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जोशीमठ ऐतिहासिक,धार्मिक महत्व & आज आपदा

ज्योतिर्मठ जोशीमठ यह स्थल कुछ अप्रिय घटनाओं के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। जोशीमठ में बड़ी मात्रा में भूधंसाव हो रहा है। यह इतना गंभीर मामला है, क्योंकि उस शहर के अस्तित्व पर ही खतरे की तरह दिख रहा है। जोशीमठ जो ऐतिहासिक धार्मिक और सामरिक महत्व के बारे स्थान है। ऐतिहासिक इस प्रकार से जोशीमठ की स्थापना आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की। यह वही आदि शंकराचार्य हैं, जिन्होंने संपूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की। श्रृंगेरी मठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ और ज्योर्तिमठ। ज्योर्तिमठ नाम इसलिए है, क्योंकि यहां आदि शंकराचार्य ने ज्ञान प्राप्त किया, यहां उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। क्योंकि उन्हें ज्ञान रूपी ज्योति यहां प्राप्त की इसलिए यह ज्योर्तिमठ है। हर मठ के अंतर्गत एक वेद रखा गया है। ऋग्वेद की बात करें, तो यह गोवर्धन मठ के अंतर्गत रखा गया है। वही ज्योर्तिमठ के अंतर्गत जो वेद रखा गया है, वह अर्थवेद है। हर मठ में दीक्षा लेने वाले सन्यासियों के नाम के बाद संप्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिस आधार पर वे उसी संप्रदाय के सन्यासी कहे जाते हैं...

FIFA World Cup Final 2022 | विशेष

Fifa world cup final 2022 ऐसा लगता है, कोई बोझ सर से उतर गया है। जैसे ही माॅन्टियल ने आखरी पेनेल्टी किक की और यह सफल रहा, और अर्जेंटीना जीत गया, और सबसे महत्वपूर्ण मेस्सी की जीत हुई। मैस्सी के कितने प्रेमियों के कारण मैं जो फुटबॉल के बारे में अब तक रोनाल्डो और मेस्सी के नाम के अलावा और कुछ नहीं जानता को भी उन्हें देखने को प्रेरित किया। फुटबॉल बतौर खेल में उतना कुछ भी नहीं जानता। अब तक मैं खेल राष्ट्रवादी भावना से देख लेता था। जहां अपने देश की टीम खेल रही है। उसकी जीत हार में भावनाएं शामिल होती हैं। लेकिन फुटबॉल के इस खेल को देख खेल के जादुई प्रभाव की वह अनुभूति हुई। वास्तव में यदि केवल खेल के समर्थक होकर, उसके प्रेमी हो कर देखें तो कुछ खिलाड़ियों की जादुई प्रदर्शन के प्रभाव से बचा नहीं जा सकता है। मैंने बहुत तो नहीं लेकिन अर्जेंटीना और फ्रांस के फाइनल में पहुंचने के बाद एक-दो आलेख अखबार में अवश्य पढ़े थे। उस में मुख्य तौर से अर्जेंटीना के मेस्सी और फ्रांस के एमबावे पर ही ध्यान केंद्रित किया गया था। और हुआ वही। लेकिन अब आप गौर करें, कि एक व्यक्ति जो फुटबॉल की ज्यादा कुछ नियमों को ...

KWMM junior high school paithani | संस्मरण लेख

kwmm junior high school paithani कलावती मेमोरियल मॉन्टेसरी जूनियर हाई स्कूल पैठाणी अपने 25 वर्ष की उपलब्धियों का उत्सव मना रहा है। एक समय था, कि विद्यालय तीन कक्षाओं में चलता था। आठवीं तक की कक्षाएं चलाई जाती थी। मुझे याद है, कि कक्षाओं के बाहर बरामदे में भी पढ़ाई करते थे। श्यामपट्ट केवल दीवारों पर नहीं बने थे। बल्कि लकड़ी के ब्लैक बोर्डों का भी प्रयोग होता था। जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह पढ़ने के लिए जहां छात्र बैठे वहां ले जाए जा सके। और वह स्कूल की पुरानी बिल्डिंग किसे याद नहीं। उसके प्रवेश के लिए वह छोटी सी सीढ़ियां और फिर कक्षाएं। यदि कहें तो वह भवन परिवार के रहने के लिए ही बनाया गया था, स्कूल उसमें चलाई जा रही थी। लेकिन यह स्वीकार करना होगा, कि उन छोटी सी सीड़ियों से ही कई छात्रों ने शिक्षा के सफल सीढ़ियां चढ़ी। मुझे याद है, ऊपर प्रधानाचार्य ऑफिस होता था। वहां पर्याप्त जगह थी, यह ग्राउंड फ्लोर को लगाकर दूसरी मंजिल या आखिरी मंजिल पर था। वहीं से सीढ़ियां नीचे उतर कर दोनों तरफ दो कक्षाओं में खुलती थी, और वहीं से और नीचे उतरे तो फिर दोनों तरफ दो कक्षाएं और खुलती थी। उस ग्राउ...

प्रसिद्ध बुंखाल मेला | एक संस्मरण लेख

बुंखाल मेला पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)          हर बार की तरह बुंखाल की सुंदर झलकियां इस बार भी प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा सामने लाई गई हैं। और यह बेहद सुंदर हैं, और जो लोग मेले में नहीं थे, उन्हें यह और भी सुंदर लग रही हैं। बहुत से दोस्तों की तस्वीर देखी जो अन्य दोस्तों को फ्रेम में लिए हैं। जिन से मेरी मुलाकात भी काफी समय से नहीं हुई है। मेले का मतलब ही यह है, मिलना। बूंखाल मेले की एक पुरानी तस्वीर अब तो कई साधनों के माध्यम से हम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं, संपर्क में रहते हैं। लेकिन पहले यह सब साधन नहीं थे, तो मेला बड़े उल्लास का विषय था, क्योंकि वहां जाने कौन-कौन मिलने वाला है, इसके लिए मन में उत्साह होता था। वो एक सुंदर वीडियो जो शायद पिछले वर्ष का है, और इस प्रसिद्ध मेले के स्थान बुंखाल का भूगोल आकाश से दिखा रहा है, उसे सभी लोग साझा कर रहे हैं। वह वीडियो इस सुंदर मेले के लगभग सुंदरता को दर्शा भी रहा है। मैं जब पहली बार बुंखाल मेला गया। शायद 2009 में तो मुझे याद है, तब सभी पैदल जाते थे। एक तंग रास्ते में जो बुंखाल बाजार के ठीक नीचे की ओर से जो रास्ता म...

संवैधानिक, गैर संवैधानिक, असंवैधानिक, संविधिक और कार्यकारी निकाय

संस्थाएं हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी को 22 वें विधि आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। हर क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता होती है, इसीलिए विधि के क्षेत्र में विधि आयोग है। जिसका मुख्य कार्य कानूनी सुधार के लिए काम करना है, और इसके लिए परामर्श देना है। लेकिन विधि आयोग ना तो संवैधानिक निकाय है, और ना ही वैधानिक निकाय है, यह एक कार्यकारी निकाय है। यह कार्यकारी निकाय क्या है? संस्थाओं को कितने प्रकार में बांटा जा सकता है? जहां हम संविधान के बात करते हैं। संस्थाएं (institution) तीन प्रकार की हो सकती हैं। संवैधानिक (constitutional) असंवैधानिक (unconstitutional) तथा गैर संवैधानिक (extra constitutional) सामान्य रूप से समझा जा सकता है, कि संवैधानिक वह निकाय है, जो संविधान में किस अनुच्छेद में वर्णित है। जैसे वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) और संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) इत्यादि। इसके विपरीत असंवैधानिक निकाय वह हैं। जो संविधान  में वर्णित तो नहीं हैं। किंतु साथ ही यह संविधान का उल्लंघन करते हैं। जैसे आतंकवादी संगठन, नक्सलवादी संगठन आदि। ...

जब पहली बार- EIC Vs भारत की केंद्रीय शक्ति

EIC Vs भारत की केंद्रीय शक्ति जॉब चार्नाक वह व्यक्ति था, जो औरंगजेब से सुलह करता है। वह अंग्रेजों का प्रतिनिधि था। 1680 में औरंगजेब ने जजिया कर लगाया था। वह कर जिसमें गैर मुस्लिमों पर 1.5% कर लगाया गया था। इस कर कि प्रथा में भारत में हिंदू समुदाय के अलावा यूरोपियों के प्रवेश से भारत में एक अन्य समुदाय अथवा ईसाई समुदाय को भी परेशान किया। इसी समय में बंगाल में जहां अंग्रेजों ने भी 1680 तक हुगली, कासिम बाजार आदि क्षेत्रों में अपनी कंपनियां स्थापित कर ली थी। वह अपने आप के कार्यों को सुरक्षित होने के लिए के लिए किले बना देते थे, और यही उनका बंगाल में भी अगला प्रयास रहा होगा। जैसे उन्होंने मद्रास में किया था, या जैसा अन्य यूरोपियों ने जैसे डचों ने पुलिकट में गोलड्रिया किला बनाया हुआ था। बंगाल में कंपनी के द्वारा कई स्थानों पर मुगल सैनिकों से झड़प की गई, उनके ठिकानों पर लूटपाट की गई, जो अब तक केंद्रीय मुगल बादशाह से सीधे किसी यूरोपीय व्यापारिक संस्था का भारत में भिड़ना था। जिसने अंग्रेजो की ओर से इस झड़प का मुख्य प्रतिनिधित्व किया, उसका नाम जॉन चाइल्ड आता है।  औरंगजेब ने 1686 म...

भारतीय संविधान का अनुच्छेद -1

भारतीय संविधान का अनुच्छेद -1 भारतीय संविधान का अनुच्छेद -1 बताता है- “India that is Bharat shall be a union of state.” अर्थात “इंडिया जो कि भारत राज्यों का संघ होगा” भारतीय संविधान का पहला अनुच्छेद मूल रूप से दो बातें स्पष्ट करता है। एक राष्ट्र का नाम और दूसरा राष्ट्र का स्वरूप। राष्ट्र के नाम के रूप में इंडिया और भारत कहा गया है। यह ध्यान रखने योग्य विषय है, कि इंडिया का अर्थ भारत नहीं है। अर्थात इंडिया अंग्रेजी शब्द और भारत उसका हिंदी अनुवाद हो ऐसा नहीं है, बल्कि इंडिया और भारत दो अलग-अलग नाम है। इंडिया का हिंदी और अंग्रेजी दोनों इंडिया ही है। और भारत का हिंदी और अंग्रेजी दोनों भारत ही है। अर्थात इस अनुच्छेद के माध्यम से हम संविधान में राष्ट्र के लोगों द्वारा अपनाए गए दो नाम इंडिया और भारत जानते हैं। साथ ही यह अनुच्छेद राष्ट्र के स्वरूप को भी दर्शाता है, कि भारत राज्यों का संघ होगा। अर्थात भारत राज्यों का एक संघ है, जहां संघ द्वारा राज्यों को शक्तियां दी गई है। इसे आप विशिष्टता से पढ़ें और ध्यान में रखें कि भारत में संघ द्वारा राज्यों को शक्तियां दी गई। भारत विनाशी राज्यों का अवि...