिनिधित्व करेंगे, किंतु यूएन के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बात पर जानकारी दी, कि अफगान और साथ ही म्यामार इस समय यूएन के इस सत्र की उच्च स्तरीय आम चर्चा की सूची में नहीं है। वही अफगान में तालिबान सरकार का शरिया कानून से संबंधित फरमान पर जोर है। सैलून में धार्मिक गीत नहीं बजेंगे, या अन्य प्रकार के संगीत न बजें यह तय किया गया है। खबर हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह की है। जहां हज्जामों के प्रतिनिधियों से बैठक में यह फरमान जारी है, कि स्टाइलिश हेयरकट और दाढ़ी न बनाने के प्रतिबंध को माने और यह न करें। शरिया कानून की कई फरमान जारी के साथ अब तालिबान अपने रंग में दिखे लगा है। महिलाओं का दमन, हाथ पैर काटने की सजा और अब दाढ़ी ना कटे का प्रतिबंध गौरतलब है। इसी दरमियान अबू धाबी से खबर प्रेषित होती है, कि अफगान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी का फेसबुक खाते को हैक कर दिया गया है। उनका कहना है, कि उनके फेसबुक अकाउंट से तालिबान को मान्यता दी जाए, को लेकर एक पोस्ट किया गया है। जो उनका नहीं है। साथ ही आपको यह भी जानना चाहिए, कि ट्विटर ने भी अफगान के मंत्रालयों के खातों से वेरीफाइड बैज ब्लूटिक को हटा दिया है। विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय राष्ट्रपति आवास के अकाउंट से ब्लू ब्याज हटा दिया गया है।
वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे | फार्मेसी क्या है | 25 septenber-
वर्ल्ड फार्मेसी डे
विश्वफार्मासिस्ट डे प्रत्येक वर्ष 25 सितंबर को मनाया जाना सुनिश्चित है। यह फार्मासिस्टों द्वारा अनेकों लोगों को उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए किए प्रयत्नों को उजागर करने और उनके योगदान को बढ़ावा देने का दिवस है।
मनाने की शुरुआत-
2009 में तुर्की ( इंस्ताबुल ) से एक अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (IFP) परिषद ने सर्वप्रथम इस दिन को यह महत्व देने की शुरुआत की थी। वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की शुरुआत करने वाला तुर्की से अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (IFP) का स्थापना वर्ष 1912 दिवस 25 सितंबर है। क्योंकि 25 सितंबर ही IFP का स्थापना दिनांक है, इसलिए भी तुर्की के IFP सदस्यों ने इस दिवस को ही आने वाले वर्षों में वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे के तौर पर मनाए जाने की मांग की।
इस वर्ष की थीम-
वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे मेहता उन फर्म स्टॉकिंग तमाम योगदान को देखते हुए हर साल एक नई थीम को इस दिवस पर निर्धारित किया जाता है 2020 में इस दिवस पर वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की थीम “Transforming global health” रखी गई थी। इस वर्ष 2021 में इस दिवस पर वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे की थीम “Pharmacy: always trusted for your health” रखी गई है।
फार्मेसी क्या है-
फार्मेसी को मेडिकल की शिक्षा से संबंधित है। यदि आप इंटरमीडिएट की परीक्षा विषय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान से करते हैं, तो यह आपके उच्च शिक्षा का एक ऑप्शन हो सकता है। भारत में फार्मेसी एक्ट 1948 के अधीन PCI को 4 मार्च 1948 को गठित किया गया था। क्योंकि फार्मेसी एक प्रोफेशनल कोर्स है। PCI ( फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ) भारत में फार्मेसी प्रोफेशन को सुचारू रखता है। एक फार्मेसिस्ट जिसे आप केमिस्ट भी कह सकते हैं। जो दवाइयों को तैयार करने और साथ ही उन्हें वितरित करने की योग्यता रखता है। फार्मेसी मेडिकल में ज्ञान की यही शाखा है, जो फार्मेसिस्ट को तैयार करती है। एक फार्मासिस्ट किसी औषधालय में तथा क्लीनिक में लोगों को सेवा देते हैं। एक अध्ययन की मानें तो 78% फार्मेसी टेक्निशियन फीमेल है। और फार्मेसिस्ट लोगों के स्वास्थ्य देखभाल में सर्वाधिक योग्य, कारगर और सुलभ हैं। आंकड़ा कहता है कि दुनिया में 4 मिलियन फार्मेसिस्ट लोगों को सेवा दे रहे हैं।
भारत में फार्मेसी का जनक-
महादेव लाल श्राफ को भारत में फार्मेसी के जनक का श्रेय प्राप्त है। उनका फार्मेसी के क्षेत्र में भारत में योगदान विशेष है। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग कोर्स की पढ़ाई हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ बनारस से हासिल की थी।
सार्क दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन में तालिबान के प्रवेश होकर सदस्य बनने के लिए पाकिस्तान की पुरजोर कोशिश नाकाम हो गई है। पाकिस्तान सार्क की बैठक में उपस्थित सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों के समूह से इस विषय को लिए अगुवाई कर रहा था, कि तालिबान सार्क संगठन का सदस्य होना चाहिए। न्यूयॉर्क में हुई इस बैठक में सार्क संगठन के सदस्यों ने पाकिस्तान की कोशिश जो कि तालिबान की अगुवाई करते हुए सार्क में शामिल करने की थी, नकार दी और इस मसले पर आम सहमति न बन पाने से उस दिवस की बैठक ही रद्द कर दी गई।
संगठन के सात राष्ट्र सदस्यों में से पाकिस्तान के अलावा तालिबान को मान्यता देने वाला कोई राष्ट्र नहीं है।
यूएन में तालिबान की भाषण के लिए कोशिश-
अफगान कि तालिबान सरकार को अब तक मान्यता यूएन से प्राप्त न होने के चलते भी तालिबान अपने प्रतिनिधि का नाम संयुक्त राष्ट्र को प्रेषित कर चुका है। जिसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तालिबान का प्रतिनिधित्व के लिए सुहैल साहीन का नाम संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस को भेज, 76वें सत्र में अपनी बात रखने के लिए इजाजत की मांग की है। तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने लिखा कि गनी की सरकार के काल में स्थाई राजदूत गुलाम इसाकजाई देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। अतः तालिबान ने संयुक्त राष्ट्र में भाषण को अपने नए राजदूत सुहेल शाहीन के लिए अनुमति की मांग की है।
पाकिस्तान और तालिबान सरकार नोकझोंक-
जहां पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की मान्यता के लिए विश्व भर में बोल रहा है। यूं कहें कि तालिबान के चलते अफगानिस्तान में हुए बदलावों के बाद तालिबानी सरकार के साथ खड़ा होकर अफगान को पटरी पर लाने की पुरजोर कोशिश भी करता है। ऐसी प्रवृत्ति के चलते कुछ किस्से भी खबरों में शामिल हुए हैं-
1. पाकिस्तान झंडे को हटाने पर तालिबान नाराजगी व्यक्त करता है और सीमा के रक्षक जवानों में चार को गिरफ्तार करता है तालिबानी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि तोरखम सीमा पर 17 ट्रक पाकिस्तान से मदद सामग्री लिए तालिबान में प्रवेश करने पर सीमा रक्षक दल में से कुछ ने पाकिस्तान के झंडे को जबरन हटा दिया। जिसका वीडियो फुटेज उपलब्ध हुआ है। तालिबान इस व्यवहार की निंदा करता है। इस पर कार्यवाही करते हुए तालिबानी सीमा के 4 जवानों को गिरफ्तार किया गया।
2. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान ने तालिबान को नसीहत दी है, कि “तालिबान सरकार में सभी गुटों को ले नहीं तो गृह युद्ध झेलना पड़ेगा” अब इस नसीहत पर तालिबान जो विश्व में अफगान में अपनी सरकार के हो जाने के पश्चात एकल समृद्ध राष्ट्र की छवि को टटोल रहा है। वह अपनी एक मजबूती को प्रस्तुत करने के लिए, पाकिस्तान को फटकार लगाने से भी ना थमा।
तालिबान प्रवक्ता और अफगान सूचना मंत्री जबीउल्लाह मुजादीन ने डेली टाइम्स में कहा कि “पाकिस्तान या कोई अन्य देश यह न बताएं कि आसमान में सरकार कैसी हो”।
कतर ने की अपील-
अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने कतर की ओर से प्रतिनिधित्व कर संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक नेताओं से अफगान कि तालिबान सरकार के प्रति बहिष्कार ना हो की अपील की है। वे कहते हैं, कि बहिष्कार से मात्र ध्रुवीकरण होता है।
उनका कहना है, कि तालिबान के कैबिनेट महिलाओं के बिना सदस्य वाली हैं। किंतु वह भविष्य में एक समावेशी कैबिनेट की ओर जरूर कदम रखेंगे। उनका कहना है, कि दुनिया में इस वक्त अफगान की स्थिति के चलते मानवीय मदद की पहल जारी रखनी चाहिए। राजनीतिक मतभेदों को अलग ही रहने देना चाहिए।
वही उज्बेकिस्तान ने अफगान को तेल और बिजली की आपूर्ति अपनी ओर से प्रारंभ कर दी है।
23 सितंबर को संपूर्ण विश्व में अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह दिवस विश्व में भाषा के उस प्रकार के महत्व को प्रकाश में लाता है, जो हम आज भी भाषा के इतने विकास हो जाने के पश्चात प्रयोग कर ही देते हैं। उदाहरण के लिए हम संकेत कर अपने दोस्त को दर्शाते हैं, कि गाड़ी उस और गई है, तुम्हारी पेन उस डेस्क में है, तुम्हारी सीट वह है आदि।
भाषा हमारे आचार विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है, और सांकेतिक भाषा संकेतों की भाषा है, जहां हम अपने भावों विचारों को संकेतों के माध्यम से व्यक्त करते हैं। यह दिवस विश्व भर में सांकेतिक भाषा के उत्थान की ओर कदम है। इस वर्ष 2021 सांकेतिक दिवस की थीम “वी साइन फॉर ह्यूमन राइट्स” रखा गया है।
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ( world federation of the deaf ) –
अंतरराष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस की अवधारणा सर्वप्रथम वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ ( WFD ) द्वारा की गई। WFD स्थापना वर्ष 1957 दिवस 23 सितंबर है, जो कि विश्व भर में 135 राष्ट्रों के बधिर लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी गणना है, कि दुनिया भर में लगभग 70 मिलियन लोग बधिर हैं। जिनके लिए आवश्यक है, कि संकेतिक भाषा विकसित हो और प्रचलित भी हालांकि संकेतिक भाषा का भी व्याकरण है। आपने कई टीवी समाचारों में सांकेतिक भाषा के जानकार को एक ओर से संकेतों में समाचार व्यक्त करते हुए देखा होगा। वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ बधिर लोगों की मानव अधिकार को इस भाषा के उत्थान से संरक्षण होने की वकालत करते हैं। क्योंकि वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ द डेफ 23 सितंबर के दिन स्थापित हुई थी। अतः इस दिवस की ऐतिहासिक महत्व ही यूएन द्वारा 23 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के तौर पर घोषित करने का कारण है।
संकेतिक भाषा का ऐतिहासिक प्रमाण-
संकेतिक भाषा का प्रथम ऐतिहासिक प्रमाण प्लेटो की क्रेटिलस से मिलता है। जिसमें सुकरात कहते हैं, यदि हमारे पास आवाज या जुबान नहीं होती, तो हम अपने विचारों की अभिव्यक्ति में अपने हाथ, सिर और शरीर के अन्य अंगों का प्रयोग करते, और उनसे संकेत करने का प्रयत्न करते।
नमस्कार साथियों मेरा नाम दिवाकर गोदियाल है। यहां हर आर्टिकल या तो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है, या जीवन के निजी अनुभव से, शिक्षा, साहित्य, जन जागरण, व्यंग्य इत्यादि से संबंधित लेख इस ब्लॉग पर आप प्राप्त करेंगे 🙏